Ghar ki Murgi - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

घर की मुर्गी - पार्ट- 5




वक़्त के साथ गौरी भी बड़ी होने लगी। और मैं बिल्कुल निःसहाय।
जहाँ एक ओर बाकी घरवाले चैन की नींद सोते होते वही राशि ना तो नीद पूरी ले पाती ना ही आराम। उसके पूरे दिन की भूमिका महज कमरे से किचन,किचन से कमरा हो गया था। कभी कभी राशि जब किचन में खाना बनाती रहती तो तभी गौरी सो कर उठ जाती और उसे ना पाकर रोने लगती। ज्यो राशि किचन को जैसा तैसा छोड़ गैस को कम कर कमरे में गौरी के पास भागती त्यों ही उसे ध्यान आ जाता कि गैस बंद करना था और वो गैस बंद करने के लिए दौड़ पड़ती। यही कारण है कि जब तक गौरी सोती रहती राशि खटाखट अपने कामो को निपटाने में जुटी रहती लेकिन कहा इतना आसान होता है अकेले सुपर व्यूमन बनना।

वक्त बीतता गया,गौरी भी समय के साथ बड़ी हो गयी। राशि की परेशानियां थोड़ी कम नही बल्कि और दिन पर दिन बढ़ती गयी। गौरी के पसन्द का लंच बनाना। उसकी पसन्द को ध्यान देना,उसकी हर छोटी छोटी बातों को पूरा करना जैसे राशि का ही तो काम हो। घर के बाकी सदस्य सिर्फ फरमाइश करते। शादी के बाद भावना अक्सर यही पड़ी रहती दो- दो, तीन - तीन महीने। उसपे भी कभी कोई यह नही सोचता कि भाभी भी थक जाती होगी। बल्कि भावना ये जरूर गौरी से कहती तुम्हारी मम्मा सुपर व्यूमन है। गौरी खिलखिला पड़ती।

व्योम उन्हें तो कोई फर्क ही नही कि मैं कैसे महसूस करती हूं। या मैं भी थक जाती हु। या मुझे भी आराम की जरूरत है बल्कि उल्टा कहते- फिरते ,ओफ्फोहह...राशि तुम हर काम में निहायती ढीली होती जा रही हो। कछुए से भी ज़्यादा सुस्त! हो क्या गया है तुम्हे एक समय तुम हर काम मे एक्टिव रहती आज तुम बिल्कुल सुस्त होती जा रही। व्योम ने पोंछे की बाल्टी को पाँव से धकेलते हुए बाहर निकलते हुए कहा- अच्छा आज मुझे देर होगा आने में तुम गौरी को स्कूल से लेती आना। राशि सोचने लगी क्या गौरी सिर्फ और सिर्फ मेरी अकेले की जिम्मेदारी है। व्योम अपने दोनों भाईयों को भी तो लाने को सौप सकते है। लेकिन राशि ने कुछ भी जवाब नही दिया। अब राशि की जिम्मेदारिया दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी। उन्ही बीच शकुंतला जी सीढ़ियों से फिसल कर गिर पड़ी अब क्या हुआ सोने पर सुहागा। राशि के लिए अब एक और आफत बढ़ गयी। शकुंतला जी की मालिश और रोज हर काम से खाली हो कर उन्हें एक्सरसाइज करवाती। यही सब करते कराते राशि के शादी को अब तक नव साल गुजर गए। लेकिन राशि ने कभी उफ्फ भी ना कि,हर कोई उसे सुना कर निकल जाता लेकिन राशि चुपचाप सुनती रहती।

एक रोज उसने व्योम से इस बात पे बात करने की कोशिश भी की तो व्योम ने उल्टा जवाब दिया तो कौन करेगा ये सब माँ। अरे जब उन्हें ही करना था तो शादी ही क्यों करती। तुम्हे किस चीज की जरूरत है बोलो मैं तुम्हे दिला दी। राशि ने व्योम से कुछ भी कहना ठीक नही समझा। वो समझ चुकी थी अब उसकी जिंदगी इन्ही बंधनो में बंध चुकी थी।राशि एक रोज खुद को बिल्कुल बीमार महसूस कर रही थी। उसने सब काम निपटा गौरी को सुला कर अपने घर अपनी बहन से बात करने लगी। बात ही बात में राशि फूट फूट कर रोने लगी। ये देख उसकी बहन ने उसे एक रास्ता दिया क्यों नही तुम कुछ दिन के लिए यहाँ आ जाओ। राशि जानती थी इतना आसान नही इस घर से बाहर निकलना।