Anu aur Manu Part-16 books and stories free download online pdf in Hindi

अणु और मनु - भाग-16

जुलाई के पहले हफ्ते में सुबह से रुक-रुक कर हो रही बारिश मौसम को रंगीन बना रही थी | कुछ समय के लिए ही सही चिलचिलाती गर्मी से कुछ राहत तो मिली | यह सोचते हुए कुणाल कोल्ड कॉफ़ी का आखिरी घूंट पी कर गिलास को टेबल पर वापिस रख देता है | वह पिछले एक घंटे से इस रेस्टोरेंट में बैठा दूसरी बार कॉफ़ी पी रहा था | उसकी नजर बार-बार कांच की खिड़की से बाहर की ओर सड़क पर जा रही थी | वह एक बार फिर से तान्या का नंबर मिलाता है | इस बार भी पहले की तरह यही सुनने को मिलता है कि आप जिस नंबर पर बात करना चाहते हैं वह पहुँच से बाहर है या स्विच ऑफ है | उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि तान्या का नंबर मिल क्यों नहीं रहा है | तान्या ने ही उसे आज यहाँ मिलने को बुलाया था और वह खुद ही गायब है |

एक बार फिर से उसकी नजर सड़क पर पड़ती है तो सामने से तेज क़दमों से आते हुए एक प्रेमीयुगल को देख उसकी साँसे रुक-सी जाती हैं | उन्हें देख वह जल्दी से अपनी कुर्सी से उठता है लेकिन फिर दूसरे ही पल वह अपनी कुर्सी पर वापिस बैठ जाता है | पहले तो उसे लगा था कि वह दोनों गौरव और रीना हैं लेकिन उठते हुए जब उसने ध्यान से देखा तो वह नहीं थे | वह कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने पागलपन पर खुद ही हँस देता है |

हँसते हुए वह अपनी यादों में खो जाता है | कॉलेज के दोस्त और कॉलेज में बिताया समय कोई कभी नहीं भूलता | आज भी ऐसा लगता है जैसे कुछ ही दिन पहले की बात हो | कितना सुहावना था वह ज़िन्दगी का सफ़र | कब तीन साल बीत गये थे पता ही नहीं लगा| आज से लगभग एक साल पहले जब आखिरी बार मिले थे | उस दिन सबने तीन साल साथ रहने का जश्न मनाया और बिछुड़ते हुए एक-दूसरे से वादा किया था कि वह मिलते रहेंगे लेकिन वक्त ने कैसे सब कुछ बदल दिया है | गौरव की बात कितनी सच थी कि इस दोस्ती का असली इम्तिहान तो कॉलेज से निकलने के बाद ही होगा | सही बात थी कितने दोस्त मिलते हैं और बिछुड़ जाते हैं | जीवन चलता रहता है | हम कभी चलते हैं तो कभी रुक जाते हैं | कभी हम आगे की ओर भागते हैं तो कभी पीछे की ओर जाने की कोशिश करते हैं लेकिन जो बीत गया वो बीत गया वह कभी वापिस नहीं आता है | जब जो भी बीत रहा होता है तो हमें लगता है कि यही सबसे अच्छा है लेकिन कुछ ही समय बाद हमें लगता है कि नहीं जो पहले था वही अच्छा था |

गौरव ने कितना सही कहा था कि वैशाली से उसकी दोस्ती है प्यार नहीं | इस दोस्ती को एक आकर्षण कह कर उसने कैसे सिरे से नकार दिया था | उस समय वह बिलकुल गलत लग रहा था लेकिन आज जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो समय की दौड़ में वैशाली कहाँ खो गई पता नहीं |

“Hello !”, कहते हुए तान्या कुणाल के सामने वाली कुर्सी पर बैठ जाती है | तान्या की आवाज सुन कर वह अपनी पुरानी यादों से बाहर आता है और अपने सिर पर हाथ फेरते हुए बोला “अरे आप !”

