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जल्दबाजी

बारिश की सुबह का मौसम बहुत सुहावना होता है, यूं तो मैं सुबह जल्दी उठ जाता हूं पर मैं उस दिन कुछ ज्यादा देर तक सोता रहा । मोबाइल की घंटी से अचानक नींद खुल गई फोन उठाया उस पर दूसरी तरफ से संदेश आया कि मनीष और उसके पिता रमेश का दर्दनाक हादसा हो गया । रमेश मनीष को बहुत प्यार करतेथे। मनीष रमेश का इकलौता पुत्र था । मनीष देखने में बहुत सुंदर था । उसका गोल चेहरा, मुस्कान ऐसी थी कि देखते ही रह जाओ । मनीष के पिता उस दिन अपने बच्चे को लेकर भोपाल चेकअप के लिए गए थे । डॉक्टर भी उस दिन क्लीनिक पर देरी से आये थे। मनीष को डॉक्टर को दिखाने व जाँच कराने में लगभग 4 बज गये थे। भोपाल से घर तक की दूरी 100 किलोमीटर थीं। घर के रास्ते मे घना जंगल भी पड़ता है जिसमे खूखार जंगली जानवर कभी कभी रास्ते मे मिल जाते है। कभी कभी यहाँ पर लूट की घटनाएं भी हो चुकी है। जिसके कारण सभी छोटे बाहन से सफर करने वाले अंधेरे होने से पहले घर लौटने का प्रयास करते है। रमेश ने भी घर लौटने से पहले घर के लिए कुछ मिठाई व खाने खाने की चीजें ली। दोनों अभी कुछ दिन पहले खरीदी गई मोटर साइकिल से घर की ओर निकले। नानाखेड़ा और भोपाल मार्ग के जंगल की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है । दोनों पिता-पुत्र बातें करते-करते जंगल के पास आते हैं और देखते हैं कि पुल पर बहुत भीड़ लगी है। शाम हो गयी थी। अंधेरे ने अपनी दस्तक दे दी थी। जहां जंगल ज्यादा होता है वहां बारिश भी ज्यादा होती है तथा कब पुल - पुलियों के ऊपर से पानी आ जाये कोई निश्चित भी नही। उस दिन यही हुआ,पहाड़ पर पानी अधिक बरसा जिससे पुल पर पानी आ गया । पानी पुल के ऊपर से जा रहा था। सभी लोग पुल का पानी कम होने का इंतजार कर रहे थे । कुछ बड़े वाहन वाले भी नदी किनारे पानी उतरने का इंतजार कर रहे थे। रमेश अपनी मोटरसाइकिल एक ओर खड़ी कर के पानी की गहराई नापने के लिए पुल पर चल दिए। पुल पर जाकर देखा कि घुटने से ऊपर पानी है। पानी का बहाव भी ज्यादा नही था। रमेश ने अपने मन में गणित लगाया कि बाइक निकल जाएगी । रमेश ने अपनी बाइक पर बेटे को बिठाया और गाड़ी पुल की तरफ उतार रहे थे कि लोगों ने उनको घेरा कि आप कुछ समय प्रतीक्षा करें ,लेकिन रमेश में एक बहुत बुरी आदत थी कि वह अपने आपको बहुत ज्यादा होशियार समझते थे । वह किसी की नहीं सुनते थे ।लाख समझाने के बाद भी उन्होंने गाड़ी पुल पर डाल दी। रमेश को घर जाने की इतनी जल्दी थी की उसने अपने बेटे की बात भी नही मानी । कुछ दूर पर मोटरसाइकिल गई थी कि तेज पानी का बहाव आया और देखते ही देखते दोनों पिता-पुत्र बाइक सहित पानी में बह गए । तेज बहाव में दोनों को बहता देख लोग कुछ नही कर सके। फिर अफरा-तफरी में दोनों को खोजा। बेटा मनीष तो झाड़ी में कुछ ही दूर पर मृत मिला तथा रमेश को सुबह तक खोजा गया पर वह नहीं मिला वह लगभग 4 किलोमीटर पर मृत अवस्था में मिल गए। घर पर बहिन बेसब्री से इंतजार कर रही थी कि पापा आज भोपाल से मेरे लिए मिठाई लाएंगे लेकिन उसका इंतजार इंतजार ही रह गया उसका इकलौता भाई और पिता इतनी दूर चले गए जहां से अब कभी लौटना नामुमकिन था ।आज रमेश की जल्दबाजी की सजा उसके परिवार को जीवन भर भुगतनी पड़ रही थी।
लेखक
कमल महेश्वरी