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आदी - पादी - दादी



यह दुनिया की सबसे अनोखी पिकनिक थी. जो जल्दी ही किसी वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में जगह बनाने वाली थी-मगर किसी दूसरी वजह से.

स्कूल के लिए यह एक प्रोजेक्ट था. अपनी तरह का पहला प्रोजेक्ट. दादी-पोती पिकनिक.

तय हुआ कि क्लास 3 से 5 तक के जो बच्चे जॉयन्ट परिवार में दादा-दादी के साथ रहते हैं, स्कूल उन्हें एक दिन की पिकनिक में भेजेगा.

लोनावला-एम्बी वैली. आना-जाना, रहना, खाना-पीना सब इंतजाम स्कूल करेगा.

यह खबर मिली तो कक्षा 3 से 5 तक की लड़कियां दो हिस्सों में बंट गई. जॉयन्ट परिवार में दादी के साथ रहने वाली लड़कियां खुश थी. और सिंगल परिवार में रहने वाली लड़कियां जिनकी दादी गुजर चुकी थीं वो लड़कियां दुखी थीं.

खैर 3 क्लास के 3-3 सेक्शन मिलाकर कुल दो बच्चों में से 9 लड़कियां ही स्कूल को यह खबर कर सकीं कि वे दादी के साथ रहती हैं और वे दादी के साथ पिकनिक पर जाना चाहेंगी. तो नौ लड़कियां और नौ दादियां यानी कुल अट्‍ठारह पिकनिक के पंछी.

मगर पिकनिक से ऐन एक दिन पहले दो दादियां मैदान छोड़ गई.

संजना की दादी तो रात को भली-चंगी सोयी और सुबह उठी ही नहीं. और पारूल ने अपना दुख प्रकट करते हुए कहा-दादी, की टांग को भी अभी टूटना था, पिकनिक के बाद टूटती, तो क्या बिगड़ जाता.

मगर होता वही है जो होना होता है.

सो सात लड़कियां और सात दादियों की टोली पिकनिक को चल पड़ी

करीब तीन घंटे का रास्ता था.

अरे, लड़कियों और उनकी दादियों से तो परिचय कराया ही नहीं.

लड़कियां उनकी दादियां

1. नेहा मनमोहिनी
2. जस्सी डॉली बिब्बी
3. सना मुमताज
4. लीना टीना
5. निशा ब्रजवाला
6. रोमी कौशल्या
7. नीता भानुप्रिया

तो हुआ यूं कि इधर बस चली,

उधर अंताक्षरी शुरू हुई.

अभी दो गाने भी खत्म नहीं हुए थे कि बीच की सीट से एक आवाज गूंज उठी -पुईंऽऽऽऽ

कुछ लड़कियों ने इसे नहीं सुना और कुछ ने अनदेखा किया.

दो गाने और गाए गए. फिर एक बार - पुईंऽऽऽऽ

इस बार चाहे किसी ने सुना हो या नहीं मगर नेहा समझ गई कि यह दादी ही है. फिर उसे खुद पर गुस्सा आया कि दादी को पिकनिक पर लाने से पहले दादी के इस गुण के बारे में क्यों नहीं सोचा.

लेकिन दादी बेखबर थी. बस थोड़ी ही देर बाद फिर - पुईंऽऽऽऽ

अब उनकी बस पनवेल पार कर रही थी. तभी जस्सी अचानक ही खड़ी होकर नाचने लगी. और चलती बस में साथ-साथ सना की दादी मुमताज भी. बाकी सब ताली बजाने लगे.

और इन्हीं तालियों के बीच, एक फरफराती आवाज गूंज उठी, फटफटिया के चलने जैसी

-पट्‍र पटर पटर.....

नेहा ने मन ही मन सोचा, यह दादी नहीं हो सकती.

इधर सना और रोमी में खिड़की वाली सीट को लेकर कुछ कहा सुनी हो गई, तो दोनों की दादियां यानी मुमताज और कौशल्या भी कमर कस कर मैदान में आ गई.

यह देख कर जब बाकी सब हंसने लगे तो दोनों दादियां शर्मा कर अपनी-अपनी सीट पर बैठ गई.

और फिर एक बार अंताक्षरी का सिलसिला शुरू हो गया.

गाड़ी एक्सप्रेस वे पर दौड़ रही थी. बाहर का नजारा खूबसूरत था, हरियाली थी , फूल खिले थे. मगर तभी गैस की एक लहर उठी और लीना को अपने सामने वाली खिड़की खोलनी पड़ी. उसने साथ बैठी जस्सी की दादी की तरफ देखा, जिसने आंखें बंद कर रखी थी.

आखिरकार सभी लड़कियों को यह समझ में आ गया कि स्कूल का प्रोजेक्ट चाहे कुछ भी हो, मगर अब एक दिन उन्होंने अपनी इन पादते रहने वाली दादियों के साथ बिताना था.

खैर बस लोनावला को पार करके कोहरे से गुजरते हुए एंबी वैली पहुंची. लड़कियों को लगा जैसे कि किसी एम्पायर में आ गए हों. विशाल गेट, बड़ी सी झील, बड़ी-बड़ी मूर्तियां और घने वृक्ष.

यहां पिकनिक पंक्षियों को दो हॉल में ठहराया गया. एक में लड़कियां, दूसरी में दादियां.

अब प्रोजेक्ट के दूसरे हिस्से का पालन करना था. लड़कियों के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं था, मगर दादियों को पैंट-शर्ट पहनना था. और इन्हें अपने-अपने ग्रुप में घूमने, अपने हॉल में लंच करने की आजादी थी. शाम को बाहर खुले में सबको जमा होना था और कुछ खेल खेलने थे. यह सब पहले से तय था.

