me tum aur wo - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

में तुम और वो ( part-1)



सुनसान् जगंल, रात के दो बजे । बडी अजीब लगती है । छोटी सी छोटी आवाज भी हमे डरा देती है । जब हम चलते हैं तो यैसा लगता है जैसे की हमारे साथ या पिछे कोई
है । बहत खोफनाक होती है वो भाबना । पर अजीब बात ये है की इस जगंल के घने अन्धेरों में भी कोई है ? एक नहीं दो दो लोग हैं । वो भी साथ साथ हैं । बडे खुस नजर आते थे । सायद कुछ बातें हो रही थी उनकी बीच में जिसकी बजाह से वो लोग खुस नजर आ रहे थे । जोर् जोर् से हस रहे थे । उनके हसीं में पुरी जगंल काम्प रहा था । मानो की भुकंम्प आ गया हो । तभी अचानक चुप् हो गये । पता नहीं क्युं ? और वहां से उठके कहीं चले गये । थोडी देर बाद देखा तो वो लोग कहीं गायब हो गये ।

तभी कुछ आवाज सुनाई दी । ध्यान से सुना तो कीसीकी पैर की आवाज थी । वो कुछ ढुडं रही है सायद.........ईधर उधर देख रही थी । फिर दुसरी तरफ भागी । कुछ देर बाद फिर से वहीं पर आयी । और जोर् जोर् से चीकी, चीलायी, फिर रोती रही । समझ में नहीं आ रही थी क्या हुआ है उसे ?

लेडकी ( इसु ) :- सब मेरी गलती थी । सब मेरी नादानी थी । उसकी सजा तुम क्युं पाये । यैसा में क्या करु जो दुबारा तुम्हे पा सकु । है रबा बताउोना मुझे !

तभी पिछे से किसीने हात रखा इसु के उपर । वो चोकं गयी । उसकी आवाज धीमी हो गेयी । फिर अचानक उसकी अन्दर से एक मुसकान भरी आश्वस्थी आई । वो बोली.......

इसु :- मुझे पता थी तुम जरूर आउगे । तुम मुझे छोडके कभी जा ही नहीं सकते हो ।

इसु यैसा बोलने के बाद धीमी आवाज में पिछे से आवाज आयी......

......कोई कीसीको अपनी मरजी से नहीं छोडता है । छोडने केलिए मजबूर किया जाता है । पर ये सच है सबको एक दिन जाना पडता है और तुम्हे भी जानी पडेगी ।

इतनी बाते सुनते ही इसु घबराने लगी और पिछे मुडगयी । रात की अन्धेरा के बजाह से कुछ साफ नजर नहीं आ रही थी । पर इतना तो साफ् है की कोई तो है जो उसको अच्छी तरह से जानता है । इसु डरी डरी सी लग रही थी । फिर भी हीम्मत करके पुछा......

इसु :- कोन हो तुम ?

........ तुम यहाँ इतनी रात में क्या कर रही हो ?

इसु :- तुम्हारे आवाज कहीं सुना है ! हाँ ! मगर में भी पुछ सकती हुं ये सबाल । यहां क्या कर रहे हो तुम ?

वो जोर जोर से हसता है और फिर
बोलता है........
.....हाँ पुछ सकती हो पर जवाब नहीं मिलेगी तुम्हे । यहां सब अपने स्वार्थ के पिछे भागते हैं । जवाब मागोंगे तो फिर से तुम्हे जबाब ही मिलेगा । सब मतलबी हैं । तुम जाउ किसीका इन्तेजार मत करो । जब कराना था तब नहीं किये अब करके क्या फायेदा ? चले जाउ .....

यैसे बोलते ही वो जगंल के तरफ चला गया । इसु थोडी देर चुप रही और फिर उसकी तरफ भागी और बोली......

इसु :- oye hello सुनो तो सही । ये क्या बोलके गये हो ? और तो और तुम इतना सब कुछ कैसे जानते हो ? तुम हो कोन ?

वो नहीं रुकता हैं । जगंल की ओर चला जाता है ।

To be continue.........