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स्वतंत्र सक्सैना -सरल नहीं था यह काम

सरल नहीं था यह काम जो डॉ. स्वतंत्र ने कर दिखया।
समीक्षक-रामगोपाल भावुक

सरल नहीं था यह काम जो डॉ. स्वतंत्र सक्सैना ने इस काव्य संकलन के माध्यम से कर दिखया है। वे अपनी बात में कहते हैॅ कि साहित्य का बहुत गम्भीर अध्येता होने का मेरा कोई दावा नहीं है फिर भी जनवादी मित्रों के सम्पर्क में आने के कारण वे जितने कदम आगे चले हैं, सच कहने के लिए संधर्षरत रहते हुये, सब कुछ सहते हुए चले हैं। इस साहस की मैं मुक्त कंठ से उनका प्रंशंसक रहा हूँ।
आप नया सबेरा लाने के लिये जीवन भर संधर्ष करते रहे हैं। आप ने चिकित्सक होने के साथ- साथ साहित्य की नब्ज पर भी सफलता पूर्वक हाथ रखा है।

साफ कागज देख मत हेरान हो
खत तो था पर अश्क में धोया हुआ।
यों आपने प्रेम के प्रति सर्म्पण व्यक्त किया है। आपको संसार में सभी भटके हुए दिखे हैं- रास्ता अब किससे पूछे स्वतंत्र
हर कोई दिखता यहाँ खोया हुआ।
‘अफसर का दौरा’ कविता के माध्यम से आपने व्यवस्था पर तीखा प्रहार है। जिसमें उन्हें उनके सामने तनकर खड़े होने की थी पर वे तो-
औरों की मैं बात कहूँ क्या
पर स्वतंत्र हरदम घबराए।
अपनों देश कविता में- हम खाँ लग रओ संझा हो रई
वे कै रयै भुंसारों। इसमें वे यवस्था की शल्य क्रिया करते हुए दिखाई देते हैं।
देवता ऐसे भी इस दुनियाँ में कई आए स्वतत्र
जिनके जाने पर भी न जाना संसार ने।
कवि को पूरी आशा है कि भुंसारो हुई है जरूर, लेकिन इसके लिये हम सभी को प्रयास करना पड़ेगा।
नया सूरज उगाएँ में भय की मूर्तियों को तोड़े और आस्था की नई बस्ती बसाएँ दोस्तो।
इसी क्रम में उनकी कलम‘ दिवाली’ बाँस का कोई सानी नहीं है में चली है-
काटे जिसे भी मांगता वह पानी नहीं है।
अम्बेडकर में वे मानते हैं-गौतम ही जैसे उतरे नया वेश धर कर।
प्रिये और तुम में- नेह का आस्था से मिलन कराया है।
अर्जुन तुम गांडीव उठाओ- व्यवस्थ को बदलने के लिये आव्हान है।
और देश की अस्मिता में-तुम्हारी अस्था है प्रभुओं की र्भिक्त में
नहीं है विश्वास जनता की शक्ति में। जनतंत्र के युग में आदमी की मानसिकता का पर्दाफास किया है।
लड़ते रहो थको नहीं, चक्रेश कह गये के माध्यम से इस नगर के जनवादी कवि चक्रेश जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये हैं।
छोटे अफसर हों, चाहे दाउ का हुक्का हो में व्यवस्था पर तीखा प्रहार है। कस्बे का मेरा अस्पताल हो चाहे बोला एक सुअर का बच्चा में प्रतीक के माध्यम से सफलता पूर्वक अपनी बात रखने का प्रयास किया है। जिसमें वे पूरी तरह सफल भी रीहे हैं।
लड़ी लड़ाई बड़ी भयंकर मित्रों रामस्वरूप ने इस कविता में नगर में चर्चित रहे संधर्षशील कवि रामस्व्रूप के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है।
स्वतंत्र को राम अपने घर में वेघर लगे हैं। संतो से सुना एवं तरक्की में कोई भी टेªन डबरा तक नहीं आई है, इससे कवि बहुत दुःखी है। इसमें डबरा नगर के रहने बालों के दुःख दर्द का वर्णन है।
इन्कलाव जिन्दइावाद एवं मन्दिर की सीढ़ियों पर लोक संस्कृति सा आनन्द देती, आदमी को संधर्ष के लिये प्रेरित करतीं कवितायें हैं।
राम कहानी में पौराणिक प्रसंगों के माध्यम से आदमी का दर्द व्यक्त किया है। रोटी की बातें में आम आदमी का दर्द समाहित है।
आजादी है ,आजादी है चाहे जैसे जीने की मनमानी है। केवल नेताओं को आजादी है।
कवि इस आजादी को आजादी नहीं मानता। हमारी यह आजादी मात्र हंसी - व्यंग का यंत्र बन कर रह गई है।
अब एक कविता और रह गई। ‘डबरा को डबरा रहने दो’ पर बात करूँ। वे केबल इतना जानते हैं कि डबरा का उल्टा राबड बन जायेगा। यह बात उन्हें खटक रही होगी। मैं इस नगर का नाम करण महाकवि भवभूति के नाम पर भवभूति नगर कराना चाहता हूँ डबरा का अर्थ होता है गड्डा। मैं यहाँ के जन जीवन को गड्डे की मानसिकता से निकालकर उसे आगे बढ़ाने के लिये नई विचारीधारा प्रदान करना चाहता हूँ। यहाँ की गरीबी, ऊँच- नीच की खाई को पाटकर महाकवि भवभूति के सपनों का एक नया संसार बसाने के सपने देख रहा हूँ। भवभूति एक कृ्रन्तिदृष्टा कवि रहे हैं। नाम के बदलने के बाद तो यहाँ की सारी की सारी व्यवस्था बदल जायेगी।
खैर मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं हूँ। प्रभू की कृपा से वे अपने लक्ष्य में सफल हैं ही। अभी मैं उस कार्य में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया हूँ।
अब में इस कृति अके अन्तिम पाय दान पर पहुँच रहा हूँ। ‘पापा मेरी नजर म’ें कवि की दोनों बेटियों का संयुक्त वक्तव्य है। जिसे मैंने वार वार पढ़ा है। उन्होंने अपने पापा के बारे में सही-सही चित्रण किया है। वे सच में बैसे ही है जैसा बेटियों ने जाना और पहचाना है।
कवि ने इस कृति में स्वतंत्र छन्द के माध्यम से अपनी बात गहराई से कहने का प्रयास किया है। उनकी अपनी कहन है अपनी आनवान है अपनी लय है। साथ में उनकी अपनी पीड़ा भी है, जिसे हम सब के साथ उन्होंने उसे सांझा करने का प्रयास किया है। इसके लिये वे बहुत बहुत बधाई के पात्र हैं।
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सम्पर्क सूत्र-
कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूति नगर, जिला ग्वालियर म.प्र. 475110
मो 0 -09425717707