Hone se n hone tak - 42 books and stories free download online pdf in Hindi

होने से न होने तक - 42

होने से न होने तक

42.

शनिवार के लिए पूरे स्टाफ के साथ मैनेजमैंण्ट की मीटिंग का नोटिस मिला था। इस बार मीटिंग डिग्री कालेज के हॉल में नही, समीति के कक्ष में रखी गयी थी। नोटिस देख कर मानसी हॅसी थी,‘‘अबकी से अपने टर्फ पर बुलाया है। असल में वहॉ बेहतर हिट कर लेती हैं...छक्के पर छक्के...दोस्तों अपने अपने सिर पर हैल्मेट बॉध कर चलो।’’

लगा था सब लोग अन्दर के तनाव को हल्के फुल्के परिहास में ढक रहे हों जैसे,‘‘बिना क्लेश के तो मिसेज़ चौधरी की कोई मीटिंग निबटती ही नहीं है ।’’मिसेत़ द्विवेदी ने कहा था।

‘‘यह कब तक रहेंगी ?’’अंजलि ने पूछा था।

‘‘यह हम सब को दफना कर जाऐंगी।’’ जवाब मानसी ने दिया था।

‘‘नौकरी का मज़ा ही ख़तम कर दिया इन्होने।’’मिसेज़ खन्ना ने टिप्पणी की थी।

‘‘आपके बेमज़ा हो जाने पर ही तो मज़ा आता है उन्हें। था न वह नीरो। कहते हैं शहर में आग लगवा देता था और जब जनता चित्कार करती हुयी इधर उधर भागती थी तब वह बॉसुरी बजाता था।’’

‘‘तो चन्द्रा सहाय डिग्री कालेज की नीरो मिसेज़ चौधरी।’’

‘‘नहीं भई यहॉ एक नहीं दो नीरो हैं। एक वे,दूसरे गुप्ता।’’

हम सब बात करते कमेटी रूम के निकट पहुंच चुके थे,‘‘धीरे बोलो।’’किसी ने कहा था।

‘‘क्या धीरे धीरे कर रहे हो। अभी दूर है। फिर अब तो वैसे ही कुछ देर में बोलती बंद होनी ही है।’’ सब एक बार धीरे से हॅसे थे और फिर सब चुप हो गए थे।

उस दिन मीटिंग को मिसेज़ चौधरी ने नहीं प्रबंधक गुप्ता ने संबोधित किया था। पहले विद्यालय के विषय में साधारण बातें करते रहे थे-कुछ समस्याऐं,कुछ उपलब्धियॉ,कुछ अपेक्षाऐं और योजनाऐं भी। फिर उन्होने ‘डिसास्टर मैनेजमैन्ट’ जैसी कुछ बात की थी,‘‘पहले हर कालेज में प्रिसिपल के साथ ही एक वाइस प्रिंसिपल की पोस्ट भी होती थी। उसके कुछ फायदे थे। सबसे पहले तो वह प्रिसिंपल बनने से पहले ही काम की काफी कुछ ट्रेनिंग पा लेती थी। फिर प्रिंसिपल के साथ किसी भी अनहोनी की स्थिति में तुरंत काम संभालने वाला कोई रहता था। अभी दीपा जी करीब एक महीने की छुट्टी पर गयी थीं। रोहिणी जी ने आफिशियेट किया पर कोई रैगुलर वाइस प्रिंसिपल होने से ज़्यादा आसानी रहती। पता नही क्यां अब कालेजों में वह पोस्ट नही होती। हम कानूनी तौर से ऐसी कोई पोस्ट क्रिएट नही कर सकते पर हम इन्टर्नल व्यवस्था कर सकते हैं।’’उन्हांने मिसेज चौधरी की तरफ देखा था,‘‘हम लोगो ने तय किया है कि हम सीनियारिटी के हिसाब से तीन टीचर्स का पैनल बनाऐंगे।’’उनके हाथ में कुछ कागज़ थे जिन्हे उन्होने ऊपर उठा कर हिलाया था,‘‘यह आप टीचर्स की सीनियारिटी लिस्ट है।’’ उन्होने कागज़ खोल लिए थे ‘‘डाक्टर दीपा वर्मा के बाद सबसे सीनियर डाक्टर रोहिणी पंत हैं।’’ उन्होने चारों तरफ निगाहें घुमा कर उन्हें खोजा था।

वे उठ कर खड़ी हो गयी थीं,‘‘जी’’

‘‘रोहिणी जी आप की कन्सैन्ट चाहिए, वाइस प्रिंसिपल बनने के लिए।’’

रोहिणी दी ने नकार में गर्दन हिलायी थी,‘‘जी मैं वह पोस्ट नही चाहती।’’

‘‘क्यों?’’ तेज़ स्वर में मिसेज़ चौधरी ने पूछा था,‘‘क्यों नही चाहती आप?’’

