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जिंदगी

ज़िन्दगी बहुत छोटी है उनके लिए जो इसे जीना सीख गये पर उनके लिए बहुत लम्बी है जो इसे जीना नही जानते...... प्रभा इस बात को अच्छे से समझ गयी थी। जब वो विनोद के साथ थी तो जहां उसने अपने मम्मी पापा के खिलाफ जाकर शादी की थी इतनी खुश रहती थी उसके साथ गुजरे वो चार साल ऐसे थे जो वो कभी नही भूल सकती उन चार सालो में अच्छा समय भी आया और बुरा भी पर दोनों साथ थे दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे तो सब आसानी से होता चला गया। 2006 के लास्ट में प्रभा को पता चला की विनोद को ब्रेन Tumour है और बहुत एडवांस स्टेज है बहुत कोशिशो
के बाद भी प्रभा और विनोद के घर वाले विनोद को नहीं बचा पाए। विनोद के जाने के बाद प्रभा टूट चुकी थी पूरी ज़िन्दगी अभी बाकी थी अभी प्रभा मात्र 25 साल की तो थी। धीरे -धीरे समय बीतता गया और प्रभा विनोद के छोड़ कर जाने के सदमे से बाहर आने लगी वो कहते है समय बड़े से बड़ा
जख़्म भर देता है वही प्रभा के साथ हुआ पर प्रभा को अब ज़िन्दगी पहाड़ सी लगने लगी थी विनोद के जाने के बाद समय मानो थम सा गया था। विनोद के घर वालो ने समझदारी दिखाई और समाज की बातों को मान कर प्रभा को उसके मायके भेज दिया।
समय बीता ओर विनोद के घर वालो ने पहल की प्रभा की दूसरी शादी की पर प्रभा इसके बिल्कुल खिलाफ थी उसका मानना था कि जब ज़िन्दगी में सुख है ही नही तो दुबारा शादी करने से क्या होगा अगर होता तो भगवान मुझसे उनको न छीनते। प्रभा ने साफ और स्पष्ट शब्दों में दोनो ही घर वालो
को दूसरी शादी के लिए मना कर दिया। प्रभा ने आगे पढ़ाई पूरी करने को सोची एम.ए. तो वो पास थी और पढ़ने में हमेशा से अच्छी थी उसने आगे बी.एड करने का विचार बनाया और तैयारी करके बी.एड में प्रवेश लिया और अपने को पूरी तरह से उसी में व्यस्त कर लिया।
बी.एड में उसकी मुलाकात अनिमेष से हुई जो की देखने में साधारण सा था मिडिल क्लास से था पर पढ़ने में बहुत तेज था यही एक मात्र कारण था प्रभा का उससे दोस्ती करने का उसके अलावा उसका कोई दोस्त नही था और वो किसी से दोस्ती करना भी नही चाहती थी। धीरे -धीरे समय बीतता गया और प्रभा का बी.एड पूरा हो गया इस बीच प्रभा ने कभी भी अपनी पर्सनल लाइफ को अनिमेष से शेयर नही किया। अनिमेष प्रभा के बारे में ज्यादा कुछ नही जानता था और उसने कभी कोशिश भी नही की। प्रभा ने बी.एड के बाद एम.एड करने का सोचा और तैयारी में लग गयी और उसने एम.एड में भी दाखिला ले लिया इस बार उसका अनिमेष का साथ नही था अनिमेष सरकारी नौकरी के लिये तैयारी कर रहा था। फिर भी अनिमेष प्रभा से फ़ोन पर कभी कभार बात करता था। पर प्रभा हमेशा अपनी व्यस्तता को बता कर बात करने से बचती थी। उसके कई कारण थे एक तो प्रभा का मानना था कि अब हम साथ पढ़ते नही तो बात क्यों करे दूसरा वह नही चाहती थी की बातों ही बातों में कही उसका अतीत अनिमेष को पता चल जाये तीसरा ये समाज जो कभी भी किसी स्त्री और पुरुष की दोस्ती को सही नज़रिये से नही देखता। प्रभा कभी समाज की परवाह करने वाली लड़की नही थी पर समय ने ऐसे जख़्म दिए की बहुत कुछ अपनी सोच को उसने बदल लिया था। उसे लगता था कि अगर कोई ज़रा भी गलती भी हुई तो लोग उसे ही गलत ठहराएंगे। इस लिए वो अनिमेष से कतराती थी। इधर प्रभा का एम.एड पूरा हुआ उधऱ अनिमेष की सरकारी स्कूल में टीचर के पद पर सेलक्शन हो गया।
इधर एक साल में अनिमेष न जाने कैसे पर प्रभा की ओर खींचता जा रहा था उसकी सादगी, उसका शांत स्वभाव, उसकी समझदारी अनिमेष को अनायास ही प्रभा की ओर आकर्षित कर रही थी।
अनिमेष प्रभा को अपनी जीवन साथी के रूप में देख रहा था पर उसे इंतज़ार था तो अपनी जॉब लगने का अब उसने हिम्मत करके प्रभा के सामने उससे शादी का प्रस्ताव रखा जिसे प्रभा ने एक सिरे से नकार दिया साथ ही ये हिदायत दे डाली कि आगे से वो ये बात दुबारा उसके सामने न करे।
समय बीता अब प्रभा अनिमेष से कतराने लगी क्योंकि वो अनिमेष के मनोभावो को समझ चुकी थी। और इधर प्रभा के विपरीत व्यवहार से अनिमेष परेशान था।
अनिमेष ने एक बार फिर हिम्मत की औऱ इस बार वो प्रभा के पास न जाकर उसके घर गया और उसके माता-पिता के सामने प्रभा से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। यह सुनकर प्रभा के माता-पिता बहुत खुश हुए पर उन्हें प्रभा की दुबारा शादी न करने की बात याद आ गयी और उन्होंने अनिमेष को पूरी बात बताई साथ ही ये भी बताया की वो शादी क्यों नही करना चाहती है तब अनिमेष ने प्रभा के घर वालो को बताया कि वह ये सब जानता है और वह सब जानने के बाद भी प्रभा से शादी करना चाहता है और प्रभा से शादी की बात भी कर चुका जिसे उसने मना कर दिया।
तभी अचानक प्रभा घर में आती है और अनिमेष को आया देख चौक जाती है असहज हो जाती हैं और अनिमेष के आने का कारण पूछती है- तब अनिमेष कहता है प्रभा किसी के जाने के बाद आप उसके साथ नही जाते आपको तो उसके बिना जीना पड़ता है और यही जीवन है तो अकेले क्यों ? किसी के साथ क्यों नही जरूरी नही जो एक बार हुआ वो बार-बार हो यह सुन प्रभा अपने आपको रोक नही पाती औऱ फूट-फूट कर रोने लगती है।