Anu aur Manu Part-12 books and stories free download online pdf in Hindi

अणु और मनु - भाग-12

कुणाल कैंटीन में चक्कर लगा कर वापिस बाहर आकर खड़ा हो जाता है | वैशाली कुणाल को बाहर खड़ा देख कर मुस्कुराते हुए बोली “कुणाल क्या बात है आज तुम्हें इतनी तमीज कैसे आ गई” | कुणाल हैरान हो कर बोला “क्यों क्या हुआ” |

वैशाली इठलाती हुई बोली “तुम मेरा इन्तजार कर रहे थे न” | कुणाल वैशाली की बात सुन कर मुस्कुरा देता है कि ये महारानी सोच रही है मैं इसका स्वागत करने के लिए कैंटीन के बाहर खड़ा हूँ | जब कि मैं इसलिए खड़ा हूँ कि अंदर बैठने की जगह ही नहीं है | वैशाली कुणाल को मुस्कुराता देख बोली “क्यों मैंने सही कहा न” |

कुणाल अपने बालों में हाथ फेरते हुए बोला “तुम ने कभी गलत कहा है” |

वैशाली, मोहित और सिम्मी को आता देख बोलते-बोलते चुप कर जाती है | मोहित उन दोनों को कैंटीन के दरवाजे के पास खड़ा देख बोला “क्या हुआ यहाँ क्यों खड़े हो” |

“भाई अंदर जगह ही नहीं है | हमारे हीरो साहिब तीन टेबल जोड़ कर अपने पूरे ग्रुप के साथ बैठे हैं | सिर्फ उनके पास शायद पांच-छः कुर्सियाँ खाली हैं” |

कुणाल की बात सुन मोहित अन्दर झाँक कर देखते हुए बोला “तो क्या हुआ | अक्षय के बाप की कैंटीन थोड़े ही है कि वो जितनी चाहेगा उतनी जगह पर कब्जा कर के बैठ जाएगा | अगर उसके पास जगह खाली है तो हमारी मजबूरी है वहाँ बैठना | जो पहले पहुँचेगा वो बैठेगा | ये थोड़े ही है कि वह अपने चहेतों के लिए खाली जगह पर भी कब्जा कर लेगा” | सिम्मी कुणाल के तेवर देख बोली “तुम हर छोटी बात में भी लड़ने को क्यों उतारू रहते हो | हमें वहाँ उनके पास नहीं बैठना बस” | उसकी बात सुन वैशाली भी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोली “सिम्मी सही कह रही है” |

रीना के साथ गौरव उन सबके पास पहुँचते हुए बोला “क्या बात है बाहर खड़े हो कर किस बात पर बहस हो रही है” | कोई कुछ बोल पाता इससे पहले ही कुणाल बोला “भाई अंदर जगह नहीं है | सिर्फ अक्षय की मंडली के पास ही कुछ कुर्सियां खाली हैं और हम सब उनके पास नहीं बैठना चाहते” | यह सुन गौरव अपनी प्रतिक्रिया देता इससे पहले ही मोहित बोला “भाई पता नहीं इन लोगों की अक्षय से इतनी क्यों फटती है | वो साला दो साल से तो चुनाव हार रहा था | इस बार जीत क्या गया है | अपने को इस कॉलेज का दादा समझने लगा है | आओ चलो, उसके पास ही बैठते हैं | कुछ बोला तो मैं आज उसकी सारी दादागिरी निकाल दूंगा” |

गौरव मोहित को शांत रहने का इशारा करते हुए बोला “भाई वो जीता तो है न | और उसने अभी तक ऐसी कौन-सी दादागिरी दिखाई है | हाँ मैं ये जरूर मानता हूँ कि उसकी दोस्ती ठीक लोगों से नहीं है लेकिन वो खुद बुरा आदमी नहीं है” |

रीना ये सुन कर विचलित होते हुए बोली “वो खराब है या उसकी दोस्ती | लेकिन आज कल जिनके साथ भी वो घूम रहा है वो लोग सही नहीं है | ऐसे में फ़िजूल का पंगा लेने का क्या फ़ायदा | कैंटीन में बैठना कोई बहुत जरूरी तो है नहीं | हम बाहर कहीं चलते हैं वहाँ बैठ जाएंगे” | उसकी बात सुन सिम्मी और वैशाली भी ‘हाँ’ में सिर हिलाकर कर रीना की बात का समर्थन करती हैं |