“क्या हुआ आपके सिर में दर्द है”, आगे झुक कर कुणाल की बाजू पकड़ते हुए तान्या बोली |

“अरे नहीं, वो तो मैं आपका इन्तजार करते-करते अपनी याद........” |

“I am really very sorry असल......असल मेरा फ़ोन गलती से टॉयलेट में गिर गया था बस उसी कारण......”|

कुणाल बीच में बोल पड़ा “ओह! तभी मैं कहूँ कि आपका फ़ोन स्विच ऑफ क्यों आ रहा है” |

“आप भी मेरे कारण परेशान हुए | पहले तो मैंने सोचा था कि आप को निकलने से पहले कहीं से फ़ोन कर दूँ | कहीं आप इन्तजार करते-करते परेशान हो कर चले न गए हों | लेकिन फिर मुझे लगा कि नहीं आप जाएंगे नहीं | और देखो मेरी बात सच ही हुई”|

कुणाल मुस्कुराते हुए बोला “मैडम जाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता | आपकी तरह मुझे भी आप पर विश्वास था कि अगर आपने फ़ोन नहीं किया है तो आप आएंगी जरूर” |

कुणाल की बात सुन कर तान्या मुस्कुराते हुए बोली “सच में विश्वास नहीं होता कि हमें एक दूसरे पर कितना भरोसा है और विचार भी कितने मिलते हैं” |

“सो तो है | अच्छा अब बताइए कि आपने आज मुझे यहाँ क्यों बुलाया | कल हम ऑफिस में मिल तो रहे थे” |

यह सुन कर तान्या गंभीर स्वर में बोली “मैं कल ऑफिस नहीं आ रही हूँ | असल में तो मैं कल से ऑफिस आउंगी ही नहीं” |

कुणाल हैरान-परेशान होते हुए बोला “क्या...क्यों......”, फिर एक लम्बी सांस लेते हुए बोला “क्या हुआ” ?

तान्या अटकते हुए बोली “मैंने... कुछ.... दिन पहले आपको बताया तो था कि मैं नॉएडा की एक कम्पनी में इंटरव्यू देकर आई हूँ” |

“हाँ तो” |

“वहां मेरा सिलेक्शन हो गया है” |

“अरे वाह ! यह तो ख़ुशी की बात है” |

“हाँ ! है तो सही लेकिन एक और बात भी है” |

कुणाल मुस्कुराते हुए बोला “अच्छा अब यह कहना चाहती हैं कि आप दिल्ली छोड़ कर जा रही हैं” |

“हाँ ! लेकिन आपको कैसे पता लगा” |

यह सुन कर कुणाल पूरी तरह से काँप जाता है | उसका मुँह खुले का खुला रह जाता है | उसने तो यह बात मजाक में कही थी | उसे क्या पता था कि उसकी कही बात एक दम सच हो जायेगी | किसी तरह वह अपने आप पर काबू पाते हुए भर्राई आवाज में बोला “क्यों आप नॉएडा क्यों जा रही हैं | दिल्ली से भी तो जाया जा सकता है” |

“आज मैं आप से इसीलिए तो मिलना चाहती थी”, कह कर तान्या कुछ देर के लिए चुप कर जाती है | वह अपने माथे का पसीना पोंछते हुए बोली “कुणाल जी आप तो जानते ही हैं कि मेरी नौकरी आप से कुछ दिन पहले ही लगी थी | जितना भी आप मेरे बारे में जानते हैं शायद उससे भी कम बाकी के लोग जानते हैं | मुझे बाकी के लोगों से क्या करना है लेकिन मैं आपको अपने बारे में सब बताना चाहती.........” |

कुणाल अपने चेहरे पर आए पसीने को पोंछते हुए बोला “अब क्या फ़ायदा ? जब आप जा ही रही हैं तो मैं जान कर करूंगा भी क्या”|

तान्या उसी गंभीर स्वर में बोली “कुणाल जी मैं औरत हूँ और एक औरत सब समझती है कि कौन मर्द क्या है और क्या चाहता है और क्यों चाहता है | मेरा तो ऐसे लोगों से पिछले दो-तीन साल में काफी वास्ता पड़ा है | मैं आपको अपना दोस्त मानती हूँ इसलिए मेरा फर्ज है कि मैं जाने से पहले आपको सब कुछ साफ़-साफ़ बता दूँ ताकि हमारे बीच कुछ भी गलतफहमी न रहे”|

“तान्या जी आ......”, कहते हुए कुणाल की आवाज भर्रा जाती है और उसके चाहने के बावजूद भी बाकी के शब्द उसके मुँह से निकल नहीं पाते हैं | वह अपना गला साफ़ करते हुए बोला “आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने मुझे इस काबिल समझा | लेकिन मेरा मानना है कि अब इन सब बातों का कोई फायदा नहीं है | आप जो भी कर रही हैं वह ठीक ही होगा”, कह कर वह अपनी कुर्सी से उठते हुए बोला “मैं अभी वाशरूम होकर आया”, कह कर वह तेज क़दमों से वाशरूम की ओर चल देता है | वाशरूम के अंदर आ कर वह कुछ देर शीशे के सामने खड़ा रहता है | फिर अपने आँसू पोंछ कर पानी से अपना चेहरा धोता है और शीशे में देख कर जेब से रुमाल निकाल कर चेहरे को साफ़ करता है | एक लम्बी सांस लेकर बाहर आ जाता है | वह झुकी नजरों से आ कर फिर तान्या के सामने बैठ जाता है|

