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फिर कौन था वो? - 1

फिर कौन था वो?

शिल्पा शर्मा

(1)

‘‘याद है न तुम्हें, हमारी शादी को छह महीने हो गए हैं आज,’’ थके-हारे ऑफ़िस से लौटे पति को चाय थमाते हुए मीता ने बड़े उत्साह से कहा.

‘‘हम्म...’’ बड़ा ही फीका सा जवाब आया प्रशांत का.

‘‘हम्म...क्या? कोई उत्साह ही नहीं है तुम्हें,’’ मीता के लहजे में हल्की शिकायत थी.

प्रशांत चाय पीता रहा.

कुछ देर रुक कर उसने कहा,‘‘आज मैंने खाना नहीं बनाया है, बाहर चलें?’’

‘‘अब नहीं बनाया है तो जाना ही पड़ेगा ना,’’ प्रशांत का जवाब बहुत ही रूखा था.

‘‘क्यूं हमारी शादी को छह महीने हो गए इस ख़ुशी में क्या बाहर खाना खाने भी नहीं जा सकते?’’
‘‘मैं कहां मना कर रहा हूं? वैसे भी शादी के इन छह महीनों में हमने घर में कम और बाहर ही तो ज़्यादा खाना खाया है.’’
‘‘ठीक है… तो फिर घर पर ही बना लेती हूं,’’ तुनक पड़ी मीता.
‘‘ओफ़्फ़ हो...मीता! कह तो दिया चलो बाहर ही खा लेंगे.’’
‘‘पर तुम ख़ुशी से तो नहीं कह रहे ना प्रशांत! कहने में ही मजबूरी झलक रही है. इतना कम समय हुआ है हमारी शादी को पर... तुम्हारा लाड़ तो मेरे लिए जैसे ख़त्म ही हो गया है.’’
‘‘ऐसा नहीं है, पर तुम ये भी नहीं समझतीं कि आज अभी मैं ऑफ़िस से लौटा हूं, थका हुआ हूं और कल फिर मुझे ऑफ़िस जाना है. वीकएंड होता तो बाहर जाने का सोच भी सकते थे या फिर शादी की सालगिरह होती तो भी समझ में आता. पर ये तुम्हारा हर महीने शादी की तारीख़ पर बाहर खाना खाने जाने का फ़ितूर मेरे गले नहीं उतरता.’’
‘‘देखो ठीक ही तो कह रही हूं, तुम्हारा प्यार चुक रहा है मेरे लिए,’’ रुआंसी हो आई मीता.
‘‘अब ये बातें छोड़ो. वैसे ही नौ बज रहे हैं. हम ऐसे ही बहस करते रहे तो होटल्स भी बंद हो जाएंगे और भूखे ही सोना पड़ेगा... चलो चलें.’’

एक दूसरे से बहस कर रहे इस कपल में से मीता की उम्र है 27, क़द पांच फीट तीन इंच और रंग गेहुआं है .यूं तो वो खासी समझदार है, लेकिन नवविवाहित पति-पत्नी के बीच ऐसी नोकझोंक आमतौर पर हो ही जाती है, क्योंकि दोनों ही एक-दूसरे को समझने और अपने जैसा बनाने के प्रयास में जो लगे होते हैं.

वहीं गोरी रंगत और इकहरे शरीर वाला प्रशांत उम्र में तो मीता से दो बरस बड़ा है ही , लेकिन क़द में भी पांच इंच लंबा भी है.


तो हुआ यूं कि इस बहस के बाद कार में बैठकर वो दोनों खाना खाने गए तो, पर न तो जाते समय और ना ही आते समय दोनों ने कुछ ख़ास बात की. उनके बीच की बोझिलता को कम करने के लिए प्रशांत ने एफ़एम पर गाने लगा दिए थे.

घर लौटकर प्रशांत तो आराम से सो गए, पर मीता की आंखों में नींद नहीं, बल्कि नमी थी. वो कितने दिनों से महसूस कर रही है प्रशांत में आया ये बदलाव. शादी के शुरुआती कुछ महीनों में तो प्यार का ख़ुमार उनकी हर बात में नज़र आता था, पर जब से ऑफ़िस में नया प्रोजेक्ट आया है प्रशांत थोड़े रूखे होते जा रहे हैं. बात-बात पर झिड़क देते हैं, कई बार उससे कह देते हैं कि तुम हर वक़्त मेरे पीछे-पीछे क्या घूमती रहती हो? पहले तो यही सब उन्हें पसंद आता था, फिर अब क्या हुआ? किससे पूछे वो इस बारे में कि क्या शादी के छह माह बाद ही पति इतने रूखे हो जाते हैं? ऐसी ही न जाने कितनी बातें सोचते हुए उसकी नींद लग गई.

