kalyug ki panchaali - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

कल्युग की पांचाली - 2

ऊषा के कानों में सास की आवाज किसी धमाके की तरफ गूंजती है, वह किसी पत्थर की निष्प्राण प्रतिमा की तरह बैठी होती है

पांचों लड्के ऊषा के गले मे मंगलसूत्र पहनाते हैं और सिंदूर लगाते हैं

सास की आवाज से ऊषा कि तंद्रा भंग होती है, उसकी सास कहती है-

सास:- आज से ये तुम पांचों की पत्नी है, और ये और एक-एक महीने तुम पाचों के साथ रहेगी, ऊषा पर जैसे कोई गाज गिरी हो, जैसे उसकी सोचने समझने की क्षमता ही खत्म हो गई हो, लेकिन कर भी क्या सकती थी, बेचारी मजबूर थी, और इस सबको अपनी किस्मत का खेल समझकर परमात्मा के भरोसे छोड़ देती है|

छोटा लड़का उन लोगों की से थोड़ा अलग होता है, वह मजबूरी बस मां के कहने पर सिंदूर लगाकर ऊषा को मंगलसूत्र पहना तो देता है, लेकिन कभी भी ऊषा को हाथ नहीं लगाता, हमेशा ही ऊषा का ध्यान भी रखता है, और ये ही उषा के लिए उम्मीद की किरण होता है|


एक दिन छोटा और ऊषा बाहर से आते हैं तो ऊषा की सास (लडकों की मां)छोटे से कहती है-

मां:- तू इसे कहाँ घुमाता फिरता है|

छोटा:- इसे अस्पताल लेकर गया था|

मां:- क्यों लेकर गया था?

छोटा:- डॉक्टर ने कहा है कि ऊषा पेट से है|

ऊषा की सास ये सुनकर खुश हो जाती है, और कहती है, कि यह तो खुशी की बात है, लेकिन बेटे का लटका हुआ मुंह देख कर पूछती है-

मां:- तेरा मुंह क्यों लटका हुआ है?

तो ऊषा उसे फार्म निकालकर थमा देती है, और गुस्से से पूछती है-

ऊषा:- इस पर बच्चे के बाप का नाम लिखना है, किसका नाम लिखूं?

सां:- इसमें सोचना क्या है, बड़े का नाम लिख दो, पहला बच्चा बड़े का, दूसरा उससे छोटे का, तीसरा उससे छोटे का, चौथा उस से छोटे का, और पांचवां सबसे छोटे का|

यह सुनकर छोटे का मुंह खुला का खुला रह जाता है, लेकिन ऊषा की आंखों में आंसू आ जाते हैं, वो कहती है-

ऊषा:- अगर बच्चे ही चाहिए थे, तो किसी अनाथ आश्रम से गोद ले लिए होते, मुझे क्यों बली बना दिया|

सास:- तुम्हारा जो काम है, वह काम करो और अपनी जुबान बंद रखो|

ऊषा चुप होकर चली चली जाती है, मजबूर थी आखिर कर भी क्या सकती थी, लेकिन छोटे को यह बात चुभ जाती है|


फिर धीरे-धीरे समय गुजरता है, और ऊषा के पेट में एक दिन अचानक से दर्द होने लगता है, तो उसे अस्पताल ले जाया जाता है, उसे अस्पताल में बच्चा होता है, पांचों लड़के और उनकी मां बच्चे की जानकारी के लिए उतावले होते हैं तभी एक नर्श आकर बताती है-

नर्श:- बधाई हो आपके घर लक्ष्मी आई है, तो सबका मुंह उतर जाता है, ऊषा की सास बहाँ से तुरंत चली जाती है, मंझला लड़का और जो बड़े से छोटा होता है, बड़े के पास आकर कहता है, अब यहां क्या कर रहे हो लड़की हुई है तुम्हारी, लड़के का बाप तो मैं ही बनूंगा, और यह कहकर वहां से चला जाता है, और उसके बाद बड़ा और तीनों मंझले लड़के वहां से चले जाते हैं, शिर्फ छोटा लड़का ही बाहर रह जाता है, वही ऊषा को और उसकी बच्ची को लेकर घर आता है|

सभी की आंखों में वो लड़की चुभती है, सारे लोग उससे छुटकारा पाना चाहते हैं...............

क्रमश:..............