रोहिणी दी जब तक कुछ उत्तर देतीं तब तक प्रबंधक गुप्ता ने कागज़ पुनः हाथ में उठाया था ‘‘रोहिणी जी के बाद मिसेज़ मोहिनी दीक्षित का नम्बर है।’’

उनकी बात पूरी होने से पहले ही मिसेज़ दीक्षित खड़ी हो गयी थीं,‘‘मैं इस कार्य भार के लिए कतई भी तैयार नहीं हॅू।’’उनके स्वर में हल्की सी ज़िद्द है।

प्रबंधक बड़ा अर्थ भरा सा मुस्कुराए थे। मिसेज़ चौधरी ने फिर वही सवाल पूछा था,‘‘क्यो? क्या हम समझें कि हमारा स्टाफ हमारे साथ कोआपरेट नहीं करना चाहता है।’’

‘‘काफी समझदार हैं।’’ मानसी बुदबुदायी थीं।

‘‘जी नहीं, मेरे कुछ पर्सनल कारण हैं।’’ मिसेज़ दीक्षित ने कहा था।

गुप्ता दमयन्ती अरोरा की तरफ देख कर मुस्कुराए थे,‘‘सीनियारिटी लिस्ट में अगला नाम डाक्टर दमयन्ती अरोरा का है।’’

‘‘दमयन्ती भी मुस्कुरायी थीं।’’

‘‘अब आप बताईए?’’ उन्होने पूछा था जैसे जवाब उन्हे पहले से ही मालूम हो।

दमयन्ती मुस्कुरा कर खड़ी हो गयी थीं,‘‘सर जैसा आप लोगो का आदेश हो।’’

‘‘ऐसा जवाब होना चाहिए। मुझे अपने स्टाफ से इस तरह का जवाब चाहिए होता है।’’ मिसेज चौधरी ने सब की तरफ देखा था।

प्रबंधक गुप्ता ने बारी बारी से दीपा वर्मा और दमयन्ती अरोरा को देखा था,‘‘दीपा जी कल से दमयन्ती जी आपके और मेरे साथ कुछ देर बैठा करेंगी ताकि वे आपके रिटायरमैंण्ट से पहले अच्छी तरह से काम सीख सकें और वैसे भी आपका हाथ बटा सकें। विधिवत् तरीके से हम आपका कुछ कार्य भार कम कर देंगे।’’

अचानक मानसी खड़ी हो गयी थीं,‘‘प्राचार्या का पद सीनियारिटी के आधार पर नही भरा जाता। वह सैलेक्शन पोस्ट है। मौका आने पर कोई भी सैलेक्ट हो सकता है और हायर कमीशन से बाहर का भी कोई आ सकता है। इस लिए किसी को ट्रेन्ड किए जाने का कोई बहुत मतलब नही है।’’

हाल में अचानक कई लोगो के बोलने की आवाज़ें आने लगी थीं,‘‘आप क्या समझती है मिसेज़ चतुर्वेदी कि हम लोगो को क्या होता है यह मालूम नही है,जब आप बताऐंगी तब पता चलेगा हमें सब कुछ।’’मिसेज़ चौधरी ने झिड़क कर कहा था और वे दोनो उठ कर खड़े हो गए थे।

‘‘तुम लोगों ने कुछ ध्यान दिया’’ वहॉ से लौट कर स्टाफ रूम में पहुंचते ही केतकी ने कहा था।

‘‘क्या’’लगभग सभी ने एक साथ पूछा था।

गुप्ता ने तीन लोगों का पैनल बनाने को कहा था और यह दमयन्ती तीसरे नम्बर पर है। पर ऊपर वाले दो लोगो के मना कर देने से वे पहले नम्बर पर पहुंच गयी। अब उस पैनल में अकेली वही तो रह गयी न। अगर ऊपर वाले हॉ कर देते तो यह लोग तीन लोगो का पैनल बना देते। उन्होने मना कर दिया तो अकेली दमयन्ती...पूछो फिर तीन क्यों नहीं...अकेली वही क्यों ?’’

