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रस--- प्रवाह

रस--- प्रवाह

नीलम कुलश्रेष्ठ

[ नीलम कुलश्रेष्ठ की सरोगेसी पर आधारित `हंस `में प्रकाशित व `उस महल की सरगोशियां में `उनके कहानी संग्रह में संकलित ये कहानी एक दस्तावेज है क्योंकि अब विदेशियों के भारत में आकर सरोगेट मदर से बच्चा पैदा करने पर भारत सरकार ने प्रतिबन्ध लगा दिया गया है।दरअसल कुछ बच्चों के बड़े हो जाने पर उनका पोर्नोग्राफ़ी, चाइल्ड ट्रेफ़िकिंग या उनके अंग चुरा लेने जैसे जघन्य अपराध में उपयोग होने लगा था ]

गांव में ढोलक की थाप पर सुना ये गीत बार बार उसकी आत्मा में गूँजता रहता है ;

"हुए देवकी के लाल यशोदा जच्चा बनीं. "

जब वह बेहद छोटी थी तो समझ नहीं पाती थी कि जब लाल पैदा तो देवकी के हुए हैं तो यशोदा जच्चा कैसे बना गई. . वह सोचती आदमी अपनी संतान की ख़ातिर जान की बाज़ी लगा सकता है तभी वासुदेव कारी अंधयारी रात में बरसते पानी में उफान खाती यमुना की लहरों के भयंकर थपेड़ों के बीच सिर पर रक्खी डलिया में कृष्ण को लिटाये चले जा रहे होंगे.

यशोदा की बाँहों में कृष्ण का बचपन मचलता होगा, मात्रत्व की रसभरी फुआरों में भीगता होगा. और देवकी ?कैसे तड़प तड़प कर रोती होगी. सीने में उफनते दूध का वह क्या करती होगी ? ---लेकिन वह कौन है देवकी या यशोदा ?-----सोनल हड़बड़ा कर जग जाती है ---इस समय वह नन्ही जान ना देवकी के पास है ना यशोदा के. उसकी तबियत नाज़ुक है इसलिए उसे बच्चों के कमरे में रक्खा हुआ है. वह दूर है तो क्या एक नवजात की गमक सेउसका बिस्तर गमक रहा है. वह उसे दूध पिलाते पिलाते कब सो गई थी, पता नहीं. कब नर्स उसे उठाकर ले गई थी.

देवकी ने तो अपनी संतान की सलामाती के लिये उसे त्यागा था ---यशोदा ने दूसरे की संतान को बाँहें फैलकर पाला था ----तो ---तो ---वह तो इन दोनों में से कोई नहीं है ? सोनल को अस्पताल के इस वॉर्ड का कमरा बेहद खाली लग रहा है, वह आँखें इधर उधर घुमाती किसी को धूढ़ रही है, हालाँकि उसे पता है वह नीचे की मंज़िल में नेट से ढके झूले में सो रही होगी. ,

"गोकुल में मेला छाया कोई सच्ची ख़बर नहीं लाया ---"उसे उस गीत की पहली पंक्ति याद आ रही है. सोनल की छुटकी बीमार है -डॉक्टर, नर्स यहां तक कि धीरू भाई भी उसकी गोल गोल खबर देते हैं, `बेबी फ़र्स्ट क्लास है, बस छूत से बचाने के लिए उसे अलगा रक्खा है. "

वह सच ही इतनी बीमार है या उसे जानबूझकर उसे उससे दूर रक्खा है जैसे वह उसकी माँ ना हो कोई छूत की बीमारी हो. -----न ! न! हुआ तो ज़रूर कुछ है वर्ना कागजों पर सही [हस्ताक्षर ]करवाते समय डॉक्टर ने साफ़ साफ़ समझाया था, "बच्चा पैदा होने के दूसरे दिन ही लंदन से आये स्मिथ साहब व मेमसाहब बच्चे को ले लेंगे. वे उसे लेकर कब और कहाँ जायेंगे यह पता नहीं चलेगा. "

लेकिन हाय ! हम कुछ करते हैं, भगवान कुछ और कर देता है . पैदा होते ही बच्ची की तबियत ऐसी खराब हुई कि उसे सोनल के पास ही रखना पड़ा. वह उसे रोज़ दूध पिला देती है, अगर उसे पैदा होते ही अलग कर दिया जाता तो ये तड़प कम होती. वह दिल को समझा लेती कि नौ महीने कोख में कुलबुलाने वाला किराएदार समय पूरा होते ही चल दिया निर्मोही ---निर्मोही वह है या सोनल या धीरु भाई ---कौन जाने ?

