Bhutiya Jungle - last part books and stories free download online pdf in Hindi

भूतिया जंगल - अंतिम

अब आगे...

आशीष को सांस लेने में बहुत ज्यादा कठिनाई
हो रहा है ऐसा ही उस दिन भी हुआ था I उस दिन
की तरह आज भी उसे लग रहा है कोहरे के बीच
से कुछ भयानक सा निकल उसे जकड़ना चाहता
है I इंस्पेक्टर जयदीप कहां चले गए यह समझ
नहीं आ रहा उसे I जंगल में फिर से आकर बहुत
बड़ी गलती कर दी है उन सभी ने , उसी दिन की
तरह इस घने कोहरे में न जाने कहां सभी गायब हो
रहे हैं I इस घने कोहरे के पीछे मानो कोई शैतान
खड़ा है लेकिन यह कैसा कोहरा है जो प्रति सेकंड
और भी घना होता जा रहा है और मनुष्यों को निगलता
जा रहा है I एकाएक उसने सुना पैर के पास से कुछ
सरकते हुए उसके साथ आगे बढ़ रहा है देखा तो
जंगली लताएं एकजुट होकर धीरे-धीरे ऊपर उठ रही हैं I
सब कुछ ठीक उसी दिन की तरह हो रहा है I इन्हीं
सब भयानक घटनाओं के कारण ही मानसी की मौत
हुई , नहीं आज वह हार नहीं मानेगा I भागने की चेष्टा
की लेकिन कोई फायदा नहीं फिर कुछ देर बाद खुद
को किसी तरह खींचते हुए कुछ दूर पहुंचा और जहां
पहुंचा वह जगह उसके लिए बहुत ही परिचित है I
उसी मंदिर के सामने , फिर से सीने पर एक दवाब
महसूस कर रहा है आशीष इसीलिए मंदिर के अंदर
जाकर फर्श पर बैठ गया और हांफता रहा I बहुत
ज्यादा थकावट महसूस कर रहा है वह, मंदिर के अंदर
अंधेरा छाया हुआ है बाहर के घने कोहरे के कारण I
इधर उधर घूम - घूम कर देखने लगा वह, देखते
देखते ही उसका नजर गया मंदिर की दीवारों पर
जहां प्राचीन चित्र व कई प्रकार के चिन्ह बने हुए हैं I
विवेक इसे ही ध्यान से देख रहा था उस दिन , इन
चित्रों को किसने बनाया है यह बताया नहीं जा सकता
लेकिन कुछ प्राचीन चिन्ह एक के बाद एक दीवाल
पर सजी हुई है I ठीक से देखने पर ऐसा लगता है
मानो कुछ लिखा हुआ है पर किस भाषा में यह पता
नहीं I कुछ चित्र भी बने हुए हैं जो बहुत ही अजीब
तरह के हैं I पेड़ की तरह का का चित्र जिसके नीचे
बहुत सारे जड़ें और कुछ मनुष्यों की तरह दिखते प्राणी
उस पेड़ से दूर भाग रहे हैं I आशीष को याद आया
विवेक उस दिन इन चित्रों को बार-बार देख रहा था
और फोटो भी लिया था I एक बात दिमाग में आया
क्या उन चित्रों को विवेक ने पुनीत के पास भेजा था I पुनीत और विवेक दोनों ही अच्छे दोस्त हैं दोनों मिलकर प्राचीन चिन्ह वह चित्रों को अच्छे से डिकोट करते हैं I पुनीत इन सब के बारे में बहुत जानकार हैं यह बात आशीष ने पहले भी सुना था I क्या विवेक ने उस दिन फोटो खींचकर पुनीत के पास भेजा होगा I यह जानने का भी कोई उपाय नहीं है लेकिन इस मंदिर में ऐसे चित्र क्यों बनाए गए हैं I ठीक उसी समय आशीष का मोबाइल फोन बज उठा , एक अनजाने नंबर से फोन आया है I इस नंबर से कुछ दिनों में कई बार फोन आया है लेकिन आशीष के बीमार होने के कारण फोन
किसी ने नहीं उठाया था I कांपते हुए हाथों से फोन को
उठाया आशीष में…….

