Murgabad Mein Hamla books and stories free download online pdf in Hindi

मुर्गाबाद में हमला


तार की जाली से घिरा और टीन की चादरों से ढका हुआ एक बहुत बड़ा मुर्गीखाना था. उस के आसपास मकई की खेती थी. थोड़ी दूर से एक पहाड़ी नदी बहती थी. मुर्गीखाने में मुर्गे, मुर्गियां और चूजे थे, जो गिनती में पूरे इक्यानवे थे. उन में से कुछ सफेद थे तो कुछ लाल, भूरे और कुछ काले थे.

इन सब का पक्का और खास दोस्त था एक काला कुत्ता. उस के रहते कोई जानवर मुर्गीखाने के पास नहीं फटकता था. परंतु मुर्गियों के ‘कुड़कुड़’ के बेसुरे गीतों से उसे बहुत चिढ़ थी.

एक आवारा चूहा, जो नंबरी चोर और चुगलखोर था, सदा दड़बे के आसपास मंडराता रहता. मौका मिलते ही वह मुर्गियों के दाने खा लिया करता. मुर्गियों ने एक बार उसे पकड़ कर उल्टा लटका दिया. तब से वह दड़बे के भीतर आने की हिम्मत तो नहीं करता, पर मुर्गियों से बदला लेने की बात सोचता रहता.

वहीं एक फुदकी चिड़िया रहती थी, जिसे सिर्फ़ भले काम करने का शौक था. इसी लिए सभी मुर्गे-मुर्गियां फुदकी चिड़िया को खूब चाहते थे.

दड़बे के मुर्गे-मुर्गियों का लीडर था काला, लंबी खड़ी लाल कलगी और सफेद कानों वाला मुर्गा . उस की खूबी यह थी कि वह उल्टा दौड़ सकता था. वह कौए और तोते की बोली समझ सकता था. वह बहुत बुद्धिमान था और दूर की बातें सुन सकता था.

एक रात की बात है जब सभी सो रहे थे, उस समय काले मुर्गे की एक आंख सो रही थी और दूसरी आंख जाग रही थी. अचानक उसने देखा कि थोड़ी दूर पर दुष्ट चूहा एक गीदड़ के साथ कुछ फुसफुसा रहा था. वह बार-बार दड़बे की तरफ इशारा कर रहा था.

मुर्गा चौंक उठा. उसकी दूसरी आंख भी जाग उठी. उस ने ध्यान से सुना. गीदड़ चूहे से कह रहा था,

‘‘ अब तो मैं रोज-रोज एक मुर्गी खाऊंगा और अपनी सेहत बनाऊंगा.’’

उस की बात सुनकर मुर्गा परेशान हो उठा.

सुबह होते-होते काले मुर्गे ने देखा कि दड़बे की जाली एक कोने से इतनी कटी थी कि गीदड़ उस में से अंदर घुस सके. यह बदमाश चूहे की शरारत थी.

काला मुर्गा अब तो और उलझन में पड़ गया. उसे झबरू कुत्ते की याद आई, जो मुर्गे मुर्गियों की ‘कुकड़ूकूं’ से तंग आ कर बांस के जंगल में चला गया था.

काला मुर्गा इस बात को अपने साथियों से सीधा नहीं कह सकता था, क्योंकि वे सभी कमजोर दिल वाले थे.

तभी फुदकी चिड़िया की चूं-चूं उसे सुनाई पड़ी. मुर्गे ने उसे सारी बात बताई और झबरू कुत्ते को खोज कर लाने को कहा.

अब फुदकी चिड़िया को देर तक ढूंढने पर भी झबरू कुत्ता कहीं दिखाई नहीं दिया तो उसने बिल्ली से सहायता मांगी. वापस आ कर जब उसने मुर्गे को यह बताया तो मुर्गे ने अपना सिर पीट लिया.