तान्या कुणाल के चेहरे को देख कर सब कुछ समझ जाती है | कुछ देर वह दोनों नजरें झुकाए बैठे रहते हैं | वेटर आकर बोला “सर आप कुछ लेंगे या...”, वह कुछ आगे बोल पाता इससे पहले ही तान्या बोल उठी “दो सैंडविच और कोल्ड कॉफ़ी ले आइये” | यह सुन कर वेटर चला जाता है | कुणाल को इस तरह गुमसुम देख तान्या की न चाहते हुए भी हँसी निकल जाती है | हंसी की आवाज सुन कुणाल हैरानी से तान्या को देखता है |

तान्या मुस्कुराते हुए बोली “कुणाल साहिब आप इतने सीरियस क्यों हो गये हैं | मैंने तो अभी कुछ बोला ही नहीं है | मेरी बात तो पहले सुन लेते फिर जो भी सोचना था वह सोचते | आप तो........”, कुणाल बीच में ही बोल पड़ता है “अब सुनने को रह ही क्या गया है” |

“आप ने शायद ध्यान से नहीं सुना है कि मैं नॉएडा की कंपनी में नौकरी करने जा रही हूँ | न कि विदेश में नौकरी करने जा रही हूँ” |

कुणाल गम्भीर मुद्रा में बोला “वो तो ठीक है कि आप विदेश नहीं जा रही हैं | लेकिन आपने ही तो कहा कि आप नॉएडा शिफ्ट कर रही हैं |

“जी, वो तो मैं कर रही हूँ | लेकिन आपको शायद याद नहीं है | मैंने आपको पहले भी बताया था कि हमारा दिल्ली के इलावा नॉएडा में भी एक फ्लैट है और वह पिछले कई साल से खाली पड़ा है | मेरी घर पर बात हुई थी तो पिता जी ने ही कहा कि तुम्हारा सामान यहाँ पर एक कमरे में कब से बंद पड़ा खराब हो रहा है | अब जब तुम्हारी नौकरी नॉएडा में लग ही गई है तो तुम अपने सामान समेत नॉएडा में ही शिफ्ट हो जाओ | मुझे उनकी बात ठीक लगी और मैंने वहाँ जाने का मन बना लिया”|

“तुम्हारा सामान यहाँ बंद पड़ा है | इसका क्या मतलब है” ?

“इसीलिए तो कह रही हूँ मेरी पूरी बात तो सुन लो फिर जो भी फैसला करना हो कर लेना” |

“लेकिन तुम्हारे सामान की बात मैं समझा नहीं” |

“आप जानते हैं कि मैं आपको अपना अच्छा दोस्त मानती हूँ” |

कुणाल बैचैनी में गुस्से से बोला “आप बात को घुमा क्यों रही हैं | और जहाँ तक मेरे मानने का प्रश्न है तो सुन लीजिये कि मैं आपको अपना दोस्त नहीं मानता हूँ” |

“मैं जानती हूँ” |

“आप कुछ नहीं जानती हैं” |

“जब मैं कह रही हूँ कि मैं जानती हूँ तो मतलब मैं जानती हूँ” |

कुणाल फिर से गुस्से में बोला “ठीक है आप जानती हैं | आगे बोलिए” |

कुणाल का गुस्सा भरा चेहरा देख तान्या की आँखे नम हो जाती है | वह कुणाल की आँखों में ऑंखें डाल कर भर्राई आवाज में बोली “I am sorry to say but it is true कि मेरी शादी आज से तीन साल पहले हो चुकी है” | यह सुन कर कुणाल का दिल कुछ क्षण के रुक जाता है | उसकी साँस उखड़ जाती है वह चाह कर भी अपने पर काबू नहीं रख पाता है और परेशान हो कर अपने सिर पर हाथ फेरते हुए उठ कर खड़ा हो जाता है | तान्या कुछ बोल पाती इससे पहले ही वह तेज क़दमों से रेस्टोरेंट से बाहर निकल जाता है | उसे जाते देख तान्या अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लेती है | कुछ देर वह इसी तरह बैठी रहती है फिर वह अपने आँसू पोंछते हुए उठने ही लगती है कि कुणाल वापिस आ कर उसके सामने बैठते हुए बोला “आ......आपने यह क्यों नहीं बोला कि मैं शादीशुदा हूँ” |

तान्या धीरे से भर्राई आवाज में बोली “क्योंकि अब मैं शादीशुदा नहीं हूँ” |

कुणाल हैरान हो तेज स्वर में बोला “क्या”?

