An unsolved riddle - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

एक अनसुलझी पहेली - 2

प्रकाश और नंदनी जब घर लौटे तो पाया की बाईं का बेटा उनके घर में खेल रहा था और बार्इं उन्हें पूरे घर में कहीं भी नजर नहीं आई तो उन्हें लगा कि शायद अपने बच्चे को उनके घर खेलने के लिए छोड़कर, वो बग़ल वाले शरमाजी के यहाँ काम करने चली गई होगी। प्रकाश बहुत ही गुस्से में था आज, क्योंकि काम वाली बाईं के रहते उसके बच्चे का आना और उसके घर में रहना तो ठीक था, लेकिन बाईं अपने बेटे को उनके घर में छोड़कर किसी दूसरे के घर काम करने जाए, ये उन्हें मुनासिफ़ नहीं लगा।
करीब 1 घंटा इंतजार करने के बाद नंदनी और प्रकाश बगल वाले शरमाजी के घर गए, काम वाली बाईं के बारे में पता लगाने। शरमाजी का जवाब सुन दाेंनों हक्के-बक्के रह गए, क्योंकि शरमाजी के कहने के अनुसार काम वाली बाईं तो आज आई ही नहीं थी।
एक अजीब सी कशमकश में दाेंनों अपने दिमाग में सवाल की लड़ी लिए वापस अपने घर की ओर लौटे, लेकिन इस बार आश्चर्यजनक रूप से पूरे घर में वो बच्चा उन्हें कहीं भी नजर नहीं आया। दाेंनों के मन में कई सवाल उठ रहे थे। लेकिन उन्हें पार्टी के लिए देर हो रही थी, इसलिए ज्यादा सोचे बिना तैयार होकर पार्टी के लिए निकल पड़े।
रात करीबन 8 बजे overtime करने के बाद भास्कर घर लौटा। उसे इस पूरे incident के बारे में कुछ भी पता नहीं था। भास्कर ने घर का दऱवाजा खोला तो पाया की हमेशा की तरह बाथरूम की लाइट जल़ी हुई थी। उस समय उसने switch on करना जरूरी नहीं समझा, क्योंकि उसे तभी नहाने भी जाना था। रूम में enter करके भास्कर ने अलमारी खोली, अपना towel निकाला और बाथरूम की ओर चल पड़ा।
भास्कर ने जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खोला, उसके पैरों तले जमीन खिस़क गई। बाथरूम के फर्श और दीवार पर सिर्फ खून ही खून के ढ़ब्बे थे। डरे हुए भास्कर ने तुरंत ही बाथरूम का दरवाजा बंद करा, और डर के मारे main door की और भागा। अचानक उसके भागते हुए कदम एक अावाज को सुनकर रूक गए। ये आवाज उसके कमरे से आ रही थी। ( किसी बच्चे के रोने की आवाज )
सहमे हुए कदमों से अपने रूम की ओर आगे बढ़, वहाँ का नजारा देख भास्कर को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। भास्कर ने देखा कि उसके बाईं का बच्चा उसके बिस्तर पर अपने घुटनों में मुहँ को छिपाए बैठा था। भास्कर ने उससे पूछा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम तो अभी यहाँ नहीं थे। ये सवाल सुन उस बच्चे ने धीरे से अपने घुटनों से मुहँ को उठाया। उस बच्चे के चेहरे पर एक अजीब सी तेज और होठों पर एक अजीब सी मुस्कान थी, मानों जिसमें कई राज़ समाए हो।
बाथरूम में खून और बिस्तर पर काम वाली बाईं के बच्चे का होना, उसके अजीब हाव-भाव को देख भास्कर अंदर तक डर चुका था। वो तुरंत दौड़ता हुआ उस घर से बाहर की ओर निकल गया।
और इसके बाद जो हुआ, अगले अध्याय में।