***
‘‘उठ जाइए मैडम!’’ हाथों में चाय की ट्रे और उस पर रखे हुए एक लाल गुलाब के साथ उसे जगाते हुए प्रशांत ने कहा,‘‘क्या आज हमें ऑफ़िस भेजने का कोई इरादा नहीं है?’’
‘‘सॉरी-सॉरी.मेरी नींद ज़रा देर से लगी थी. तुमने क्यों चाय बनाई?मुझे जगा देते.’’
‘‘कल दिल जो दुखाया था आपका, सोचा आज ख़ुश कर देते हैं.’’
‘‘अच्छा तो आपको पता है कि आपने दिल दुखाया था. फिर क्या कोई ख़ास वजह थी दिल दुखाने की?’’
‘‘अरे बाबा, ऑफ़िस से आए थके-हारे पति का इरादा था कि जल्दी से खाना खाए और सो जाए, पर आपने तो हमें बिना बताए कोई और कार्यक्रम बना रखा था. अब झुंझलाहट आ गई...बस.’’
‘‘पर ये तो सच है कि तुम्हारा प्यार मेरे लिए कम हो रहा है.’’
‘‘नहीं मीता. घर-ऑफ़िस के कामों के बीच मैं प्यार को उस तरह व्यक्त नहीं कर पाता, जैसे तुम कर लेती हो. ये सच है कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और हमेशा करता रहूंगा, पर बात-बात पर प्यार जताना और हर माह शादी की महीनागिरह मनाना मुझे बचकाना लगता है. प्यार को आंखों से पढ़ा जा सकता है, दिल से महसूस किया जा सकता है... मैं ऐसा ही प्यार कर सकता हूं. जितनी जल्दी ये समझ लोगी, उतनी ही जल्दी सहज हो जाओगी. समझ लोगी ना?’’ दोनों हाथों से उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुए प्रशांत ने पूछा.
‘‘हां, हां समझ लूंगी बाबा, पर मुंह तो धो लेने दो मुझे,’’ यह कहते हुए मीता ने अपने चेहरे को प्रशांत के हाथों की गिरफ़्त से छुड़ाया और फ़ौरन वॉशबेसिन की ओर भाग खड़ी हुई.
फिर प्रशांत के ऑफ़िस जाने तक समय बड़ा ही रोमैंटिक बीता.

मीता को दुख हो रहा था कि कल प्रशांत के बारे में जाने क्या कुछ सोच गई. पता नहीं वो क्यों नहीं समझ पाती कि हर दिन शादी के शुरुआती दिनों जैसा तो नहीं बीत सकता ना...? तभी तो सब लोग यही कहते हैं,‘‘ शादी के शुरुआती समय का आनंद ही कुछ और है.’’

शायद अभी वह जॉब नहीं कर रही इसलिए उसका ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रशांत की ओर ही लगा रहता है. सच ही तो है दिन में कम से कम चार बार फ़ोन कर लेती है उन्हें, काम के बीच में वे उठाते भी हैं और बात भी करते हैं, पर क्या उसे नहीं समझना चाहिए कि यदि ऑफ़िस में उसे कोई इतनी बार डिस्टर्ब करता तो वो भी झुंझला जाती?

ऑफ़िस की बात सोचते ही मीता को याद आया कि उसने पंद्रह दिन पहले कई कंपनियों के लिए अप्लाइ किया था और सप्ताहभर से तो उसने अपना ईमेल ही चेक नहीं किया है.क्या पता अब तक किसी कंपनी का कोई जवाब आ गया हो.
वो तुरंत ही मेल चेक करने बैठ गई.और सचमुच दो कंपनियों ने उसे इंटरव्यू के लिए बुलाया भी था. उसने तुरंत प्रशांत को फ़ोन मिलाया.

‘‘प्रशांत, पता है परसों जॉब के लिए मेरा इंटरव्यू है.दो कंपनियों ने बुलाया है.अच्छा ये है कि एक इंटरव्यू 10 बजे है और दूसरा चार बजे,’’ मीता की आवाज़ में अलग ही खनक थी.