गौरव सब के चेहरे पढ़ते हुआ बोला “आओ एक बार अंदर चल कर तो देखते हैं | हम बोलेंगे कुछ नहीं बस चक्कर काट कर आ जाएंगे | हो सकता है कि वो हमें देख कर खुद ही सीट ऑफर कर दे” | रीना यह सुन कर जल्दी से बोली “ये ठीक है लेकिन पहले सब मेरी कसम खाओ कि अंदर जा कर कोई कुछ नहीं बोलेगा” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “पागल हो क्या | इतनी छोटी-सी बात में कसम खाने वाली क्या बात है | जब कह दिया कि सिर्फ चक्कर काट कर बाहर आ जाएंगे तो मतलब ऐसा ही करेंगे”, कह कर गौरव के साथ सब अंदर आ जाते हैं और दरवाजे के पास खड़े हो कर खाली जगह देखने लगते हैं | उन्हें खड़ा देख कर अक्षय अपनी जगह से खड़ा हो कर बोला “गौरव भाई इधर आ जाओ ये जगह हमने आप लोगों के लिए ही रखी हुई है” |

गौरव जैसे ही आगे बढ़ने लगता है तो रीना पीछे से आकर गौरव का हाथ पकड़ते हुए धीरे से बोली “मुझे लग ही रहा था कि आज तुम कुछ न कुछ गड़बड़ करोगे | वर्ना वो ऐसे हमें सीट ऑफर नहीं करता | तुम सबको बेवकूफ बना सकते हो मुझे नहीं” | गौरव मुस्कुरा का रीना को देख कर अक्षय के पास पहुँच कर उससे हाथ मिलाता है तो वह हाथ जोड़ कर सब को खाली पड़ी कुर्सियों पर बैठने का इशारा करता है | बैठते हुए गौरव रीना को पहले बैठने का इशारा करता है | उसके बैठने के बाद गौरव उसके साथ वाली कुर्सी पर बैठते हुए मोहित को अपने साथ वाली सीट पर बैठने का इशारा कर बैठ जाता है | जैसे ही सब बैठ जाते हैं तो अक्षय अपने साथ बैठे सब का परिचय गौरव से कराता है | अक्षय का व्यवहार देख कर रीना समेत सब एक दूसरे को प्रश्नभरी निगाहों से ऐसे देखते हैं कि जैसे वह कहना चाह रहे हों कि आज अक्षय अगर ऐसा व्यवहार कर रहा है तो जरूर कोई न कोई बम फोड़ने वाला है |

अक्षय के अपने सब दोस्तों से परिचय कराने के बाद गौरव भी बहुत अदब से अपने सब दोस्तों से अक्षय का परिचय करवाता है | सब की कुटिल मुस्कुराहट देख कर रीना धीरे से दबे होंठों से बोली “ये आज जरूर कोई न कोई पंगा करेगा” | उसकी बात सुन गौरव सिर झुका कर धीरे से बोला “तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो चुपचाप बैठो और तमाशा देखो”, कह कर मोहित की तरफ मुड़ कर बोला “भाई तुम अपनी तरफ से कोई पंगा मत शुरू करना | मैं हूँ न, बस मुझ पर भरोसा रखो” | मोहित कुटिल मुस्कुराहट लिए बोला “ठीक है भाई |लेकिन...”, मोहित इससे आगे कुछ बोलता गौरव मोहित का हाथ टेबल के नीचे से पकड़ते हुए धीरे से बोला “लेकिन-वेकिन कुछ नहीं | मैंने बोला शांत तो मतलब शांत | समझे” | यह सुन कर मोहित न चाहते हुए भी ‘हाँ’ में सिर हिला देता है |

अक्षय मुस्कुराते हुए बोला “गौरव भाई मैंने तुम्हें यहाँ कैंटीन में अपने कई दोस्तों को सुझाव देते हुए सुना है | तुम्हारे दोस्त तुम पर काफी भरोसा करते हैं | तुम्हारे पिता अक्षित सर इस कॉलेज से ही पढ़े हैं और कई बार यहाँ भाषण देने भी आये हैं | बुरा मत मानना आप दोनों ही जिस तरह की बातें करते हैं उन पर खुद ही नहीं चलते हो” |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “वह कैसे” ?

