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नई मां

नई मां

हमारे पड़ोस में बिहार से एक नया परिवार रहने आया जिसमें एक बुजुर्ग आंटी अपने दो बेटों के साथ रहने आई उनकी बेटी की शादी कुछ ही समय पहले हुई थी ।उनके पति अपनी बेटी के जाने से बहुत दुखी थे और बेटी की शादी से उन पर कर्जा भी बहुत हो गया था जिसके चलते अचानक उनके ह्रदय गति रुक जाने से वे चल बसे ।पिता के घर लेने के लिए कर्ज़ और बहन की शादी के लिए लिया कर्ज वसूल करने के लिए कर्ज़दार घर में आते ।

इसी बीच बड़े बेटे की मुंबई की एक फर्म में नौकरी लग गई इसी बीच आंटी ने बड़े बेटे की धूमधाम से शादी कर दी शादी में मिले दहेज से भी कर्जा चुकता नहीं हो पाया बड़ा बेटा अपनी पत्नी को मां के पास छोड़कर नौकरी ज्वाइन करने चला गया इसी बीच बहू को कन्या रत्न की प्राप्ति हो गई जिससे आंटी की आशाओं पर पानी फिर गया आंटी ने बहू को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया उन्होंने घर में काम करने वाली मेहरी की छुट्टी कर दी और घर का सारा काम बहू से कराती बहु भी कन्या रत्न पैदा करने के अपराध बोध से ग्रसित चुपचाप घर का सारा काम और सब की सेवा करती इसी बीच इंदौर में रह रही आंटी की बहन ने वहां का मकान बेचकर इंदौर आकर बसने को कहा जो बात आंटी को जम गई बड़े ही भारी मन से अपने पति की विरासत को बेचकर अपनी बहन की मदद से इंदौर में सुंदर फ्लैट ले लिया इसी बीच बड़ी बहू को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई अब बहू का आत्मविश्वास जागा और आंटी भी प्रसन्न हुई ।

छोटे बेटे की वहीं इंदौर में जॉब लग गई अब छोटे बेटे ने अपनी सहकर्मी के साथ विवाह करने की करने का निश्चय किया यह बात उसने अपनी मां को बताई जो आंटी को बिल्कुल नहीं जमी पर बेटे के बेटे की जिद के आगे आंटी की एक ना चली और भारी मन से आंटी ने अपने छोटे बेटे का विवाह कर दिया ।

इसी बीच बड़े बेटे के आने पर उसकी पत्नी ने मुंबई जाने की जिद पकड़ ली। उसने कहा कि अब माता जी की सेवा के लिए छोटी बहू आ गई है । बड़ा बेटा भी अपनी अपनी पत्नी की हालात देख कर उसे अपने साथ ले जाने को तैयार हो गया।

यह बात सुनकर आंटी जी का सिर चकराया उन्होंने बहू बेटे को रोकने की बहुत कोशिश की कई हथकंडे आजमाएं। पर लाचारी हाथ लगी बड़ा बेटा अपने परिवार के साथ मुंबई चला गया।

अब प्रताड़ना की बारी छोटी बहू की थी आंटी जी ने छोटे बेटे के कान भरना शुरू कर दिया उसकी पत्नी के खिलाफ। छोटे बेटे के घर पर ना रहने पर आंटी जी बहू को बहुत परेशान करती बेटा मां के इस व्यवहार से परिचित था। उसने अपना और और पत्नी का तबादला बैंगलोर करा दिया आंटी जी अकेली थी लाचार बेचार और विवश। अब बाजार से लेकर घर तक सारे काम खुद ही आंटी जी को करने पड़ते जिसके कारण कुछ दिनों में उनकी सेहत ने उनका साथ छोड़ दिया । उनके पडौसी ने अचानक एक रात घर पर उन्हें बेहोश पाया तुरंत अस्पताल में भर्ती किया और बड़े बेटे को खबर की ।बड़े बेटे और बहू ने आकर उनकी देखभाल की जब वह होश में आई बहू बेटे को सामने खड़ा पाया। अब मां को होश आया और उन्होंने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा कर अपने द्वारा बहू को प्रताड़ित किए जाने के लिए और अपने बुरे व्यवहार की माफी मांगी ।

अंततः बहू बेटे मां की लाचारी और विवशता देख कर साथ रहने आ गए । अब माताजी को समझ आ गया था कि बड़े बेटे बहू के बिना गुजारा मुश्किल है। अब वे एक नई मां थीं ।

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