aaye hai to aaram kar lijie books and stories free download online pdf in Hindi

आये हैं तो आराम कर लीजिए ।

कुछ जगह कुछ लोग हमारा पीछा करते हैं , जो की हमे जानते हैं, पर कुछ जगह किसी की आवाज़े हमारा पीछा करती हैं ,लोग तो एक वक़्त पर पीछा करना छोड़ देते हैं , पर वो आवाजे हमारा पीछा कभी नहीं छोड़ती मरते दम तक ।


मनीष बहोत घबराया हुआ ,सोने की कोशिश कर रहा हैं ,कोई आवाज़ हवा के सहारे उसके कानो के पास से लगातार होकर गुजर रही है , "मनीष दरवाजा खोलो मुझे आराम करना हैं " ,मनीष की नींद की गोली भी आज काम नहीं आ रही थी।

तभी उसके दरवाजे पर कोई दस्तक देता हैं ,डोर बेल तो हैं पर कोई दरवाजा मानो धीरे - धीरे नॉक कर रहा हो "खट..खट..खट ...खट" ये आवाज धीरे धीरे बहोत तेज़ होती जा रही हैं ।


मनीष अपने गाँव से शहर आया था काम के लिए पर जिस कंपनी में वो काम करता था उसकी सैलरी बहोत कम थी पर काम करने का वक़्त बहोत ज्यादा ।

घर की जिम्मेदारी ने उससे उसकी खुशी और नींद छीन ली थी ,बचपन में हमे माँ की लोरी सुलाती थी पर जवानी में नींद की गोली ।

एक दिन उसको काम करते - करते काफ़ी देर हो चुका था ,और कोई भी CAB वाला उस वक़्त अवेलेबल नही था।

तो वो पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़ा ,तभी उसको एक टैक्सी दिखा मनीष ने उसको बहोत तेज़ आवाज़ लगाई पर उसको सुनाई नही दिया ,वो कुछ दूर और चला तभी वही टैक्सी दुबारा उसके पास आया पर उसके पीछे से ।

उसने ज्यादा इसपे सोचा नहीं और अपने एड्रेस पर उसको छोड़ने के लिए बोल दिया ।

कार काफी पुराना था, मानो बरसो से किसी ने भी उसकी सफाई ना की हो और गाने इतने पुराने बजा रहा था जो की आज के नव - जवानों के समझ से परे हैं ।

उसने झुंजुलाते हुए पूछ ही लिया कार के इस दसा के बारे में ,उधर से उत्तर में बस एक ही जवाब आया ,"सर आप थक चुके हैं , थोड़ा सा आराम कर लीजिए" ।

मनीष अमावस्या की इस काली रात से दोस्ती करे और पैदल निकल पड़े या फिर इस डरावनी कार ,उसके ड्राइवर से दोस्ती करे और उनके साथ चले ।दूसरा विकल्प ज्यादा अच्छा लगा मनीष को ।

बहोत ज्यादा थकने के कारण ना जाने कब मनीष को नींद लग गयी उसे पता ही नहीं चला ।कोई उसे बहोत तेज़ी से झक - झोरता हैं ,मनीष इस वक़्त आफिस में था ।।मनीष कुछ सोच रहा था तभी उसके सामने वही टैक्सी वाला खड़ा था बिल्कुल उसके सामने और उसको देख मुस्कुरा रहा था और एक ही चीज़ बार - बार कह रहा था "सर आप थक चुके हैं , थोड़ा सा आराम कर लीजिए" । मनीष डरा और बहोत तेज़ उसके ऊपर चिल्लाया अब उसकी नींद उसके घर में खुली।

उसको कुछ समझ में नही आ रहा थी की वो नींद में है या फिर सपने में ,उसने नींद की दवा ली अबकी ज्यादा और सोने की कोशिश करने लगा ।

तभी उसके दरवाजे पर कोई दस्तक देता हैं ,डोर बेल तो हैं पर कोई दरवाजा मानो धीरे - धीरे नॉक कर रहा हो "खट...खट..खट..खट" ये आवाज धीरे धीरे बहोत तेज़ होती जा रही हैं ।


समाप्त :
A Story By :- Rohit