धीरू भाई एक कपड़े की दुकान पर काम करने जाता है. घर आते आते उसे नौ या साढ़े नौ बज जाते हैं. कभी वह दिन भर की बोरियत का पोथा खोलना चाह्ती है तो वह चिल्ला उठता है ", वहां सारे कस्टम्बरो के लिए थान खोलते खोलते थक जाता हूँ. घर पर तू अपना पोथा खोल कर बैठ जाती है. "

सोनल मुँह बंद करके उसे पानी का गिलास या खाना देती है, जब जीवा पैदा हुआ तब उसका दिल इस शहर में लग पाया था. एक दिन धीरू भई दुकान से लौटकर पानी पीकर बेतहाशा हँसने लगा.

वह चौंक गई, "इतना क्यों हंस रहे हो ?"

"तू भी सुनेगी तो हँसेगी ?"

"अपनी चाल का बी तेईस नंबर वाले कमरे वाले नीलेश, जो कि नल की मरम्मत करता है कि औरत अपनी कोख किराये पर दे रही है. "

उसका मुँह खुला का खुला रह गया, "तुमने ग़लत सुन लिया होगा. "

"सच्ची कह रहा हूँ. अब तक सुना था मकान, कपड़े, बर्तन किराये पर मिलते हैं ---ये नई बात सुनी है. "

"मै तो विश्वास नहीं करती कोख कोई कमरा नहीं है कि किराएदार रख लो. "

"तो मत कर, रणछोड़ भाई ने उसे व उसकी औरत को अस्पताल से निकलते हुए देखा है. अब तो उसका पेट भी दिखाई देता है. "

"उसका अपना बच्चा पेट में होगा. "

"नहीं , वह उस अस्पताल से निकल रही थी जहाँ की डॉक्टर किराये पर कोख दिलवाकर बच्चे पैदा करती है. `

चौल जब फुसफुसाहट बढ़ने लगी तब उसे विश्वास हुआ. लोगों की फब्तियो से तंग आकर नीलेश भाई अपनी औरत को लेकर अपनी ससुराल चला गया था. कुछ महीने बाद लोगों से ही पता लगा कि उसने एक भावनगर के पटेल दंपत्ति के लिये एक सुंदर स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है.

हाय राम !वह औरत कैसी डायन होगी जिसने अपने पेट में नौ महीने एक जीव को रखकर, अपने हाड़ मांस का टुकड़ा बेच दिया. "

"समझाकर सोनल ! भावनगर के पटेल की व उसकी औरत के शुक्राणु व डिंब लेकर मशीन में रखकर उसका अंडा बनाकर नीलेश की औरत की कोख में रख दिया था. "

"बच्चा पैदा न करना हुआ बच्चे की खेती हो गई ?"

"चल तू इसे खेती ही समझ ले लेकिन इससे कितने लोगों के उजड़े जीवन में बहार आ जाती है. "

"तो उससे क्या ?वह बच्चा उसी की नाल से खाना लेता होगा तो उसी का बच्चा हुआ ना. "

"तेरे से बहस करना बेकार है. "

वह फिर हिसाब लगाने लगी, "हमारे इस कमरे का किराया सौ रुपये महीना है तो कोख के किराये का नौ महीने का किराया हुआ नौ सौ रुपये हैं न !"

"ना रे गामड़ी ! बच्चा इतनी कठिनाई से पैदा होता है कि औरत का जन्म दूसरा जन्म माना जाता है. इस काम के लिये बच्चा लेने वाला लगभग डेढ़ दो लाख रुपया देता है. "

"हैं -----?"सोनल की काली आँखें पूरी की पूरी फैल गई थीं.

" सुना है नीलेश इस चौल में बस सामान लेने ही आएगा. उसने एक कमरे व रसोड़े वाला घर खरीद लिया है. "

"वो चाहे महल में रहने जाए लेकिन कसाई से कम नहीं हैं दोनों. एक जीव को कोख में रखकर त्याग दिया है. "

पलंग पर पड़े पड़े सोनल के पेट में मरोड़ होने लगती है. वह सोने की कोशिश करते करते थक चुकी है. कत्ल की रात क्या होती है, वह समझ पा रही है.

