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भूतिया हॉस्टल

मथुरा में बी.टेक कॉलेज मिला था हॉस्टल का चयन प्रक्रिया भी हो चुकी थी ।मैं सीधा घर से हॉस्टल गया ।
वहाँ पर कई सिंगल रूम थे तो इसीलिए मैंने एक सिंगल रूम का ही चयन किया था । अपने रूम में जाकर सारी किताबें व सामान को सेट किया ,रूम भी एकदम झक्कास था ।
सफर की वजह से थका हुआ था रात को खाना खाकर जल्दी सो गया ।

आज कॉलेज का पहला दिन था जो कि अच्छा ही गया ,रात को पढ़ते हुए ग्यारह बजे नींद ने दस्तक दी । रात को किसी के दरवाजा खटखटाने की वजह से नींद खुली मोबाइल में देखा तो तीन बजे थे , सोचा इतने रात को कौन होगा दरवाजा खोला तो कोई नही ,क्या मजाक है मस्त नींद आयी थी यही बड़बड़ाते हुए फिर लेट गया ।
नींद ने मुझे अपने आगोश में लिया ही था कि फिर जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी हड़बड़ा कर उठा ।
"कौन है भाई " दरवाजा खोला तो कोई नही इधर उधर देखा तो वहाँ तो कोई नही ।
मुझे लगा कोई मजाक कर रहा है पानी पीकर फिर लेट गया , फिर किसी ने दरवाजा खटखटाया । जल्दी से दरवाजा खोला तो कोई नही ।
" कौन है बे , इतनी रात को मस्तिया रहा है "
पास ही सत्यम का कमरा है मेरे ही क्लास में था तो जान पहचान हो गयी थी उसे बुलाया तो उसने आँख मलते हुए दरवाजा खोला 'क्या हुआ भाई '
" ये कौन मजाक कर रहा है बार बार दरवाजा खटखटा कर "
सत्यम होठ को टेढ़ा करते हुए बोला ' पता नही मैं तो
सो रहा था ,कोई होगा '
" चलो ठीक है " बाथरूम लगी थी तो कर के आकर फिर सो गया शायद एकआध बार फिर दरवाजे की आवाज आई ' मरो सालों ' यही कहकर सो गया फिर सुबह नींद खुली ।।

नहा धो कर आया तो मैंने दरवाजे को देखा तो लगा जैसे किसी ने इसपर खुरचा है । "वो तो लगता है यह सब बिल्ली का काम है जो रात को परेशान किया ।"

दोपहर को जब रूम का दरवाजा खोल रहा था तो देखा अब कोई निशान नही है सुबह ही देखा था ।

बगल के कुछ लड़कों से पूछा कि रात को मुझे बुलाया था क्या पर सभी ने नकार दिया । मैंने इस पर ज्यादा ध्यान नही दिया कुछ देर पढ़ने के बाद शाम को बाहर घूमने के लिए निकल गया ।

रात को मुझे लगा कोई कुछ पढ़ रहा है ध्यान से सुना तो फिजिक्स का कोई परिभाषा था आँखे खोली तो देखा मेरे रूम का दरवाजा खुला है पास ही मुझे लगा कोई कुर्सी पर बैठा है मेरा तो गला सूख गया जल्दी से लाइट जलाई पर कुर्सी पर कोई नही था पर देखा तो टेबल पर मेरा फिजिक्स किताब खुला हुआ था । मन में कई सवाल उठे जैसे दरवाजा
कैसे खुला ,मैने तो बंद करके सोया था और ये बुक कैसे खुली आज तो रात में मैंने फिजिक्स की बुक पढ़ी ही नही ।
दरवाजे के बाहर इधर उधर देखा फिर बंद कर लेट गया तभी फिर किसी ने दरवाजा खटखटाया दरवाजा खोला तो जैसे कोई भागते हुए सीढ़ियों से नीचे गया

" कौन है बे आज सारी मस्ती निकाल दूंगा "


धीरे धीरे नीचे आया इधर उधर देखा पर कोई नही अब रात को किसी को बुलाना भी ठीक नही रूम में आया तो मेरे सारे समान बिखरे हुए और किसी ने मेरे किताबें फाड़ दी है ।
यह तो बहुत ज्यादा हो गया मैं गाली देते हुए निकला सब को चिल्ला कर जगाने लगा और गाली दे रहा था कुछ लड़के निकले मैंने गुस्से में कहा "कौन ये भद्दा मजाक कर रहा है सब ठीक है पर देखो मेरे सारे किताब भी फाड़ दिए" पर देखा तो किताब तो अपने जगह सही सलामत थे केवल एक दो समान गिरा हुआ था ।
"क्या यार पगला गया है किताब तो ठीक है नाहक रात को चिल्ला रहा है "

