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बोतल

"मोनू, सुन क्यों नहीं रहा तू?"

माँ ने पिछले एक मिनट में तीसरी बार मुझे आवाज़ लगायी थी | मैं हॉल के सोफे पे एक टांग नीचे लटका के अपना फ़ोन चलाने में बिजी था | महीनों बाद सिर्फ हफ्ते भर के लिए घर आने पे भी फ़ोन में घुसे रहना शायद मेरे लिए माँ के साथ समय बिताने से ज्यादा ज़रूरी था !

माँ बाथरूम में मेरे कपड़े धो रही थी | ऐसा नहीं है कि हमारे घर में वाशिंग मशीन नहीं था, लेकिन माँ का मानना था कि जितने गंदे कपड़े मैं छुट्टियों में घर लेकर आता हूँ, उनको मशीन की धुलाई से साफ़ कर पाना नामुमकिन है | इसलिए हर बार मेरे छुट्टियों में आने पर माँ खुद मेरी जीन्स की कफ्स से ले कर मेरे शर्ट्स के कॉलर को खुद रगड़ रगड़ कर चमकाती थी | इस बार भी उनका यही प्रोग्राम चालू था |

माँ ने चौथी बार जब मुझे और ज़ोर से आवाज़ लगायी तो बाथरूम में गूंजती उनकी तेज़ आवाज़ फिर से सुन के मुझे गुस्सा आ गया | मुझे पता था कि कोई फ़ालतू सा काम करवाने के लिए ही मुझे तब से माता का बुलावा आ रहा था |

माँ को मेरी छुट्टियों की जरा सी भी कदर नहीं थी | "सब्जी ले आ, टंकी की सफाई कर दे, गमले में पानी डाल दे, पंखा साफ़ कर दे, कोनों से जले हटा दे" | हर बार छुट्टियों में आराम करने के बजाये मैं अपनी माता रानी के इन्ही आदेशों का पालन कर रहा होता था |

"क्या हो गया यार मम्मी, क्यों चिल्ला रही हो तब से?" मैंने गुस्से में बाथरूम के पास आते हुए पूछा |
"बहरा हो गया है क्या तू?" माँ ने अपना पसीना पोछते हुए मुझे ताना मारा |
" जितनी तेज आवाज़ लगा के बुला रही हो आप, सचमुच ही बहरा हो जाऊँगा।"
"एक बार में नहीं सुनेगा तो चिल्लाऊँ नहीं तो और क्या करूँ?"
"कुछ ज़रूरी काम के बिजी था मैं," मैंने झूठ बोलते हुए कहा | फेसबुक पे मीम्स स्क्रॉल करना बेशक ही कोई ज़रूरी काम नहीं माना जा सकता |
"हाँ, तू बड़ा ज़रूरी काम कर रहा था, और मैं तो यहाँ टब में लेट के बबल बाथ ले रही हूँ," माँ ने एक और ताना मारते हुए जवाब दिया |

मैंने बाथरूम में नज़र दौड़ाई तो देखा कि माँ ने पूरे बाथरूम में मेरे कपड़ों का ढ़ेर लगा रखा था | एक बाल्टी में सारी जीन्स, दुसरे में लाइट कलर के शर्ट्स और तीसरे में डार्क कलर के शर्ट्स वाशिंग पाउडर के झाग में डूबे हुए थे | पास में ही एक टब में कपड़े खंगालने के लिए साफ़ पानी भी रखा था | कुछ धुले हुए कपड़े नलके पर लटके हुए नीचे अपना पानी टपका रहे थे | कुछ कपड़े बाथरूम के गेट के बाहर कोने में पड़े हुए अपने धुलने की बारी आने का इंतज़ार कर रहे थे |

"अच्छा बोलो क्या हुआ, क्यों बुला रही थी?" मैंने माँ की मेहनत देखते हुए सीधा टू द पॉइंट सवाल पूछना ही बेहतर समझा |
"पानी की खाली बोतल भर के फ्रिज में रख दे और...."
"यार आप एक पानी की बोतल भरवाने के लिए चार बार से बुला रहीं थी मुझे !" मैंने माँ की बात को बीच में ही काटते हुए कहा |

मुझे पता था कि माँ किसी ना किसी फालतू काम के लिए ही मुझे बुला रही थी | लेकिन सोफे पे एक टांग नीचे लटका कर, न्यूटन जी का नियम फॉलो करते हुए ऐट रेस्ट पड़ी हुई इस बॉडी को मोशन में लाने के लिए पानी की बोतल भर दे जैसे घटिया एक्सटर्नल फोर्स का इस्तेमाल किया जायेगा, इसके बारे में मुझे क्या खुद न्यूटन जी को नहीं पता था |

"बोतल भर के रखनी भी नहीं है, फिर पीने टाइम ठंडा पानी भी चाहिए इनको |" माँ ने हर घर के बच्चे पे इस्तेमाल होने वाली सदाबहार लाइन का इस्तेमाल करते हुए कहा | "और मुझे खुद भी प्यास लगी है, एक बोतल मेरे लिए ले आ और बाकी सारी खाली भर कर रख दे |"

मैं माँ को गुस्से से देखते हुए किचन की तरफ चला गया | किचन पहुँच कर जब फ्रिज का दरवाज़ा खोला तो देखा कि अंदर महीनों पुरानी कोक और पेप्सी की खाली बोतलें पड़ी हुई थीं जिनका इस्तेमाल अब पानी भर के रखने के लिए हो रहा था |

