भूतभूलैय्या books and stories free download online pdf in Hindi

भूतभूलैय्या

वीर के लिए सबसे अच्छा समय होता है शाम का. जब सूरज डूबने और हल्का अंधेरा छाने लगता है. तब वह बाल्कनी में आकर खड़ा हो जाता है. वहां से गली का मोड़ तक दिखाई देता है. वह इंतजार करता है मम्मी-पापा के दफ्तर से लौटने का. कभी वे साथ-साथ लौटते हैं पापा की लाल कार में, तो कभी-कभी मम्मी पहले आ जाती है ऑटो में.

उस दिन भी वीर उनका इंतजार कर रहा था कि नीचे गेट के सामने से एक आवाज आयी, ‘‘ मालिक, नौकर चाहिए?’’

वीर ने चौंक कर उधर देखा, उसकी ही उम्र का एक लड़का धोती और बंडी में खड़ा था. लड़के ने फिर पूछा, ‘‘ मालिक नौकर चाहिए?’’

वीर को हंसी आ गई. वो कहां का मालिक.

फिर भी टाइम पास करने के ख्याल से उसने पूछा, ‘‘ तुम्हारा नाम क्या है?’’

उस लड़के ने जवाब दिया,‘‘ तेनाली! ’’

वीर ने फिर पूछा, ‘‘ तेनाली राम?’’

लड़का बोला, ‘‘ नहीं सिर्फ़ तेनाली. आपका नाम क्या है मालिक?’’

वीर बोला, ‘‘ वीर! और मैं मालिक नहीं हूं. तुम वहीं रूके रहो. मेरे मम्मी-पापा आने वाले हैं उनसे पूछ लेना.’’

तेनाली ने गेट के और नजदीक आते हुए कहा, ‘‘ आप भी तो बीरवल नहीं ना, सिर्फ़ वीर ही हो ना?

तो सुनो, मुझे बड़ों का नौकर नहीं बनना, सिर्फ़ बच्चों का नौकर बनना है, सिर्फ़ उन्हीं की चाकरी करनी है.’’

वीर ने पूछा, ‘‘ क्यों-क्यों, ऐसा क्यों?’’

तेनाली बोला, ‘‘ क्योंकि मैं एक भूत हूं. मगर डरो नहीं. मैं अच्छा भूत बालक हूं. आपके बहुत काम आऊंगा. बहुत से काम करूंगा. हो वर्क से लेकर... स्कूल में आपको हीरो बनाने तक.’’

वीर के पेट में गुड़गुड़ी होने लगी. दिल ने कहा, वीर ऐसा मौका दोबारा नहीं आएगा. डील पक्की कर ले. इसलिए उसने पूछा, ‘‘ मगर तुम्हारी पगार?’’

तेनाली बोला, ‘‘ बस दो रोटी, सात मिर्चें, एक टमाटर, एक नींबू और थोड़ा गुड़-स्वीट डिश में.’’

तेनाली आगे बोला, ‘‘ तो आ जाऊं या अगला दरवाजा खटखटाऊं?’’

वीर बोला , ‘‘ आ जाओ!’’

***

और अगले ही पल तेनाली उसके सामने खड़ा था. उसे सामने देखकर वीर डर से कांपने लगा.तेनाली उसकी पीठ थपथपाकर बोला, मालिक डरो मत. मैं आपके मम्मी पापा, दोस्तों को नजर नहीं आऊंगा.

चलो पहले आपके लिए हॉरलिक्स बनाकर लाता हूं. तेनाली रसोई में यूं गया और हॉरलिक्स बनाकर यूं ले आया. तभी मम्मी पापा आते हुए दिखाई दिए. उसने रोजाना की तरह दौड़कर गेट खोल दिया. उसके हाथ में हॉरलिक्स का कप देखकर मम्मी को बड़ी हैरानी हुई. उन्होंने पीठ थपथपाकर शाबाशी दी.

थोड़ी देर बाद वीर अपने कमरे में लौटा तो देखा, उसका बिखरा बिस्तर, स्टडी टेबल अलमारी सब व्यवस्थित है और तेनाली फर्श पर बैठा हॉरलिक्स पी रहा है.

वीर ने मुस्कराकर पूछा, ‘‘ मेरा हिस्ट्री का होमवर्क कर लो तेनाली.’’

तेनाली बोला, ‘‘ मालिक किताब दो, पहले उस पाठ को एक बार पढ़ लूं.’’

वीर ने किताब खोलकर वह पाठ दिखा दिया और तेनाली जोर-जोर से पाठ पढ़ने लगा. बीच-बीच में थोड़ा डांस करके या अजीब आवाजें निकाल कर वीर को हंसा भी देता. पूरा पाठ पढ़ने के बाद बोला, आ जाओ मालिक, कॉपी खोलो मैं आपका हाथ पकड़ कर लिखवाता हूं. बस आपको हाथ सरकाते जाना है.

वीर ने एतराज करते हुए कहा,‘‘ क्यों तुम्ही लिख दो ना, मुझे नींद आ रही है!’’

तेनाली बोला, ‘‘ मालिक आपकी राइटिंग में ही लिखना है ना, इसलिए?’’

और फिर वीर और तेनाली ने मिलकर होमवर्क किया.

होमवर्क पूरा होते ही तेनाली खड़े-खड़े ही खर्राटे लेने लगा.