‘‘हेई...दैट्स अ ग्रेट न्यूज़. मीता सुनो, एचआर की किताबों के कुछ पन्ने पलट लेना इस बीच. वरना पता चला वहां भी हर सवाल के जवाब में मेरा ही नाम दोहराने लगो,’’ शरारती अंदाज़ में प्रशांत ने मीता को चिढ़ाया.

‘‘जी नहीं, मुगाल्ते मत पालिए. ऐसा होने की कोई गुंजाइश नहीं है. कानपुर के अपने ऑफ़िस में बेस्ट एम्प्लॉई का ख़िताब यूं ही नहीं जीता था मैंने.’’

‘‘अच्छा जी! तुम्हारी क़ाबिलियत पर तो कोई शक़ नहीं है मुझे.सच पूछो तो मैं तो दिल से चाहता हूं कि तुम्हारा सलेक्शन यहां हो जाए, ताकि...’’

‘‘ताकि मैं तुम्हारे पीछे-पीछे न घूमूं, तुम्हें हर चार घंटे पर फ़ोन न कर सकूं... है ना?’’ ये मीता के मन का चोर ही तो बोल रहा था.

‘‘नहीं जी, ताकि तुम अपनी क्वालिफ़िकेशन का सही उपयोग कर सको. आत्मविश्वास से भरी रहो...पर हां, इतनी व्यस्त न हो जाना कि मेरे लिए समय ही न बचे तुम्हारे पास.’’

‘‘तुम्हारे लिए समय न हो, ऐसा तो कभी नहीं होगा प्रशांत. चलो अब अपना काम करो, मैं तुम्हारे लंच के समय फ़ोन करूंगी.’’


प्रशांत के जवाब ने एक बार फिर मीता को आश्वस्त कर दिया कि प्रशांत उसे बहुत चाहते हैं. बेकार ही मन भटकता रहता है मेरा, मीता ने सोचा. क्यूं प्यार नहीं करेंगे भला प्रशांत उसे? उनकी पत्नी है, पसंद करके ब्याह के लाए हैं उसे और शादी से पहले ही अपने पहले प्यार का राज़ भी तो उन्होंने मीता के साथ बांटा था. वरना आज भी पुरुष ऐसा करना ज़रूरी समझते हैं क्या?

***

मीता अतीत में पहुंच गई. बहुत अच्छे से याद है मीता को. जब प्रशांत और उसके घरवाले रिश्ते की बात करने मीता के घर आए थे तो प्रशांत ने मीता से अकेले में बात करने की इच्छा ज़ाहिर की थी. फिर घरवालों की रज़ामंदी से वे मीता को बाहर लेकर गए थे. उन दोनों ने पहले तो होटल में कॉफ़ी के साथ ब्राउनीज़ खाए और फिर होटल के गार्डन में साथ-साथ घूमने लगे. हल्की-फुल्की इधर उधर की बातचीत के बाद प्रशांत सीधे मुद्दे पर आ गए थे.
‘‘मीता मुझे और मेरे परिवार वालों को तुम पसंद हो, पर क्या तुम्हें यह रिश्ता पसंद है?’’
मीता ने अपना सिर हिला कर हामी भरी.
‘‘पर मैं तुम्हें अपने बारे में एक सच बताना चाहता हूं, जिसका अंदाज़ा तो मेरे परिवार वालों को है, पर वे इसकी सच्चाई पूरी तरह नहीं जानते.’’
मीता चुपचाप वह सच सुनने तैयार हो गई.
‘‘एमसीए के आख़िरी साल में मैं और मेरी एक क्लासमेट कुछ ज़्यादा ही क़रीब आ गए थे. हम एक-दूसरे को पसंद करने लगे और शादी भी करना चाहते थे, चूंकि वे मेरे घर आती रहती थी इसलिए मेरे घरवालों को भी इस बात का अंदाज़ा था कि मैं उसे पसंद करता हूं. पर उन्होंने इस बारे में मुझसे कभी खुलकर नहीं पूछा.’’

