Bikharte Sapne - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

बिखरते सपने - 7

बिखरते सपने

(7)

उन्हें खामोश देखकर डॉक्टर चड्डा ने कहा, ‘‘क्या हुआ मिस्टर गुप्ता, मुन्ना के न खेलने की बात सुनकर आप इतने परेशान क्यों हो गये...?’’

‘‘....क्योंकि मैं मुन्ना को बैडमिन्टन का खिलाड़ी बनाना चाहता हूं...और मुन्ना को खुद भी बैडमिन्टन खेलने का बहुत शौक है। उसका जूनियर बैडमिन्टन टूर्नामेंट में सेलेक्शन भी हो गया है, अगले हफ्ते से उसे खेलना है...और आप कह रहे हैं कि मुन्ना खेल नहीं सकता...?’’

‘‘साॅरी मिस्टर गुप्ता। आपको दुःख तो जरूर होगा, लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते मैं आपको यह सलाह देना अपना फर्ज समझता हूं, कि मुन्ना को अब कभी बैडमिन्टन खेलने के लिए प्रेरित मत करना, नहीं तो भविष्य में आप कभी भी धोखा उठा सकते हैं।’’

डॉक्टर चड्डा की बात पर मिस्टर गुप्ता गंभीर होकर कहने लगे, ‘‘विधि का विधान भी कैसा है डॉक्टर साहब, जब मैं खिलाड़ी बनने का सपना देखता था, तो मेरी आर्थिक और पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं खिलाड़ी बन सकूं। और अब मैं मुन्ना को खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना चाहता हूं तो भगवान् ने उसे ऐसा रोग दे दिया कि वह खेल-कूद नहीं सकता।’’

‘‘मिस्टर गुप्ता, मैं आपकी भावनाओं को अच्छी तरह समझ सकता हूं, पर आप अपना दिल छोटा मत कीजिए, क्योंकि भगवान् की मर्जी क्या है, यह आज तक कोई नहीं समझ पाया है। बस यह समझ लीजिए इसमें भी भगवान् का कोई-न-कोई ऐसा राज छिपा हुआ है, जिसकी बजह से आपकी मुन्ना को खिलाड़ी बनाने की इच्छा पूरी नहीं हो सकती।’’

‘‘हाँ, यह तो है।’’ उन्होंने अनमने मन से कहा।

समय सुबह का। मुन्ना अपने बेड पर बैठा है। मिस्टर गुप्ता, सपना और स्नेहा उसके पास बैठे हैं। मिस्टर गुप्ता बेहद गंभीर हैं। उनके चेहरे से पता चल रहा है कि मुन्ना को लेकर वह निराश हैं। उसी समय रोहन वहां आता है। उसे देखकर मुन्ना कहता है, ‘‘गुड मॉर्निंग अंकल।’’

मुन्ना के बोलते ही सबका ध्यान रोहन की तरफ जाता है। वह मुन्ना से कहता है, ‘‘गुड मॉर्निंग मुन्ना, और अब कैसी तबियत है...?’’

‘‘मेरी तबियत को क्या हुआ अंकल, मैं तो बिल्कुल ठीक हूं।’’ उसने हँसते हुए कहा।

‘‘वो तो तुम्हारी बातचीत से ही लग रहा है कि तुम बिल्कुल ठीक हो।

‘‘रोहन, तुम्हे कैसे पता चला कि मुन्ना की तबियत खराब है...?’’

मिस्टर गुप्ता ने पूछा तो रोहन ने बताया कि कल शाम मैंने सपना भाभी को फोन किया था, तो भाभी ने बताया, कि मुन्ना की अचानक तबियत खराब हो गयी, इसलिए आप लोग चड्डा हॉस्पिटल में हैं।’’

‘‘देख लो रोहन, भगवान् ने हमारे साथ कैसा मजाक किया है।’’

‘‘गलत बात है मिस्टर गुप्ता, भगवान् कभी किसी के साथ कोई मजाक नहीं करता है। यह सब नियती का करा-धरा है। पता नहीं इस बहाने वक्त आपको और हम सबको क्या बताना चाहता है। फिर भी आप लोग भगवान् पर भरोसा रखिए, सब ठीक हो जायेगा। वैसे डॉक्टर ने क्या बताया...? क्या हुआ है मुन्ना को...?’’