वह बोला, ‘‘ चिड़िया बहन, तुम ने तो एक और शत्रु को बुला लिया.’’

चिड़िया ने कहा, ‘‘ बुरे लोग किसी के दोस्त नहीं होते और उन पर भरोसा करना खुद को धोखा देना है. खैर, अब हमें स्वयं ही कुछ करना होगा’’.

जब शाम हो गई तो माले मुर्गे ने अपने सभी साथियों को पास बुला कर कहा, ‘‘ आज रात को यहां एक ऐसी चीज आने वाली है, जिस के कारण बाद में हमें कभी दबड़े में डर कर बंद रहने की ज़रूरत नहीं होगी ’’.

यह सुनकर सभी मुर्गे-मुगियों ने पूछा, ‘‘ वह कौन सी चीज है?’’

इस पर काले मुर्गे ने गंभीर होकर कहा, ‘‘ आज रात को हमारे दड़बे में एक बुद्धू गीदड़ आएगा, जिसके दांत टूट गए हैं और नाखून झड़ गए हैं. लेकिन उस के सारे शरीर में बहुत ताकत है. हम में से जो भी उस के शरीर के जिस हिस्से में चोंच मारेगा, गीदड़ जैसी खासियत हमारे शरीर के भी उस हिस्से में आ जाएगी.’’

‘‘ जरा समझा कर कहो’’ एक छोटी मुर्गी बोली.

देखो अगर तुम गीदड़ की पूंछ में चोंच मार कर उस के दो बाल तोड़ देती हो तो तुम्हारे शरीर का पिछला हिस्सा और भी सुंदर हो जाएगा.

‘‘ किंतु इसके लिए हमें बड़ी चालाकी से काम करना होगा. पहले हम चुप-चाप लेटे रहेंगे. जब वह दबड़े में घुसेगा, तो हम उस पर टूट पड़ेंगे, वरना वह डरपोक गीदड़ डर कर भाग जाएगा.’’ काले मुर्गे ने समझाया.

फिर जब रात घनी हुई को गीदड़ लार टपकाता हुआ आया. उसके पीछे चूहा भी था. बिल्ली भी दबे पांव वहां पहुंच गई.

गीदड़ ने दबड़े में झांक कर देखा कि सभी मुर्गियों गहरी नींद में सो रही थी. गीदड़ यह सोच कर हंस पड़ा.

उस ने दबड़े में पहले सिर डाला और फिर पूरा घुस गया. बाहर खड़े चूहे ने खुश होकर ताली बजाई.

तभी जैसे भूचाल आ गया. मुर्गे-मुगियां एक साथ गीदड़ पर टूट पड़े. सौ चोंचों और दो सौ पंजों की मार से गीदड़ घबरा गया. संभलने से पहले ही वह मुर्गियों की मार खा कर बेहोश हो गया.

इधर झाड़ी में छिपी बिल्ली ने जब बड़ी देर तक गीदड़ या किसी मुर्गी को बाहर आते नहीं देखा तो उस ने लपक कर चूहे को दबोच लिया.

इतना शोर सुन कर मुर्गीखाने का मालिक जाग गया. वह टार्च और बंदूक ले कर वहां आ पहुंचा.

जब उस ने अधमरे गीदड़ को दबड़े में बेहोश पाया तो हंसते-हंसते लोटपोट हो गया और बोला, ‘‘ इस बदमाश गीदड़ को तो जानवरों की दुकान पर बेचूंगा और पैसे मिलेंगे, उस से इन बहादुर मुर्गियों को बढ़िया दाना खिलाऊंगा.’’

जब हर मुर्गी अपनी बहादुरी का किस्सा गा रही थी तो काले मुर्गे को बड़े जोर से नींद आ रही थी, क्योंकि पिछले दो दिनों से वह एक आंख भी बंद कर के नहीं सोया था. इसलिए अब उस की एक आंख जाग रही थी और दूसरी आंख सो रही थी.