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सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर - भाग १

प्रेम की पराकाष्ठा

सर्दियां शुरू हो चुकी थी, रात जल्दी होती जा रही थी। आफिस का अपना सारा काम निपटाकर आदिल घर आ पहुंचा था और अपना डिनर भी खत्म कर अपने रूम में भी पहुंच गया था। रात के करीबन १० बजे का वक़्त हो चला था। उसने अपना फ़ोन चार्जिंग से निकाला जो पहले से ही चार्जिंग पर पड़ा था।

"आज रात मैं तुम्हे जल्दी नही सोने दूंगा।" अपना फ़ोन अनलॉक कर, फेसबुक और व्हाट्सएप्प के ज़माने में उसने टेक्स्ट मैसेज टाइप किया और भेज दिया।

"क्यो?" एक बेहद ही छोटा सा मगर सीधा सवाल मैसेज के रूपमें अगले ही पल सामने की ओर से आया।

"क्योकि, देर रात तक तुमसे बातें करना मेरी फंतासी है, यु कनॉ?" उसने कारण बताते हुवे रिप्लाई किया।

"ठीक है बाबा! मैं जग रही हूं।" बिना कोई बहस किये ही वह सहमत हो गयी।

उसकी सहमति वाला मैसेज पढ़कर कोई उत्तर देने के बजाये उसने अपना फ़ोन फिरसे चार्जिंग मोड़ में लगा दिया और टीवी ऑन करके चैंनल फेरने लगा। लेकिन, टीवी पर वही घिसा-पीटा मनोरंजन पिरोसा जा रहा था जो उसको पसंद नही था या तो फिर वो पहले से ही देख चुका था। आखिरकार वो टेन स्पोर्ट पर ठहरा जो WWE SUMMER SLAM की हाइलाइट्स प्रसारित कर रहा था।

करीबन डेढ़ से ज़्यादा घंटा गुज़र जाने के बाद उसके फोन पर मैसेज आया। मैसेज के नोटिफिकेशन टोन ने आदिल का पूरा ध्यान मोबाइल की ओर खींच लिया था। बिना कोई देरी किये उसने अपना फ़ोन चार्जिंग से निकाला और फ़ोन अनलॉक कर आया हुआ मैसेज पढ़ने लगा।

"मुझे बहुत ही ज़्यादा नींद आ रही है, मैं सोने जा रही हूं। गुड नाईट, स्वीट ड्रीम्स, टेक केअर, बाय।"

"मैं तुम्हे नही सोने दूंगा।" आया हुआ मैसेज पढ़कर बिना वक़्त गंवाये उड़ने तुरंत ही रिप्लाई भेजा।

"ठीक है! तो फिर अभी के अभी मुझे कॉल करो।" अगले ही क्षण फिरसे रिप्लाई आया।

"नही! WWE देखने के बाद ही मैं तुमको फ़ोन करूँगा।" आदिल ने अपनी मनमानी करते हुवे रिप्लाई किया।

"वक़्त का अंदाज़ा भी है तुम्हे? बारह बजनेवाले है।" फिर एक मैसेज सामने की ओर से आया।

"बजनेवाले है, लेकिन अभी बजे नही है।" आदिलने बहस करते हुवे फिर रिप्लाई दिया।

आदिल को मैसेज किये हुवे ५ से ज़्यादा मिनट हो चुके थे लेकिन, अभी तक स्नेहा का कोई मैसेज नही आया था शायद वो इतनी रात को आदिल से कोई बहस नही करना चाहती थी, या फिर वो सो चुकी थी।

"ठीक है, अभी फ़ोन कर रहा हूँ। सो मत जाना।" जब स्नेहा का कोई मैसेज नही आया तो उसने फिरसे मैसेज कर स्नेहा को बताया। १२ बजनेमे अभी १ मिनट का वक़्त था। मन ही मन वो उल्टी गिनती करने लगा।

तीन.... दो.... एक....

जैसे ही बारह बजने पर आदिल ने स्नेहा को फ़ोन किया तो एक पल की भी देरी किये बग़ैर ही स्नेहा ने फोन रिसीव भी कर लिया।

"हाई।" एक बहुत ही प्यारी और मधुर आवाज आदिल के कानोंमें गूंज उठी जो हरबार उसका दिल बहला जाती थी।

"हाई।"

"इतनी देर रात मुझसे क्या बात करनी है तुम्हे भला?" इससे पहले की आदिल कुछ बोल पाता बनावटी रूखेपन के साथ स्नेहाने सवाल किया।

"क्योकि, आज मैं बहुत ही खुश हूं।" आदिल की आवाज़ में एक अलग ही उत्साह था जो फ़ोन के उस पार भी स्नेहा महसूस कर सकती थी।

"इस खुशी का राज़ ज़रा हमें भी तो पता चले कि जनाब इतने खुश क्यो मालूम पड़ रहे है?" आदिल को छेड़ते हुवे स्नेहा ने पूछा।