’’हुआ क्या, बस इतना समझ लो कि मुन्ना को लेकर जो सपने मैंने देखे थे, वो पूरे होने से पहले ही बिखर गये।’’

‘‘इस तरह निराश होने की जरूरत नहीं है मिस्टर गुप्ता, हिम्मत से काम लो। वक्त के मुताबिक सब ठीक हो जायेगा।’’

‘‘निराश तो होने की बात ही है रोहन। तुम तो जानते हो कि मेरी एक ही तमन्ना थी कि हमारा मुन्ना, देश का एक जाना-माना बैडमिन्टन खिलाड़ी बने बस, इसके अलावा मैंने भगवान् से कभी कुछ नहीं मांगा। लेकिन उसने मेरे सपनों को पूरा होने से पहले ही तोड़ दिया।’’

‘‘ऐसा क्यों सोचते हो मिस्टर गुप्ता, मुन्ना अगर इस टूर्नामेंट में नहीं खेल पायेगा, तो क्या हुआ आगे तो खेल ही सकता है।’’ रोहन ने उन्हें समझाते हुए कहा।

‘‘इसी बात का तो दुःख हो रहा है रोहन। तुम्हें नहीं मालूम रोहन, डॉक्टर चड्डा का कहना है कि हमारा मुन्ना अब कभी नहीं खेल पायेगा।’’

‘‘क्या...?’’ रोहन ने चैंकते हुए कहा।

‘‘हाँ रोहन, यह बात बिल्कुल सच है। डॉक्टर चड्डा का कहना है कि मुन्ना अगर दौड़-भाग वाला खेल खेलेगा, तो इसकी तबियत कभी भी बिगड़ सकती है। और यह तो तुम भी जानते हो कि बैडमिन्टन में कितना कूदना-फांदना पड़ता है।’’

‘‘हाँ, यह तो है। पता नहीं भगवान् की क्या मर्जी है। वह क्या चाहता है। खैर छोड़ो इन बातों को फिलहाल तो मुन्ना ठीक हो जाये यही हम सबके लिए खुशी की बात होगी।’’

‘‘हाँ भाई साहब, हम भी यही चाहते हैं, कि हमारा मुन्ना जल्दी से ठीक हो जाये।’’ सपना ने निराश मन से कहा।

‘‘भाभी जी, भगवान् पर भरोसा रखिए। हमारा मुन्ना बहुत जल्दी अच्छा हो जायेगा।’’ रोहन ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा।

चिड़ियों के चहचहाट के साथ सुबह की पहली किरण धरती पर दस्तक देती है। दूर से आती मंदिर के घण्टों की आवाज और शंखनाद से वातावरण भक्तिमय हो जाता है। चड्डा हॉस्पिटल की नर्स आकर बाॅर्ड की खिड़कियाँ खोलती है। खिड़की से अन्दर आये हवा के पहले झोंके ने जैसे ही मुन्ना को स्पर्श किया, मुन्ना का मन पुलकित हो उठा। खिड़की से अन्दर आती फूलों की खुशबू से उसका मन महक उठता है। वह अपने आपको तरो-ताजा महसूस करने लगता है। वह उठकर बैठता है और खिड़की से बाहर का नजारा देखता है। बाहर सड़क पर आती-जाती कारें, मोटर साइकिलें, बसें ,पैदल आते-जाते लोग और बच्चों का शोर सुनकर मुन्ना का मन मचल उठता है। वह सोचने लगता है, कि काश, वह भी उठकर बाहर जाये और ठण्डी-ठण्डी हवा का मजा ले।

‘‘हेलो मुन्ना, क्या देख रहे हो...? बाहर का नजारा...?’’

मुन्ना अपने विचारों में खोया हुआ था कि डॉक्टर चड्डा ने आकर उसकी विचार शृंखला भंग कर दी। डॉक्टर चड्डा को देखते ही वह बोला, ‘‘गुड मॉर्निंग डॉक्टर...।’’

‘‘गुड मॉर्निंग, और कैसा फील कर रहे हो...?’’

‘‘जी बहुत अच्छा, लग ही नहीं रहा है कि मेरी तबियत खराब भी हुई थी।

‘‘गुड, वैरी गुड।’’ कहते हुए डॉक्टर चड्डा ने मुन्ना का चार्ट उठया और कुछ देर उसे ध्यान से पढ़ते रहे। पढ़ने के बाद मुन्ना से बोले, ‘‘घर जाना चाहोगे...?’’

‘‘यस डॉक्टर।’’

‘‘ठीक है, कल तुम्हें तुम्हारे घर भेज देंगे।’’ कहकर डॉक्टर चड्डा मुन्ना के चार्ट पे कुछ लिखते हैं और वहीं टेबल पर रखकर चले जाते हैं।

उनके जाते ही मुन्ना पुनः खिड़की से बाहर झांकने लगता है। उसी समय उसके रोहन अंकल आ जाते हैं और कहते हैं, ‘‘ तो, यह बात है, सुबह के सुहाने मौसम में बाहर का नजारा देखा जा रहा

है...?’’