“पिछले हफ्ते आपके पिता जी को..........”, अक्षय आगे कुछ बोल पाता उससे पहले ही अक्षय के साथ बैठा उसका दोस्त चिराग बोल उठा “यार तू बार-बार पिताजी क्यों बोल रहा है | वो अप्पा हैं न कि पिताजी हैं | हम हिन्दू हैं और हम अपने बाप को पिता जी कहते हैं लेकिन इसका तो कौन-सा धर्म है पता नहीं...” | यह सुन कर गौरव जल्दी से मोहित का हाथ पकड़ लेता है लेकिन मोहित हाथ छुड़ाते हुए उठ कर खड़ा हो जाता है | और जल्दी से तीन-चार गालियाँ देते हुए अपनी कुर्सी को पीछे फेंकते हुए चिराग को ललकारता है | यह सब देख कर रीना की आँखें नम हो जाती हैं | बात कुछ बिगड़ती इस से पहले ही गौरव उठ कर मोहित को बहुत बुरी तरह से डांटता है और शान्ति से उसे बैठने का इशारा करता है | मोहित को गौरव का व्यवहार बहुत बुरा लगता है लेकिन न सिर्फ सिम्मी, वैशाली और कुणाल भी मोहित को जिस तरह देखते हैं | मोहित चुपचाप कुर्सी खींच कर बैठ जाता है | गौरव और मोहित को शांत होते देख चिराग मोहित को कॉलेज के बाहर देख लेगा कहता है लेकिन अक्षय चिराग को शांत होने को इशारा करता है | अक्षय का उठ कर चिराग को शांत करना ऐसा लग रहा था जैसे वह सिर्फ बेवकूफ बना रहा है | यह देख कर गौरव जल्दी से मोहित का हाथ पकड़ कर धीरे से बोलता है “भाई शांत रह | चुपचाप सिर्फ तमाशा देख किसी भी तरह की कोई भी बेवकूफी कर उन्हें कामयाब मत होने दे” | मोहित ‘हाँ’ में सिर तो हिला देता है लेकिन उसके चेहरे से लगता है कि वह गौरव से काफी नाराज है और उसकी बात से पूरी तरह से सहमत भी नहीं है | अक्षय और उसके दोस्त जिसमें छः लड़के और तीन लड़कियाँ थीं बैठे हुए मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे | उनकी मुस्कुराहट आग पर घी डालने का काम कर रही थी लेकिन गौरव के कारण रीना वैशाली सिम्मी और कुणाल अंदर से तिलमिलाने के बावजूद चुपचाप बैठे थे |

सब कुछ शांत होते ही गौरव मुस्कुराते हुए बोला “अक्षय और चिराग भाई आप लोग जो भी पूछना चाहते हो और जो भी अभी आपके दिल में है मैं उन सब प्रश्नों का भी उत्तर देने की कोशिश करूँगा” | गौरव की बात सुन कर कैंटीन में बैठे और स्टूडेंटस भी जो अभी तक यह ड्रामा देख रहे थे | अब शांत हो कर गौरव की देखने लगते हैं |

गौरव बहुत शांत भाव से बोला “अक्षय तुम यही तो पूछना चाहते थे कि मेरे अप्पा व्यवहारिक अध्यात्म पर भाषण देते हैं | वह ध्यान योग के बारे में बताते हैं तो फिर ऐसा व्यक्ति दारु कैसे पी सकता है”, कहते हुए गौरव अक्षय की ओर देखता है | अक्षय जिस भाव से गौरव को देख रहा था | गौरव को समझते देर नहीं लगी कि वह यह सोच रहा है कि मैंने तो अभी तक अपनी बात पूरी भी नहीं की थी और ये समझ भी गया कि मैं क्या कहना चाहता हूँ | गौरव मुस्कुराते हुए बोला “भाई मेरे अप्पा हमेशा व्यवहारिक होने को कहते हैं | वह कभी भी अपने को अध्यात्मिक गुरु की तरह नहीं दिखाते और न वह चाहते हैं कि कोई उन्हें गुरु कह कर सम्बोधित करे | वह आज के गुरु, धार्मिक या अध्यात्मिक गुरुओं द्वारा फैलाए जाने ढकोसले से ही बचने को कहते हैं | वह हमेशा कहते हैं कि अध्यात्म को व्यवहारिक बना कर अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में शामिल करो | हमारे वेद-पूराण एक ग्रहस्थ के लिए कहते हैं कि आप सब करें बिना किसी लगाव के क्योंकि जैसे ही लगाव पैदा होगा वैसे ही माया अपना रूप फैला ले लेगी | आप उस लगाव में बहते ही चले जाओगे | अब तुम पूछोगे कि ये लगाव क्या होता है | दोस्त इस लगाव को ही आप प्रीति, आसक्ति या अंग्रेजी में अटैचमेंट कहते हैं | और माया तो आप लोग जानते ही होगे | एक बात और बता दूँ कि तुमने मेरे पिता को नहीं देखा था | अक्षय जी आपके पिता जी ने मेरे पिता जी को एक पार्टी में ड्रिंक्स लेते हुए देखा था | क्यों सच है न”, कह कर गौरव अक्षय को देखता है | कैंटीन में बैठे सब लोगों की नजर अक्षय की ओर मुड़ जाती है और अक्षय हैरान-परेशान गौरव को देखते हुए ‘हाँ’ में सिर हिलाते हुए बोला “लेकिन तुम्हें कैसे पता”| उसकी बात सुन कैंटीन में फैली शान्ति के बीच ‘ओह’ की हल्की ध्वनि गूंज उठती है |

