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न्याय - एक अछूत लडक़ी की कथा(भाग 2)

दुनिया की ऊंच नीच बताई थी।कुंवारी माँ बनने के क्या दुष्परिणाम हो सकते है।बेटी को समझाए थे।माँ के समझाने के बावजूद कमली बोली,"मैं बच्चा नही गिराउंगी।"
"बिना बाप का बच्चा हरामी कहलाता है।"
"ऐसा नही होगा
कमली अनपढ़ नही थी।गांव के सरकारी स्कूल में उसने आठवीं तक शिक्षा पायी थी।घर में टी वी था।जिसे वह देखती थी।उसने अपना इरादा साफ जाहिर कर दिया था।बेटी की बात सुनकर छमिया सोचने लगी।छमिया की रिश्तेदारी कई शहरों में थी।पुरानी पीढ़ी के उसके हम उम्र तो अब भी सफाई का काम ही करते थे।लेकिन आज़ादी के बाद पैदा हुए नई पीढ़ी के पढ़ लिखकर नोकरी भी करने लगे थे।कुछ लोग जो सरकारी सेवा में थे।ऊंचे पदों पर भी पहुँच गए थे।छमिया शादी ब्याह या अन्य अवसरों पर अपनी रिश्तेदारी में जाती रहती थी।
उसका गांव चाहे न बदला हो।आज़ादी के बाद भी चाहे उसके गांव में ज्यादा विकास न हुआ हो।लेकिन देश के दूसरे भागो में आये परिवर्तन को वह अपनी आंखों से देख चुकी थी।सरकार ने अछूत,पिछड़े,दलित और समाज मे उपेक्षित लोगो का जीवन स्तर सुधारने और उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए अनेक कानून बनाने के साथ अनेक सुविधाएं भी दी थी।अब वह समय नही रहा था।जब उच्चवर्ग या दबंगों के जुल्म अत्याचार सहकर अछूत,दलित, पिछड़े, शोषित लोग चुप रह जाते थे।आज़ादी के बाद अछूत,दलित,पिछडो में उच्च वर्ग और दबंगो के अत्याचार,शोषण का विरोध करने की शक्ति जागृत हुई थी।कमली ने साफशब्दो में कह दिया था।न वह बच्चा गिराएगी,न ही चुप रहेगी।उसे चाहे जो करना पड़े।वह या तो राजपाल से अपना हक लेकर रहेगी या उसे सजा दिलाएगी।
कमली की बात सुनकर और उसके तेवर देख कर छमिया काफी देर तक सोच विचार करती रही।फिर मन ही मन मे निर्णय करके ठाकुर की हवेली की तरफ चल पड़ी।ठाकुर दीवान सिंह हवेली के बाहर बगीचे में बैठा था। वह छमिया को देखते ही बोला,"छमिया क्या बात है?आज सुबह सुबह कैसे।क्या काम आ पड़ा।"
"तेरे बेटे की करतूत बताने के लिए आयी हूँ।"छमिया बोली।"
"अच्छा,"ठाकुर छमिया कि बात सुनकर बोला,"राजपाल ने ऐसा क्या कर दिया,जो तुझे इतनी सुबह मेरे पास आना पड़ा।"
"तेरे बेटे की जबरदस्ती से कमली के दिन चढ़ गए है।""
छमिया ने उसकी बेटी के साथ राजपाल ने जो ज्यादती की उसके बारे में बताया था।छमिया की बात सुनने के बाद ठाकुर कुछ देर सोचने के बाद बोला,"छमिया जितने पैसे चाहिए मुझसे ले ले।कमली को शहर ले जाकर उसके पेट की सफाई करवा दे"।
"ठाकुर तू जो कह रहा है।मैं भी वो ही करना चाहती थी,"छमिया बोली,"लेकिन मेरी बेटी बच्चा गिराने के लिए तैयार नही है।"
"कमली नादान है।नासमझ है, लेकिन तू तो समझदार हैं,"ठाकुर बोला,"तेरी बेटी कुंवारी माँ बन गई,तो समाज,बिरादरी, गांव में तेरी कितनी बदनामी होगी।कमली का जीवसं तबाह हो जाएगा।कुंवारी माँ से कौन मर्द शादी करेगा?"
"ठाकुर तू ठीक कह रहा है।मैं भी नही चाहती मेरी बेटी कुंवारी माँ बने।इसीलिए तो मैं तेरे पास आई हूँ।"
"बता मैं तेरी इसमे क्या मदद कर सकता हूँ?"
"ठाकुर तू चाहे तो कमली को कुंवारी माँ नही बनना पड़ेगा।"
"वो कैसे?"ठाकुर बोला,"मुझे क्या करना होगा?"
"अपने बेटे की शादी मेरी बेटी से कर दे।"छमिया ने एक ही श्वांस में अपनी बात कह दी थी।"
क्रमश- - - -