Anokhi Dulhan - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

अनोखी दुल्हन - ( बचपन ) 4

उसे अब इस दुनिया मे आए सात साल हो चुके है।


" मां इस जन्म दिन पर मुझे भी केक काटना है। मोमबत्ती बुझानी है। मुझे भी सब दोस्तो की तरह बड़ा जन्मदिन मनाना है। प्लीज।" सात साल की जूही ने सोनिया का हाथ खिचते हुए कहा।


" मेरी मिठायोसे तंग आ गई बेटा। ठीक है, इस साल जैसा तुम चाहो वैसा जन्मदिन मनाएंगे। अब खुश।" सोनिया ने उस के सर पर हाथ फिराते हुए कहा।


" शुक्रिया मां। वो देखो एक पिल्ला कितना प्यारा है।" जूही एक दिशा मे भागी और पिल्ले को सहलाने लगी।


" पता नहीं तुम्हारी ये बीमारी कब जाएगी बेटा। वहा कोई नहीं है। जिन्हे तुम देखती हो वो वहम है।" सोनिया दुर खड़ी जूही को देख रही थी। पर वहा उसे सिर्फ हवा में हाथ लहराती जूही ही दिख रही थी। लेकिन जूही को वहा पर एक छोटा प्यारा सा कुत्ते का पिल्ला भी दिख रहा था या कह लीजिए पिल्ले की आत्मा दिख रही थी।


दूसरे दिन जूही का जन्म दिन था। जब वो घर पोहोचि सोनिया केक के पास बैठी उसका इंतजार कर रही थी।


" मां आप केक ले आयी।" जूही तुरंत केक के सामने बैठ गई।


" यहां आ जाओ मेरी जान। आओ इन मोमबत्तियों को जलाओ।" सोनिया ने उसे कहा।


" पर ये तो बच्चो के लिए खतरनाक है। आप जलाएं ना।" जूही ने लाइटर को सोनिया की तरफ किया।


" मेरी बेटी आज बड़ी हो गई है। अब ये सारी चीजे वो खुद कर सकती है। कर सकती हो ना??" सोनिया


" हा। जरूर । " जूही ने एक एक कर सारी मोमबत्तिया जलाई। जब उस आग की लौ से जूही ने अपनी मां को देखा तो उसकी आंखो से आसू आने लगे।


" आप कहा है मां ? मुझे बताए।"


" यही हूं तुम्हारे पास।" सोनिया ने कहा।


" में देख सकती हू मां। ये आप नहीं है, आप की आत्मा है। मुझे बताए आप कहा है मां।" जूही जोर जोर से रोने लगी।

" मत रो मेरी जान। तुम तो सच मे आत्माओं को देख सकती हो। मुझे खुशी है, के मे अपने आखिरी वक्त में तुमसे मिल पाई। फिलहाल में हॉस्पिटल मे हू। अभी कुछ देर मे तुम्हे पुलिस अधिकारी का फोन आएगा। वो तुम्हे मेरी मौत की जानकारी देंगे। तुम बिल्कुल डरना मत, संभाल कर पुलिस स्टेशन जाना। कुछ देर मे तुम्हारी मासी यहां पोहोच जाएगी, आगे वो संभाल लेगी सब कुछ। हमेशा याद रखना मां अपनी जान को सब से ज्यादा चाहती है। अब मुझे जाना होगा। माफ कर देना तुम्हे आधे रास्ते छोड़ कर जा रही हूं। मुझे यकीन है तुम अपने आप को संभाल लोगी।" सोनिया की कहीं इन बातो को सुन जूही ने पूरे वक्त अपना रोना जारी रखा। तभी फोन की घंटी बजती है। जूही ने फोन उठाया। फोन पुलिस स्टेशन से था। अपनी बात खत्म कर जैसे ही जूही मुड़ी तब तक सोनिया वहा से जा चुकी थी।

" मेरे पास क्यों आई हो अब ? तुम्हे तो तभी मर जाना चाहिए था, सात साल पहले। " उस बूढ़ी औरत ने सोनिया से कहा।