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “यही तो व्यवहारिक अध्यात्म है | मैंने आपके दिल की बात पढ़ ली | खैर, अब मैं चिराग के अधूरे प्रश्न का पूरा उत्तर देना चाहूँगा”, कह कर गौरव कुछ देर के चुप कर जाता है फिर चिराग को देख कर मुस्कुराते हुए बोला “दोस्त तुम मुझ से तो मेरे परिवार के बारे में सब के सामने पूछना चाहते हो | मैं तो इसका उत्तर दे दूंगा लेकिन क्या तुम मेरे दो प्रश्नों का उत्तर सबके सामने दोगे” | यह सुनते ही चिराग जोर से बोला “पूछ क्या पूछना चाहता है | तुमने जो भी बात अक्षय को अभी कही वो कोई भी जान सकता है | तुम यह बात बता कर अपने को सबके सामने बहुत बड़ा दिमाग वाला दिखाने की कोशिश मत कर | तू क्या है हम सब जानते हैं” |

कैंटीन में बैठे सब स्टूडेंटस यहाँ तक की अक्षय और उसके साथ बैठे बाकी सब दोस्तों के चेहरे से लगता था कि वह चिराग की बात से सहमत नहीं हैं | गौरव सब की तरफ नजर दौड़ा कर शांत भाव से चिराग को ऐसे देखता है जैसे वह उसके चेहरे को पढ़ रहा हो | गौरव को चुप बैठे देख चिराग फिर से बोला “हाँ क्या हुआ तुम कुछ मुझ से पूछने वाले थे” | उसकी बात सुन गौरव मुस्कुरा कर बोला “दोस्त मैंने अभी जो भी कुछ भी अक्षय के बारे में बोला तुमने उसे सिरे से नकार दिया | कोई बात नहीं | वैसे भी मैं यहाँ शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं आया हूँ | मैं तो सिर्फ यह दिखाना चाहता हूँ कि कभी भी किसी को बिना जाने उसका मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए | शारीरिक और पैसे की ताकत से कहीं ऊँची दिमागी ताकत होती है” | यह सुन कर चिराग हँसते हुए बोला “टाइम पास मत कर जो पूछना है वो पूछ” |

गौरव के चेहरे से ऐसा लगता है कि जैसे वह यही चाहता था | वह हँसते हुए बोला “दोस्तों यह सबके सामने बोल रहा है कि मैं इससे जो भी पूछूँगा यह उसका जवाब सबके सामने देगा| क्यों सही बात है” ? गौरव आगे कुछ बोल पाता इससे पहले ही चिराग बोला “हाँ ! हाँ बोल क्या पूछना चाहता है” ?

