Jasoosi ka maza - 6 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

जासूसी का मज़ा भाग 6 (अंतिम)

रात भर करवटें बदलने और खुद से ही माथापच्ची करने बाद जब सीमा जी उठी तो उनकी आँखे गुलाब जामुन सी लाल हो रही थी और चौधरी जी का शरीर उकडू लेटे लेटे ऐसा हो गया था जैसे मालपुए में से निचोड़कर सारा रस निकाल लिया गया हो और सारा माल गया ,बस पुआ पुआ बाकि रहा हो.
अब रात तो रात है आंखे गुलाब जामुन सी सुजा लो या शरीर अकड़ा लो ,वो आपके लिए रुकती नहीं कट ही जाती है।
सुबह हुई तो पति पत्नी दोनों ने मन ही मन फैसला किया की सच्चाई का पता लगाया जाएगा,चौधरी जी अपने फोन में किसी जासूस का नम्बर ढूंढने लगे तो,चौदरीं अपनी तिकड़में भिड़ाने लगी,जब सब लाग लपेट,खोज बीन का कोई सार न निकला तो दोनों ने तय कर लिया कि एक दुसरे से बात कर लेना ही ठीक होगा ये जासूसी की जरुरत पड़ी ही क्यों ज़रा आमने सामने बात हो जाए.

सीमा जी ने सुबह की चाय बनाई और चौधरी साहब भी अपने दुखते हुए शरीर को जैसे तैसे घसीटते उह आह की आवाजें निकालते हॉल में आ बैठे सीमा जी ने गुस्से में चाय टेबल पर रखी जैसे थोडा था और गुस्सा बढ़ता तो कप का फूटना निश्चित था समझिए, और चौधरी जी ने ऐसे गुस्से से चाय उठाई जैसे जरा सा हाथ और हिलता तो सारी चाय ज़मीन पर ही होती ..खैर दोनों चाय पी रहे थे और जासूस का कार्ड अब भी वही ज़मीन पर पड़ा था दोनों मौके के इंतज़ार में की बात कैसे करे ....

चौधरी जी सकपकाते हुए बोले “अरे आजकल क्या क्या होने लगा सीमा लोगो को एक दुसरे पर बिलकुल विश्वास नहीं बचा” ...चौधराइन जी भी साडी का पल्लू कंधे पर ठीक करती हुई कह रही थी ”हाँ सही बात है रिश्ते नातों का तो कोई मोल ही नहीं रहा खुद को ही देख लो ..” चौधरी जी भी छूटते ही बोले “तुम खुद को भी तो देखो सीधे मुझसे ही बात कर लेती ...सीमा जी तुनककर बोली “आप तो बस हर बात में म्हारी ही गलती निकालो आपने तो जेसे घणी बात कर ली म्हारे से “ चौधरी जी हत्थे से उखड गए बोलने लगे “ ये तो गलत बात है भई मैंने कब गलती निकाली तुम्हारी ?” चौधराइन जी हाथ हिलाते हुए बोली “ अरे घर में कोई काम गलत हो जाए नाम मेरा आवे है बच्चे बदमाशी करे म्हारी गलती,यहाँ तक की तुम देर से उठो और गलती म्हारी निकालो हो की तूने न उठाया जैसे मैं लुगाई न हूँ अलाराम घडी हूँ " इधर चौधरी जी गुस्से से बोले "मुझे गुस्सा न दिलाओ सीमा,एक तो घर की बात में जासूसी करा रही हो,इत्ता भी विश्वास न है क्या म्हारे पे?और उल्टा मुझ पर ही गुस्सा दिखा रही हो..सीमा जी गर्म गरम बूंदी जैसे गोल मटोल आँसू बहाती हुई बोली हाँ हाँ बुरी तो मैं ही हूँ ,मेरे ही भाग फूटे हैं जो ये दिन देखने पड़ रहे चौधरी जी घबरा भी गए और गुस्से से चिढ़ भी गए ।ये दोनों गरमा गर्म चाय के साथ बहस के मज़े लेने का मन बना ही रहे थे की बीच में आनंद भाई साहब टपक गए ...आते ही बोले क्या बातें चल रही है भई ? सीमा जी ने बात सँभालते हुए कहा कुछ नहीं भाई साहब सुबह सुबह ऐसे ही मोहल्ले पड़ोस की बातें... चौधरी जी भी खिसियाकर बोले अरे हाँ कुछ खास नहीं भाई वही घर ग्रहस्ती की बातें”.... सीमा जी बीच में बुरा सा मुह बनाकर बोली “भाई साहब चाय बनाकर लाती हूँ आपके लिए” ...आनंद भाई साहब बड़े चाव से बोले “हाँ हाँ भाभी आप चाय बनाओ में पोहा जलेबी की व्यवस्था करके आता हूँ जरा .. इन्दोरी पोहे और जलेबी की बात ही निराली है” ...ये कहते हुए वो सोफे के पास से उठे ही थे की उनकी नज़र ज़मीन पर रखे कार्ड पर गई और उनके मुह से अचानक निकला “ अरे ! ये कार्ड क्या कर रहा है यहाँ ? फिर चौधरी साहब से रुख मिलाते हुए बोले "अरे लगता है कल तुम्हे जो मेरा नया कार्ड दिया था वो देते टाइम मेरे पर्स से गिर गया होगा ... ये बात सुनते ही चौधरी जी के चेहरे के भाव बदल गए उनने जैसे रहत की सांस ली ... आनंद जी अब खिसियानी सी हंसी हसकर चौधराइन से बोले “वो क्या है न भाभी जी की थोड़े दिन पहले भोलू कहीं खो गया था ( आप लोग भूल गए हो तो बता दे भोलू आनंद जी का जान से प्यारा कुत्ता है ) आनंद जी अपनी ही धुन में बोले जा रहे थे अब पोलिस वाले तो उसे कुत्ता समझकर ढूंढते उन्हें क्या पता वो हमारे बच्चे जेसा है तो हमने सोचा ये डिटेक्टिव एजेंसी वालो से बात करें ...तो उन्ही का कार्ड है ये ... बस इतना सुनना था की चौधरी जी और चौधराइन की हसी छूट गई ,मरघट सी उदासी एकदम से हवा हो गई ...आनंद जी ने पुछा भी तुम दोनों ऐसे हस क्यों रहे हो पर दोनों कुछ बोले नहीं बस सीमा जी खिलखिलाते हुए बोली “अरे जी भाईसाब क्या अकेले जाएँगे ? आप इनके साथ जाकर सामने नर्मदा मिठाई वाले के यहाँ से गर्मागर्म जलेबी उतरवा लाओ पोहे मैं यही बना लेती हूँ ...और हाँ जलेबी ज़रा पतली और कड़क बनवाना” ...चौधरी जी उत्साह में बोले “हाँ हाँ बिलकुल और तुम पोहे में जीरावन ज़रूर डालना क्या है की सेव जीरवन के बिना पोहे अच्छे नहीं लगते .... आनंद जी घर से बाहर निकले तो चौधरी जी पलटकर वापस आए और कमरे में गुलदान से एक फूल सीमा जी के हाथ में पकड़ाकर बोले अच्छा सुनो दोपहर में तैयार रहना बहुत दिन हुए साथ में पिक्चर नहीं देखी और आते आते सराफे का भी चक्कर लगा आएँगे क्या है की तुम्हारे बिना चाटोराई करने में भी मज़ा नहीं आता ...दोनों खिलखिला उठे "द इगल" में बहार फिर लौट आई थी ....