" आशीष, आशीष, इस्पेक्टर सिंह " कई बार बुलाने
पर भी किसी का भी जवाब नहीं आया I सामने के घने कोहरे से निकलने का साहस नहीं हो रहा उन्हें , आशीष ने ठीक ही कहा था इस जंगल में जरूर अशुभ शक्ति का वास है I सुदर्शन यादव के पीछे चल रहे दो कॉन्स्टेबल डर से कांपते हुए बोले - " सर यहां से चलिए सर, भूत प्रेत रहते हैं यहां पर वह हम सभी को मार डालेगा I "
सुदर्शन यादव कुछ देर तक सोचे फिर राजेंद्र से बोले - " राजेंद्र जी भाग चलिए यहां से , ऐसा ही अलौकिक
कहानी हमने बचपन से सुना है I एक कोहरा जो पूरे
गांव को खत्म कर सकता है उसके आगे हम क्या हैं
भाग चलिए यहां से कोई भी अब नहीं बचा I "
राजेंद्र डरते हुए एक बार सुदर्शन की तरह देखा I वह
सभी बाहर निकलने की रास्ते को खोजने में लगे हैं I
क्या करें यह क्या न करें यह न समझ आने के कारण
राजेंद्र भी उनके पीछे-पीछे चलने लगे I
कुछ दूर आगे बढ़ते झाड़ी के पास उन्होंने बहुत
सारा खून देखा I यह देख राजेंद्र नगर से अपना
आंख बंद कर लिया I
सुदर्शन धीरे से बोले - " हवलदार भोला शायद
यहीं पर मारे गए अब शरीर नहीं है उस अलौकिक
कोहरे ने खा लिया है I भाग चलिए यहां से I "
समय ना बर्बाद करके वह सभी इस जंगल से निकलने
का रास्ता ढूंढने लगे I मानसी के बॉडी को खोजने के
बारे में भूल गया राजेंद्र, खुद के जान को बचाना ही
इस समय सबसे ज्यादा जरूरी है I खोजना ही होगा
बाहर निकलने का रास्ता I

आशीष ने फोन उठाया उधर से आवाज आई
- " हैल्लो आशीष "
" हां कौन ? "
" मैं पुनीत बोल रहा हूं I "
" हां पुनीत बोलो बोलो "
" तुम कहां हो इस समय "
" बलरामपुर के उसी जंगल में , पुलिस मुझपर
संदेह करके यहां मानसी, विवेक और राहुल के
बॉडी को खोजने के लिए मुझे साथ लाएं हैं I "
यह सुन फोन के उधर से पुनीत के घबराने की आवाज
आई वह डरते हुए आवाज से बोला - " क्या ! हे
भगवान ! जितनी जल्दी हो वहां से बाहर निकल
जाओ अभी के अभी I "
" क्यों ? क्या हुआ है I "
" कुछ दिन पहले ही विवेक ने कुछ चित्र व चिन्हों के कई फोटो को मेरे पास भेजा था उसी जंगल के किसी मंदिर से और उसे रिसर्च करके मैंने जो जानकारी हासिल किया है वह बहुत ही डरावना है I
प्लीज आशीष वहां से बाहर भाग जाओ, तुरंत I "
" क्या जानकारी पाया है तुमने ?, बताओ जल्दी "
" वह चित्र जो पेड़ की तरह दिख रहा है वह पेड़ नहीं
है I वह एक प्राणी है एक प्राचीन अपदेवता है I कई
पुराने किताबों में उसका उल्लेख किया गया है और
उसका नाम है काउंट मैगनस जिसके नीचे का भाग
पेड़ के जड़ की तरह दिखता है देखने से ऐसा लगता
है मानो कई सारे जंगली लताएं हैं I लताओं की तरह
दिखने वाले वह सभी उसके पैर हैं और ऊपर का भाग
फॉग डोम यानि कोहरे के बड़े गोले की तरह दिखता है I
देखने से लगेगा घना कोहरा है लेकिन वही है काउंट
मैगनस , जितना समय बीतता जाता है उतना ही बड़ा
और घना हो जाता है वह और एक हैलुसिनेशन तैयार
करता है दिमाग के अंदर I "
" और वो सभी चिन्ह , वह क्या है ? "
" वह सावधानी का चिन्ह है जिसमें लिखा है मंदिर के अंदर एक कमरा है और उस कमरे में है एक पाताली गुफा , चिन्ह के अनुसार उस गुफा के अंदर ही वह शैतानी कोहरा बंद करके रखा गया था लेकिन अगर वह गुफा खुला तो वही काउंट मैगनस के जीवित होने का कारण बनेगा I "

