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बहुरूपिया

वर्षों बाद उसे देख रही थी।वह मेरी एक रिश्तेदार का देवर था। मैं उसके सन जैसे सफेद बालों के कारण पहचान ही नही पाई।चेहरे में ज्यादा बदलाव नहीं था।वही बैल जैसी उभरी हुई आँखें ,तोते जैसी नुकीली नाक और पान से लाल मुँह।
मैंने पूछा --कैसे है?
ईश्वर की असीम कृपा है।सच्चा आदमी हूँ।अपना फर्ज निभाता हूँ।धर्म का आचरण करता हूँ सामाजिक हूँ,इसलिए ईश्वर की विशेष कृपा है।
सचमुच आप महान है--मैं मुस्कुराई
उसका चेहरा उतर गया उसे लगा कि मेरी मुस्कुराहट में रहस्य है।
उसने थोड़ी नाराजगी से कहा--मुझें इसकी परवाह नहीं कि नास्तिक लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं ?मैंने हमेशा धर्म निभाया है और सही रास्ते पर चलता रहा हूँ।
'--जी बिल्कुल-' मेरी मुस्कुराहट और गहरी हो गयी ।
वह तिलमिलाकर आगे बढ़ गया।मैं सोचने लगी कि पुरुष को अपने पुरूष होने का कितना दम्भ होता है ।वह अपनी गलती कभी स्वीकार नहीं करता।अपने अपराध को भी जस्टिफाई करता है।इसने तो धर्म और आध्यात्म के मुखौटे में खुद को छिपा रखा है।
त्याग -तपस्या की बात करने वाले इस शख्स ने दहेज के लालच में एक साधारण लड़की से शादी की थी।कुछ दिन उसके साथ रहा और फिर उसे छोड़ दिया।वह लड़की 'मेरे नाथ', 'मेरे परमेश्वर' कहकर इसे पत्र लिखती रही पर इस धार्मिक व्यक्ति का दिल नहीं पिघला।इस काले ,नाटे, बैल जैसे आँखों वाले बदसूरत आदमी को लंबी ,छरहरी ,गोरी लड़की इसलिए नहीं भाई कि उसका चेहरा सुंदर नहीं था।रेलवे में अच्छे पद पर था,इसके अलावा और कोई भी गुण इसमें नहीं था।
फिर इसने एक लड़की को फँसाया ।उसे नशीला प्रसाद खिलाकर सम्बन्ध बनाया और उसे प्रेग्नेंट कर दिया और फिर उसको मजबूर किया कि वह बिना शादी के ही उसके साथ किराए के मकान में रहे।उससे एक बच्ची हुई तो उसे उसकी छाती से छीनकर अपने माँ- बाप के पास रख दिया और पहली पत्नी को वहीं बुला लिया ताकि वह बच्चा पाले और समाज के लोग यह जाने की बच्ची नाजायज नहीं,उसकी है।
इधर लड़की के साथ ऐसे ही रहना चाहा तो लड़की मौका देखकर भाग गई।फिर तो इसने पम्पलेट छपवाकर लड़की के भाइयों और रिश्तेदारों में बांट दिया,ताकि लड़की को कहीं आश्रय न मिले।पम्पलेट के अनुसार लड़की ही बदचलन थी और उसने ही उसे अपने देह दर्शन से फंसाया था।लड़की फिर भी हाथ नहीं आई तो तीसरी बार शादी की और उससे भी एक बेटी पैदा कर आराम से रह रहा है।बच्ची को किसी तरह पाल -पोसकर शादी कर दी है और यही उसकी फ़र्ज अदायगी है।
आजकल फेसबुक से लेकर हर जगह अध्यात्म,आत्मा -परमात्मा पर प्रवचन देता है।
पुरुष है इसलिए इसकी तीसरी शादी भी आराम से हो गयी।जबकि सभी लोग जान गए थे उसकी पहली पत्नी और उस लड़की तथा बच्ची के बारे में भी।न परिवार ने न समाज ने किसी ने भी इसका बहिष्कार नहीं किया।अगर इसकी जगह कोई औरत होती तो क्या ऐसा हो पाता?वह दूसरी लड़की तो काफी समय अज्ञातवास में रही और बाद में भी सब कुछ भूलकर ही कहीं जी रही है।अपनी बच्ची के लिए उसका मन उम्र भर कसकता रहा है पर वह कैसे कह दे कि वह उसकी बच्ची है।सच जानकर यह समाज क्या उसे इज्जत से जीने देगा?बच्ची के मन में पिता ने उसकी माँ के प्रति इतना जहर भरा है कि वह उस नाम की हर स्त्री से नफरत करती है।