Phir Koun tha wo - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

फिर कौन था वो? - 3

फिर कौन था वो?

शिल्पा शर्मा

(3)

चाय के कप के साथ मीता ने मोबाइल प्रशांत की ओर बढ़ाया और अपनी प्रश्नवाचक नज़रें उसपर गड़ा दीं? ग़ुस्से से तमतमाया मीता का चेहरा और मोबाइल में प्रशांत-नुपूर की फ़ोटो देखकर एक पल को तो प्रशांत सकपका गए. फिर उन्होंने चाय का कप उठाया और मोबाइल मीता को वापस थमाते हुए बोले,‘‘तो ये है तुम्हारी नाराज़गी का कारण? पर जब तुम लंच के लिए उसी रेस्तरां में आई थीं तो सीधे मेरी ओर क्यों नहीं आईं?’’
‘‘मैं बेकार का तमाशा खड़ा नहीं करना चाहती थी.’’
‘‘ये कहो कि तुम्हारा मुझपर से भरोसा डिग गया था. दरअस्ल, मुझे भी पता नहीं था कि आज ऐसा हो जाएगा. यूएसए से जो हमारी टीम आनेवाली थी, उसमें चार लोग थे और उनमें से एक नुपूर भी थी. न तो मुझे इस बात की जानकारी थी और ना ही नुपूर को. प्रेज़ेंटेशन के बाद हम सबको लंच पर साथ ही जाना था, पर कोई काम निकल आने की वजह से टीम हेड ने हमारे सीईओ के साथ ऑफ़िस में ही लंच किया और दूसरे दो मेम्बर्स ने कहा कि वे भारत आए हैं तो यहां से शॉपिंग करने में ज़्यादा रुचि लेंगे. वो मार्केट निकल गए.नितिन प्रोजेक्ट के दूसरे डॉक्युमेंट्स तैयार कर रहा था और मुझपर नुपूर को लंच कराने का काम आ गया. फिर मेरे और उसके बारे में तो मैं तुम्हें बता ही चुका हूं. एक्स गर्लफ्रेंड है मेरी तो यह जानने में मेरी थोड़ी दिलचस्पी भी थी कि अब वो कैसी है, कैसा है उसका परिवार? इसलिए जाने से मना भी नहीं किया. फिर इसी बात को लेकर मुझे मन में गिल्ट भी हुआ कि कितने दिन हो गए तुम्हारे साथ ढंग से वक़्त ही नहीं बिताया और नुपूर को लंच कराने की अपॉर्चुनिटी मिली तो वो फट से लपक ली मैंने. यही वजह थी कि लंच के बाद नुपूर को ऑफ़िस छोड़ा और बॉस से परमिशन लेकर जल्दी घर चला आया, ताकि तुम्हारे साथ रहकर अपनी गिल्ट थोड़ी तो दूर कर लूं.’’


‘‘कहानी तो नहीं बना रहे हो ना?’’ हालांकि मीता को भरोसा तो हो रहा था प्रशांत की बात पर. पर हल्का हल्का शक़ गया नहीं था.
‘‘वैसे तो तुम्हें मेरी बात पर भरोसा होना चाहिए, लेकिन यदि नहीं है तो नितिन से बात करा दूं?’’
‘‘नहीं-नहीं.’’
‘‘तो तुम्हारा शुबहा दूर हुआ या अब भी नाराज़ ही रहोगी? बाहर चलें ना रात को?’’ मीता को अपनी ओर खींचते हुए प्रशांत ने पूछा.
मीता ने सिर हिलाकर मौन हामी दी और प्रशांत के क़रीब चली आई.


दोबारा डोरबेल बजी. मीता ने दरवाज़ा खोला तो देखा सामने उसकी पड़ोसन सिमरन है.
‘‘यार थोड़ी चीनी मिलेगी क्या? मैं अमन से नज़र बचाकर आई हूं. कल सोचा था मंगा लूंगी, पर भूल गई.’’ एक ख़ाली कटोरी उसकी ओर बढ़ाते हुए सिमरन ने कहा.

सिमरन गोरी-सी और भरे हुए शरीर वाली युवती है. उसके बात करने के लहजे से ही समझ में आता है कि वो पंजाबी है. वह अक्सर कुछ न कुछ मांगने मीता के पास आती रहती थी और मीता अपना पड़ोसी धर्म निभाती रहती थी. इस तरह दोनों की दोस्ती गहरी हो गई थी.