“जी, आपने जो पहले सुना था वह भी सच है और अभी जो बोला वह भी सच है”|

कुणाल परेशान हो “साफ़-साफ़ बोलो कहना क्या चाहती हो”?

“मतलब यह कि शादी होने के एक साल बाद ही मेरा तलाक़ हो गया था” |

कुणाल खुश होते हुए बोला “बहुत अच्छा”, फिर अगले ही पल अपनी भावनाओं पर पकड़ बनाते हुए बनावटी गम्भीरता भरे स्वर में बोला “असल में मैं य.......यह कहना चाहता था कि तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ”, यह कह कर वह दोनों कुछ देर चुप बैठे रहते हैं | कुणाल फिर से हिम्मत कर अटकते हुए बोला “क...कै....से हुआ यह सब” |

तान्या आँसू पोंछते हुए बोली “मेरे पापा और अखिल के पिता अच्छे दोस्त थे | पापा.....”, कहते हुए तान्या पुरानी यादों में खोते हुए धाराप्रवाह बोलने लगी | तान्या की दास्ताँ सुनते-सुनते अचानक कुणाल की नज़र उस पर पड़ती है तो वह उसकी सुन्दरता में खो जाता है | तान्या इतनी सुन्दर है उसे आज पहली बार महसूस हुआ | वह अपने आप को कोसने लगा कि क्यों उसने आज तक तान्या को इस नजदीकी से नहीं देखा | तान्या की आँखें कितनी सुन्दर हैं | बोलते हुए उसके होंठ कितने मनमोहक लग रहे हैं | तान्या ही उसके सपनों की ...... , सोचते-सोचते वह स्वप्नलोक में खो जाता है | बोलते-बोलते अचानक तान्या की नज़र कुणाल पर पड़ती है | वह देखती है कि कुणाल उसे एकटक देखते हुए मुस्कुरा रहा है | ऐसा लगता है जैसे वह उसे देखते हुए अपनी ही सोच में डूबा हुआ है | तान्या यह देख गुस्से से काँप जाती है | वह कुणाल के हाथ पर जोर से हाथ मारते हुए बोली “मैं बोले जा रही हूँ और आप.....”| कुणाल इस प्रहार से अचानक अपने स्वप्न लोक से बाहर आते हुए बोला “हाँ, हाँ सुन तो रहा हूँ” |

“अच्छा ! बताओ कि मैं क्या बोल रही थी” |

“वो......वो आप कह रही थीं ......”

तान्या गुस्से में उठ कर खड़ी होती है और तेज कदमों से रेस्टोरेंट से बाहर निकल जाती है | कुणाल रेस्टोरेंट के बिल की पेमेंट कर तेज क़दमों से बाहर आता है | बाहर निकल कर कुणाल इधर-उधर देखता है लेकिन तान्या उसे कहीं नहीं दिखती है | अचानक उसकी नजर रोड के दूसरी तरफ पड़ती है जहाँ तान्या थ्री व्हीलर पर जाती दिखती है | जब तक कुणाल कुछ सोच पाता तान्या का थ्री व्हीलर ट्रैफिक में खो जाता है |

कुछ देर वह अपनी मोटरसाइकिल के पास खड़ा अपने आप को कोसता रहता है | लेकिन फिर दूसरे ही पल यह सोच कर मुस्कुरा देता है कि वह अब तान्या को कैसे बताता कि वह आज बहुत ही सुंदर लग रही थी | आज पहली बार उसने उसकी सुन्दरता को इतने नजदीक से निहारा था | अब इसमें उसका क्या कसूर था | लेकिन फिर वह यह सोच कर गंभीर हो जाता है कि उसका नाराज होना भी तो जायज था | वह अपने जीवन के सबसे बुरे दिनों को बयाँ कर रही थी और मैं अपनी ही मस्ती में मस्त था | यह सोच आते ही वह फिर से अपने आप को कोसने लगता है | वह क्या सोचेगी | शायद वह अब मुझ से बात ही न करे | मैं अब उसे कैसे और कब मिल पाऊंगा | मिल पाऊंगा भी की नहीं | इसी उधेड़-बन में जब उसे कोई रास्ता नहीं सूझता है तो वह अपनी मोटरसाइकिल को किक मारता है और भारी मन से घर की ओर चल देता है |

✽✽✽