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समय, मैं और वादा

एक बात तो सही ही है कि परीक्षाएं हर मोड़ पर होती है पर किस परीक्षा में उत्तीर्ण होते हो और किस में अनुत्तीर्ण ये समय और स्तिथि पर निर्भर करता है समय और स्तिथि दोनो ही आपके वो अध्यापक है जो आपको आपकी गलतियों के द्वारा आपको अनुभवों का बोध कराता है, यदि उन गलतियों से भी ना सीख सके तो आप एक ऐसी जगह पर मात खा जाते है जहां आपको लगता है कि यहाँ तो मात मिलेगी ही नही।
अब कहानी की ओर चलते है ये कहानी ऐसे ही एक सम्बंध की है जिसमें एक लड़का कैसे अच्छे सम्बंध की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाता है तो शुुुरुआत में वो लड़का अपनी दिनचर्या के साथ समय का पालन करते हुयेे अपनी आगामी परीक्षाओ के तैैयारी में अपनी निश्चित दिनचर्या के साथ समय के साथ चल रहा होता है उन दिनों मानो वो ना किसी की ओर देखता और ना किसी से बात करता बस खुद में मग्न रहता मानो किताबें ही ज़िंदगी हो, एक निश्चित दिनचर्या सुुुबह जल्दी उठना और शाम में जल्दी सो जाना, पर वही ना आप
कितना भी सही तरीके से रह रहे हो आपकी परीक्षा होनी ही है वो लड़का एक दिन एक लड़की से टकरा जाता है और वो लड़की उसे पहली ही नजर में भा जाती है वो लड़की बहुत शर्मीली, डरी सहमी चुुुपचाप अपने काम पर ध्यान देेने वाली अब ऐसे में वो किसी को क्यो ना पसंद आये वो लड़का उस लड़की से अपनी बात बढ़ाने की कोशिश में लग जाता है उसमे उसकी पूरी दिनचर्या इधर उधर हो जाती है लड़की से बात आखिर बढ़ ही जाती हैै इतना बढ़ जाती है कि एक दूसरे की आवाज़ मानो हर पल सुुुख की अनुभूति में गुुुजर रहा हो दिन में कॉल पर घण्टो बात होना और रात में भी ऐसे ही होना।
मानो उसकी आवाज़ मेंं कोई जादू हो खो जाना जिसे कहते है वो पल उसकी आवाज में होता और एक सुकून बाते दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी कि जिंदगी और समय की परीक्षा की घड़ी निकट आ गई ।
हुआ ये कि वो लड़का उस लड़की की छोटी बहन से मिलता है और वो लड़की उस लड़के से एक वादा करवा लेती है कि उसकी छोटी बहन से बात तो करोगे उसके और अपने बारे में कभी बात नही करोगे लड़का मान जाता है धीरे धीरे समय आगे बढ़ने लगता है और एक दिन किसी वजह से वो लड़की विचलित हो जाती है इतना कि वो लड़का उसे मनाने की कोशिश करता है पर वो नही मानती अब डर तो डर ही है किसी खोने का। लड़के को लगता है कि ऐसे वो उसे खो देगा तो उसकी छोटी बहन से मदद मांगने चला जाता है वो उसकी छोटी बहन कुछ बातेे बता देता है जितना कि वो उसकी मदद कर सके पर उसकी छोटी बहन से एक वादा भी लेेता है कि ये बात उन दोनो के बीच ही रहेेगी पर समय को कुछ ओर ही मंजूर था उसकी छोटी बहन उसको जाकर सब बता देती है इससे उस लड़के सेे वो गुस्सा करती और कहती है उसको नही करना था ये सब, बात अलग ही स्तिथि में चली जाती है वो लड़की और विचलित होकर गुस्सा हो जाती है लड़का माफ़ी मांगता है मनाने की कोशिश करता है पर नही मानी उसकी कई दिन गुज़र जाते है और एक अच्छे रिश्ते में दरार आ जाती है।
इसमें समय की परीक्षा ये थी कि जब आप एक निश्चित पथ पर चल रहे हो तो वो पथ छोड़ना ही नही चाहिए विद्यार्थी जीवन भी एक साधू हो जाने जैसा पथ है इस पथ पर जीवन कई परीक्षाओ से होकर गुजरता है आप जरा से भी चूके तो आप किसी भी स्तिथि में हो हार ही जाओगे समय विद्यार्थी का भगवान है समय के साथ कभी धोखा नही करना चाहिए वरना आप किसी भी परिस्थिति में सही क्यो ना हो आपको गलत ही ठहराया जाएगा वो लड़का गया तो था उस लड़की की मदद करने पर लड़की ने एक ना सुनी उसकी ऐसे ही समय आपको बार बार याद दिला रहा है कि आप मुझे धोखा दे रहे है पर आप समय की नही सुन रहे थे और अब वो लड़की आपकी नही सुन रही।
तो कहानी का मतलब तो आप समझ ही गए होंगें जो इंसान समय के साथ नही चल सका वो किसी के साथ नही चल सकता ये मोह और माया आपको अगर किसी ऊंचाई पर पहुंचा भी दे तो गिरा भी जल्दी ही देते है और समय के साथ चलने वाला व्यक्ति कभी गिर नही सकता ।
अब वो लड़का समय और लड़की दोनों से रोज माफी मांगता है पर देखो कब समय माने और कब वो लड़की क्यो कि वादा तो उसने दोनों का ही तोड़ा है।

आप सभी से गुजारिश यही है
"कि एक पौधा सींचने में बहुत समय लगता है पर उसे तोड़ने में एक पल फिर चाहे वो पौधा कोई भी हो (रिश्ता, दिल, समय, वादा)"

आप सब ऐसे ही हमे पढ़ते रहिए फिर से कुछ अच्छा सा लिखूंगा 😇😇

बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