मीता कटोरी लेकर चीनी लाने किचन में गई और लौटते हुए उसकी आंखें प्रशांत से जा टकराईं. वो मीता की ओर देखकर यूं मुस्कुराए, जैसे कह रहे हों,‘देखो फिर आ गई न सिमरन हमेशा की तरह.’ मीता भी हौले से मुस्कुरा दी और सिमरन को चीनी की कटोरी थमा दी.
‘‘ओह, हां 15 दिन बाद करवाचौथ है, याद तो है ना? तुम्हारी तो पहली होगी. तुम मेरे साथ ही पूजा कर लेना.’’ सिमरन ने चहकते हुए कहा.
‘‘हां, मुझे तो पूजा कैसे होती है ये भी नहीं पता और मम्मी जी भी नहीं आ सकेंगी, क्योंकि पापा की तबियत कुछ ठीक नहीं है. तुम्हें ही सब बताना होगा सिमरन.’’
‘‘हां, हां.चिंता मत करो. मैं सब बता दूंगी, पर अभी चलूं चाय बनानी है.’’
और सिमरन चली गई.

***
दूसरे दिन ऑफ़िस से लौटे तो प्रशांत थके हुए नज़र आ रहे थे.
‘‘अरे प्रेज़ेंटेशन तो कल था, पर तुम तो आज ज़्यादा थके नज़र आ रहे हो.’’ मीता उन्हें देखते ही बोली.
‘‘हां, क्योंकि परेशानी तो आज आई है.’’
‘‘क्या परेशानी?’’
‘‘मुझे दो दिन बाद यूएसए के लिए रवाना होना है.दो हफ़्तों के लिए जाना होगा.’’
‘‘क्यों?यूं अचानक? नुपूर के साथ?’’ ज़ाहिर है मीता का शक़ अब भी बरक़रार था.
‘‘कम ऑन मीता. नुपूर के साथ क्यों? वो तो यहीं है. महीने भर की छुट्टी ले रखी है उसने. तब तक तो मैं वहां से लौट भी आऊंगा. तुम्हारे मन से शक़ गया नहीं क्या? मेरा यक़ीन मानो, उससे मिलना इत्तफ़ाक था और इससे ज़्यादा कुछ नहीं.’’
‘‘तो फिर यूं अचानक क्यों जाना पड़ेगा?’’ मीता की आवाज़ में रोष और निराशा एक साथ झलक रहे थे.
‘‘जाना तो नितिन को था, लेकिन कल उसकी मां की तबियत अचानक ख़राब हो गई.हार्ट अटैक आया है.अब वो तो जा नहीं सकता इसलिए लास्ट मोमेंट पर मुझे भेजा जा रहा है.’’
‘‘पर मेरी तो पहली करवाचौथ होगी, क्या तुम नहीं रहोगे उस दिन? मां भी नहीं आ पा रही हैं...तो क्या मैं अकेली रहूंगी?’’ अब तो लगभग रुआंसी हो आई थी मीता की आवाज़.
‘‘क्या कर सकता हूं? कहो? अब नौकरी तो करनी ही है, कोई अपने मन से थोड़े ही जा रहा हूं.’’
‘‘पर चाहे जो हो प्रशांत...करवाचौथ तक लौट आना. मैं अकेले नहीं मनाना चाहती ये दिन.’’
‘‘मैं कोशिश करूंगा मीता, पर कुछ चीज़ों पर अपना बस नहीं चलता.’’
फिर बचे हुए एक दिन में मीता और प्रशांत ने जल्दी-जल्दी प्रशांत का सामान पैक किया.
मीता एयरपोर्ट तक प्रशांत को छोड़ने गई. वहां भी उसने प्रशांत से कहा,‘‘प्रशांत...प्लीज़ कोशिश करना कि करवाचौथ तक आ जाओ. मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगी. टेक केयर.’’
...और प्रशांत चला गया.

***
घर लौटी तो जैसे घर मीता को खाने दौड़ रहा था.बालकनी में खड़े होकर मीता यही सोच रही थी कि जब प्रशांत पास होते हैं तो मैं कुछ न कुछ शिकायत करती रहती हूं, शक़ करती रहती हूं.लेकिन जब वे नहीं होते तो कितना प्यार आता है उनपर.अब वो लौटेंगे तो पक्का शिकायत करना छोड़ दूंगी.

लेकिन जो नुपूर वाला एपिसोड हुआ, उसमें तो उसकी जगह कोई भी महिला होती तो वैसे ही रिऐक्ट करती जैसा कि उसने किया. बिना बताए यदि पति अपनी पुरानी प्रमिका से मिलेगा तो शक़ तो होगा ही. अब भी… क्या पता… क्या पता… नुपूर साथ तो नहीं गई होगी? भले ही प्रशांत ने कह दिया कि उनका और नुपूर का मिलना इत्तफ़ाक था, पर क्या उसे आंखें बंद कर के इस बात पे भरोसा कर लेना चाहिए? पता नहीं… पर जो भी हो, सच तो ये है कि उसके मन में प्रशांत और नुपूर को लेकर शक़ का एक बाल अब भी मौजूद है.

