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फुलस्टॉप-ब्रेकअप डे

उसने कहा-तुम्हे याद है हम पहले कितनी बाते करते थे,कितना टाइम एकसाथ गुजारते थे,कितना खुश रहते थे?

मैं- हाँ याद है।
वो-तो अब क्यों नही हम ऐसे रह सकते ?

मैं-सब दिन एक जैसे नही रहते,परिस्थिति बदलती है तो हमे भी बदलना पड़ता है।
वो- तुम और तुम्हारी परिस्थियां!
हमेशा तुम ऐसा ही करते हो मेरे साथ।मैं लड़की होकर भी इतना एफर्ट करती हूं और तुम जरा भी सीरियस नही हो हमारे रिश्ते को लेकर....
मैं-हम्म्म्म......
वो- क्या तुम्हारा मन भर गया है मुझसे ?
मैं-क्या फालतू की बकवास करती हो।

वो-और क्या समझूँ मैं इसको? बात तुम नही करते,मिलते तुम नही।अब तो msg का भी जवाब देना बंद कर दिया।
मैं-ऐसा कुछ नही है,चलो चलते है.....

वो-चुपचाप बैठो यहीं।मुझे आज सबकुछ क्लियर करना है।
मैं-(झुंझलाते हुए)चलो करते है क्लीयर,बताओ क्या क्लियर करना है तुम्हे ?
वो-(मेरे कांधे पर सिर रखते हुए)याद है तुम्हे जब तुमने मुझे प्रपोज किया था तो मैंने क्या जवाब दिया था ?
मैं- क्या ?
वो-ओह, तो तुम्हे वो भी याद नही है।इसका मतलब अब जल्दी ही मुझे भी भुला दोगे।
मै-(परेशान होते हुए)क्या बाते कर रही हो तुम!
वो-चलो छोड़ो,तुम ये बताओ कि तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है ?क्यों भाग रहे हो मुझसे?
मैं-मैं तुम्हारे लायक नही हूँ,तुम मुझसे अच्छा कुछ डिसर्व करती हो।
वो-(गुस्से में) वाह!बड़ी चिंता हुई मेरी,पहले तो कहते थे कि मुझसे ज्यादा खुश तुम्हे कोई नही रख सकता।अब क्या हो गया? सारे दावे झूठे थे क्या?
मैं-(बस उससे नजर चुरा रहा था)
वो-मेरा अच्छा बुरा मुझे समझ आता है,तुम बस मेरे साथ रहो सबकुछ ठीक ही होगा।

{जेब से सिगरेट निकाली}
मैं-(सिगरेट सुलगाते हुए)तुम्हे नही लगता कि मैं बुरा आदमी हूँ?
वो-जो सिगरेट पीता है, लड़ाई-झगड़ा करता है वो बुरा तो होता ही है।
लेकिन अब बुरा आदमी ही पसंद है तो क्या करूँ?

मैं-तो अपने मन मे ये बात फिट करलो की मैं बहुत ज्यादा बुरा हूँ और बस भूल जाओ मुझे।
वो-तुम्हे पता है क्या बोल रहे हो ?
मैं-सोचकर बोल रहा हूँ।
वो-कारण बताओ?
मैं-कुछ नही।
वो-(चिल्लाते हुए)पागल समझते हो मुझे?क्यों कर रहे हो ये सब?
मैं- मैं परेशान हो गया हूँ तुमसे और तुम्हारी झिक झिक से।हर टाइम तुमसे बात करो,ये करो वो ना करो।मैं नही सह सकता अब तुम्हे।
वो-(रोते हुए)तुम्हे ये झिकझिक दिखती है? मेरा प्यार नही दिखता इसमे?
मैं-मुझे नही चाहिये प्यार व्यार।

वो-(खुद को संभालते हुए)देखो मैं अबसे तुम्हारी किसी बात पे रोकटोक नही करूंगी।तुम दिन में एक मिनट भी बात करोगे तो उसी में खुश रह लुंगी।लेकिन तुम जाओ मत......
मैं-मैं फैसला कर चुका हूँ, अब हम साथ नही रह सकते।
वो-तुम कौन होते हो फैसला करने वाले?
अपनी मर्जी से जिंदगी में आओगे,अपनी मर्जी से चले जाओगे।तुम ऐसा नही कर सकते।
मैं-मैं ऐसा कर रहा हूं।

वो-लेकिन क्यों कर रहे हो?
कोई और आगई जिंदगी में?

मैं-नही,और कभी आयेगी भी नही।
वो-तो कोई प्रॉब्लम है?
मैं-नही।
वो-तो क्या मुझसे मन भर गया ?
मैं-हाँ,शायद।
वो-(खामोश)
मैं-ठीक है मैं जा रहा हूँ,तुम भी घर चली जाना।


वो-तुम्हे पता है जब तुम आते थे या तुम्हारी कॉल आती थी तो मुझे लगता था जैसे भगवान मेरे पास आया है,ये दर्जा है मेरे जीवन मे तुम्हारा।
वो मीठी मीठी बातों वाला,हंसी ठिठोली करने वाला शख्स फरेब था क्या ?
वो-मैं नही जाऊंगी कही...........
और तुम सुनो ना-हम थोड़ा ब्रेक ले लेते है,सब ठीक हो जायेगा।

मैं-नही,ये कोई मूवी नही है जहां ब्रेक हो जाये,ये जिंदगी है यहाँ बस फुलस्टॉप होता है।

वो-मैं मर जाऊंगी!
मैं-बाय, जा रहा हूँ।
वो-तुम्हे कोई फर्क नही पड़ता ?
मैं-घर चली जाना।

{और मैं चला गया}

किसलिए?
कोई कारण नही था,बस बोर हो गया था अब उसका साथ अच्छा नही लगता था।
जबकि प्रपोज किया था तो उसने बोला था-अगर पूरी उम्र साथ रहने का वादा कर सकते हो तो ही मैं तुम्हारा प्रपोज एक्सेप्ट कर सकती हूँ।

और मैंने वादा किया था............

बाद में कई बार ये भी सोचते है कि काश ब्रेक ही अच्छा होता,फुलस्टॉप ने तो वापसी की राह भी बंद करदी।