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आत्महत्या .... आखिर जिम्मेदार कौन ?

जिस दिन उसकी शादी थी उसी दिन मोहल्ले के एक लड़के ने आत्महत्या कर ली थी।
उसके फेरे होने से कुछ घंटे पहले।
आग की तरह ये खबर पूरे मोहल्ले में फैल गयी। जब उसके घर तक ये बात पहुंची तो लड़के वालो ने साफ मना कर दिया। जब तक मामला साफ नहीं हो जाता तब तक शादी नहीं हो सकती। वो सौरभ के सामने अपनी इज़्ज़त की भीख मागने लगी। उसे यकीं दिलाने की पूरी कोशिश की कि वो उसे नहीं जानती। पर उसने उसकी एक नही सुनी। सबने ये खबर फेला दी की अपनी प्रियेतमा की शादी से नाखुश हो कर उसने अपनी जान दे दी। बारात बिना दुल्हन लिए चली गयी
वो वहा से रोते हुए अपने कमरे मे आ गयी । निस्प्राण उसी दरवाजे की ओट से लग कर खड़ी थी
जहा से छुप कर किसी रोज़ उसने सौरभ को पसंद किया था।
उसे खबर मिली की उसके ही कॉलेज के सहपाठी ने आत्महत्या की थी।
"क्या सच में वो मुझे पसंद करता था ? और करता था तो उसने मुझे कभी कहा क्यों नही। बहुत बार कॉलेज जाते समय आमना सामना हुआ। पर उसकी आँखों ने कभी कुछ नही बोला। हमेशा नजरे झुका के चला जाता।
तभी बाहर पुलिस आ गयी उससे पूछताछ करने। पुलिस को देख कर उसके पापा बल खा के नीचे गिर पड़े। आस पास खड़े लोगो ने उन्हे संभाला जरूर पर साथ ही ताने देना बन्द नही करा।
पुलिस उसे अपने साथ ले गयी और उससे तरह तरह की सवाल करने लगी।
इन सबसे वो बहुत परेशान हो गयी।
उसे तो ये भी नही मालूम था की वो लड़का आखिर चाहता क्या था
पर पुलिस वाले उसे खूब परेशान कर रहे थे।
तो आपने उसे क्यों छोड़ दिया?
क्यों उससे शादी नही की?
क्या घर वालों का दबाव था?
इन सब सवालों का उसने सिर्फ एक जवाब दिया।
"मै उसे नही जानती। "
सबूतो के अभाव में पुलिस ने उसे छोड तो दिया पर शक्त लहजे में कहा की छानबिन पूरी ना होने तक उन्हे बुलाया जा सकता है
घर की दहलीज़ पर कदम रखते ही पड़ोसीयो के ताने शुरू हो गए
"अरे देखो तो कितनी भोली बनती थी एक लड़के को खा गयी चुड़ैल"
"हा बहन कैसे संस्कार दिये माँ बाप ने"
"अरे मेरी ऐसी औलाद हो तो जान से मार दु में"
"बेचारा लड़का... ऐसे ही अपनी जान दे दी"
ऐसे ही कड़वे शब्द उसके कानों में पड़े
सिसकते हुए जब घर के अंदर गयी तो माँ कहने लगी
"कहीं मुह दिखाने लायक नही छोडा.. अरे पैदा होते ही मर क्यों नहीं गयी कलमूंही"
माँ से ऐसे कड़वे शब्द उसने पहली बार सुने
वो बिना किसी से नजरे मिलाये अपने कमरे मे चली गयी
और उस दिन के बारे में सोचने लगी जब वो बहुत खुश थी
अचानक आये तूफ़ान को वो सहन नही कर पा रही थी