नीलैश के मकान खरीदने की ख़बर से धीरू भाई ही नहीं बहुत से लोगो की आँखों में सपने लहलहाने लगे थे. हर तीसरे दिन कोई ना कोई पति पत्नी गुपचुप उसी अस्पताल में अपनी औरत को ले जाता. उनमें से सबको टरका दिया जाता क्योंकि तीन चार बच्चे पैदा करने के बाद उनका स्वास्थ्य इतना नहीं बचा था कि वे कोख किराये पर दे सकें. आस पास के सभी चालों में सिर्फ़ राधा चुनी गई थी. क्योंकि उसके सिर्फ़ एक ही बच्चा था. धीरू भाई कब से ज़िद कर रहा था कि वह भी अपना टेस्ट करवा आयें. यदि भगवान ने चाहा तो वह भी जाजरू [ लैट्रीन ]के लिये लम्बी लाइन लगाने से बच जायेंगे अपना घर खरीद कर.

धीरू भाई तो जैसे ज़िद पर अड़ा था. उसे प्यार से समझाता , "सोनल घबराती क्यों है ?सारी दुनिया इस डॉक्टर को जानती है. "

"जानेगे क्यों नहीं ?सुंदर जो है. "

" मैं उसके रुप की बात नहीं कर रहा, ना ही उसकी पढ़ाई की. सुना है पढ़ाई में उसे पाँच सोने के मैडल मिले थे. "

"पाँच ?---वह परी सी डॉक्टर इतने होशियार है ?"

"हाँ, उसने एक पैंतालीस साल की माँ से उसकी बेटी के लिए बेटी पैदा करके दे दी. "

"हैं ----सही बात है दुःख में माँ ही काम आती है, सास नहीं. "

धीरू भाई देर तक हंसता रहा, "तुम औरतों को सास की बुराई करने का बहाना चाहिये. उस औरत की सास पचास से ऊपर थी इसलिए उसके लिए बच्चा पैदा नहीं कर सकती थी. "

"तो बच्ची ठीक से पैदा हो गई ?"

"हाँ. "

"ओ माँ, उसने कोख किराये पर दी, उसे शर्म नहीं आई ?

"उसने शर्म छोड़कर बेटी के परिवार को सुखी कर दिया. "

"तुम मुझसे ऐसी आस मत लगाओ. वह तो बेटी की खातिर उसने ऎसा किया. "

"तो मत दे कोख किराये पर ज़िन्दगी भर इस पोल[गली ] में संडास की लाइन में खड़ी रहकर गुज़ार दियो. "

वह भी तो इस पोल से छुटकारा पाने का सपना देखती रह्ती है. गांव में अपने पिता के दो मंज़िले मकान से शहर में आकर कितना तो बुरा लगता है. जीवा ने आंगनवाड़ी जाना शुरू कर दिया था. एक दिन जब वह वहां गया हुआ था तो धीरू भाई अचानक घर आकर उसे उसी अस्पताल ले गया था.

वह साफ़ सुथरे नर्सिंग होम, यहाँ तक कि नरम नाज़ुक डॉक्टर, सफेद कपड़ों में घूमती नर्सन से सहमी हुई थी. उस परी सी डॉक्टर के कमरे में उनके गुरु की तस्रवीर लगी हुई थी जिनके नाम पर इन्होंने अपने नर्सिंग होम का नाम रक्खा है. डॉक्टर ने धीरू भाई से बात करके सोनल व उन्हें एक नर्स के साथ जाने के लिये कहा. नर्स उसे एक खाली कमरे में ले गई व बोली, "सोनल बेन !यदि कोई तुम्हारे घर का कमरा किराये पर लेना चाहे, तो वह रहेगा तो तुम्हारा ही. उसका तो नहीं हो जायेगा. "

उसने सहमी आँखों से सिर हिलाया था.

"तुम अपने शरीर को एक घर क्यों नहीं समझती ?अपनी कोख को एक कमरा क्यों नहीं समझती ?कोई इसे नौ महीने किराये पर लेगा, उसका किराया देगा. बच्चा एक किराएदार की तरह रहेगा. कभी कोई किराएदार सारी उम्र किराये के घर में रुका है जो वो रुकेगा ?"

वह कमरे व कोख के गणित को एक साथ नहीं कर पा रही थी इसलिए फफक फफक कर रो पड़ी थी, "एक जीव को मै अपनी कोख में रक्खू, उसके दिल की `धक `, `धक `सुनूँ, उसका हिलना डोलना महसूस करू और उसे किसी को दे दूँ ---ये मुझसे नहीं होगा. "

नर्स ने उसके सिर पर हाथ रक्खा था, "हम जब किसी का बड़ा दुःख दूर करते हैं तो उससे बड़ा पुन्य और कोई नहीं होता. "

"ये मुझसे नहीं होगा--. "फिर वह पति से याचना कर उठी थी, "धीरू भाई ---आपणे जइए. "

वह दुःख व क्रोध से तमतमा कर चल दी.

