Anokhi Dulhan - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

अनोखी दुल्हन - ( कौन है वो?_२) 11

" कमाल है। वो वो कर सकती है, जो एक यमदूत भी नही कर सकता।" वीर प्रताप ने कहा।

" कौन वो ? वो कौन ?" यमदूत।

" आखिर कौन है वो ?" वीर प्रताप।

" वो कौन ? क्या कर सकती है ? मुझे बताओ। किसने यमदूत को चैलेंज किया है ?" यमदूत ने वीर प्रताप के पास आते हुए कहा।

" दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा। दूर रहो मुझसे । जानते हो ना कौन हू मे। एक पिशाच। भूतो का राजा।" वीर प्रताप ने चिढ़ते हुए कहा। " दूर रहो। पागल यमदूत।" वो अपने कमरे मे चला गया।


यहां लाइब्रेरी मे, पता नही जूही क्या सोच रही थी। उसने बाथरूम के दरवाजे का नॉब पकड़ा।
" अब जब में ये दरवाजा खोलूंगी में कैनेडा पोहोच जाऊंगी।"
उसने दरवाजा खोला।

" हेलो बेटा। तुम्हे अंदर आना है।" खूबसूरत सी लाल पोशाख पहने हुई एक लड़की ने बाथरूम से बाहर आते जूही से पूछा।

" नही शुक्रिया।" जूही निराश होकर वापस जाने लगती है।

" रुको जरा।" उसने जूही को रोका। " इसे साथ ले जाओ। अपने परिवार के साथ बाट कर खाना।" उसने जूही के हाथो में पालक से भरी हुई थैली दी।" बोहोत प्यारी हो। अपनी मां जैसी।" जूही के सर से हाथ फेरते हुए उस औरत ने कहा।

" क्या आप उन्हे पहचानती थी।" जूही।

" में सब को पहचानती हू। वक्त पर घर चली जाओ।" उसने जूही से विदा ली।

बस स्टॉप पर बैठे हुए जूही रेडियो पर गाने सुन रही थी। सामने बारिश थी जो रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

" ऐसी कौनसी चीज है, जो बरसात मे भीगने के बाद जब आप अपने घर जाते है तो आप को एक छतरी जैसा सुकून देती है ?"
जूही ने इस बारे मे सोचा उसे एक चेहरा याद आया।

" वो किस की आवाज है, जो आपको शांति का एहसास कराती है?"
जूही को फिर उसकी याद आई। " क्या तुमने मुझे बुलाया?" उसका पहली बार उसे पुकारना।

" वो किस की नजर है, जिसे देखने के बाद आप को खुशी का अहसास होता है।"
कैनेडा मे जब वो लोग एक दुकान मे गए थे, जूही ने उसे अपनी तरफ चोरी चोरी देखते हुए पकड़ा था। जिस के बारे मे सोच वो हस पड़ी।

" अगला गाना आप के उसी खास इंसान के लिए" रेडियो पर गाने बजना फिर शुरू हो गया था।

पर रेडियो पर पूछे गए इन सवालों ने जूही को सोच मे डाल दिया था। हाथ मे कैनेडा का वो पेपर लिए जूही उसमे रखें उस पत्ते को घुर रही थी। " क्या सच में तुम खास हो ?" उसने पूछा।


अपने बिस्तर पर लेटे हुए सोने की कोशिश मे वीर प्रताप करवटे बदल रहा था।

" ऐसे नींद नहीं आएगी। वो मेरे पीछे दरवाज़े से अंदर बाहर आ जा सकती है।" उसने करवट बदली।

" वो आत्माओं को देख सकती है। मुझे जब चाहे तब बुला सकती है। फिर वो इस तलवार को क्यो नही देख पा रही?" वीर प्रताप अपने आप से बड़बड़ाए जा रहा था। " आखिर कौन है वो ? नही । में इस बात को इतनी आसानी से नहीं छोड़ सकता।"

" हेलो ऑल। अगले 200 सालो तक में आपकी दुल्हन बनने वाली हू। मुझे आशीर्वाद दीजिए।" जूही ने कब्र पर कहे वो शब्द वीर प्रताप को अभी भी सुनाई दे रहे थे।

" I love you" उन तीन लब्जो को तो वो कभी भूल नहीं सकता। " क्या वो सच में मुझसे प्यार करने लगी है।" वीर प्रताप अपने बिस्तर पर बैठ गया। " अगर ऐसा हुवा, तो उस से मिलना मेरे लिए काफी शर्मनाक हो जायेगा।" अब उसे बिस्तर पर से उतरना ही पड़ा। जूही के साथ गुजरा हर लम्हा याद करते हुए उसने कमरे मे चक्कर मारना शुरू किया।


शाम को जब जूही स्कूल से घर आई, मासी उस के इंतेजार मे थी।

" कितनी देर कर दी, पता नही क्या घर मे लोग भूखे बैठे है तुम्हारे इंतेजार मे। बेवकूफ लड़की।" मासी।

" मां भूख लगी है। पहले उसे खाना बनाने दो, फिर जो चाहे वो कर लेना।" जूही के मासी के लड़के ने कहा।

जूही ने बिना कुछ कहे किचन मे जाकर खाना बनाना शुरू किया। उसने फ्रीज खोल कर देखा, उसमे अंडो के अलावा कुछ नही था। उसे लाइब्रेरी बाथरूम के बाहर मिली उस महिला की बात याद आई। उसने अपनी बैग से पालक बाहर निकाली कुछ अंडे लिए और खाना बनाना शुरू किया। जब लगभग खाना बन चुका था, तभी जूही की मासी की लड़की उस के बैग से वो कैनेडा वाला ब्रोशर बाहर ले आई।

" देखो मां। ये सारे पैसे लेकर परदेस भाग जाना चाहती है। ये देखो ये कैनेडा का है।" उसने कहा।

" उसे मत लो वो मेरा है।" जूही उस की तरफ भागी।

" अच्छा तो ये चाहिए तुम्हे। तभी में सोचू हर बार बैंक बुक कहा गायब हो जा रही है। बताओ मुझे कहा है वो पैसे बताओ ?" मासी ने जूही का हाथ मरोड़ा और उसे चाटा भी मारा।

तभी मासी की लड़की खाना लेने किचन मे जाति है और पतेली गर्म होने की वजह से उसका हाथ जल जाता है। " आ..... मां।" उसका भाई और मासी दोनो उसे देखने किचन में जाते है तभी कैनाडा को ब्रोशर और कुछ खाने का सामान लेकर जूही घर से बाहर निकल आती है।
मासी के घर के पास ही एक पहाड़ है, जिसमे चढ़ने और उतरने के लिए सीडिया बनी हुई है। जब भी घर मे झगड़ा होता था, जूही हमेशा उस पहाड़ पर चली जाती। आधी रात होने के बाद ही वापस मासी के घर जाति। उसे पता था कोई कभी उसे ढूढने नही आयेगा पर इस बार शायद वो गलत साबित होने वाली थी।

सोने की काफी असफल कोशिशों के बाद आखिरकार उसने एक निर्णय लिया। " आपकी जिज्ञासा आपको कभी सुकून नहीं दे सकती। इसी लिए उठो और जो तुम्हारा दिल चाहता है वो करो।" वीर प्रताप उठा, उसने कपड़े बदले अपने आप को आयने में निहारा और चल पड़ा अपने दिल के रास्ते।