Vivek you tolerated a lot! - 12 books and stories free download online pdf in Hindi

विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 12

अध्याय 12

डॉ. अमरदीप के हाथ में जो 'मेडिकल बुलेटिन' था पढ़कर खत्म करते ही स्टाफ नर्स पुष्पम अंदर आई।

उन्होंने गर्दन उठा कर उसे देखा।

पुष्पम बोली "डॉक्टर शिवपुण्यम आ रहे हैं। आपने फोन किया था क्या...."

"हां! उन्हीं के लिए वेट कर रहा हूँ ।"

अमरदीप के बोलते समय ही डॉक्टर शिवपुण्यम दरवाजे को खोलते हुए अंदर आए। उनका थोड़ा भारी शरीर। सिर गंजा।

"गुड इवनिंग अमरदीप..."

"गुड इवनिंग.... शिवपुण्यम ! थैंक्स फॉर यूअर कमिंग..."

पुष्पम बाहर चली गई....शिवपुण्यम सामने की कुर्सी पर आराम से बैठ गए।

"कहिए.... क्यों अचानक फोन किया ?"

"आपसे एक छोटा कंसल्टेशन..."

शिवपुण्यम हंसे। "क्या है अमरदीप.... सिटी में आप ही नंबर वन सर्जन है। मैं तो सिर्फ एक पेडियाट्रिक हूं। मुझसे कंसल्टेशन वेलकम वेलकम....."

"मिस्टर शिवपुण्यम ! आप थोड़े दिन पहले जेनेवा जाकर स्क्रॉल साइप्रो वायरस के बारे में एक मेडिकल सेमिनार में भाग लेकर आए हैं ना?"

"यस..."

"उससे संबंधित एक आर्टिकल आपने सबमिट किया है मैंने सुना।"

"हां..."

“इस वायरस से प्रभावित एक पेशेंट यहां पर एडमिट हुआ है। उनका नाम पोरको है। युवा है। आईटी कंपनी में काम कर रहे हैं। कुछ विशेष समय में उन्हें सर दर्द होता है ऐसा कहकर यहां पर आए थे

बात करते समय थोड़ा खून उनके मुंह से आया और वह बेहोश होकर गिर गए। उसका कंप्लीट एक सिटी स्कैन निकाल के देखा.... उसके खून में ही स्क्रॉल साइप्रो वायरस है ऐसी एक भयंकर बात का पता चला...."

शिवपुण्यम अपने माथे को पकड़ लिया।

"माय गुडनेस !"

अमरदीप फिर बोले। "मैं स्तंभित रह गया। उसके शरीर के अंदर रहने वाले स्क्रॉल साइप्रो वायरस निकालने के लिए एस.एस. सिरम कितना काम करेगा? उस युवा को इस रोग से बचाने की कितनी संभावना है...?"

शिवपुण्यम एक दीर्घ श्वास छोड़ा... अपने कंधों को थोड़ा उचकाकर, उनके मोटे-मोटे होठों को पिचकाया।

"सॉरी मिस्टर अमरदीप....! स्क्रॉल साइप्रो वायरस यदि किसी के शरीर में प्रवेश कर गया तो उसका मतलब उसकी मृत्यु का बुलावा है । आप कितना भी एस.एस. सीरम को खून में चढ़ाओ... उसका सक्सेस रेट सिर्फ 10 परसेंट ही है.... यह एक अपूर्व रोग है संसार में एक हजार लोगों को ही आया है। उसमें से एक भी आदमी जिंदा नहीं बचा। मैं उस आदमी के स्कैन रिपोर्ट हो देख सकता हूं?"

"प्लीज..." कहकर अमरदीप मेज पर एक तरफ रखे हुए कवर को उठाकर उन्हें दिया।

"वेरी क्रिटिकल... पेशेंट को एक स्टमक ओपन सर्जरी की जरूरत है। डिजिटल स्कैन के द्वारा उस वायरस को लोकेट करना चाहिए। उसे लोकेट करके उसे खत्म करने के लिए... एस.एस. सिरम देते समय जान को खतरा होने की 90% संभावनाएं है।"

"बेचारा.... वह परिवार ! बुजुर्ग मां बाप। शादी के लिए तीन बहने.... इज देयर एनी अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट!"

शिवपुण्यम ने नहीं में सिर हिला दिया।

"क्या है अमरदीप....! एक पेशेंट जैसे मुझसे प्रश्न पूछ रहे हो...?"

"हम क्या कर सकते हैं। यस, डॉक्टर हम अपने कर्तव्य को ही कर सकते हैं.... जिंदा रहना या मरना यह उनका भाग्य। ऑपरेशन करके देखो। फिर भगवान ने जो चाहा वही होगा....!"

शिवपुण्यम उठ गए।

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