वह गुजरात व राजस्थान की सीमा के एक गांव में पली बड़ी थी, वह समझ नहीं पाती कि वह हिन्दी वाली है या गुजरातन लेकिन संतान को त्यागने की बात खूब समझती थी.

नर्स ने धीरू भाई को समझाया था, "तुम्हारा बेटा भी तीन बरस का हो गया है. सोनल का स्वास्थ ठीक है. कभी कभी इसे लेकर आते रहना. इसका डर दूर हो जायेगा. "

हफ्ते भार बाद ही धीरू भाई उसे नर्स के पास बिठा गया. वह उसे भाषण देने लगी, ` सरोगेट मदर उसे कहते हैं जो कोख किराये पर देती हैं हर औरत सरोगेट मदर थोड़े बन सकती है. "

"हर औरत ऎसा क्यों नहीं कर सकती ?`

"उसके लिए अच्छे स्वास्थ्य का होना जरूरी है. शादीशुदा छ; जोड़ों में से एक ऎसा होता है जो संतान पैदा नहीं कर सकता. तुम भाग्यवान हो जो तुम्हारे बेटा पैदा हो गया है. आगे भी सुंदर बच्चे होते रहेंगे. "

"जिनके बच्चा पैदा नहीं होता क्या सारे लोग कोख किराये पर लेते हैं ?"उसकी झिझक हटने लगी थी, वह प्रश्न पूछने लगी थी. `

"कुछ जोड़े इलाज से ठीक हो जाते हैं. कभी माँ की कोख में पिता के शुक्राणु का इंजेक्शन लगाकर बेबी पैदा किया जाता है. कुछ जोड़ों केशुक्राणु व डिंब लेकर मशीन में अंडा बनाकर वापिस माँ की कोख में रखकर टेस्ट ट्यूब बेबी पैदा किया जाता है. इनमें से सिर्फ़ तीन प्रतिशत को सरोगेट मदर की जरूरत पड़ते है. "

वह भन्ना पड़ती है, "दुनिया में औरतों की कमी है जो तुम मुझे भाषण दे रही हो ?"

"दुनियाँ भर के लोग क्यो भारत की सरोगेट मदर चाहते हैं क्योंकि यहाँ की औरतें मेहनती होती हैं, सिगरेट, शराब नहीं पीती. तुम सुंदर हो, नाम तुम्हारा सोनल है. स्वस्थ हो सरोगेट मदर बनने लायक. "

एक पढ़ी लिखी औरत से अपनी तारीफ़ सुनकर सोनल शर्मा जाती है लेकिन उसका मन पक्का था. ऐसी तारीफ़ से वह पिघलने वाली नहीं है ---हाँ ---.

अस्पताल के बिस्तर पर आंखों मे नींद नहीं है. पुराने चित्र आंखों में आ जा रहे हैं, --- उस दिन नर्स सीढ़ी चढ़ा कर उसे एक सरोगेट मदर दिखाने ले गई थी.

उस वॉर्ड में लोहे के पलंगों पर चार मरीज ही थीं. सोनल अन्दर जाकर खुश हो गई क्योंकि वह परी जैसी डॉक्टर एक मरीज के फूले पेट पर आला घुमा रही थी. वह अंग्रेज़ी मैम जैसी दिखती डॉक्टर को नज़दीक से देखेगी. डॉक्टर उस मरीज से कह रही थी, " बच्चे की धड़कने ठीक हैं लेकिन अल्ट्रा सोनोग्राफ़ी में देख लिया गया है कि यू् ट्रस मे पानी कम हो रहा है. दो घंटे बाद ऑपरेशन करके बच्चे को बाहर निकाल लेंगे. "

"बाईस दिन पहले ही ?"पलंग पर लेटी औरत ये सुनकर घबरा गई थी.

"हाँ, बच्चे को अन्दर सही पोषण नहीं मिल रहा. उसे बाहर लाकर उसकी सही देखभाल की जा सकती है. तब तक मै अग्रवाल साहब को ख़बर कर देती हूँ. "

नर्स डॉक्टर से पूछती है, "वह लखनऊ से कब आए ?"

" दो दिन पहले ही आए हैं. मैंने ख़बर कर दी थी कि कभी भी इनका ऑपरेशन करना पड़ सकता है. तुम्हे तो पता है मिसिज़ अग्रवाल तो इस शहर से कभी भी बाहर नहीं गई हैं. एक बंगला लेकर इस सरोगेट मदर के साथ रह रही हैं. . "

सोनल झिझकती सी डॉक्टर के पास चली जाती है, "डॉक्टर ! मैं सोनल. "

"मै पहचान गई. कहो सोनल कैसी हो ?"