अब तो मेरे पास कहने को कोई शब्द ही नही था मुझे समझ ही नही आ रहा था अभी तो मैंने देखा फिर, शायद मुझे वहम हो गया है फिर मैंने सोने की कोशिश की पर न जाने नींद ही नही आ रही थी लाइट को बंद किया फिर आँख मूंद कर वैसे ही लेटा था कि मुझे लगा मेरे बेड के पास कोई खड़ा है उसकी साँसों की आवाज मैं साफ सुन सकता था मेरे पूरे शरीर से पसीने की धार निकल रही थी आँख खोलने की हिम्मत ही नही हो रही थी मैं ऐसा हो गया जैसे काटो तो खून नही धीरे से पास ही रखे मोबाइल के लॉक बटन को प्रेस
कर एकाएक उस तरफ कर आंख खोला पर कुछ नही आज रात तो लाइट ऑन करके ही सोया पर न जाने नींद कहा गई थी ।

कुछ दिन मुझे हर रात ऐसा लगता जैसे कोई मुझे देख रहा है कोई मेरे बेड के पास ही खड़ा है कोई दो आँख मेरे तरफ है हर वक्त , कुछ आवाज जैसे मेरे कमरे में कोई चल रहा है कोई कुर्सी पर बैठा है ।
पर एक दिन ऐसा हुआ जो कि , हुआ यूं कि मैं सपने में देख रहा था कि मैं भागे जा रहा हूँ कोई मेरा पीछा कर रहा है फिर मेरे गले में किसी ने रस्सी डालकर मुझे लटका दिया है मैं
छटपटा रहा हूँ, तभी मेरे गाल पर कुछ चिपचिपा सा दो चार बून्द कुछ गिरा तभी मेरी नींद खुली मोबाइल का टोर्च जला कर देखा तो खून था । ऊपर देखा तो पंखे से एक लड़का फाँसी लगा लटक रहा है मैं चिल्लाते हुए बाहर भागा मेरी
चिल्लाहट सुन सब बाहर आ गए मैं डरते हुए बोला ,
' मेरे कमरे में देखो ,जल्दी '
सब ने लाइट जला कर देखा तो कुछ नही
था ,"क्या है कुछ तो नही , भूत वूत तो नही देखा "
और सब हँसने लगे मैने देखा तो वह खून तो नही था मेरे पसीने थे सब मेरा मजाक उड़ाते हुए चले गए ।
मुझे अब बहुत ज्यादा डर लग रहा था मुझे समझ नही आ रहा था कि मेरे साथ ये क्या हो रहा है डरते हुए आकर लेटा और ध्यान से पंखे की तरफ देख रहा था तभी दीवाल पर
एक लेख उभर कर आया हेल्प मी ..मैं प्रताप कुर्सी पर देखा तो एक लड़का सिर झुकाए बैठा रो रहा है और बोल
पड़ा " हेल्प मी ."

आज मैं कॉलेज पहुंचा पर मेरे मन में एक ही बात थी ये प्रताप कौन है ? उसके बारे में मुझे जनना ही है पर किससे पूंछू एक दो लड़कों से पूछा पर वो कुछ बता ही नही पाए । सीनियर लड़कों से पूछा तो कहा नही पता आगे से पूछना भी मत मुझे लगा कोई तो बात है।

मैं गैलरी कॉरिडोर में घूम रहा था तो मैंने एक जगह एक फोटो देखी उसके नीचे बेस्ट ऑफ लक लिखा हुआ था उसका नाम देखा तो प्रताप अग्रवाल था मैंने कॉलेज के एक कर्मचारी से उसके बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह एक अच्छा लड़का था पर उसने न जाने क्यों सुसाइड कर लिया था और सुसाइड नोट पर इसका जिम्मेदार कॉलेज को
बताया था तब से कोई उसके बारे में ज्यादा बातें नही करता ।

बाद में मुझे पता चला वह इसी हॉस्टल में रहता था मैं न जाने क्यों उसी के बारे में सोच रहा था आज रात को उसी को सोचते सोचते नींद आ गयी ।

अब मैं कॉलेज में प्रताप के बारे में और पता लगाने के बारे में सोचा तो मुझे पता चला नीलेश और अंकित उसके दोस्त थे , अंकित तो फर्स्ट ईयर टॉपर था ।
मैं नीलेश का नम्बर रजिस्टर ऑफिस से निकलवाया और नए नम्बर से उसे फोन किया मैने उससे इतना कहा कि' प्रताप का सुसाइड नोट मेरे पास है जिसमें तुम्हारा नाम लिखा है पर ऐसी क्या बात थी अगर नही बताये तो यह पुलिस के पास होगा तुम्हारे पास केवल 1 घंटा है सब सच सच बता दो '
क्योंकि जब से प्रताप ने सुसाइड किया था तो वह कही पकड़ा न जाये इसलिए बहुत डरा हुआ था । कुछ ही देर बाद फोन आया मैंने कुछ नही किया यह सब काम अंकित का है बात यह थी कि प्रताप क्लास में हर सेमेस्टर टॉप करता और अंकित उससे पीछे रह जाता इससे अंकित बहुत चिढ़ा हुआ
था उन दोनों में झगड़ा भी हुआ था, अंकित ने एक प्लान बनाया और प्रताप से दोस्ती कर ली फिर लास्ट सेमेस्टर के परीक्षा के पहले दिन रात को उसी के कमरे में मैं और अंकित गया अंकित कुछ सैंडविच उसके लिए लेकर आया था जिसमें उसने बेहोशी और सोने वाली दवा डाल दिया था ।अगले दिन पेपर देने प्रताप नही आया लास्ट सेमेस्टर में अंकित ने टॉप किया और प्रताप को फेल कर दिया गया वह एक गरीब घर से था उसके पिता जी की भी मृत्यु हो चुकी
थी फेल होने की वजह से शायद उसने आत्महत्या कर लिया ।

