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अनैतिक - ०८ प्यार का एहसास

आज मै लगातार ४ गेम हार चूका था, अब मुझे खेलने में बिल्कुल मज़ा नहीं आ रहा था. तो मै फेसबुक देखने लग गया..कशिश ऑनलाइन थी, मैंने सोचा जब भी फेसबुक देखता हूँ ये ऑनलाइन ही दिखती है, क्या ये दिन भर ऑनलाइन रहती है या घर के काम भी करती है..पर आज उसने जो किया उसके बाद उसे देखने का मेरा नजरिया थोडा बदल गया अब मुझमे थोड़ी हिम्मत आ गयी थी बस ये दिमाग में चल ही रहा था की फेसबुक अलर्ट आया, मेसेज था कशिश का ...मुझे जैसे एक साल की सैलरी एक दिन में मिल गयी हो इतनी ख़ुशी हो रही थी,

हाय, क्या हुआ डर गये थे? और एक स्माइली थी हँसने वाली

मैंने भी तुरंत रिप्लाई करना ही ठीक समझा, " हाँ मुझे लगा शायद आपने घर पर बता दिया होगा

बताना तो चाहती थी, पर फिर सोचा चलो एक बार छोड़ देते है, और सॉरी वो कल रिप्लाई नहीं कर पायी, मुझे तभी नींद लग गयी थी..

नहीं कोई बात नहीं, थैंक्स आपने घर पर बताया नहीं

बस इसके बाद उसका कोई मेसेज नहीं आया, मन फिर निराशा की घहरी खायी में जाने लगा की ५ मिनिट बाद फिर मेसेज आया

क्या करते हो आप? कहा रहते हो?

जर्मनी में जॉब करता हूँ...

जर्मनी तो बहोत दूर होगा ना, टीवी पर देखा है मैंने

हाँ दूर तो है..

रीना ने बताया था मुझे आपके बारे मे, बहोत अच्छे दोस्त हो आप दोनों

हाँ,बचपन से बेस्ट फ्रेंड है हम दोनों..

हमारा भी कोई चांस है क्या?

मै २ मिनिट रुक गया, मुझे लगा शायद मजाक कर रही है, वैसे भी लड़कियों को समझना इतना आसन नहीं होता उनके हर बात में कुछ न कुछ मतलब ज़रूर होता है

मैंने सिर्फ "हाँ क्यों नहीं" कहा'

उसका मेसेज आना फिर बंद हो गया, वो अब ऑफलाइन चली गयी थी..मुझे लगा शायद उसे घर के काम होगे...

पर आज उसने इतने खुलकर बाते की जैसे हम बचपन से एक दुसरे को जानते है..मुझे अच्छा लगा, एक नयी दोस्त जो मिल गयी थी पर पता नहीं क्यों कशिश को देख कर, उस से बात कर के मुझे एक अलग ही एहसास होता, इतने सालो से रीना मेरी दोस्त थी पर कभी मुझे उसके लिए फीलिंग्स नहीं आई थी, पर कशिश के साथ एक अलग ही अपनापन आने लगा था, मै जैसे बार बार फ़ोन चेक करके ये देखता की वो ऑनलाइन है या नही और अगर ऑनलाइन है तो उसने मुझे मेसेज क्यों नहीं किया, मै धीरे धीरे जैसे अपने आप पर काबू खोता जा रहा था, और उसके करीब हो रहा था..धीरे धीरे हम दोनों में अच्छे दोस्ती हो गयी, वो जब भी ऑनलाइन आती हमारी बाते हुआ करती थी, मेरी नाईट शिफ्ट थी और उसको भी रात को स्टडी करनी रहती. उसने मुझे बताया की वो अब कॉलेज कर रही है.

अब मुझे घर आकर, यहीं कोई २ महीने होते आ रहे थे, पर इन दो महीनों में हम बहोत करीब आ गए थे, वो हर छोटी छोटी चीजे मुझसे पूछने लगी थी, मुझे भी अच्छा लगने लगा था, शायद उस वक़्त मै ये भूल गया था कि मुझे थोड़े दिनों बाद उस से दूर होना है, पर मै भविष्य कि चिंता में अपना वर्तमान नहीं खराब करना चाहता था, हम रोज बाते करने लगे, कशिश ने मुझे उसका मोबाइल नंबर भी दिया था पर मुझे मोबाइल पर बात करना ठीक नहीं लगता था इसीलिए, वो मुझे पहले ही बता देती कि वो कब ऑनलाइन आएगी और फिर मै तभी फेसबुक पर बैठ जाता, शायद अब मेरा फेसबुक सिर्फ कशिश तक ही सीमित रह गया था.

और फिर एक दिन उसने बताया की, कल रीना फिर आने वाली है, रीना की माँ की तबीयत धीरे धीरे ठीक हो रही थी, उनके घर एक महीने की पूजा रखी थी, जिसका कल आखरी दिन था. कशिश एक महीना रोज घर पर प्रसाद देने आती, और उसकी नज़रें मुझे ढूंढ़ती रहती मै कभी हॉल में रहता तो कभी रूम में, पर माँ पापा के सामने हम ज्यादा बाते नहीं करते थे, सिर्फ फेसबुक पर ही बाते करते वो भी उसको स्टडी में कुछ नहीं समझता तो वो मुझे पूछते रहती या फिर ईधर उधर की बाते, मैंने उसे कहा था कि रोज हमारी बाते डिलीट कर दिया करे ताकि कोई उसे पढ़कर कुछ गलत ना समझे, वैसे हम गलत बाते करते भी नहीं थे पर मैंने बताया ना ये समाज, किसी को नहीं समझता.

और फिर एक दिन रोज की तरह मै अपने काम में था तभी उसका मेसेज आया

"हेल्लो" क्या कर रहे हो"

मै मीटिंग में होने के वजह से उसे रिप्लाइ नहीं कर पाया पर मै कशिश को नाराज़ भी नहीं करना चाहता था इसीलिए मैने कहा,

"मीटिंग में हूँ, थोड़े देर बाद बात करे"?

उसने मेसेज देख लिया था पर उसका कुछ रिप्लाइ नहीं आया, मैंने सोचा एक बार मीटिंग ख़तम होने के बाद उस से बात कर लूंगा. रात के तकरीबन २:३० बज रहे थे, मीटिंग ख़तम हो गई थी और कशिश अब भी ऑनलाइन थी मैंने उसे "हाय" मेसेज भेजा, तुरंत ही उसका रिप्लाइ आ गया, "बाय, कल बात करते है", मुझे ये समझने में देर नहीं लगी कि या तो वो नाराज़ थी या फिर वो मुझे कुछ बताना चाहती थी पर मै बिज़ी था तो बता ना सकी, वो अक्सर मुझसे उसके घर की बाते बताया करती पर उसने कभी रीना के बड़े भाई, उसके पति के बारे मे बात नहीं की! मै जब भी पूछता वो हमेशा बात बदल देती।।