"ठीक हूँ. "

वह हकबकाई सी उन्हें देखती रह गई, उस जैसी मामूली औरत को उन्होंने याद रक्खा ?

"सोनल तुम्हारा मन पक्का हुआ या नहीं ?लंदन से एक अंग्रेज़ स्मिथ साहब के फ़ोन आ रहे हैं. उन्हें एक सरोगेट मदर चाहिये. "

"अंग्रेजों ने तो हमेशा भारत में ही लूट पाट की है. वहाँ क्यों नहीं किसी अंग्रेज़ औरत की कोख किराये पर लेकर बच्चा पैदा करते ?"वह अपनी तेज़ी पर स्वयम् ही आश्चर्य कर उठी थी.

वह डॉक्टर हंस पड़ी थी, "तुम तो बहुत सयानी हो. तुम्हे पता है दुनिया में भारत की औरतों की कितनी इज़्ज़त है ?वह ना शराब पीती हैं, ना सिगरेट, ना हर रोज़ पिज़ा बर्गर खाती हैं और ना मर्द बदलती रह्ती. ये अनुशासन से रहती हैं. ऐसी अच्छी स्त्रियों से विदेशी बच्चा पैदा करना चाह्ते हैं. यहाँ खर्च भी कम होता है बस तुम्हारे `हाँ `करने की देर है. "

"मेरा उत्तर तो आपको पता है. वो तो धीरू भाई पीछॆ पड़़ा है. "

"तुम इन भावना बेन से पूछो दूसरो को सुख देने का अपना क्या आनंद होता है. "फिर डॉक्टर ने दोनों नर्स को इशारा किया, "आप दोनो मेरे साथ चलिए. "

भावना बेन ने उसे इशारे से स्टूल पर बैठने के लिये कहा, फिर बोली, "तुम्हारे बेटी है या बेटा ?"

"एक बेटा है. "

"तुम सोच कर देखो यदि तुम्हारे संतान नहीं होती तो ?"

"ना रे ऎसा कैसे हो सकता है ?`

"दुनियाँ में किसी के साथ कुछ भी हो सकता है. "

"मेरी ताई बांझ ही मरी थी, मेरी दादी उसे मरते दम तक कोसती रही थी. जो उससे मिलता या तो उसपर तरस खाता या ताने मारता. "

"यदि उसको बच्चा हो जाता तो ?"

"हाँ, वह खुलकर मुसकरा सकती थी, हंस सकती थी. `

"तो किसी की खुशी के लिये अपनी कोख किराये पर देने में क्या बुराई है ?"

"हाँ, मेरा मन नहीं मानता. डॉक्टर और नर्स मीठी मीठी बातें करके औरतों को फंसाते रहते हैं. सब पैसे कमाने के धंधे हैं. "

" तुम्हें पता है डॉक्टर सरोगेट मदर को रुपया दिलवाती है लेकिन अस्पताल के उसके खर्च का एक भी पैसा नहीं लेती. "

"क्या सच ?तो उसे क्या फ़ायदा होता है ?"

वह कहती है मुझे दो परिवारों को ख़ुशी देकर ख़ुशी मिलती है. आत्मा तृप्त हो जाती हैं. "

यही ख़ुशी स्मिथ परिवार को देने सोनल राज़ी हो गई थी, रुपये तो धीरू भाई को चाहिये थे. सोनल पलंग पर पड़ी पड़ी क्या क्या सोचती जा रही है. उसके सीने में कुछ घूम रहा है, बेहद घबराहट हो रही है. जिस दिन के आने से वह डरती रही है, वही इस रात्रि के अंत में खड़ा है. कल स्मिथ साहब उस छौनी को ले जायेंगे. सोनल कल के आने के भय से उठकर टहलने लगती है --------उस दिन एक नर्सिंग होम की आया एक ऑटो रिक्शा लेकर उसे घर बुलाने आई थी, "डॉक्टर साहिब ने तुम्हें बुलाया है. "

वह रास्ते में सोच रही थी कि धीरू भाई कितना धुन का पक्का है. वह डॉक्टर के पास जाता रहता है. डॉक्टर व नर्सें सोनल को समझातीं रहतीं हैं. जब सोनल ने डॉक्टर के कमरे में प्रवेश किया था तो देखा कि डॉक्टर के कमरे में कुछ लोग बैठे हैं.

"आओ सोनल !"डॉक्टर ने उससे कहा.

