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जाॅनी वी.

"पापा... आपने मेरी डायरी को हाथ भी कैसे लगाया...????" जाॅनी अपने पापा पर लगभग चीखते हुए झल्लाया। इधर डेविड भी अपने किशोरवय बेटे की डायरी में लिखे शब्दों को पढ़कर गुस्से में लाल था।

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे झूूठ बोलने की...????" तुमने वादा किया था कि अब तुम सिगरेट नहीं पियोगे और यहां, इस डायरी में ख़ुद कुबूल किया है कि तुम अभी भी सिगरेट पीते हो। तुम्हारे वादों का अब मेेेरे लिए कोई मतलब नहीं है जाॅनी... डेविड भी चिल्लाया।

आपने मेरी निजता तहस-नहस कर दी पापा..... अब मैं आप पर दोबारा यकीन कैसे कर पाऊंगा...!!! जाॅनी ने रोते हुए कहा।

मुझ पर यकीन....??? ये तुम हो जिसने झूूठ बोला..... और अब मैं दोबारा यकीन नहीं कर सकता तुम्हारा....!!! काश कि मेरा कोई बेटा ही न होता...!!! तुरंत ही डेविड को अपने कहेे पर अफ़सोस हुआ। जाॅनी भी फफक कर रो पड़ा और दरवाज़े से बाहर की ओर भागा... अपने दोस्त के घर।

डेविड ने काउंटर पर अपना हाथ ज़ोर से पटका और ख़ुद को चोट पहुंचाई। उसे सख़्त नफ़रत है अपने बेटे से झगड़ा करने से। आमतौर पर मां-बाप तब इस स्थिति से दुःखी होते हैं जब बच्चे उन्हें पागलपन की हद तक परेशान कर देते हैं। ये उन्हें अंदर तक तोड़ देता है पर कई बार वे झूठे अहं में पड़ जाते हैं कि वो सही हैं.... और दुर्भाग्यवश ये नहीं समझ पाते कि परिस्थितियों को ठीक कैसे किया जाए...!!!

"ये लड़का एक दिन मुझे पागल कर देगा।" डायरी में लिखे शब्दों को याद कर डेविड अब भी गुस्सा हो रहा था।

"जाने दो उसे..... जहां जाता है, जाए"..... इस उधेड़बुन में डेविड सोफ़ा पर ही लेट गया और उसकी आंख लग गई.....

जैसे ही डेविड की आंख खुलती है, वह चौंक जाता है.... वो अपने चारों तरफ देखता है.... और पाता है कि ये उसका घर नहीं, बल्कि कोई और जगह है। वो एक सफ़ेद सपाट पत्थर पर सो रहा था। आस-पास कोई फ़र्नीचर नहीं... और चारों ओर लगभग अंधेरा सा है....।

फ़्लफ़ी... ओ फ़्लफ़ी... कहाँ है तू...???? डेविड को एक जानी पहचानी आवाज़ सुनाई दी।

"दादाजी".....!!!!! अपने बगल से गुज़रे उस बुज़ुर्ग को देखकर डेविड ने कहा, जो अपने कुत्ते को ढूंढ रहे थे।

डेविड को समझ नहीं आ रहा था कि इस बात का यकीन कैसे करे....!!! क्योंकि उसके दादाजी तो सालों पहले प्रभु यीशु के पास जा चुके थे।

हैलो छोटू डेवी.... तुम ठीक तो हो मेरे बच्चे..!!!

हाँ.... दादाजी... बस... सोचा नहीं था कि आपसे मिलूंगा। हम कहाँ हैं...???

मैं तो स्वर्ग में हूँ मेरे बच्चे....। अपने कुत्ते फ़्लफ़ी को ढूंढ रहा हूँ। तुम्हें फ़्लफ़ी याद है...!!! तुम उससे बहुत प्यार करते थे। ख़ैर अब वो यहां है और अब भी उसे भागना बहुत पसंद है।

फ़्लफ़ी, कहाँ है तू...!!! उन्होंने एक आवाज़ और लगाई।

देखो मेरे बच्चे, मुझे नहीं पता तुम यहाँ क्यों हो..!!! सब ठीक तो है ना डेवी...!!!!

हाँ.... दरअसल मेरा और जाॅनी का एक छोटा सा झगड़ा हो गया है और मुझे लगता है कि यही सब बातें मेरे दिमाग में चल रही हैं। अरे हाँ, जाॅनी मेरा बेटा है.... आपका पड़पोता। वो लगभग आप ही की तरह दिखता है दादाजी...

हाँ, हाँ... क्यों नहीं। मुझे यकीन है कि उसमें भी उतना ही जोश होगा, जितना तुममें और तुम्हारे पापा में था... जब तुम दोनों बड़े हो रहे थे।

सुनो मेरे बच्चे, मुझे अपने जीवन में बस एक बात का अफ़सोस है कि जब मैं यहां स्वर्ग आया.... तो पीछे कुछ लोग रह गये थे जिन्होंने मुझे माफ़ नहीं किया। तुम्हें इस बारे में पता नहीं होगा पर जब मेरी मृत्यु हुई..... मैं तुम्हारी माँ, अपनी बेटी से बात नहीं कर रहा था।

आज जब पलट कर देखता हूँ तो ये बहुत बचकाना सा लगता है। काश कि मैं उस वक़्त में लौट पाता.... उससे माफ़ी मांग लेता.... उसे गले लगा लेता, इससे पहले कि मैं मर........

