me tum aur wo - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

में तुम और वो ( part-2)



part-1 में आप पढें हैं की कोई अजनबी इसु के बारे में इतना सब कुछ कैसे जानता है ये सोच के वो परेसान हो रही है । अब आगे......

इसु भी उसकी पिछे भागती है और बोलती है.....

इसु :- क्या तुम मुझे जानते हो ?

वो रूक जाता है और बोलता है.....

.......नहीं । पर तुम मुझे अपने बारे में कुछ बताउगे ? सायद में तुम्हारी कुछ मदद कर सकु ! आरे हाँ ! तुम अभी रो रहे थे, पर क्युं ? यैसा क्या किया है तुमने ? और ये जगंल में इतनी रात को क्या कर रही हो ? में तुम्हे हर दिन देखता हुं पर कभी पुछा नहीं मगर आज पुछ रहा हुं । कुछ केहना चाहोगे......?

इसु :- कुछ देर सोचती है, सायद कुछ याद कर रही हो । फिर वहीं बेठगयी । रोने लगी.....

.......आरे क्युं रो रही हो ?

इसु :- तुम्हे पता है मैने क्या किया है ?

......क्या किये हो तुम ?

इसु :- मैने खून किया है । वो भी दो दो मासुम दिल की । बहत दर्द हुआ होगाना
उन्हे ? बोलोना......छोडो तुम्हे कैसे पता होगा ? में बता रही हुं सुनो.....

इसु :- में एक लेडका को प्यार करती
थी । वो भी मुझे बेहत प्यार करता था । कभी मुझे मेहसुस् होने नहीं देता था की में अकेली हुं । हमेशा साथ खडा रेहता था । में जीतनी भी झगडा करूं, गाली दुं फिर भी वो मुझे माफ् कर देता था और मुसकुराके बात करता था मेरी साथ l कभी भी मुझे खुद से जुदा नहीं किया वो । में ही पागल थी जो उसपर सक् कर बैठी ।

( सक् एक यैसा जहर है जो हर रिस्ते को जडसे खतम कर देती है । और खुदको एक यैसा इनसान बना देती है जो हम कभी बनना नहीं चाहेगें । पर जब वो नशा उतर जाती है तब समझ आती है हम अपनी हातों से अपना घर कैसे उजाडा हैं । मगर तबतक सब कुछ खतम हो जाती है सीबाये पश्चाताप् की । )


इसु :- में भी कुछ इसी तरहा की । वो मुझे समझाते रहा पर में समझना ही नहीं चाहती थी । फिर भी वो मुझे छोडा नहीं था । पर में जब उसको उस लेडकी के साथ देखती थी खुदको सम्भाल नहीं पाती थी । मुझे नहीं पता थी की वो उससे नहीं मुझे प्यार करता
था । वो लेडकी तो उनके पिछे पडी हुई थी ।

इतना बोलते ही इसु बहत जोर् से रोने लगी । पिछे खडे होके बात सुन रहा था वो खुदको रोक नहीं पाया । बोला....

......अगर वो आज तुम्हारे साथ होता तो क्या तुम्हे रोने देता ?

इसु :- नहीं । वो मुझे हमेशा खुस देखना पसन्द करता था । बहत अच्छा था वो, बुरी तो में हुं ।

......कभी कहा है तुम्हे वो की तुम बुरी हो ?

इसु :- नहीं । में कुछ भी करूं पर उसके लिये में कभी बुरी नहीं थी । पता नहीं लोग इतना अच्छा कैसे हो सकते हैं ? और हम है की......

.......आगे बताउो ।

इसु :- एक दिन में उस दोनों को एक साथ कमेरे में देखी । दोनो एक दुसरे के उपर थे । मुझे बहत बुरी लगी । में वहां से सीधा घर आयी और बहत गुस्से में थी तो.....

....तो तुम अपनी जीन्देगी से उसे निकाल दी । उसको खुदसे दुर जाने केलिए मजबूर कीया ।

इसु :- हाँ यही हुआ था । पर तुम्हे कैसे मालुम.....!
To be continue..........