आशीष के हाथ से मोबाइल नीचे गिर गया I उसके
सामने उस दिन के सभी दृश्य आ गए जब उस गुफा
के दरवाजे को खोलने के बाद घने कोहरे का जन्म
हुआ था I आशीष ने उस दिन जो बहुत सारे पेड़ देखे
थे और न खत्म होने वाले जंगल , वह सब कुछ था
हैलुसिनेशन , किसी तरह वह उस दिन बचकर लौटा
था लेकिन आज I
बहुत साल पहले उस जनपथ को शायद काउंट
मैगनस ने ही छुपा दिया था कोहरे के पीछे I बहुत
दिन तक किसी के यहां ना आने से वह कोहरा कम
शक्तिशाली हो गया था लेकिन उस दिन वह सभी
चार दोस्तों मैं अनजाने में ही इस प्राचीन शैतान को
जगा दिया था I
तभी आशीष को लगा आवाज करते हुए कोई इधर
ही आ रहा है I छुपने की जगह नहीं है आशीष के
पास, आवाज धीरे - धीरे सामने आ गया I उसने
देखा मानसी का मरा हुआ शरीर लेकिन वह मृत
शरीर नीचे लेटा हुआ नहीं है वह तो खड़ी है और वह
चल रही है I डर के कारण मानो आशीष अभी बेहोश
हो जाएगा I लेकिन उसी बीच आशीष की नजर गई
मानसी के शरीर पर उसका शरीर गले से पेट तक
कटा हुआ था और वहां से ना जाने काले - काले कीड़े
जैसे कुछ निकल रहा था I हां सांप की तरह कुछ तो
निकल रहा है I सांप के जैसे कुछ भयानक छोटे-छोटे
जानवर उस कटे हुए जगह से निकलकर पूरे शरीर
पर चिपक रहे हैं यह दृश्य बहुत ही डरावना है लेकिन
नहीं वह सांप नहीं है I लताओं की तरह है पर जीवित
है और वह सभी जीवित है और धीरे-धीरे आकार में
भी बड़े हो रहे हैं I अब एक अद्भुत आवाज निकलने
लगा मानसी के मुंह से लेकिन नहीं यह आवाज तो
मानसी की नहीं है I यह आवाज कर रहे हो वह सभी
अद्भुत प्राणी न जाने कि वह सभी चिल्ला रहे हैं I
आशीष ने देखा कि मानसी के हाथ पैर धीरे-धीरे अलग
होने लगे और उसके अंदर से सांप की तरह का जीव
भयानक और बड़ा होने लगा I मानसी के सिर से बहुत
सारे जीवित लताएं निकल रहे हैं मानो काउंट मैगनस
अपने पैरों को और बढ़ा रहा है I अब आशीष की
तरफ वह घना कोहरा एक आकृति लेते हुए बढ़ने लगा I
वह कोहरा होता गया और बड़ा और भयानक और
भी घना I घने कोहरे की एक चादर मानव चारों तरफ
से घेर रही है आशीष को, उसके चारों तरफ का रास्ता
अब बंद हो चुका है I काउंट मैगनस ने अपना और
एक शिकार चुन लिया है I
पूरा जंगल आशीष के चीखों से थर्रा उठा I...........

किसी कारणवश श्याम उन सभी के साथ जंगल नहीं गए थे I वह उतरौला के थाने में ही सभी का इंतजार कर रहे थे लेकिन रात को उन्हें खबर दिया गया कि उस जंगल से कोई भी अभी तक नहीं लौटा I
अगले दिन सुबह श्याम बलरामपुर के एक इंस्पेक्टर जब जंगल के पास पहुंचे और आसपास जब कुछ देर देखा तो उन्हें एक बॉडी मिली वह जंगल के बाहर पड़ी हुई थी पास जाकर देखा तो वह कोई और नहीं उतरौला थाने के इंचार्ज सुदर्शन यादव थे जो अधमरे पड़े हुए थे उनका पूरा शरीर जगह जगह से कट गया था उसी कटे जगहों से मानो किसी ने उनका खून चूस लिया था एक ही दिन में वह अद्भुत तरीके से पतले हो गए I

यह घटना चारों तरफ फैल गई थी और लोगों में उस जंगल के लिए डर और भी बढ़ गया था I पुलिस प्रशासन ने एक टीम बनाई सभी को खोजने के लिए क्योंकि एक इंस्पेक्टर, तीन कांस्टेबल और दो आदमी लापता हो गए हैं I सुदर्शन यादव ने ऑफिसर को बयान दिया है कि कोई भी जिन्दा नहीं बचा है लेकिन प्रशासन का मानना है शायद उन्हें किसी ने जंगलों में बंदी बना लिया होगा I
हॉस्पिटल में दो-तीन दिनों तक इलाज होने के बाद आज ठीक होकर उतरौला थाने में आए हैं सुदर्शन यादव उन्होंने सुना है कि पुलिस प्रशासन कोई टीम सभी को खोजने के लिए बनाई है और सुदर्शन उनसे कुछ कहना चाहते हैं I
जब वह थाने में पहुंचे तो देखा पूरी पुलिस टीम जंगल
में जाने को तैयार थी I सुदर्शन यादव जाते ही सभी
से बोले - " आप सभी बुरा मत मानियेगा मैं बस इतना कहता हूं आप सभी इस जंगल में मत जाइए वहां मौत के अलावा और कुछ भी नहीं I "
यह सुन टीम के कुछ नौजवान पुलिस हंसते हुए बोले - " सुदर्शन जी आपने अपराधियों से पंगा नहीं ले पाया हम उन्हें अभी घसीट कर लाते हैं I अभी आप का इलाज हुआ है आप जाइए और सुना है वहां पर भूत प्रेत है I अगर है तो पुलिस का डंडा उन पर भी चल सकता है I "
यह सुन वहां सभी हंसने लगे I


सुदर्शन यादव शायद किसी तरह भागते हुए इस जंगल से निकले थे और शायद भागते वक्त उनके पूरे पैरों में ना जाने कैसे बहुत सारे चोटें आई थी इसीलिए लंगड़ाते हुए चलकर दरवाजे से बाहर निकलते हुए भी वह बड़बड़ा रहे थे I
" जंगल में मत जाओ वहां केवल मौत है, वहां केवल
मौत है सबको मार डालेगा वह जंगल, वहां केवल
मौत है I"..............

।। समाप्त ।।

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@rahul