भौं.. भौं....

ओह फ़्लफ़ी, तुम वहां हो। फ़िर से भागना चाहते हो... हा हा हा..। मुझे फ़्लफ़ी को लेकर घर जाना होगा मेरे बच्चे। तुम्हारी दादी मां रात के खाने पर हमारा इंतज़ार कर रही हैं। डेवी के दादाजी ने कहा..... और चले गए।


डेविड को समझ नहीं आया कि वास्तव में ये क्या है..?? जब डेविड ने ऊपर देखा...... एक बहुत ही बड़ा और शक्तिशाली आदमी उस पत्थर के बगल से गुज़रा जिस पर वो बैठा था। वो आदमी ऐसे चल रहा था जैसे उसे किसी महत्वपूर्ण स्थान पर जल्द से जल्द पहुंचना है और उसके पास इतना भी वक्त नहीं कि अगल-बगल देख सके.......

"पापा"....... डेविड ने आश्चर्य से कहा। वो आदमी चलते - चलते रूक गया और जिज्ञासा से डेविड को देखने लगा।

बेटे..... क्या ये तुम हो????? तुम यहाँ क्या कर रहे हो??? एक मिनट रूको..... क्या तुम सो रहे हो?? उस बड़े से आदमी ने पूछा।

नहीं, नहीं पापा.... मेरा मतलब है.... हाँ, शायद..... लगता तो है.... डेविड ने कुबूल किया।

"मुझे तो ऐसा ही लगता है"..... डेविड के स्वर्गवासी पिता ने ठहाका मार कर हंसते हुए कहा। अच्छा अब बता भी दो कि तुमसे क्या ग़लती हुई है.....?????

तुम्हें पता है जब तुम बच्चे थे। जब भी कोई ग़लती करते थे, सो जाते थे......

दरअसल ये सब जाॅनी..... मेरा मतलब, हमारी लड़ाई हो गई। मैंने उसकी डायरी पढ़ी, जो कि ग़लत है पर मुझे पता चला कि वो मुझसे झूूठ बोल रहा है जिससे मुझे बहुत बुरा लगा और अब मैं उसे माफ़ नहीं कर सकता.... डेविड ने अपने पापा से कहा, जिनसे वो हमेशा अपने दिल की बात करता था।

डेवी, तुम सोचते हो तुम्हें कभी माफ़ नहीं किया गया... उसके पिता ने पूछा।

हाँ.... हो सकता है आपने मुझे कुछ चीज़ो के लिए माफ़ किया हो...!!!!

ठीक से याद करने की कोशिश करो डेवी..... 10,316 बार.... लेकिन मेरे कहने का मतलब ये नहीं है। जिसने तुम्हें हर चीज़ के लिए माफ़ किया और ये संभव बनाया कि तुम स्वर्ग जा सको.......

डेविड ने एक क्षण के लिए सोचा और उसे अपनी रविवार की स्कूली कक्षाएँ याद हो आईं...... "प्रभु यीशु..... ये वहीं हैं... है ना...... वो सलीब पर चढ़े ताकि मुझे माफ़ किया जा सके"........ सही उत्तर पाकर डेविड ने उत्साहित होते हुए कहा।

"सही कहा मेरे छोटू से डेवी.... ईश्वर ने हमें उनसे भी बड़ी ग़लतियों के लिए माफ़ किया है जो जाॅनी ने की हैं। जब उन्होंने अपनी जान तक दे दी ताकि हमें माफ़ी मिल सके तो ये तो बहुत कम है कि तुम जाॅनी को माफ़ कर सको। ईश्वर से भी उसकी गलतियों के लिए माफ़ी मांगो...... और ये अभी करो मेरे बच्चे, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।" यह कहकर डेविड के पिता जी खड़े हो गए और गायब होने लगे।

रूकिये पापा..... मुझे आपसे पूछना था कि झोपड़ी कैसे बनाते हैं...!!!!

"नहीं मेरे बच्चे, अभी नहीं। मुझे जाना होगा। तुम्हारे दादाजी को ढूंढना है। वो फ़्लफ़ी के साथ टहलने निकले थे।" ये कहकर वो चले गए।

अचानक डेविड की आंख खुलती है। उसे महसूस होता है कि अब वो घर पर है लेकिन पूर्वजों से भेंट होना अनायास ही नहीं है.....। तभी घर का दरवाज़ा खुलने की आहट होती है.... जाॅनी, क्या तुम हो बेटा...!!!!

नज़रें नीची किये, उदास जाॅनी कमरे में प्रवेश करता है।

डेविड सोफ़ा से खड़ा होता है और जाॅनी के कंधे पर हाथ रख कर कहता है - "मुझे माफ़ कर दो मेरे बच्चे।".... और खुद को रोने से रोकते हुए ( जो कि पुरुषों को बिल्कुल पसंद नहीं ) डेविड और जाॅनी ने एक-दूसरे को गले लगा लिया।

अब एक वादा डेविड ने खुद से किया कि वो ऐसी छोटी-छोटी बातों को बाप-बेटे के रिश्ते के बीच नहीं आने देगा.....