थोड़ा रुक कर उन्होंने बताया था,‘‘पहली नौकरी पाने के बाद जब मैं उसके माता-पिता से मिला तो उन्होंने मुझे साफ़ कह दिया कि मैं उन्हें उनके दामाद के रूप में स्वीकार नहीं हूं, क्योंकि वे अपनी बेटी की शादी अपनी ही जाति के लड़के से करना चाहते हैं. नुपूर उनकी ज़िद के आगे झुक गई और माता-पिता की पसंद के लड़के से शादी करके यूएस चली गई. उससे मेरा रिश्ता ख़त्म हो चुका है और उसके बारे में तुम्हें बताने का सिर्फ़ एक ही मक़सद है कि मैं अपना विवाहित जीवन सच्चाई की नींव से शुरू करना चाहता हूं.यदि मेरा सच जानने के बाद तुम इस रिश्ते से इंकार करोगी तब भी मुझे बुरा नहीं लगेगा और मैं तुम्हारे फ़ैसले की पूरी क़द्र करूंगा.’’
कुछ देर तक दोनों के बीच सन्नाटा छाया रहा.
‘‘तो क्या फ़ैसला है तुम्हारा?’’
‘‘बीती बातें तो बीत गईं. अब जब आप जीवन की नई शुरुआत कर रहे हैं तो मैं आपके साथ खड़ी हूं.’’
उसका जवाब सुनकर कितना आश्वस्त दिख रहा था प्रशांत का चेहरा... मीता प्रशांत की वो छवि तो कभी भूल ही नहीं सकती.
फिर शादी के बाद मीता के पूछने पर प्रशांत ने उसे अपनी उस सहपाठी नुपूर की फ़ोटो भी दिखाई थी. मीता को ये देखकर थोड़ी तसल्ली भी तो हुई थी कि नुपूर दिखने में उससे उन्नीस ही है.
अरे कहां-कहां के ख़्यालों में खो जाती हूं मैं, ख़ुद को झिड़कते हुए मीता स्टडी रूम की ओर जाने लगी. प्रशांत की बात सही है, दस महीने हो गए उसे जॉब छोड़े.अब इंटरव्यू के लिए उसे किताबों के पन्ने पलट ही लेने चाहिए.

***

शाम को जब प्रशांत घर लौटे तो मीता ने पूछा,‘‘सुनो, जिस जगह मेरा इंटरव्यू है वो तुम्हारे ऑफ़िस से भी तो पास ही है. मेरा इंटरव्यू ख़त्म होने के बाद मैं थोड़ी शॉपिंग करूंगी और फिर हम साथ ही लंच करें तो?’’
‘‘हां, क्यों नहीं? पर फ़िलहाल तो एक कप चाय पिला दो यार.’’
चाय पीते-पीते प्रशांत और मीता बातें करते रहे. फिर अगला दिन भी इंटरव्यू के लिए फ़ाइलें सहेजने में और थोड़ी तैयारी में बीत गया. देर शाम प्रशांत घर लौटे और चाय पीने के बाद स्टडी रूम में अपने लैपटॉप कर कुछ काम करने लगे.
‘‘इंटरव्यू के लिए कौन-सी ड्रेस पहनूं प्रशांत?’’ अपने हाथ में एक काली और एक हल्के हरे रंग की ड्रेस लिए मीता स्टडी रूम में आ पहुंची.
एक हल्की-सी नज़र ड्रेसेस पर डालते हुए प्रशांत ने कहा,‘‘हरी ड्रेस ठीक रहेगी.’’
‘‘पर मैं तो काली वाली पहनने का सोच रही थी.’’
‘‘तो काली पहन लो, फिर मुझसे पूछ ही क्यों रही हो?’’ एकदम सपाट जवाब आया प्रशांत का.
‘‘अरे पूछ लिया तो क्या हो गया?’’ मीता के स्वर में भी तल्ख़ी आ गई.
‘‘मीता कल यूएसए से एक टीम आ रही है और मैं उसके लिए एक प्रेज़ेंटेशन तैयार कर रहा हूं. तुम ये छोटे-छोटे डिसिशन ख़ुद ही ले लो.और हां, तुम खाना खाकर सो जाओ. मेरा खाना टेबल पर रख देना मैं गर्म कर के खा लूंगा.गुड नाइट,’’ बिना उसकी ओर देखे एक ही सांस में प्रशांत ने सबकुछ कह दिया.
माना इंपॉर्टेंट प्रेज़ेंटेशन है, पर यूं टरका दिया प्रशांत ने जैसे मैं उनके लिए कोई महत्व ही नहीं रखती. ऑफ़िस का काम ऑफ़िस में ही निपटाना नहीं चाहिए क्या? उसके बाद का समय तो बीवी के लिए होना चाहिए. मन ही मन भुनभुनाती हुए मीता खाना खाकर सोने चली गई.

क्रमश..