गौरव मुस्कुराते हुए बोला “दोस्त ये बता कि कल रात को तुम्हारे माँ-बाप की किस बात पर झड़प हुई थी | वैसे कल जिस बात पर तू-तू-मैं हुई थी उस बात पर अक्सर होती रहती है” | चिराग यह बात सुन कर सुन्न हो जाता है | वह चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाता है | गौरव उसकी हालत देख कर हँसते हुए बोला “चल इस बात को छोड़ | ये बता कि अपने किस दोस्त के घर में छेद कर रहा है | यानी.... तू उसकी बह....”,गौरव आगे कुछ बोल पाता चिराग जल्दी से बोला “भाई I am sorry, गलती हो गई | भाई तू चेहरा देख कर कुछ भी बता सकता है | भा....ई....भाई मैं दोनों ही बातें......सबके.....”, गौरव बीच में ही बोला “भाई ये विद्या किसी को नीचा दिखाने या किसी की इज्जत उतारने के लिए नहीं है | मैंने तो बस यह सब तुम लोगों की आँखें खोलने के लिए बोला कि भाई दिमागी ताकत सबसे आगे है और मैं कोई अनोखा आदमी नहीं हूँ | यह ताकत कोई भी पा सकता है बस आपका दिमाग इतना शांत होना चाहिए ताकि आप दूसरे के दिल की धड़कन को महसूस कर सकते हो | इतना शांत दिमाग होगा तो आप सामने वाले के दिमाग को पढ़ सकते हो” | यह सुन कर कैंटीन में चारों तरफ करतल ध्वनि गूंज उठती है | रीना अपनी आँखें पोंछते हुए मेज के नीचे से गौरव का हाथ पकड़ लेती है | गौरव मुस्कुराते हुए उसके हाथ पर अपना हाथ रख कर दबाते हुए रीना की आँखों में आँखे डाल के देखता है | रीना शर्मा कर नजरें झुका लेती है|

गौरव सब तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोला “हमारा चिराग भाई तो मेरे प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाया लेकिन मैं उसके या यहाँ बैठे किसी के भी मन में उठ रहे मेरे परिवार से सम्बन्धित प्रश्नों का उत्तर अवश्य ही देना चाहूँगा | दोस्तों मेरे माता-पिता दोनों की ही दूसरी शादी हुई थी | मेरे माता-पिता दोनों का ही मिलन एक इतेफ़ाक ही था और ऐसे ही शादी भी थी | उनकी इस दूसरी शादी से पहले लगभग दो साल उनकी कोर्टशिप चली | मेरी मम्मी के दो पुत्र पहली शादी से हैं उनमें से मैं बड़ा पुत्र हूँ | मेरे दूसरे पिता की पहली शादी से एक पुत्री और दो जुड़वाँ पुत्री हैं | इस तरह हम पाँच भाई-बहन हैं | क्योंकि हमारे माता-पिता की दो साल कोर्टशिप चली थी | तो जब भी मेरे पिता उस समय हमारे घर आते थे तो हम दोनों भाई उन्हें अंकल बुलाते थे | ऐसे ही हमारी माँ जब भी मेरे पिता के घर जाती थीं तो उनकी तीनो बेटियाँ उन्हें आंटी बुलाती थीं | दो साल ऐसा ही चलता रहा | जब उन दोनों ने शादी का फैसला किया तब तक हम सब बच्चों को उन दोनों को अंकल आंटी बुलाने की आदत-सी पड़ गई थी | शादी के बाद हम उन्हें कैसे मम्मी-पापा बुलाएँगे जब यह समस्या सामने आई तो उसका हल मैंने ही दिया था | मैंने इस समस्या का हल यह दिया कि अंकल+पापा को हम अप्पा और आंटी+मम्मी को हम अम्मी बुलाएँगे | सब को मेरा यह सुझाव बहुत पसंद आया और तब से हम अपने मम्मी-पापा को अप्पा और अम्मी बुलाते आ......”, गौरव आगे कुछ और बता पाता सब तालियाँ बजाते हुए ‘वाह-वाह बहुत खूब’ कहने लगे | यह सुन गौरव उठ कर सिर झुका कर सब का धन्यवाद करता है|

अक्षय, चिराग और उनके सारे दोस्त अपनी-अपनी कुर्सियों से उठ कर गौरव के पास आ कर सॉरी बोलते हुए हाथ मिलाने लगे | गौरव सबसे हाथ मिलाकर उनके गले लगते हुए प्यार से पीठ थपथपाते हुए बोल रहा था ‘कोई बात नहीं दोस्त ऐसा होता रहता है | इसी बहाने मुझे नए दोस्त भी तो मिले हैं’ | कैंटीन में बैठे काफ़ी स्टूडेंट उठ कर गौरव से हाथ मिलाते हुए गौरव से बात करने लगते हैं |

✽✽✽