आज वो कॉलेज से जल्दी घर आ गयी थी
माँ ने खास हिदायत दी थी की वक़्त पर घर आ जाये । वैसे तो वो आज बहुत खुश थी। कॉलेज में भी उसकी फ्रेंड्स ने उसे छेड़ने में कोई कसर नहीं रखी थी। "हाँ भाई बहुत खास मौका है उतरा की जिंदगी का। आज उसे देखने लड़के वाले जो आ रहे है" । एक सखी ने बोला।
"अरे अरे देखो तो कैसे शर्म से लाल गुलाबी हो रही"
दूसरी ने कहा। ये सब सुन कर सच में वो काफी शरमा गयी थी। बस मुस्कुराती रह गयी। घर आ कर जल्दी से तैयार हो कर बैठे गयी। जैसे अपने राजकुमार का सदियों से इंतज़ार कर रही हो।
ये देख कर उसकी माँ भी खिलखिला उठी।
गुलाबी रंग के सूट में वो किसी गुलाब की तरह दमक रही थी। लालसूर्ख होठ ... आँखों में सुरमा और चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान लिए उतरा आज बहुत खूबसूरत लग रही थी। थोड़ी देर में घर के सामने कार रुकने की आवाज़ आयी
वो भाग कर सीधा अपने रूम मे जा कर दरवाजे की ओट के पीछे छुप गयी। कार से 3 लोग उतरे। लड़का और उसके मम्मी पापा।
पर उसका ध्यान तो बस एक शक्स पर टिका था
वो बहुत ध्यान से उसे निहार रही थी, तभी उसने एक नज़र मे उतरा को देखा। वो शरमा के फिर से ओट की पीछे छुप गयी।
कुछ ही देर में पापा ने उसे चाय लेकर आने को कहा। वो एक पल मे उछल पड़ी मानो बस इसी पल का इतज़ार था उसे।
लड़के के बारे में जितना उसने घर वालो से सुना था उससे कही ज्यादा हैंडसम था वाइट शर्ट और ब्लैक जींस में वो बहुत प्यार नजर आ रहा था उसे।
वो झट से चाय ले कर उनके सामने पहुँच गयी।
दो चार बाते हुई सबको चाय दी गयी। लड़के की मम्मी ने दोनों को आपस में बात करने के लिए बाहर भेज दिया।
घर से थोड़ी दूर एक गार्डन था तो वे दोनों वहा चले गए।
कुछ देर की खामोशी के बाद लड़के ने पहल की।
"कैसी हो? "
"एक दम अच्छी ... आप? "
और बस इस तरह बातों का सिलसिला चल पड़ा। दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया
घर वालो ने भी अपनी सहमती दे कर उनकी पसंद को मंजूरी दे दी।
दूसरे ही दिन कॉलेज जा कर अपनी सारी फ्रेंड्स को खुशखबरी दे दी थी उसने।
पार्टी पार्टी कहते हुए सबने उसका पूरा सर पका दिया था।
अपने मंगेतर सौरभ से बात कर के उसे लगता जैसे वो बहुत खुशकिस्मत है
जब भी वो कहती "सौरभ कितना प्यार करते हो मुझसे"तो वो चाँद तारे तोड़ लाने की बात करता
कहता की जान चली जाए फिर भी तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडु।
तो आज उसी ने क्यु उसे इस हाल में अकेला छोड़ दिया था ?
क्या उसकी बाते सिर्फ खोखली थी ?
सोचते सोचते उसकी आँखों से झर झर आँसुओं की धारा बह निकली

रात को किसी ने उसे खाने के लिए नहीं पूछा।
सुबह जब देर तक वो नहीं उठी तो मां उसके कमरे मे गयी । उसे देख कर माँ की आँखों से आँसू और मुह से इतनी
जोर से चीख निकली की आस पास के लोग भी इकट्ठा हो गए
उसकी निस्प्राण देह पंखें से झूल रही थी।
तभी वहा पुलिस आ गयी
उन्होंने बताया की काफी गहन छानबिन करने से एक किताब के अंदर एक छोटा सा सुसाइट नोट मिला
वो लड़का प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था
बार बार असफल होने पर उसने अपनी जान दी।
ये सुन कर सब में फिर से बाते शुरू हो गयी
"बेचारी बिना गलती के भी जान देनी पड़ी। "
"हा बहन कितनी अच्छी थी हमेशा हमारी मदद को आगे रहती थी। "
सबकी निगाहें उसकी लाश पर टिकी थी
और उसकी लाश मानो सबसे एक ही सवाल कर रही थी

"आखिर इस आत्महत्या का जिम्मेदार कौन" ???


समाप्त🙏