वह एक कुर्सी पर बैठ गई, वे कहने लगी, "इनसे मिलो ये हैं चेन्नई के वेंकटरमन व उनकी पत्नी व माँ और ये हैं अपने शहर के वल्लभ जोशी व उनकी पत्नी जया बेन हैं. आज जया बेन इनका बच्चा इन्हे सौपने वाली हैं. "

डॉक्टर के कहते ही जया बेन अपनी गोद में सफ़ेद कपड़े में लिपटे बच्चे को लेकर उठी थी. उसने श्रीमती वेंकटरमन को बच्चा देना चाहा तो उन्होंने गहरी नीली साड़ी पहने, गले में मोटी सोने की चेन पहने अपनी सास की तरफ इशारा कर दिया. सास अपने कुर्सी से उठी थी. जया की आंखों से अश्रुधारा बह उठी थी. उसने आखिरी बार बच्चे को सीने में भींचा, आँसुओं से भीग गए अपने होंठों से चूमा और उस मद्रासी महिला को दे दिया. बच्चा हाथ में लेते ही दादी के हाथ काम्पने लगे. उनका भी सारा चेहरा आँसुओं से तर हो गया था. वे तमिल में जया बेन को क्या आशीष देती जा रही थी, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. बस उसका शरीर हिचकियो से काँप रहा था. वेंकटरमन व उनकी पत्नी भी रो रहे थे. दादी ने आगे बड़कर बच्चा बहु की गोद में दे दिया. वह माँ पागलो की तरह बच्चे को चूमे जा रही थी. वह दादी तमिल मे कुछ बोलती हुई जया के पैरों से लिपट गई, जया बेन ने सकुचाकर अपने पैर मुक्त कर लिए. दादी हाथ जोड़े डॉक्टर के सामने कुछ बड़बड़ाने लगी थी.

सोनल ने भरत मिलाप तो सुना था लेकिन ये कौन सा मिलाप था ?उसकी भी हिचकी रुक नहीं पा रही थी, वह तुरंत ही कमरे से बाहर हो गई थी. शटल [शेयरिंग ऑटो रिक्शे ]में बैठकर अपने घर पहुँचकर पलंग पर पड़ी पड़ी फूट फूट कर रोती रही थी. चेन्नई तो यहां से कोसों दूर् है और उसके शहर की औरत ने इतनी दूर वालों को खुशी दी है, वो भी अनजाने लोगो को ?

धीरू भाई जन्माष्टमी के दिन वह उसे नर्सिंग होम ले गया था. हर वर्ष इस त्यौहार का यहां विशेष आयोजन होता था. कमरे के बीच में चौकी पर कृष्ण मन्दिर सजाया गया था. सामने थाली में फल, फ़ूल व पंजीरी ढकी रक्खी थी. वह समझ गई थी कि गुजरात में ये पंजीरी धनिये की होगी. कमरा अगरबत्ती की महक से महक रहा था. ढोलक व हारमोनियम पर सब औरतें कभी गुजराती में या हिंदी में भजन गा रही थी. दो सरोगेट मदर दीवार पर तकिये से टिकी फूले हुए पेट से बैठी हुई थी.

नर्स ने भजन बीच में रुकवाकर घोषणा की, `अब आप टी. वी. पर एक विदेशी महिला को डॉक्टर से बातचीत करते हुए देखिये. हमारी डॉक्टर ने सरोगेसी से बहुत से बच्चे पैदा किए हैं इसलिए दुनिया में नाम कमा लिया है. "फिर वह वॉर्ड ब्याय से बोली थी, "ओप्रा विंफ्रे वाली सी डी लगाना. "

टी वी के पर्दे पर जटाओ जैसे बलों वाली एक काली औरत डॉक्टर से अंग्रेज़ी में कुछ पूछ रही थी. हाय ! डॉक्टर भी `खट`, `खट`, अंग्रेज़ी में बोलती जवाब दे रही थी. ज़रूर वह सरोगेट मदर से बच्चा करने के गुर पूछ रही होगी. हाय ! ये डॉक्टर तो जादूगरनी है, सैकड़ों बच्चो की माँ है. यदि वे सामने होती तो सोनल ज़रूर उनके पैर छू लेती. कहते हैं इसने डेढ़ सौ मान्ये तैयार की थी और एक सौ नब्बे बच्चे पैदा हुए थे. है न !उपर वाले का कमाल सरोगेट मदर को कभी कभी दो बच्चे ही देता है.

प्रोग्राम समाप्त होते ही सोनल भाव विह्वल होकर वही भजन गा उठी ;

"गोकुल मे मेला छाया, कोई सच्ची ख़बर नहीं लाया

हुए देवकी के लाल यशोदा जच्चा बनी. "

उन गर्भवती दो महिलाओं के आँसू बहने लगे. देवकी ने तो अचानक बालक त्यागा था उन्हें तो नौ महीने से भी अधिक देवकी की व्यथा, देवकी की कसक झेलनी थी. सोनल का भी गला भर आया, वह भी सिसक उठी लेकिन तभी तय कर चुकी थी कि वह देवकी कसक धारण करेगी. धीरू भाई तो अपनी मेहनत सफल होते देख बहुत खुश था.

