Dusari Aurat - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

दूसरी औरत.. - 4

लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो!

बेहद खूबसूरत नगमा है ये! मैं इसे जब भी सुनती हूँ तो न जाने क्यों दिल भर आता है।

तुम्हें मैं एक बात बताऊँ?

हाँ बताओ न!!

रहने दो,तुम हंस पड़ोगी।

प्लीज़ संजय बताओ न...प्ललललललीज़.....

तुम्हें पता है तुमसे अलग होने के बाद मैं जब भी कभी ये सोचता था कि अगर तुमसे कभी मेरी फिर से मुलाकात हुई और तुम कभी किस्मत से अगर मेरी गाड़ी में बैठी तो मैं कौन सा गाना बजाऊँगा??? तब न मुझे हर बार इसी गाने का ख्याल आता था और फिर मैं...

फिर...फिर क्या?बताओ न संजय प्लीज़!

फिर मैं...फूट फूटकर रोता था! तुम्हें पता है सुमि तुम्हारी शादी के बाद ये शराब को कभी हाथ भी न लगाने वाला संजय कितना बड़ा बेवड़ा बन गया था!!!

आय लव यू संजय एंड लव यू ओनली!

आय नो माय जान।

ओफ्फो!आज तो हद्द ही कर दी इस रेड लाइट नें,कहते हुए संजय नें अपनी कार ट्रैफिक में रोकी!

संजय तुम सोच भी नहीं सकते कि आज मैं कितनी मुश्किल से घर से निकली हूँ। सुकेत तो आज ऑफिस जाना ही नहीं चाहते थे फिर मैंने बड़ी ही बातें बनाकर उन्हें मनाया। न जाने क्या- क्या कहा और उसके बाद मयंक को पड़ोसी के घर में डॉक्टर की विजिट का बहाना बनाकर छोड़ आयी हूँ।

अच्छा जी मैडम,शुक्रिया,करम,मेहरबानी !!

अरे तुम ऐंसे क्यों बोल रहे हो? मैं खुद भी तो तुमसे मिलना चाहती थी।

अरे मैं तो मज़ाक कर रहा था!

तुम्हें पता है न कि मुझे मज़ाक नहीं पसंद! सुकेत को भी मैं हमेशा यही समझाती हूँ मगर वो भी बिल्कुल तुम्हारी ही तरह...कहते कहते सुमेधा एकदम से चुप हो गई।

अब हमारे बीच में ये सुकेत कहाँ से आ गया? मैंने पहले भी तुमसे कितनी बार कहा है कि तुम मेरी तुलना अपने पति से मत किया करो,गुस्सेभरे लहजे में संजय बोला।

सॉरी जान...माफ कर दो न! अच्छा अब आगे से कभी ऐंसा नहीं बोलूँगी,कभी भी नहीं,अपने दोनों कान पकड़ते हुए सुमेधा नें कहा।

ओके...छोड़ो अब! चलो उतरो आ गया तुम्हारा प्रिय दिल्ली हाट!

मुझे बहुत बुरा लग रहा है संजय,तुमनें मुझे इतनी सारी शॉपिंग करवा दी और खुद कुछ भी नहीं लिया।

अरे यार तुम्हारे इस लड़कियों के बाजार से मैं भला क्या लूँ? और फिर बर्थडे तो तुम्हारा है न,हाँ मगर मैं अपना रिटर्न गिफ्ट नहीं छोड़ने वाला।

हाँ...हाँ बताओ न तुम्हें क्या रिटर्न गिफ्ट चाहिए?

बता दूँ?

हाँ...हाँ बोलो न क्या चाहिए?

दोगी न ?

अब बताओ भी ?

अरे बिल्कुल बताऊँगा मैडडडडमममम...शरारत भरे लहजे में संजय ने सुमेधा की आँखों में झाँकते हुए कहा और सुमेधा के गोरे गोरे गालों पर हया की लाली छा गई !!

बातों ही बातों में संजय द्वारा सुमेधा को किया गया ये इशारा इन दोनों की जिंदगी में न जाने किस नये मोड़ की तरफ़ इशारा कर रहा था ???

हम भी जानेंगे ज़रूर ये बात और इसे जानने के लिए रहेंगे हम इस सफ़र में इन दोनों के साथ-साथ !!

क्रमशः ...

निशा शर्मा...