इस बीच नेहा की दादी से एक मुलाकात हुई तो नेहा ने कहा, ‘‘ दादी कंट्रोल किया करो.’’

दादी मनमोहिनी देवी हंस कर बोली, ‘‘ कंट्रोल कहां होता है, बस निकल जाता है.’’

नेहा, ‘‘ ठीक है दिन में जितने मर्जी कर लो, मगर शाम को मत करना’’.

मनमोहिनी , ‘‘लो ये भी कोई बात है.’’

लड़कियां लंच करके बातें करते-करते सो गई. एक की नींद टूटी और उसने सबको जगाया तो पता चला शाम ढल रही है.

बेड पर लेटे-लेटे ही नेहा ने कहा, ‘‘ फ्रैंड्‍स मैं एक बात के लिए सबको ‘सॉरी’ कहना चाहती हूं.

निशा और जस्सी बोली-किसलिए?

नेहा, ‘‘मेरी दादी को गैस छोड़ने की आदत है.’’

जस्सी तुरंत बोली ‘‘ ओय! तेरी दादी नहीं गैस तो मेरी दादी छोड़ती है-प्रदूषण वाली गैस. तेरी दादी तो बस पटाखा छोड़ती है.’’

तुरंत ही सबका ठहाका गूंज उठा.

नेहा ने राहत की सांस ली.

ठहाका रूका तो रोमी बोली-और मेरी दादी फटफटिया चलाती है.

निशा ने चुटकी लेते हुए कहा-चलो इस बहाने तुम लोगों के घर में रौनक तो रहती है.

लीना और नीता चुपचाप सुनती रही और फिर लीना बोली, फ्रैंड्‍स चलो तैयार हो जाएं.हर दादी इस गुण से संपन्न है.’’

‘‘ हां-हां चलो’’ सब एक साथ बोले

वाह क्या शाम थी. मौसम में हल्की ठंड थी. वे सब जलती आग के चारों ओर बैठे थे. सभी दादियां शर्ट-पैंट में थीं. उनके होंठों पर डार्क लिपिस्टिक थी और सब की सब खूब चहक रही थीं.

नेहा ने पहली बार दादी को इतना खुश देखा,

अब प्रोजेक्ट के अनुसार हर दादी को अपने बेटे यानी इन लड़कियों में से किसी के पिता के बारे में कहना था जो उनकी बेटी को मालूम न हो.

सबसे पहले मुमताज ने कहा, ‘‘ सना के पिताजी जब छोटे थे, तो मोहल्ले के नाटकों में लड़की का रोल करते थे, ये लंबा काजल , सुर्खी लगाकर, नकली चोटी बांधकर.’’

तभी डाली बिब्बी बोली, ‘‘ और जस्सी के पाप्पाजी तो ट्रक का क्लीनर बनकर ट्रक में बैठकर कनैडा जाना चाहते थे.’’

कौशल्या बोली, ‘‘ और हमारी निशा के पापा ने तो तय कर लिया था बचपन में, बड़े होकर चाट-गोलगप्पे वाला बनना है.’’

और फिर नेहा की दादी मनमोहिनी देवी उठ खड़ी हुई. अपनी बात शुरू करने से पहले उन्होंने एक बार फिर किया

पुईंऽऽऽऽऽऽ

-सबका जोरदार ठहाका लगा.

दादी भी हंसी, और बोली, मेरा बेटा, यानी नेहा का पापा बचपन में बड़ा ही शरारती था एक बार मदारी का एक बंदर चुरा लाया था, क्योंकि वो खुद मदारी बनना चाहता था.

दादी की बात सुनकर सब जोर-जोर से हंसने लगे.

दादी को जोश आ गया, और वो बोली, ‘‘ अब मैं आप सबके लिए कुछ धमाकेदार पेश करना चाहती हूं!’’

नेहा चींख पड़ी, ‘‘ नहीं, दादी, अब और नहीं!

दादी हंस कर बोली, ‘‘डर मत, सिर्फ़ मुंह से !’’

और फिर दादी ने अपनी मिमिक्री पेश की.

सबसे पहले अगर चीनी भाषा में हनुमान चालीसा पढ़ा जाए तो कैसा होगा,इसकी एक झलक पेश की.

दादी की मस्त कॉमेडी से सबके हंसते-हंसते पेट फूल गए.

फिर दादी ने सुनाया कि अगर दो बकरियां शोले के डायलॉग बोलेंगी तो कैसे बोलेंगी.

और इसके साथ ही दादी छा गई. नेहा खुद भी आज तक दादी के इस रूप से अन्जान थी.

शायद इसलिए कि उसके पास दादी के पास बैठने का वक्त नहीं था.

शायद इसलिए, क्योंकि उसने मम्मी की चिखचिख के आगे दादी को चुपचाप रहते ही देखा था.

शायद इसलिए उसने अपने बड़े भय्या को अब तक, आदी-पादी-दादी कहकर दादी का मजाक उड़ाते ही देखा था.

मगर अब नहीं.

जब प्रोग्राम खत्म हुआ तो नेहा दादी के पास गई और लिपटकर रो पड़ी.

नेहा के इस कदम से दादी एक बार फिर ....

पुईं ऽऽऽऽ

मगर अब उसे बुरा नहीं लगा.

***

और अंत में...

नीता ने जानकारी दी,सभी दादियों का एक दिन का कुल मिलाकर स्कोर है 189 .

शायद ये एक रिकॉर्ड हो.

समझे?