‘‘अरे अंकल आप, गुड मॉर्निंग अंकल।’’

‘‘गुड मॉर्निंग, क्या बात है, आज तुम अकेले कैसे हो...? ...घर से अभी तक कोई नहीं आया....?’’

‘‘आये तो सब लोग थे, लेकिन चले गये। पापा तो हैं, लेकिन वह मम्मी और स्नेहा दीदी को बाहर सड़क तक छोड़ने गये हैं, अभी वापस आ जायेंगे।’’

मुन्ना के कहते ही उसके पापा आ जाते हैं। उन्हें देखकर मुन्ना कहता है, ‘‘लीजिए, आ गए पापा।’’

रोहन को देखकर मिस्टर गुप्ता मुस्कुराते हैं और कहते हैं, ‘‘अरे रोहन तुम कब आये...?’’

‘‘बस मुश्किल से पाँच मिनट ही हुए होंगे...और अब मुन्ना की कैसी तबियत है, डॉक्टर ने छुट्टी के बारे में कुछ बताया, कब कर रहें हैं मुन्ना की छुट्टी...?’’

‘‘हाँ, मेरी डॉक्टर चड्डा से बात हो गयी। वह कह रहे थे कि अब मुन्ना पूरी तरह ठीक है, हम उसे कल घर ले जा सकते हैं।’’

‘‘चलो, यह बढ़िया रहा। कम-से-कम हॉस्पिटल आने-जाने की परेशानी तो खत्म हो जायेगी।’’

‘‘सचमुच रोहन, इस एक हफ्ते में हम लोग कितना परेशान हुए हैं, कुछ बता नहीं सकते।’’

‘‘हाँ यह तो है।’’

‘‘अरे हाँ, याद आया। मैंने स्नेहा को पिकनिट टुअर पर जाने को मना कर दिया, तो तुम्हे बुरा तो नहीं लगा...?’’

‘‘नहीं ऐसी कोई बात नही है, मिस्टर गुप्ता।’’

‘‘तुम तो जानते हो रोहन, कि मैं अपने बच्चों को कभी कहीं नहीं भेजता हूं, विशेषकर स्नेहा को तो कभी नहीं। हाँ, अगर तुम साथ में जाते तो मैं स्नेहा को तुम्हारे साथ जरूर भेज देता।’’

‘‘ऐसी बात नहीं है मिस्टर गुप्ता। दरअसल मैंने स्नेहा का नाम पिकनिक टुअर के लिए इसलिए लिखवाया था कि वह दो-चार दिन स्कूल के बच्चों के साथ आऊटिंग करेगी, तो उसका मन बहल जायेगा। वैसे भी मुन्ना को लेकर आजकल वह काफी उदास और परेशान-सी दिखायी देती है।’’

‘‘पापा, अगर रोहन अंकल नहीं जा रहे हैं तो क्या हुआ, दीदी की टीचर तो जा ही रही हैं। पापा प्लीज, मेरी इच्छा है कि स्नेहा दीदी पिकनिक पर जायें। इसी बहाने वह हिल स्टेशन घूम आयेंगी, वैसे भी उन्हें हिल स्टेशन पर जाना अच्छा लगता है। और फिर स्कूल वाले भी तो रोज-रोज पिकनिक पर नहीं जाते हैं।’’

मुन्ना की बात सुनकर मिस्टर गुप्ता एकदम खामोश हो जाते हैं। उन्हें खामोश देखकर मुन्ना कहता है, ‘‘क्या हुआ पापा, आप खामोश क्यों हो गए...? ...पापा प्लीज, सोचिए मत और हाँ कर दीजिए।’’

‘‘ठीक है, तुम अगर चाहते हो कि स्नेहा पिकनिक पर जाये, तो मैं भी हाँ करता हूं।’’

‘‘यह हुई न बात। थैंक्यू पापा...थैंक्यू वैरी मच।’’ खुशी से मुन्ना का चेहरा फूल की तरह खिल गया।

‘‘मिस्टर गुप्ता, स्नेहा को पिकनिक पर जाने की अनुमति देकर आपने मेरे ऊपर कितना बड़ा एहसान कर दिया मैं बता नहीं सकता।’’

‘‘इसमें एहसान की कोई बात नहीं है रोहन। दरअसल आजकल के माहौल को देखते हुए लड़कियों को अकेले कहीं भेजने की हिम्मत नहीं होती है। वक्त का कुछ नहीं पता, कब कौन-सी मुसीबत आ जाये।’’

क्रमशः .......

बाल उपन्यास : गुडविन मसीह

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