अभी शायद वो कुछ और भी सोचती, लेकिन मोबाइल की रिंग सुनकर मीता की तंद्रा टूटी. उसी कंपनी से कॉल था, जहां वो कुछ दिन पहले इंटरव्यू देने गई थी. उसका सलेक्शन हो गया था और उसे दो दिन बाद ही जॉइन करना था. मीता बहुत ख़ुश थी. मन हुआ कि तुरंत प्रशांत को ये ख़बर दे, पर उनतक अभी तो ये मैसेज पहुंच ही नहीं सकता.फिर भी मीता ने प्रशांत को वॉट्सऐप मैसेज लिखकर इस बात की सूचना भेज दी. फिर जल्दी से सिमरन के घर गई और उसे भी यह बात बताई.


‘‘अरे वाह! तेरे प्रशांत की क्या प्रतिक्रिया है इस पर?’’ सिमरन ने चहकते हुए पूछा.
‘‘उन्हें तो अभी पता ही नहीं है. उन्हें सुबह ही तो एयरपोर्ट छोड़कर आई हूं. दो सप्ताह के लिए यूएसए गए हैं वो आज ही.’’
‘‘अरे हमें बिना बताए?’’
‘‘परसों रात को ही तो पता चला और आज ये चले भी गए.’’
‘‘करवाचौथ तक तो आ जाएंगे ना?’’
‘‘कह तो रहे थे कि मुश्क़िल है, पर मैंने तो बहुत बार कहा है उनसे कि कोशिश ज़रूर करना.’’
‘‘तुम लोगों की पहली करवाचौथ है तो देखना वो ज़रूर आ जाएंगे.’’
‘‘क़ाश ऐसा ही हो.मैं उनके बिना पहली करवाचौथ नहीं मनाना चाहती सिमरन.’’
फिर सब्ज़ियों के दाम से लेकर घर के काम तक उन्होंने ढेर सारी बातें की और मीता घर लौट आई.सिमरन से बात कर के वो कुछ बेहतर महसूस कर रही थी.दो दिन बाद ऑफ़िस जॉइन करना था.वो थोड़ी आश्वस्त थी, कि कम से कम ऑफ़िस जॉइन करने बाद ये समय आसानी से निकल जाएगा वरना प्रशांत के बिना रहना अब उसे बहुत मुश्क़िल लग रहा था.

अगले दिन जब प्रशांत का फ़ोन आया तो उसने अपने सलेक्शन की बात दोहराई, बताया कि वो कितनी ख़ुश है. सारी बातें करने के बाद मीता ने दोहराया,‘‘ प्रशांत, चाहे जो हो तुम करवाचौथ तक लौट ही आना प्लीज़.’’

‘‘मैं भी पूरी कोशिश में हूं मीता कि तब तक लौट आऊं.’’

***

ऑफ़िस जॉइन करने के बाद से मीता के दिन वाक़ई जल्दी गुज़रने लगे और हर शाम प्रशांत से वीडियो चैट हो ही जाती थी. धीरे-धीरे उसके मन से इस बात का शुबहा हट गया कि प्रशांत नुपूर के साथ गए होंगे.

करवाचौथ से दो दिन पहले उसने प्रशांत से पूछा,‘‘प्रशांत, आ जाओगे ना?’’
‘‘कोशिश तो कर रहा हूं. टिकट भी करवाई है, पर काम ख़त्म होता नहीं दिख रहा.’’
‘‘मेरी बहुत इच्छा है कि तुम रहो उस दिन.’’
‘‘आई नो मीता, लेकिन यदि प्यार से इस तरह बार-बार बुलाती रहीं तो फिर तो मुझे उड़कर ही आना पड़ेगा,’’ प्रशांत ने जिस स्मित मुस्कान के साथ ये बात कही, मीता मन ही मन उसे महसूस कर रही थी. फिर वो आगे बोले,‘‘अच्छा, अब मज़ाक नहीं. ध्यान से सुनो, यदि मैं न पहुंच सकूं तो तुम पूजा कर लेना. फिर मुझसे वेबकैम से बात कर लेना और खाना खा लेना.’’
‘‘ये क्या बात हुई? आ जाओ ना.’’
‘‘मैं भी तो आना चाहता हूं जान! लेट्स होप फ़ॉर द बेस्ट.’’

