WILMA RUDOLPH books and stories free download online pdf in Hindi

WILMA RUDOLPH

एक असफल आदमी अपनी असफलता के जिंदगी में हजारों बहाने बना सकता है, और हम भी कही बार ऐसा ही करते हैं,
लेकिन आज जो कहानी मैं आपको बताने वाला हूँ वो एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसकी जिंदगी में आम लोगो से कही ज्यादा बाधाएं दी, कही ज्यादा तकलिफ़े दी, लेकिन उसने अपनी सारी बाधाओ को और अपनी सभी तकलिफ़ो हराया, और दुनियां में अपना नाम रोशन किया,
तो मैं जिस लड़की की कहानी आपको बताने वाला हूँ उसका नाम है "WILMA RUDOLPH".
Wilma Rudolph का जन्म 23 जून 1940 में अमेरिकी राज्य टेनिसी के सेंट बेथलहम में हुआ था, विल्मा का जन्म एक अश्वेत परिवार में हुआ था और बहुत ही गरीब परिवार था उसका, उनके पिता माली थे और उनकी माँ लोगो के घरों में काम किया करती थी,
अब जरा सोचिए पहले से ही गरीब परिवार और उपर से अश्वेत परिवार में जन्म, वो भी तब जब अमेरिका में गोरे और काले लोगों के बीच बहुत भेदभाव हुआ करता था, और तिसरी जो सबसे बड़ी मुश्किल यह थी की विल्मा बचपन से ही बहुत बिमार रहा करती थी, क्योकी उसका जन्म सही समय से एक सप्ताह से पहले ही हो गया था जिसकी वजह से वो बहुत कमजोर पैदा हुइ थी,
विल्मा की उम्र 2.5 साल की हुई तब उसको पैरों में पोलियो की असर होना शुरू हो गई थी, और 4 साल की उम्र तक विल्मा को अपने पैर महसूस होना बंद हो गया, विल्मा को पुरी तरह से पोलियो की बीमारी ने झकड़ लिया था, और अब विल्मा चल नहीं सकती थी,
लेकिन विल्मा की माँ ने हिम्मत नहीं हारी, वो विल्मा को प्रेरित करती रही, उसकी माँ ने काम करना बंद कर दिया और विल्मा की ईलाज करना शुरू किया,
ये वो वक्त था जब अमेरिका में गौरे और काले लोगों के बिच एक जंग सा रेहता था, और विल्मा का अश्वेत होने की वजह से गौरे लोगों ने उसकी बिमारी का ईलाज करने से मना कर दिया था, विल्मा के घर से 80 कि.मी दुर एक अस्पताल था जहा अश्वेत लोगों का ईलाज होतो था, हफ्ते में दो बार विल्मा की माँ उसे लेकर 80 कि.मी दुर तक जाती थी, और बाकी के पांच दिन वो खुद घर पर विल्मा का ईलाज करती थी, पर बहुत दिनों तक ईलाज करने के बाद डॉक्टर ने भी हार मानली थी, पर विल्मा की माँ ने हार नहीं मानी और वो उसका इलाज करवाती रही, और धीरे धीरे उनके जज्बे की बदौलत विल्मा के अंदर सुधार आता गया विल्मा अब अपने पैरों में ब्रेस पहनके चलती थी, उनके डॉक्टर ने उसको कहा था कि वो अब बिना ब्रेस के नहीं चल सकेगी,
विल्मा छोटे छोटे बच्चों को देख कर कहती थी की माँ मे भी इसके जैसे दोंड़ना चाहती हुं,
एक बार विल्मा अपने क्लास में उसकी टीचर से ओलिंपिक के रेकोर्ड के बारे में पुछने लगी और सभी बच्चे विल्मा पर हंसने लगे, और टीचर ने उनसे पुछा की तुम क्या करोगी खेलो के रिकॉर्ड जानकर तुम्हें पता है ना की तुम कभी नहीं चल पाओगी,
और उस घटना के बाद विल्मा की आँखें भर आई थी, और वो कुछ भी नहीं बोल पायी थी,
अगले ही दिन खेल के लेक्चर में विल्मा को सब बच्चों से अलग कर दिया गया, उस वक्त विल्मा ने खुद से कहा माँ सही कहती हैं,
"लगन सच्ची और इरादे बुलंद हो
तो कुछ भी कर सकते हैं "
उस दिन विल्मा ने सोच लिया की में भी एक दिन ऑल्पिक मे पार्टीसिपेट करुगी और सिर्फ पार्टिसीपेट ही नहीं मे दुनियां की सबसे तेज रनर बनके दिखाउंगी , वो दिन विल्मा की जिंदगी का टर्निंग प्वॉइंट् था,
अगले ही दिन विल्मा ने पुरी तैयारी के साथ अपने पैरों में लगे ब्रेस को निकाल फे़का, और पूरी ताकत से चलने की कोशिश शुरू कर दी, शुरुआती दिनों में तो बहुत दर्द शेहना पड़ा उसे, बार बार गिरने से विल्मा के घुटने भी छील गए लेकिन वो रुकी नहीं,

