Ashwtthama ho sakta hai -13 books and stories free download online pdf in Hindi

अस्वत्थामा ( हो सकता है) 13

ईस घटना के लगभग बीस दिन बाद जब माहोल थोडा हलका हुआ तब इन्सपेकटर वसीम खान और डि.सि.पि. प्रताप चौहान जगदीशभाई के घर पे इंकवायरी करने पहोचे । उस वक्त जगदीशभाई के घर पे संध्याबहेन के भाई और भाभी भी मौजूद थे । वसीम खान ने संध्या बहेन से पूछा उस दिन देर रात को जगदीशभाई और मिस मालतीजी कहा जा रहे थे ? आप कुछ बता सकते है उस बारे मे ? संध्या बहेन अपनी साँस की ओर देखते हुए बोले मुजे और माँ को दोनो को ईस बारे मे कुछ नहि मालूम । क्युकि उस रात जगदीश हमे नींद मे अकेले छोड के बिना कुछ बताए घर से अकेले ही निकल गए थे । वसीम खान बोले ठीक है कोई बात नही । फिर वो डि.सि.पि. साहब की ओर देख के बोले अगर आप को ऐतराज ना हो तो मैं एक बार घर की तलासी लेना चाहता हू । ये सुनके प्रताप साहब कुछ जवाब दे उससे पहेले संध्या बोली ठीक है इन्सपेक्टर साहब । आप घर की तलाशी ले लीजिए । फिर संध्या ने जगदीशभाई की पर्सनल लेब की चाबी वसीम खान को देते हुए कहा ये लीजिए उनकी लेब की चाबी है । सायद वहा से आप को कुछ मिले । तभी प्रताप साहब ने वसीम खान को टकोर की , संभाल के हा.. खान । अपना ही घर है । उसको जवाब देते हुए वसीम खान बोले डोन्ट वरी सर । और वो घर की तलाशी लेने के काम मे लग गया । तभी इधर अचानक से संध्याबहेन को चक्कर आने लगे। ये देख के उसकी भाभी ने फौरन उसे सोफे पे बिठा दीया । और प्रतापभाई ने जल्दी से अपने फेमिलि डॉक्टर को फोन करके बुला लिया । अपनी नर्स को साथ लेके डॉक्टर शाह कुछ ही देर मे वहा पहोच गए । डॉक्टर शाह ने आके संध्या का चेक अप किया और उसका ब्लड और यूरिन सेम्पल लेके अपनी नर्स के साथ टेस्ट के लिये लेब मे भिजवा दीया । थोडी देर मे नर्स दोनो रिपोर्ट लेके वापस आई । दोनो रिपोर्ट देख के डॉक्टर शाह ने कहा परेशान होने वाली कोई बात नहि है बलके ये तो खु़श होने वाली बात है । संध्याजी मां बनने वाली है । ये सुन के संध्या के अलावा वहा खडे सभी लोग ये तै नही कर पाए की ईस बात पे खु़श होना चाहिए या नही । पर डॉक्टर शाह की बात सुन के संध्या के चहेरे पे आज कई दिनो बाद सबको मुस्कान देखने को मिली थी । तभी ये सारी हडबडी के दौरान पी.आइ. वसीम खान पूरे घर की तलाशी लेके अपने हाथ में स्कूलबेग जैसी एक बेग लेकर संध्याबहेन को जहा लेटाया था उस कमरे मे आए । जहा ईस वक्त सब खडे थे । तभी डॉक्टर शाह संध्या बहेन के लिए विटामिन्स की कुछ गोलियो का प्रिस्क्रिप्शन लिखकर के डि.सि.पि. साहब की इजाजत लेके अपनी नर्स के साथ वहा से चले गए । फिर सारे हालात देख के वसीम खान बोले सर ये एक बेग मिला है जिसमे एक काला लिबास और काली टोपी है । फिर वसीम खान ने जगदीशभाई की मां को पूछा आप ईस बैग के बारे मे कुछ बता सकते है । बैग देख के जगदीशभाई की माँ बोली हा मुजे बराबर याद है ईस बैग के बारे मे । उस दिन ईश्वर के अंतिम संस्कार के बाद शाम को जब संध्या ईश्वर के घर पे निरूपा के पास थी और घर पे मे अकेली थी तब जगदीश ये बैग लेके घर आया था । उसी दिन जिंदगी मे पहेली बार मेरा बेटा मुजसे बिना कुछ बात किए ,ये बैग घर पे छोड के एक छोटा सा सुटकेश लेके तुरंत चुपचाप निकल गया था । ये बाते सुनके वहा बेड पे सोई हुई संध्या बोली क्या बात है इन्सपेक्टर साहब ? क्या जगदिश से कोई गलती हो गई है ? ये सुन के वसीम खान बोले नही नही भाभीजी ऐसा कुछ नही है । हम तो सिर्फ ये पता लगाना चाहते है की ईश्वरभाई और जगदीशभाई दोनो दोस्तो के साथ अचानक से ऐसी दुर्घटनाए कैसे घटी । फिर वो डि.सि.पि. सर की ओर देख के बोले अब हमे चलना चाहिए सर । ये सुनके प्रतापभाई ने जगदीशभाई की माँ को दो हाथ जोड के प्रणाम किए और कहा चलो अब चलते है आंटी अगर किसी भी प्रकार की जरूरत पडे आप मुजे बिना हिचकिचाए बताएगा । मे भी आप के बेटे जैसा ही हूँ । फिर संध्या को बोला अपना खयाल रखना भाभी । और नमस्कार करके दोनो ओफिसर वहा से निकल गए ।