"माँ पिछली बार ही जब मैं आया था तब हमने वो 6 बोतलों का सेट लिया था पानी रखने के लिए | फिर ये कोल्ड ड्रिंक्स की बोतलों में पानी क्यों रखा हुआ है आपने?" मैंने चिढ़ते हुए माँ से पूछा |
"अरे तो क्या दिक्कत है इन बोतलों में पानी रखने में?" माँ ने बाथरूम से चिल्लाते हुए उल्टा मुझसे ही सवाल कर दिया |
"माँ ये सस्ता खराब प्लास्टिक होता है, इसका इस्तेमाल मत किया करो | कोल्ड ड्रिंक खत्म होने के बाद कबाड़ी वाले को दे दिया करो बोतल |"
"हाँ तू बड़ा महंगी बोतलों में पानी पीने वाला हो गया है ना।"
"आप पहले ये बताओ पिछली बार जो नई वाली बोतलें ली थीं वो कहाँ हैं?"
"वो तेरे पापा के ऑफिस में किसी का फेयरवेल था तो मैंने उनको वही बोतलों का सेट गिफ्ट करने दे दिया |" माँ ने चिल्ला के बोलते हुए भी बड़े इत्मीनान से जवाब दिया |

डॉन को पकड़ना शायद उतना नामुमकिन नहीं जितना माँ को अपनी कोई बात समझाना है | मैंने आगे कुछ कहने से बेहतर चुपचाप बोतलों में पानी भरना समझा | 2 बोतल भरने के बाद जब मैंने तीसरी बोतल निकाली तो देखा कि उसपे लगा कोकाकोला का लाल स्टिकर अब इतने समय के इस्तेमाल के बाद घिस घिस कर सफ़ेद हो चुका था, और किसी मार्कर से उसपे कुछ लिखा हुआ था | नज़दीक ला कर देखा तो उसपे लिखा हुआ था, "सोशल मीडिया एग्जीक्यूटिव, विन्स्टंस बीट्ल्स, उद्योग विहार ४" |

"माँ ये आपने मेरी कंपनी और..."

"तब से बातें किये जा रहा है, प्यास लगी है मुझे | एक बोतल पानी नहीं लाया जा रहा तुझसे |" मेरा सवाल पूरा होने से ही किचन में पहुँच गयी | बोतलों के चक्कर में ही गया था कि माँ को प्यास लगी थी |

"ये आपने मेरी कंपनी का नाम और मेरी पोस्ट क्यों लिख रखी है इस बोतल पे ?" मैंने माँ को एक ठन्डे पानी की बोतल पकड़ाते हुए पूछा |
"अरे वो जब भी कोई आस पड़ोस का आता है ना, वो पूछता है कि मोनू क्या काम करता है, कहाँ काम करता है | और मुझे तो ना तेरी कंपनी का नाम याद रहता है ना तेरी पोस्ट का | हर बार भूल जाती हूँ | तुझसे बार बार पूछूँगी तो तू गुस्सा करेगा कि हर चार दिन पे वही सवाल |" माँ ने २ घूँट पानी पी के जवाब दिया |
"तो आपने बोतल पे ही लिख दिया सब?"
"हाँ | कुछ दिन पहले तेरे पापा ऑफिस से वो परमानेंट वाला मार्कर उठा लाये थे | उसका लिखा हुआ मिटता नहीं जल्दी | तो मैंने उसी से बोतल पे लिख दिया | पानी रोज भरना ही होता है, फिर ये लिखा हुआ भी रोज दिख जाता है | तो मेरा रिवीजन हो जाता है |" माँ ने पूरी बात बताते हुए कहा |
"तो अब आपको याद हो गया सब?" मैंने फिर पूछा |
"हाँ | तू विंड्सटन बीटल में मीडिया एग्जीक्यूटिव है, और तेरा ऑफिस उद्योग विहार फेज 4 में है |" माँ ने गर्व से मुस्कुराते हुए जवाब दिया |

शायद उनका ये सब बोतल पे लिखना बहुत बचकाना था, लेकिन ये मेरे लिए था | मैं उनके बार बार पूछने से परेशान ना होऊं इसके लिए था | वो लोगों को मेरे बारे में बता कर गर्व कर सकें इसके लिए था | हाँ, उनकी मुस्कराहट में जो गर्व था वो मेरे लिए था, या सब कुछ याद कर लेने पे खुद के लिए था, ये मुझे नहीं पता |

मैंने आगे बढ़कर माँ को गले से लगा लिया |

"क्या कर रहा है, पूरा पसीना लग जायेगा |" माँ ने मुझे हटाने की कोशिश करते हुए कहा |
"बहुत क्यूट हो आप," मैंने प्यार से कहा | "लेकिन आपका रिवीजन पूरा ठीक से नहीं हुआ है |"
"मतलब?"
"मतलब मैं विंड्सटन बीटल नहीं विन्स्टंस बीट्ल्स में काम करता हूँ, और मैं मीडिया एग्जीक्यूटिव नहीं सोशल मीडिया एग्जीक्यूटिव हूँ |" मैंने माँ को समझाते हुए कहा |
"अरे एक ही बात है दोनों | और मुझे एड्रेस तो सही याद है ना; उद्योग विहार | और फेज भी सही याद है; 4 |" माँ ने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा |

मुझे हँसी आ गयी |

"खड़ा खड़ा दाँत मत दिखा, जा कर हुई बोतलों में पानी भर पहले |"

इतना कह कर माँ कैज़ुअली हमारे छोटे से मोमेंट पे पानी फेरते हुए, मुझे अपनी बोतल थमा कर वापस बाथरूम की तरफ चली गयी | मैंने थोड़ी देर उनको जाते हुए देखा, और मैं फिर से अपनी माता रानी के आदेश को पूरा करने में लग गया |