प्रशांत से बात करने के बाद मीता के दिमाग़ में फिर नुपूर का ख़याल आया. न जाने क्यों प्रशांत के रोज़ाना बात करने के बाद भी उसे लग रहा था कि कहीं नुपूर प्रशांत के साथ ही तो नहीं है. अचानक उसने कुछ सोचा और फ़ेसबुक खोल लिया. ‘नुपूर यूएसए’ टाइप किया. उसे नुपूर को ढूंढ़ने में ज़्यादा समय नहीं लगा. उसे ये देखकर दिली तसल्ली हुई कि नुपूर ने आज सुबह ही ‘गोइंग बैक टू यूएस, विल मिस यू ऑल. टेक केयर.’ कैप्शन के साथ अपनी आठ-दस फ़ोटोज़ डाली थीं. अब कहीं जा कर उसे पूरा भरोसा हुआ कि प्रशांत सही कह रहे थे. साथ ही, मीता को इस बात से ख़ुद पर ही थोड़ी खीज भी आई कि उसने प्रशांत पर भरोसा नहीं किया और वो उनकी एक्स गर्लफ्रेंड को स्टाक कर रही थी. फिर उसने यह सोच कर इस ख़याल को झटक दिया कि उसकी जगह कोई भी और पत्नी होती तो वो भी यही करती.
***
अगले दिन मीता ने प्रशांत को फ़ोन मिलाया, पर मिला नहीं तो वो समझ गई कि प्रशांत यहां आने के लिए कहीं रास्ते में होंगे. वॉट्सऐप चेक किया, पर प्रशांत का कोई मैसेज नहीं था. उसे लग रहा था कि प्रशांत अचानक आ कर उसे सरप्राइज़ देंगे. अगले दिन करवाचौथ थी. उस दिन मीता बहुत अच्छे से तैयार होकर ऑफ़िस गई. शाम को घर आकर भी वो बहुत अच्छे से तैयार हुई. प्रशांत को फिर फ़ोन मिलाया, पर आउट ऑफ़ कवरेज एरिया का मैसेज सुनाई दिया. मीता थोड़ा परेशान हो गई.

सिमरन ने पहले ही कह दिया था कि वो आठ बजे तक तैयार होकर मीता के पास आ जाएगी. फिर दोनों मिलकर पूजा कर लेंगे. अभी वो पूजा का सामान लगा ही रही थी कि डोरबेल बजी. दरवाज़ा खोला तो सामने प्रशांत को देखकर वो उनसे लिपट ही गई.

‘‘मुझे पता था कि तुम ज़रूर आ जाओगे प्रशांत.’’
‘‘अरे, अरे इतना उतावलापन? दरवाज़ा तो बंद कर लो जान.’’
‘‘मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.’’
‘‘पर दूसरों को तो पड़ सकता है न.’’
‘‘म्म्म्म्म... मुझे किसी की परवाह नहीं,’’ वो प्रशांत से लिपटे लिपटे ही बोली. फिर जैसे उसे कुछ याद आया,‘‘अच्छा चलो, जल्दी से फ्रेश हो लो. तब तक मैं पूजा का समान लगाती हूं. फिर पूजा कर के चांद देखकर साथ ही खाना खाएंगे,’’ प्रशांत के हाथ से उनका सामान लेते हुए मीता ने कहा.
प्रशांत अंदर गए और शूज़ उतारने लगे. इतने में दोबारा डोरबेल बजी.
‘‘सिमरन होगी.प्रशांत, तुम जल्दी नहा लो.’’
मीता ने दरवाज़ा खोला. सिमरन ही थी.
‘‘पता है, प्रशांत आ गए हैं,’’ मीता ने चहकते हुए कहा.
‘‘वो तो तुम्हारे चेहरे की चमक देखकर ही पता चल रहा है. चलो, पूजा कर लें. मैंने अमन से कह दिया है कि जाओ छत पर और चांद आए तो बता देना. थाली वगैरह सजा ली तुमने?’’ यह पूछते पूछते सिमरन को जैसे ही अपने कपड़े लेकर बाथरूम की ओर जाते हुए प्रशांत नज़र आए, उसने हाथ उठाकर उनको अभिवादन किया. प्रशांत ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया.
तभी फ़ोन की घंटी बजी. मीता ने दौड़कर फ़ोन उठाया.
‘‘क्या बात कर रहे हो? फ़्लाइट डिले हो गई...कल आओगे? ...पर तुम...तुम तो यहीं हो! प्रशांत...प्रशांत... तुम... तुम... तुम… तो यहीं हो… अच्छा… अच्छा… मुझे दो मिनट बाद फ़ोन करो,’’ मीता हड़बड़ाई हुई थी.
‘‘क्या हुआ?’’ मीता को घबराते देखकर सिमरन ने पूछा.
‘‘प्रशांत का फ़ोन है. कह रहे हैं उनकी फ़्लाइट यूं तो आज रात आठ बजे पहुंचनेवाली थी, पर डिले हो गई है और वो कल सुबह आठ बजे तक आ पाएंगे,’’ कांपते हुए मीता एक सांस में कह गई.
‘‘तो वो कौन है?’’ सिमरन चीखी.
मीता और सिमरन दोनों बाथरूम की ओर दौड़े... बाथरूम की लाइट जल रही थी, नल चल रहा था. उन दोनों ने पूरा घर छान लिया पर वहां कोई नहीं था!!!

क्रमश..