‘‘मतलब उन्हें हर हाल मे दमयन्ती को लेना ही था।’’मैं ने कहा था।

‘‘हॉ’’ केतकी ने जवाब दिया था

मानसी जी के स्वर में रोष है,‘‘मैनेजर की चमची। देखती नही हो डिपार्टमैंण्ट के काम के बहाने जब तब उनके पास पहुंच पहुंची रहती है।’’

मीटिंग से लौट कर शायद सभी का मन ख़राब हो गया था। कम से कम दीपा दी और उनकी साथ की कुछ टीचर्स का मन तो खिन्न हो ही गया था। वैसे तो हमेशा ही कुछ ऐसा ही होता है।

अगले दिन आफिस और टीचिंग स्टाफ के लिए प्रबंधक का बिन्दुवार सर्कुलर मिला था। हम लोग दीपा दी के पास उनके कमरे में ही बैठे थे जब वह सर्कुलर लेकर राम चंन्दर बाबू आए थे। उनके सामने रजिस्टर सहित वह पत्र उन्होने रख दिया था। उनकी आंखों में पीड़ा है,‘‘दीदी यह सब क्या हो रहा है ?’’बाबू जी ने अजब सी आवाज़ में पूछा था।

दीपा दी ने राम चन्दर बाबू की तरफ देखा था ‘‘क्या बाबू जी।’’और उनके रजिस्टर के ऊपर रखा पत्र उठा कर वे पढ़ने लगी थीं और लगा था जैसे वे स्तब्ध रह गयी हों। पत्र मे कोई बुरी ख़बर है इतना हम सब समझ गये थे। दीदी ने सामने से पैन उठा कर उस पर दस्तख़त कर दिए थे और पढ़ने के लिए उसे हमारे सामने बढ़ा दिया था।

उस पत्र में कार्यालय और टीचिंग स्टाफ को सूचित किया गया था कि डाक्टर दमयन्ती आहुजा को उप प्राचार्या के पद पर नियुक्त किया गया है। उसके बाद क्रम से निर्देश दिए गए थेः

1. प्रशासन भवन में प्रबंधक के कमरे के दॉए हाथ को बने कमरा नम्बर पॉच में अब से उप प्राचार्या डाक्टर दमयन्ती अरोरा बैठा करेंगी।

2. तुरंत प्रभाव से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियो का कार्य भार डाक्टर दमयन्ती अरोरा संभालेंगी। अतः क्लास फोर की नियुक्ति,ड्यूटी, और छुट्टी से सबंधित सभी निर्णय वे लेंगी।

3. टीचर्स के अटैन्डैन्स रजिस्टर पर अब से प्राचार्या की जगह प्रबंधक के हस्ताक्षर हुआ करेंगे। कार्यालय को निर्देश दिया जाता है कि वह सम्बद्ध चपरासी को इस बात की सूचना दे दें और उसे यह भी बता दें कि यह रजिस्टर दस बजे तक प्रबंधक की मेज़ पर पहुंच जाना चाहिए।

4. दस्तखत करने के साथ ही स्टाफ अपने आने का और साथ ही अपने जाने का समय भी सूचित करेगा। अतः दो रजिस्टर रखे जाऐंगे। एक आने के लिए और दूसरा जाने के लिए। दोनो पर ही स्टाफ के द्वारा दस्तख़त किया जाना और समय लिखा जाना अनिवार्य है।

5. इस सत्र से टीचर्स का टाइम टेबल प्राचार्या नहीं बनाऐंगी। वह प्रबंधक कार्यालय से बना कर भेजा जाएगा। तुरंत प्रभाव से नया टाइम टेबल लागू किया जाता है। पत्र के साथ में टाइम टेबल नत्थी किया हुआ है जिसे तुरंत प्रभाव से लागू किया जाना है।

6. प्राचार्या डाक्टर शुभा वर्मा इस बात को सुनिश्चित कर लें कि उनके स्टाफ के द्वारा इन सारे ही निदेशों का पालन विधिवत् किया जा रहा है।

