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दूसरी मां

दूसरी मां

जिले के एक प्रसिद्ध आंख के डॉक्टर अपनी पत्नी के साथ सरकारी क्वार्टर में रहते थे उनका एक बेटा था जोकि एक दूसरे शहर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था डॉक्टर साहब अपनी पत्नी के साथ अकेले ही शहर में रहते थे त्योहारों की छुट्टियों में बेटा अपने मम्मी पापा के पास आता था डॉक्टर साहब बहुत लोकप्रिय डॉक्टर थे बहुत व्यस्त रहते थे आंख के ऑपरेशन कैंप में जाना तरह-तरह की आंख की बीमारियों का इलाज करना घर में पेशंट देखना हॉस्पिटल में पेशेंट देखना इस वजह से वे व्यस्त रहते थे उनकी पत्नी कभी कभी घर में अकेले बोर हो जाती उन्होंने लेडीस ऑफिसर क्लब जॉइन किया कुछ समय उनका ऐसे व्यतीत हो जाता टीवी देखने और घर के काम धाम बहुत सारा समय व्यतीत हो जाता जब वे डॉक्टर साहब को फोन करती तब वे कहते हैं बस अभी आता हूं पर वह काम में फिर से बस व्यस्त हो जाते और बहुत रात हो जाती उनकी पत्नी को उनके स्वास्थ्य की बहुत चिंता होती उनके आने पर कहती आप पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिए वह कुछ नहीं बोलते चुपचाप खाना खाते थोड़ी देर टीवी देखते और सो जाते 1 दिन अचानक रात गए उनकी पत्नी को किसी नवजात शिशु के रोने की आवाज घर में आई वह घबराकर उठी डॉक्टर साहब को जगाया सुनिए अपने घर में यह बच्चे की सोने की आवाज कहां से आ रही है दोनों ने उठकर बाहर जाकर देखा तो दरवाजे के सामने ही टावल में लिपटा एक नवजात शिशु दिखा वे लोग घबरा गए उन्होंने तत्काल पुलिस को खबर की पुलिस ने आकर तहकीकात की पर कुछ पता नहीं चला कोई मां अपनी बदनामी के डर से बच्चे को डॉक्टर साहब के घर के सामने छोड़ गई उस बच्चे की मां को यह जानकारी थी कि डॉक्टर साहब और उनकी पत्नी बहुत भले इंसान हैं वह मेरे बच्चे को अच्छे से पाल लेंगे पुलिस केस बन जाने से उस बच्चे को जब तक माता पिता का पता ना चले अनाथालय मे भर्ती करने का निश्चय किया डॉक्टर साहब की पत्नी ने अपने घर में काम करने वाली बाई के साथ मिलकर उस बच्चे को नहला दिया। बाजार से मंगवा कर अच्छे कपड़े पहनाए दूध की बोतल मंगवा कर दूध पिलाया थोड़ी देर में वह शिशु रोना छोड़ कर डॉक्टर साहब की पत्नी के की गोद में आराम से सो गया यह देखकर डॉक्टर साहब की पत्नी की आंखों में आंसू आ गए उसी समय पुलिस बच्चे को शहर के अनाथालय में ले जाने के लिए आ गई डॉक्टर साहब और उनकी पत्नी उस बच्चे के साथ अनाथालय गए वहां बच्चे को भर्ती करने की सारी प्रक्रिया करी के जरूरत का सारा सामान लाकर दिया बच्चे के नाम से कुछ पैसे डिपॉजिट किए और वहां के संचालक से कहा कि जब भी इस बच्चे के लिए किसी भी चीज की जरूरत हो तो हमें तत्काल फोन करें डॉक्टर साहब की पत्नी ने बच्चे को लेटने के लिए जो ही झूले में लिटाया वह बच्चा उनके गले में पहनी चेन पकड़ कर जोर जोर से रोने लगा जिसे देख कर डॉक्टर साहब और उनकी पत्नी की आंखों में भी आंसू आ गए अब वे विवश थे डॉक्टर साहब की पत्नी के मन में मां की ममता जाग उठी और दोनों ने तय किया की इस बच्चे को यूं ही छोड़ कर नहीं जा सकते और उन्होंने उस बच्चे को गोद लेने की सारी प्रक्रिया पूरी करके अपना नाम दे दिया डॉक्टर साहब की पत्नी का एक बार फिर से मां का जीवन प्रारंभ हो गया और उन्हें दोबारा मां बनने का खुशी प्राप्त हुई ।

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