You and I - 2 books and stories free download online pdf in Hindi तुम और मैं - 2 (17) 1.8k 5.5k 1 तुम और मैं घुंघराले बालों पर रिबन बंधा हुआ। मासूमियत से भरा चेहरा छोटी - छोटी सी उसकी आँखे और तकरीबन 5.4 फुट की उसकी हाइट अब बाकी का उसके बारे में बाद में बताता हूँ फ़िलहाल कहानी पर वापस आते हैं। तुम और मैं अध्याय - 2 "नाम और पहचान " अब दबे अरमानो को वापस से जगाना था और उसके बारे में जानना भी था। maths का टेस्ट आज के दिन हुआ नहीं तो अब वो कल होना था, पर हमारे स्कूल वापस आने से पहले वो घर जा चुकी थी। अब अगले दिन maths वाले सर ने उसका नाम पूछा तो उसने कहा......... सर सुप्रिया.. सर ने कहा पूरा नाम बताओ तो वो सहमी हुई आवाज में बोली सर सुप्रिया भारद्वाज। और इसी के साथ मेरी नाम जानने की इच्छा तो खत्म हुई ।पर बचपन वाली ही सही पसंद तो पसंद होती है। इकोनॉमिक्स में एक टर्म होता है, human wants are never ending मतलब की इंसान की इच्छायें कभी खत्म नहीं होती, एक पूरी हुई तो दूसरी शुरू हो गई, नाम तो पता लग गया था अब उनसे बात भी करनी थी तो बस लग गए हम भी। मैथ्स का टेस्ट खास कुछ गया नहीं मेरा तो थोड़ा उदास था मैं और सर ने भी कोई कसर छोड़ी नहीं पूरी क्लास के सामने बेइज्जत करने में। पूरी क्लास बस मेरे कुछ दोस्तों को छोड़ कर सब मुझ पर हँस रहे थे। और वो चुप चाप गुमसुम सी बैठी थी। लंच का टाईम हुआ तो मेरा एक दोस्त उसके पास गया और बोला हैलो सुप्रिया मैं अरुण उसने उसे बहुत बुरी तरह से नजरअंदाज किया और हम सब अरुण पर जोर - जोर से हंसने लगे.. तभी वो अपनी सीट से उठी और क्लास से बाहर चली गई । हम सब एक दूसरे को देखने लगे । खैर अब अरुण के साथ जो हुआ वो देखकर अब मेरी हिम्मत तो नहीं हुई उस से बात करने की... अगले कुछ दिन अब मैं स्कूल गया नहीं क्योंकि थोड़ी तबियत खराब थी। अब शनिवार का दिन आ-गया था, कहते हैं ना भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। बस आज मेरी किस्मत भी चमक गई टीचर के कहने पर मैं और वो साथ में बैठ गए। आज तो पूरा दिन था मेरे पास, उस से जान पहचान करने के लिए। मैंने धीमी सी आवाज में बोला हैलो are you comfortable वो बोली कुछ नहीं बस सिर हिला दिया। आज हिस्ट्री की क्लास थी क्योंकि s.s.t. के सारे सब्जेक्ट 2-2 दिन ही पढाये जाते थे। उसे हिस्ट्री थोड़ी पंसद नहीं थी तो मुझ से बोली यार मेरी एक हेल्प कर दोगे, मैंने बिना कुछ सोचे हाँ बोल दिया। गनीमत रही कि उसने बोला यार मुझे थोड़ा नोट्स बनाने में हेल्प कर दोगे , और ये सुनते ही मेरे पाँव ज़मीं पर नहीं रहे। इसी के साथ उनसे बातचीत होने लग गई थी। मैंने उस से उसके उदास होने का कारण पूछा तो उसने फैमिली इशू बोल के बात काट दी और देखते ही देखते आज का दिन निकल गया। वो मेरे घर से 3-4 कि.मी. (km) की दूरी पर रहती थी और यहां मम्मी के ट्रांसफ़र होने के कारण आयी थी। वैसे अभी तो काफी कुछ बचा है कहानी में, तो जुड़े रहिए आगे की कहानी जानने के लिए।शुक्रिया अपना बहुमूल्य समय देने के लिए ❤️❤️Poetpahadi 🥰 ✍️ ‹ Previous Chapterतुम और मैं - 1 › Next Chapterतुम और मैं - 3 Download Our App More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Rahul Pandey Follow Novel by Rahul Pandey in Hindi Short Stories Total Episodes : 3 Share NEW REALESED Moral Stories સવાઈ માતા - ભાગ 60 Alpa Bhatt Purohit Fiction Stories રાજર્ષિ કુમારપાલ - 37 Dhumketu Moral Stories કોમી એકતા ના પ્રતીક હાજીપીર Jagruti Vakil Love Stories પ્રેમ - નફરત - ૧૨૧ Mital Thakkar Love Stories જોગ લગા દે રે પ્રેમ કા રોગ લગા દે રે... - 59 શૈમી ઓઝા લફ્ઝ,મીરાં Detective stories લાશ નું રહસ્ય - 1 દિપક રાજગોર Motivational Stories સાથ નિભાના સાથિયા - 17 Hemakshi Thakkar Love Stories એ નીકીતા હતી .... - 1 Jayesh Gandhi Classic Stories દરિયા નું મીઠું પાણી - 30 - શ્રવણ Binal Jay Thumbar Philosophy જ્યોતિષ (પ્રારંભિક સમજ) yeash shah