लंदन से स्मिथ साहब मेमसब आए थे. सोनल फिर अचरज में पड़ गई थी, बच्चा पैदा करने के लिये लिखा पढ़ी करना ज़रूरी था. डॉक्टर के कमरे में धीरू भाई के साथ इतने सारे कागजों पर सही [हस्ताक्षर ]करते करते घबरा गई थी. धीरू भाई ने समझाया था, "पगली! डर मत. डॉक्टर हमारी सुरक्षा केलिये ये करवा रही है. यदि इन लोगो ने बच्चा गिरवाया तो ये लोग खर्चा देंगे.

"बच्चा आड़ा टेढ़ा हो गया तो ?"

" तब भी उसे पालने की जवाबदारी इन्हीं की है. बस एक बात है मुझे तुझसे नौ महीने दूर रहना पड़ेगा. "

"मै तो रह लूंगी, तुम मर्दो की क्या ?अगर इधर उधर गए तो गर्भपात करवा लूंगी. "

वह घबरा गया था, "ना रे !किसी हालत में गर्भपात मत करवाना, नहीं तो सारा हर्जाना मुझे देना पड़ेगा. मेरे पास इतना पैसा कहाँ है ?कागजों पर उनके सही करते ही पीली रंग की कसी फ्रॉक में से नंगी आधी टाँगें दिखाती मेमसाहब उसे कसकर भिंच कर रो पड़ी थीं. रोना तो उसे भी आ रहा था , उसके सीने में उनके मोतियों की माला चुभ रही थी लेकिन वह उनकी भीनी भीनी सुगंध में नहा गई थी. वे रोते हुए अंग्रेज़ी में गिटर पिटर करती जा रहीं थी.

डॉक्टर ने कुछ दिनों बाद ही उसे ऑपरेशन थियेटर में ले जाकर बच्चे का अंडा रखकर गर्भवती बना दिया था. वो साब मेमसाब नौकरी करते थे इसलिए अपने देश लौट गए थे.

डॉक्टर ने एक सरोगेट माँओ के लिए एक हॉस्टल बना दिया था लेकिन सोनल जीवा को किसके भरोसे छोड़ती ?जब वह स्कूल पढ़ने जाता तो उस समय में वहां कमप्यूटर व अंग्रेज़ी सीखने चली जाती. कहते हैं बच्चे बड़े होकर माँ बाप का नाम रोशन करते हैं. वह कौन से माँ बाप का नाम रोशन करेगा ?ज्यों ज्यों वह मास पिंड बढ़ रहा था, सोनल की बेचैनी बढ़ रही थी. अक्सर वह पेट पर हाथ रख उस उभार को महसूस करती----दुष्ट !एक पैर वह अन्दर से उसके हाथ पर मार देता. वह कोख में उसके तेज़ी से घूमने को महसूस करती तो एक आल्हाद से भर जाती, तभी विशाद उस पर हावी होने लगता. एक अजनबी के लिए क्यों खुश हो रही है ?नर्स उसे हॉस्टल में महात्मा जैसे प्रवचन देती, "जो तुम्हारा नहीं है उससे मोह कैसा ?तुमने तो कोख किराये पर दी है. कभी कोई किराएदार किराये के मकान में ज़िन्दगी भर रुका है ?"

वह तरल होती आँखों व लरजते दिल पर ताला लगाने की कोशिश करती. मन करता चीख पड़े. कभी किसी किराएदार ने माँ के गर्भ की नाल रिसता हुआ स्नेह्सूत्र बाँधा है ?जो अपने कलेजे का टुकड़ा होगा वही तो कोख में टिक पायेगा. उसका मन करता वह डॉक्टर को मना कर दे उसके कलेजे के एन नीचे घूमते इस जीव को फिरंगियों को नहीं देगी. वह कागजों पर सही करने का अर्थ जानती थी.

लंदन से मेम साब फोन करती रहती थी. सोनल तो बस बीच बीच में `यस `या `नो `करती रहती थी. वह `गुड लेडी"नाइस गाइ` या `गौडैस` का अर्थ समझने लगी थी . उसकी आवाज़ ही दूर बैठी फिरंगन के लिए गर्भनाल थी जिससे उसे अपने बच्चे से जुड़े होने का रस --प्रवाह मिलता था -शब्दों के रुप में बूँद बूँद फोन से रिसता हुआ.

