You and I - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

तुम और मैं - 1

बचपन के किस्से से निकली एक कहानी, जहाँ मैं और मेरे कुछ दोस्त छोटी सी बात पे झगड़ा कर रहे थे। बचपन के शौक ही कुछ ऐसे होते हैं, गलती कर के भी सीना चौड़ा ही रहता है। खैर इन बातों को छोड़ के मुद्दे पर आते हैं।

तुम और मैं - अध्याय - 1 (उनसे मुलाकात)


गर्मी का मौसम और स्कूल के नए सेशन का पहला दिन , वही टीचर और वही बच्चे। दोपहर होते - होते कोई बड़ी सी गाड़ी में स्कूल के अंदर आया, मैं अपनी क्लास जो की 2nd फ्लोर में थी, वहां से उन्हें देेख रहा था। और इतने में ही घंटी बज जाती है, और सब लंच के लिए दौड़ पड़े। ज्यादातर बच्चों ने खाना पढते-पढते ही खा लिया था, जिन में से एक मैं भी था, अब हम नीचे पार्किंग एरिया में जा ही रहे थे तभी पीछे से आवाज आई ... Hey boys did you had your lunch. तभी हम सब साथ में हाँ बोल के वापस जाने ही लगे तभी पीछे से वो दिखी, सब लड़के वापस घूम गए उसे देखने के लिए, सब में उसके बारे में चर्चा होने लगी,और मैम ने कहा get back to your class... हम ना चाहते हुए भी अंदर जाने लगे। पर आज कुछ नया था, मैम भी हमारे बाद क्लास में आयी और बोली i am here to introduce a new addmission her name is.... तब तक घंटी फिर बज गई और मुझे उसका नाम ही नहीं पता चला, और साथ ही साथ और बच्चों को भी। चलो छोड़ो, मैं भी ऐसा बोल के हमारी साइंस की क्लास के लिए बुक निकालने लगा, वो लड़की मैम के साथ वापस चले गई। मैं तब 10 में था और थोडा पढ़ाई में भी ध्यान था।
वो अगले कुछ दिनों तक स्कूल आयी नहीं थी, मैंने किसी से उसका नाम तक नहीं पूछा, पता नहीं पर एक खौफ सा था न जाने किस बात का। फिर सोमवार का दिन था और मैथ्स (maths) में टेस्ट (test) था। वो भी आज स्कूल आयी थी। हमारी क्लास में कम ही बच्चे थे तो सेक्शन थे नहीं, सब साथ ही रहते थे। उसका उस दिन अच्छे से दीदार हुआ, वो सांवली सी काजल लगाए थी, और बाकी बाते बाद में। वो देर से आयी थी क्लास में, पर फर्स्ट डे होने पे माफी मिल गयी। अभी तक उसका नाम पता कुछ भी मालूम ना हुआ था। वो कहते हैं ना जिसको जितना चाहो उसे मिलने में उतना ही अधिक समय लगता है।
अब वो क्लास में तो थी पर तभी हमारे हिन्दी के सर आए और बोले कक्षा 10 विद्यार्थियों को आज रैली में जाना है, अपने बस्ते बंद कर के सभी लाइन से बाहर आ जाये। बस फिर क्या था सभी आ गए, अब उस का नाम जानने का अच्छा मौका था, और हम भी मौका बनााने लग गए। बस इतना कहूँ की किस्मत मेरे साथ थी नहीं, मैं कुछ सोचता तभी एक आवाज आयी, ये न्यू एडमिशन वाली लड़की को वापस भेजो उसेे उसका पुराना काम करने दो। इसके साथ मेरे सारे अरमान भी दब गऐ। अभी तो बस एक शुरूआत थी उसका नाम जाानने के लिए, आगे ना जाने कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं। जुड़े रहिए आगे की कहानी के लिए।
Poetpahadi 🥰 ✍️