जब दोनो पोलिस ओफिसर अपनी गाडी लेके कमिश्नर ऑफिस जा रहे थे तभी वसीम खान ने प्रताप सर को बताया की ईस बैग मे वैसा ही बुरखा और टोपी है सर जैसा उस बुरखेधारी ने पहेना था । ये सुन के प्रतापभाई के मुँह से चीख निकल गई , क्या .....? फिर वो ऊंची आवाज मे बोले ये तुम क्या कहे रहे हो खान ? ऐसा हरगिज नही हो सकता । एक दोस्त भला दूसरे दोस्त की जान क्यू लेगा ? हो सकता है कोई जगदीश को फासाना चाहता हो । तभी वसीम खान बोला ऐसा तब होता सर जब ये बैग कोई चुपके से जगदीशभाई के घर पे रख गया होता । पर आंटी के बताने के मुताबिक ये बैग जगदीशभाई खुद घर लेके आए थे । और दूसरी बात ये है की यूनिवर्सिटी मे लगे हुए उतने सारे केमेरो मे से केवल एक ही केमेरे मे उसकी फुटेज को देखते हुए ये साफ मालूम होता है की वो बुरखाधारी यूनिवर्सिटी कैम्पस से पूरी तरह वाकेफ था । उसे बखूबी ये मालूम था की कैम्पस का कौन कौन सा हिस्सा केमेरे की कवरेज से मुक्त है । और स्वाभाविक है की ये सारी बाते उसको ही मालूम होती है जिसका आम तौर पे वहा आनाजाना लगा रहेता है ।

आज रविवार होने के कारण जिग्नेश अपनी टीवी पे न्यूज चेनल देख रहा था । न्यूज मे प्रो. जगदीशभाई के बारे मे ही न्यूज चल रहे थे । न्यूज एंकर बता रही थी की प्रो. ईश्वर पटेल की ह्त्या के बारे मे भी शंका की सुई प्रो. जगदीश उपाध्याय की ओर इशारा करती है । हाला की पुलिस को इसके बारे मे अभी तक कोई ढोस सबूत हाथ नही लगे है । लेकिन फिर भी प्रो. जगदीश के जान पहेचान वाले लोगो की राय बताए तो उसके बारे मे ये कह सकते है की वो एक विचित्र और रहस्यमय आदमी थे । कुछ लोगो का तो यहा तक कहेना है की प्रो. जगदीश के बारे मे पूरा सच तो अब तक किसी को नही मालूम है । यहा तक की उसके घरवाले भी उसको पूरी तरह से नहि जानते थे । फिर न्यूज एंकर ने यूनिवर्सिटी के पास चाय बेचने वाले को केमेरे के सामने पेस किया । और उस आदमी की पहेचान कराते हुए बोली । ये है रामूभाई । जो गुजरात यूनिवर्सिटी के बाहर ही चाय की टपरी चलाते है । जहा पे अक्सर प्रो. जगदीश चाय पीने जाते थे । तो चलो अब हम रामूभाई से उसकी जुबान मे ही प्रो. जगदीश के बारे मे जानते है । फिर रामूभाई की ओर देख के न्यूज एंकर ने पूछा हा तो रामूभाई आप बताईए की आप को प्रो. जगदीश के व्यवहार मे कभी कुछ अजीब सा लगता था ? पहेली बार केमेरे के सामने आने की वजह से रामूभाई हिचकिचाते हुए जवाब देने की कोशिश करने लगे और बोले वैसे तो उनका व्यवहार साधारण ही था । पर कभी कभी ...... । रामूभाई अपनी बात पूरी करे उससे पहेले जिग्नेश ने टीवी बंध कर दीया । और वो अपनी बाइक लेके कही जाने के लिए तेजी से निकल गया । ते़जी से बाइक चलाते हुए वो प्रो. जगदीशभाई के घर पे पहोचा । वहा पहोचते ही उसने देखा की प्रो. जगदीशभाई के घर पे ताला लगा हुआ है । जिग्नेश ने वहा बाजु वाले घर के पास खडे हुए और उसकी ओर ही देखते हुए कोमल बहेन से पूछा की ये सब लोग कहा गए है ? तभी कोमल बहेन ने जवाब दीया की संध्याभाभी और माँजी दोनो संध्याभाभी के भाई के साथ उनके माइके चले गए है । और अब सायद कभी वापिस नही आएंगे । ये सुन के चुपचाप थोडी देर तक वहा खडे रहेके जिग्नेश ने प्रो. जगदीशभाई के बंद मकान की ओर देखा । फिर कोमलबहेन को थेंक्स बोल के अपनी बाइक लेके वहा से चला गया ।