" मेरे पास अब बिल्कुल भी वक्त नहीं है। आज तो नाराज मत हो।" सोनिया ने कहा।

" तो क्या चाहती हो मुझसे ? बोलो" उसने कहा।

" उसके पास जाओ उसे संभालो। कभी कबार अपनी कुछ सब्जियां उसे दे देना। जैसे मुझे देती थी। वो मेरी बेटी है, तुम नानी जैसी हो उसकी उसका साथ दो।"

" बस बस अब ज्यादा भावुक होने की जरूरत नहीं है। तुम जाओ में संभाल लूंगी।" बूढ़ी औरत ने उसके सर को छुआ जिस से सोनिया की आत्मा अदृष हो गई।

जूही ने केक को देखा उस पर जलती मोमबत्तियों को देखा,
" लोक केहते है, इसे बुझाकर जो भी मांगो मिलता है। मेरे साथ हमेशा गलत क्यो होता है। में कभी आप से कुछ नहीं मांगूंगी भगवान। कभी नहीं।" जूही ने अपना स्कार्फ पहना और घर से बाहर निकली।

घर के बाहर उसे काले कपड़ों में एक आदमी दिखा जिसने अजीब सी टोपी पहन रखी थी, " आपको क्या चाहिए अंकल?" जूही ने पूछा।


" क्या तुम मुझे देख सकती हो?" वो कोई आदमी नहीं था वो मौत का दूत था जो सोनिया की आत्मा लेने वहा पोहोचा था। जैसे ही ये बात जूही के ध्यान मे आई वो बिना किसी बात का जवाब दिए पीछे मूड कहीं जाने लगी, " ओ में अपना स्कार्फ पहनना भूल गई मुझे पहन लेना चाहिए।"

" वहीं रुक जाओ।" उसने कहा ।
" मुझे अंदर जाना चाहिए वरना मां दाटेगी।" जूही अपने आप से बाते कर रही थी ताकि वो उस दूत की तरफ ध्यान ना दे पाए।
" नाटक मत करो। में जानता हूं तुम मुझे देख सकती हो। और तुम्हारा स्कार्फ तुम्हारे गले मे है। क्या तुम वहीं गुमशुदा आत्मा हो जिसे सात साल पहले इस दुनिया को छोड़ देना था। बताओ मुझे नाम क्या है तुम्हारा?"

" क्यो तुम नहीं जानते उसका नाम? " बूढ़ी औरत जूही को लेने घर पोहोच गई थी।
" नानी मां।" जूही उस से चिपक गई।
उसने जूही के हाथो मे सब्जियोकी थैली दी और उसे अपने पीछे छुपा लिया।
" आप यहां क्या कर रही है ? और आप कब से इंसानी दुनिया में फ़र्क करने लगी। इस लड़की का अस्तित्व जूठा है। इसे यहां नहीं होना चाहिए।" दूत ने बूढ़ी औरत से कहा।

" ठीक है। तो मुझे उसके नाम का कार्ड दिखा दो और ले जाओ इसे अपने साथ। उस वक्त तुम्हे देर हो गई थी जिस वजह से मां बेटी बच गए थे। इस लड़की को खुद भगवान ने जीवन दान दिया है। तुम इसे ले जाने वाले कौन होते हो ? " बूढ़ी औरत ने कहा।

दूत जूही की तरफ देख मुसुकुराया, " फिलहाल जा रहा हूं, पर फिर मुलाकात होगी गुमशुदा आत्मा।" वो वहा से गायब हो गया।

जूही बूढ़ी औरत से चिपक कर रोने लगी, उसने जूही को अपने गले लगा लिया। " तुम बोहोत प्यारी हो। तब भी इतनी ही प्यारी थी जब मैंने पहली बार तुम्हे आशीर्वाद दिया था। अभी हॉस्पिटल में तुम्हे २ औरतें और १ मर्द मिलेगा, उनके साथ चली जाना। अगले तीनदिनों तक इस घर के आस पास भी मत रहना समझी मेरी बच्ची। अभी मेरे साथ चलो।" वो वहा से जूही को अपने साथ लेकर चली गई।