टीचर्स के पास उस पत्र की एक कापी अलग से भेजी जा चुकी थी। स्टाफ में ऐसे लोग भी थे जो उस पत्र के साथ भेजे गए नोटिस को पढ़े बिना ही कागज़ पर दस्तख़त कर चुके थे। वे लोग हमेशा ही ऐसा ही करते हैं। इन कागज़ो मे क्या लिख कर आता है इससे इनको न पहले फर्क पड़ता था और न उन्हे अब ही फर्क पड़ेगा ऐसा उन को लगा था। मगर इस पत्र से अधिकांश को फर्क पड़ा था। पद्या ने जब ऊॅची आवाज़ में टाइम टेबल पढ़ना शुरू किया था तो लगा था जैसे बम विस्फोट हुआ हो। स्टाफ में गहमा गहमी, ऊॅचे स्वर मे बातचीत फैल गयी थी। कमरे में अजब सा माहौल हो गया था जैसे बहस हो रही हो। कई सारी टीचर्स दौड़ती हुयी दीपा दी के पास आयी थीं। एक दो लोग तो एकदम रुआसे लग रहे हैं,‘‘दीदी यह क्या है?’’कई लोग एक साथ बोले थे।

दीपा दीदी चुप रही थीं। वैसे भी वह क्या कह सकती थी। अभी तक दीपा दी बहुत सोच कर, कालेज और लड़कियों का हित और टीचर्स की सुविधा देख कर टाइम टेबल बनाती थीं। वैसे भी वह टाइम टेबल को लागू करने से पहले एक बार उसे स्टाफ को दिखा लेतीं और उसमें यथा संभव सुधार कर देतीं। अब लगा था कि गदर ही मच गया हो। किसी भी टीचर और किसी भी सब्जैक्ट का लैक्चर पीरियड और रूम कभी भी और कहीं भी डाल दिया गया था। सबा और पूनम रिसर्च कर रही हैं। अपने क्लास लेने के बाद वे यूनिवर्सिटी जाती हैं। दीपा दी ने उनके लैक्चर्स जल्दी लगा रखे हैं किन्तु इस नए टाइम टेबल में उनके लैक्चर्स आख़िरी पीरियड में लगे हैं। वे लोग घबरायी हुयी दीपा दी के पास खड़ी हैं।

मिसेज़ दीक्षित के पैरों में तकलीफ रहती है। उनके दोनो क्लासेज़ तीसरी मज़िल पर डाल दिए गए हैं साथ ही बीच में दो पीरियड का गैप। मतलब उन्हे दो बार ऊपर नीचे करना पड़ेगा।

संस्कृत में कुल पद्रंह लड़कियॉ हैं उसका कमरा कालेज के सबसे बड़े लैक्चर हॉल में डाल दिया गया है, ‘‘दीदी इतने बड़े लैक्चर रूम में पढ़ाते सीना ख़ाली हो जाएगा, मैं छोटे कमरे में ही कम्फर्टेबल हूं।’’पद्या ने कहा था।

दीपा दी ने रोहिणी दी की तरफ देखा था,‘‘रोहिणी तुम दो तीन लोग जा कर उनसे यह सारी प्रैक्टिकल प्राब्लम्स डिस्कस करो। वैसे भी यह तुम लोगों की प्राब्लम है सो टीचर्स रिप्रैन्सैन्टेटिव ही मिलें तो बेहतर है। सो तुम नीता और केतकी जाओ मिलने।’’

वे तीनो चुपचाप खड़ी रही थीं,‘‘दीदी आप कह रही हैं तो जाऐंगे पर उन लोगो के पास जाने का कतई मन नही करता।’’नीता ने कहा था।

दीपा दी चुप रही थीं। उनके चेहरे पर थकान है।

‘‘नही दीदी आप कह रही हैं तो ज़रूर जाऐंगे।’’केतकी ने तसल्ली दी थी,‘‘पर पहले पूरा टाईम टेबल आपस में अच्छी तरह समझ लें। सब की समस्याऐं समझ कर कागज़ पर नोट कर लें ताकि एक ही बार में पूरी बात की जा सके।’’

Sumati Saxena Lal.

Sumati1944@gmail.com