वीर भी बत्ती बुझाकर सो गया.

**

अगली सुबह तेनाली ने सुबह 6 बजे वीर को जगा दिया और बोला, ‘‘ मालिक उठो, थोड़ा व्यायाम कर लो. मैं गाना गाकर तुम्हारा हौसला बढ़ाता हूं. ’’

तेनाली भूत का गाना? एक रोमांच की उम्मीद के साथ वीर ज़िन्दगी में पहली बार अपने कमरे में व्यायाम करने लगा और तेनाली ने पता नहीं किस भाषा में उसे एक तूफानी रफ्तार वाला गाना सुनाया. शायद उसी का असर था कि दोनों आधे घंटे तक नाचते -गाते रहे और फिर वी जब पसीने से लथपथ हो गया, तो तेनाली बोला, ‘‘ मालिक अब नहाकर तैयार हो जाओ, और नाश्ता करते समय मेरा हिस्सा भी प्लेट में रखना न भूलना!’’

नाश्ते की प्लेट पर वीर को पहले से ज़्यादा चीजें डालते देख पापा को थोड़ी हैरानी हुई तो वीर ने फौरन सफाई दे दी, ‘‘ पापा आज से एक्सरसाइज शुरू की है ना!’’

उस दिन वीर के साथ तेनाली भी स्कूल गया. अच्छा तो यह हुआ कि वीर का बैग उसने ही उठाया. मगर बुरा यह हुआ कि उस दिन क्लास के दो बच्चों के टिफिन खाली मिले.

शाम को तेनाली ने बड़ी मासूमियत से कहा, ‘‘ मालिक, आज साइंस की टीचर ने क्या पढ़ाया, जरा भी समझ में नहीं आया.’’

सो उस रात वीर को साइंस को वह पाठ तेनाली को समझाना पड़ा. और आधा पाठ सुनते-सुनते तेनाली खर्राटे मारने लगा.

मगर सुबह 6 बजते न बजते तेनाली ने वीर को जगा दिया और कहा, मालिक आज ताजी हवा में व्यायाम करेंगे. चलो सामने वाले पार्क में चलते हैं’’

और पार्क में पहुंचते ही तेनाली ने एक कारनामा किया, यहां खड़े एक कुत्ते के कान पकड़कर उस पर सवार हो गया और बोला, मालिक तुम दौड़ो. मैं अपनी सवारी के साथ तुम्हारा पीछा करता हूं!’’

इस तरह तेनाली आधे घंटे तक वीर को दौड़ाता रहा. वीर पैदल,तेनाली कुत्ते पर सवार.

अगले दिन भी तेनाली ने वीर का जलवा जमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. फुटबॉल के मैदान में वीर से गोल करवाने के लिए कितनों को तो लंगड़ी मारी और टीचर ने जब सवाल पूछे तो कईयों के मुंह बंद किए या गुदगुदी करके डांट खिलायी.

मगर घर में आकर उसका पूरा बदला लिया. रास्ते में प्रोविजन स्टोर से दो अंडे चुरा लाया और ऑमलेट बनाकर चाव से खाने लगा. एक शाकाहारी के घर में यह अपराध था. लेकिन बाद में उसने किचन को यूं साफ किया कि मम्मी ने आकर वीर को शाबाशी ही दी.

इस तरह दिन मजे से गुजर रहे थे. भूत नौकर ने वीर की ज़िन्दगी बदल दी थी. वीर दिनोंदिन हर क्षेत्र में सुधर रहा था, मगर तेनाली बिगड़ रहा था.

एक दिन आधी रात को सोते पिताजी का कान खींच आया और उसने इस मजाक में बाकी रात भर खीं-खीं कर हंसता रहा. फिर एक दिन मछली वाले के यहां से एक मछली चुरा लाया. वीर ने बड़ी मुश्किल से उसे ऐसा करने से रोका. और फिर उस दिन तेनाली ने वीर की पैंट को प्रेस करते समय जानबूझकर जला दिया.

अगले दिन भी तेनाली वीर से कुछ रूठा -रूठा ही रहा. रास्ते में चिकन लॉलीपॉप खाने की मांग करने लगा. वीर ने मना किया तो उसने वीर का स्कूल बैग पानी में गिरा दिया.

वीर समझ गया कि तेनाली को स्कूल ले जाना खतरे से खाली नहीं है. वह लोगों के बीच आकर नई-नई शैतानियां सीख रहा है. इसलिए उसने घर जाकर तेनाली को खूब डांटा. नौकरी से निकाल देने की धमकी दी. और अगले दिन स्कूल भी नही ले गया.

वीर दोपहर बाद तब स्कूल से लौटा तो देखा फूल के तीन गमले टूटे हुए हैं. घर में गया तो देखा उसका खाना गायब है और अपने कमरे में गया तो देखा मेज पर एक छोटा सा पत्र लिखा है. यह पत्र तेनाली का था. उसने लिखा था,

-मालिक मैं नौकरी छोड़कर जा रहा हूं!

पता नहीं उसने कैसी स्याही से लिखा था कि वीर ने फिर से उसे पढ़ना चाहा तो कुछ नजर नहीं आया. पन्ना कोरा था.

बस इसी के साथ दुनिया के सबसे छोटे और विचित्र मालिक-चाकर का रिश्ता समाप्त हो गया.

***