"जब आँखों में अरमान लिया
मंजिल को अपना मान लिया
हैं मुश्किल क्या, आसान है क्या
जब ठान लिया सो ठान लिया "

बहोत बार गिरते गिरते उसने ठिक से खड़ा रहना सिखा, और 11 साल की उम्र में विल्मा ने पहली बार अपने ब्रेस उतार के बास्केटबॉल खेलने की कोशिश की, और डॉक्टर उसे देख आश्चर्यचकित रह गए, 😱
डॉक्टर ने विल्मा को दौड़ कर चलने को कहा, और थोड़ा दो़डते ही विल्मा गिर पड़ी, ये देख डॉक्टर ने भाग कर विल्मा को गले लगा लिया और कहा की बेटा तुम जरुर दौड़ सकोगी,
विल्मा के जज्बे ने उसको पैरों तले खड़ा कर दिया और उसकी माँ ने उसका पूरा साथ दिया, विल्मा की स्कूल ने भी विल्मा के जज्बे का साथ दिया, सबसे ज्यादा सपोर्ट विल्मा के कॉच ने दिया,
उसके बाद 1953 में 13 साल की उम्र में पहली बार विल्मा ने स्कूल रेस मे हिस्सा लिया, लेकिन वो सबसे आखिरी स्थान पर रही,
अगर ये बात किसी और के साथ होती तो वो टूट जाते लेकिन विल्मा का आत्मविश्वास बिलकुल कम नहीं हुवा था,
विल्मा प्रैक्टिस में मेहनत बढ़ाती गई और एक के बाद एक रेस वो हारती गई, आखिरकार 8 रेस हारने के बाद 9 वी रेस में उसने जितना शुरू किया, और फिर उसके बाद विल्मा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा,
विल्मा को अपने प्रैक्टिस मेहनत और जज्बे के दम पे 1960 में रॉम - ईटली के ऑल्पिक में उन्हें अपने देश अमेरिका की तरफ से खेलने का मौका दिया गया, ऑल्पिक में विल्मा ने 100 मीटर दौड, 200 मीटर दौड, और 400 मीटर रिले दौड में गोल्ड मैडल जीता, और नया विश्व रेकॉर्ड बनाके ईतिहास रच दिया,
ईस तरह विल्मा अमेरिका की पहली अश्वेत खिलाड़ी बनी जिसने ऑल्पिक में एक ही बार में 3 गोल्ड मैडल जीते, और यह कामयाबी के बाद अमेरिका वापस आके विल्मा का स्वागत एक बहुत बड़ी पार्टी से किया जाने वाला था,
यह पहली एसी पार्टी थी जिसमें पहली बार स्वेत और अश्वेत अमेरिकन लोगो ने भाग लिया था, और उसकी स्पीच में विल्मा ने कहा की 3 गोल्ड मैडल जितने से भी मेरे लिए बड़ी जित यह है कि अमेरिका के लोग एक साथ हो गए हैं,
विल्मा ने अपनी सफलता का श्रेय उसकी माँ , डॉक्टर , और उसके कॉच को दिया,
तो दोस्तों सोचिए जरा की अपंगता का शिकार होने के बाद भी विल्मा ने हार नहीं मानी और अपने आत्मविश्वास मेहनत और लगन के दम पर विल्मा दुनियां की वो महिला बनी जिसने पहली बार ऑल्पिक में एक साथ 3 गोल्ड मैडल जीते थे,
कितनी बड़ी प्रोब्लम को फेस की और कीतने बुरे हालातो से निकल कर विल्मा ने पुरी दुनिया में अपना नाम अमर किया हैं,

क्या अभी भी आपको अपनी बाधाएं प्रोब्लम्स और परेशानीयां बड़ी दिखती हैं, जब भी आपकी लाइफ में मुश्किले आये तब आप ईस कहानी को याद किजिए,

दोस्तों एक बात हंमेशा याद रखिए

" मुश्किल इस दुनिया में कुछ भी नहीं
फिर भी लोग अपने इरादे तोड़ देते हैं
अगर सच्चे दिल से चाहत हो कुछ पाने की
तो सितारे भी अपनी जगह छोड़ देते हैं । "

दोस्तों WILMA RUDOLPH मेरी मनपसंद खिलाड़ी हैं, उसके जिवन से प्रभावित हो कर मैंने यह स्टोरी लिखी हैं ,
हो सकता है WILMA RUDOLPH की कहानी पढ़के आपको भी उसके व्यक्तिगत जीवन से प्रेरणा मिले,
यह कहानी आपको पसंद आई है तो इस प्रेरणात्मक कहानी के लिए और मुझे दुसरी कहानीयाँ लिखने हेतु प्रेरित करने वास्ते आपके मूल्यवान Review - Comments - Rating जरुर किजिए. 🙏
😍यह कहानी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद😍

FIGHT ONLY THOSE BATTLES, WHERE YOU HAVE 1% CHANCE OF WINNING, 😍
- Wr. MESSI 😎