सोनल का बस चलाता तो वह अपनी कोख के जीव को ल्रेकर इतनी दूर भाग जाती कि धीरू भाई भी उसे धूंढ़ नहीं पाता लेकिन जीवा के कारण कैसे भाग सकती थी?वह स्लेट पर अंग्रेज़ी के अक्षर बनाने व नर्स के प्रवचन सुनने के अलावा कुछ कर नहीं सकती थी.

आज तो सुबह ही सुबह नर्स उस छौने को उसके पास दूध पीने के लिये ले आई थी. जब दूध पिलवाकर उसे लेकर वह जाने लगी तो सोनल गिड़गिड़ा उठी, "कुछ देर मेरे पास इसे रहने दो. "

"मोह मत बढ़ाओ--- इसे जाने दो. "

"मुझ पर तरस खाओ ---मुझे पता है इसे जाना तो है ही. "वह कह्ते हुए रो पड़ी. नर्स ने तरस खाकर फिर बच्ची को उसके बिस्तर पर लिटा दिया. भूरे बालों वाली वह नन्ही बच्ची उसे अपनी नीली आँखों से टुकुर टुकुर देख रही थी. जब तक डॉक्टर का बुलावा नहीं आ गया तब तक वह उसके स्पर्श से अलग नहीं हुई. एक आया ने मेमसाब के दिए कपड़े पहनाये फिर उसे लेकर चल दी. सोनल को भी उसके साथ जाना था, वह भी कदम घसीटती उसके पीछे चल दी. उसने तो इसके माँ बाप की शक्ल देखी हुई है लेकिन कुछ माँ बाप तो सरोगेट मदर की शक्ल भी नहीं देखते.

डॉक्टर के कमरे में इसके माँ बाप व धीरू भाई बैठे थे. धीरूभाई ने उसे अपने पास की कुर्सी पर बैठने के लिये सहारा दिया. उसका चेहरा भी बहुत उतरा हुआ था. सोनल का मन कर रहा था वह चीख पड़े, "अपनी ये गुड़िया मै किसी को भी नहीं दूँगी. "

डॉक्टर ने नर्मी से कहा, "सोनल ! अपने हाथों से इस बच्ची को स्निथ मैडम को दे दो. `तुम्हारा ये उपकार जीवन भर नहीं भूलेंगी `

उस आया ने सोनल के पास आकर बच्ची को उसकी गोदी में दे दिया. स्मिथ मैडम अपनी जगह से उठकर उसके पास चली आई. ` दो माँये आमने सामने खड़ी हुई है -----दो देशों की सीमाओं से परे ---अपने भरे कलेजे से --आँसू भरे नयनो से ---सिसकी दबाना चाहती है लेकिन होंठ रो उठते हैं. सोनल कसकर उस बच्ची को कलेजे में भींचती है और फिर उसके सिर पर हाथ रखकर ज़ोर से रोने लगती है, उसे लग रहा है वह चीख पड़ेगी, "बच्ची को नहीं दूँगी. "लेकिन धीरू भाई उसके कंधे पर हाथ रखकर जैसे कुछ समझा रहा है.

वह कसकर अपने होंठ भींच लेती है, उसे लगता है कि उसके पेट में त्वचा को तोड़ने वाला दर्द उठ रहा है, जैसे इस बच्ची को जन्म देते समय उठा था. उसे लगता है वह प्रसव वेदना की तरह ज़ोर ज़ोर से हाथ, पैर, सिर झटके ---चीखे. जैसे ही मेमसाब ने बच्ची को थामा, वह मौन ही उस वेदना से चीख उठी -जब एक मांस पिंड पिघले हुए गर्म खौलते हुए लोहे से कटते, दर्द करते शरीर में से फिसलकर दोनों टाँगों के बीच से बाहर आ जाता है.

वह अपने को रोक नहीं पाईं आर्तनाद कर उठी, "ओ-----बा-----. "

उसे लगा उसकी बा [माँ ]कह रही है, "बच्चा पैदा करना औरत के लिये जीवन मरण की बात हो जाती है ----उसका भी पुनर्जन्म होता है. "

स्मिथ मेमसाब बच्ची को पागलों की तरह चूमे जा रही हैं ---सीने में जकड़ रही हैं -----आँसू बहा रही है. सोनल कंगाल हो चुकी है. लेकिन वह पुनर्जन्म कहां ले पाई है ?---वह तो मर चुकी है -----बाद में पृथ्वी पर जो डोलती फिरेगी, वह तो उसकी छाया होगी.

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नीलम कुलश्रेष्ठ

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