तभी नीलेश को फोन पर आवाज सुनाई दी जो बड़ी ही भयंकर थी 'तुम्हारी मौत का जलसा मैं निकालूंगा ।'
मुझे उधर से नीलेश की आवाज आ रही थी कौन है कौन है मुझे कुछ मत करना ।
मैं पूछ रहा था क्या हुआ पर फोन कट गया ।

रूम पर आकर कुछ देर के लिए लेट गया फिर उठा तो मुझे तो कुछ याद ही नही मैं क्या कर रहा हूँ । यह नया सिम कहाँ से आया पता नही ।
अगले दिन कॉलेज गया तो एक लड़का मेरे पास आया और हर्षित धन्यवाद कल तेरी वजह से मेरा खोया हुआ मोबाइल मिल गया पूरे बारह हजार की थी ।
मैं क्या बोलू मैं तो उसे पहचान भी नही रहा था और मोबाइल खोज कर दिया पता नही धिरे से पूछा
'तुम कौन "

उसने हसंते हुए कहा क्या यार कल की बात है मैं अंकित कल की पिज़्ज़ा पार्टी कैसी थी चलो बाद में मिलते है ।

मैं सोचने लगा जिसे मैं पहचानता ही नही उसके रूम में पिज़्ज़ा पार्टी भी किया पर मैं तो शाम को क्या हो रहा है।
मुझे पता चला अंकित सेकेंड ईयर का है और मेरे हॉस्टल
के बगल में उसका हॉस्टल है सीनियर का ।

अंकित रूम मैं बैठा था तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया
जाकर देखा तो हर्षित है ,आओ हर्षित क्या हुआ
'तुम्हारा रूम पार्टनर कहाँ है ? "
"वो घर गया है पर क्यों "
'मेरे रूम का पंखा खराब है जो कल बनेगा मैं यहीं सो जाऊ अंकित ? "
" हाँ यार यही सो जा इसमें क्या है । "
रात को अंकित को बुरे बुरे सपने आ रहे थे वह उठा तो देखता है हर्षित बैठा हुआ हंस रहा है ।
"क्या भाई अभी भी सोये नही ? "
तभी हर्षित ने अंकित का गला पकड़ लिया और भयानक आवाज में बोला " तेरी वजह से मैं मरा और अब तू मरेगा " "

अंकित चिल्ला भी नही पा रहा था उसके गले में रस्सी डाल उसे वही पंखे से लटका दिया । अंकित छटपटा रहा था हर्षित बोल पड़ा मैंने तेरा क्या बिगाड़ा था कुछ ही देर बाद अंकित की सांसें थम चुकी थी ।

सुबह जब मैं उठा तो पास ही भीड़ नजर आ रही थी जाकर देखा तो वही लड़का जो मुझसे कल मिला था वह मर चुका था पूछने पर पता चला उसके कल रात फांसी लगा ली तथा उसका रूम पार्टनर जो कि घर से लौट रहा था ,उसका एक्सीडेंट हो गया वह कोमा में है उसका नाम नीलेश है ।
उसे अब पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहे थे वही एक लड़का
खड़ा हंस रहा था कुछ देर बाद उसने मेरी तरफ देखा और
एक काली सी साया कही गायब हो गयी ।अंकित के कमरे में किसी ने खून से लिख दिया था ।
'तुम्हारा मौत प्रताप'
मैं अपने कमरे में आया तो दीवाल पर लिखा था ,
" धन्यवाद "
मुझे कुछ कुछ याद आ रहा था उस रात के बारे में यही लड़का जिसको मैने अभी देखा वह मेरे कमरे में था वह आत्मा थी ।
क्या वह मेरे शरीर पर हावी था तो क्या मैने ही अंकित को मारा यह सवाल मेरे समझ से परे था ।

इस घटना के बाद कई लड़कों ने प्रताप के साया को देखा कभी हॉस्टल के छत पर तो कभी कही ।
पर मैंने उसके बाद उसे कहीं नही देखा और न ही कभी बुरे सपने आये ।
कई लड़को के शिकायत करने के कारण हॉस्टल में एक शुद्धि पूजा करवाई गई फिर सब ठीक हो गया ।

पर आज भी मेरे मन में यही सवाल था कि मैंने
ही अंकित को मारा था पर क्यों ? .....

।। समाप्त ।।


@rahul