"तुम्हे पता है, आज तुम्हारे घर से जाने के बाद माँ ने तुम्हारे बारे में क्या कहा?" आदिल के सीधे सवाल ने स्नेहा को थोड़ा नर्वस कर दिया। लेकिन वो जानने के लिए उत्सुक थी कि माँ ने आखिरकार क्या कहा होगा।

"क्या?" नर्वसनेस और उत्सुकतावश वो बस इतना ही पूछ सकी।

"यू डफर! माँ को तुम बहुत ही पसंद हो।" आदिल ने स्नेहा की उत्सुक्ताको आराम दिया लेकिन स्नेहा के तन-बदन में खुशी की ऐसी लहर बह पड़ी की उसे शब्दो मे बयां करना मुश्किल से मुश्किल था। वह बहुत ही उत्साहित हो चुकी थी। उत्साहित उतनी की वो ज़ोर से चिल्लाकर अपने बिस्तर पर कूद पड़ी। लेकिन, जब उसे वक़्त का अंदाज़ा हुवा तो उसने अपने एक हाथ मुंह को पल भर के लिए दाब दिया और बड़ी-बड़ी सांसें भरने लगी।

"तुम मेरे साथ कोई मज़ाक तो नही कर रहे, है ना?" उसने सामान्य होकर फिरसे पक्का करते हुवे पूछा।

"बिल्कुल भी नही। यू स्टुपिड " उसने अपनी बात पर अड़े रहते हुवे कहा।

"चल झूठे मैं नही मानती तेरी बातों को।" उसने धीमी आवाज़ के कहा।

"तो मत मानो!" इतना कहकर बनावटी गुस्से से आदिलने फोन काट दिया।

"बताओ न! माँ ने क्या कहा मेरे बारे में?" आदिल के फोन काटते ही अगली ही क्षण स्नेहाने फोन करके वही बात दोहराई।

"माँ को तुम बहुत ही पसंद हो।" आखिरकार आदिलने स्नेहा को मना लिया।

"वाह अब तो एक हग बनती है।" ख़ुशी से तरबतर वो बोल पड़ी।

वे दोनों बेहद ही खुश थे, वे यक़ीन नही कर सकते थे कि, कुछही दिनों में वे शादी के बंधन में जुड़ने जा रहे थे। उनको यह भी नही पता था कि, रात के १ बजे का वक़्त हो चला था। वे एक दूसरे के प्यार में डूब चुके थे

"तुम्हे पता है, मैं तुम्हे मरते दम तक प्यार करती रहूंगी।" इतना बोलकर उसने धीमी आवाज़ में सिटी बजाई।

"और मै तुमको उससे भी ज़्यादा।" उसने स्नेहा की विस्सल का जवाब अपने फ़ोन पर किस कर देते हुवे कहा।

"तुम्हे पता है शादी का वह दिन देखने के लिए मैं मरे जा रहा हूँ जब हम दोनों हाथों में हाथ थामे सबके सामने खड़े होंगे। मैं उस दिन को देखने के लिए बेकरार हूं जब, तुम लाल रंग के दुल्हन के जोड़े में होंगी और मैं सूट-बूट पहनकर बिल्कुल एक जेंटलमैन की तरह तुम्हारे पास तुम्हारी बांह में बांह डाले खड़ा होऊंगा और इतना ही नही उस वक़्त भी तुम्हारी एक-एक झलक पाने को मैं हर हाल प्रयास करूंगा। और तुम्हे पता है सबसे अच्छी बात क्या होगी?"

"क्या?" जब वह बोलते हुवे कुछ पल के लिए ठहरा तब उतने में ही स्नेहा पूछ बैठी।

"कोई चाहकर भी हमें अलग नही कर पायेगा।"

आदिल द्वारा कही गयी हर एक बात स्नेहा कल्पना कर जी रही थी और इस सपने को हक़ीक़त में बदलने के लिए वह बहुत ही बेकरार थी।

"और फिर?" आदिल के ठहरते ही उसने पूछा मानो वह चाह रही थी कि, आदिल कभी ठहरे ही नही।

"सब लोग मुझसे जल रहे होंगे क्योंकि, एक बेहद ही खूबसूरत और हसीन लड़की को मैंने दुल्हन के रूप में पाया होगा। हमारे दोस्त हमारे इर्दगिर्द खड़े हम पर हम पर जोक्स बना रहे होंगे और हमें चिढा रहे होंगे। जब तुम उनकी पचकानी बातें सुनकर हंस पड़ोगी तब तुम्हारे गाल पर पड़ रहे खड्डों को देख मैं फिर एक बार तुम्हारे प्यार में गिर जाऊंगा।"

"तुम्हारी सोच कितनी सुंदर है आदिल, प्लीज़ रुको मत बोलते जाओ।" आदिल की बातें सुन ऐसा लग रहा था मानो स्नेहा मदहोश हो चली थी और हक़ीक़त में पहुंच चुकी थी जिस वक्त की आदिल कल्पनाये कर रहा था।

"तुम्हारा हाथ छोड़ने को मेरा जी नही कर रहा होगा लेकिन मेरी सख्त पकड़ के कारण तुम्हे दिक्कत में देख में मेरे हाथो की पकड़ को ढीली कर दूंगा। जब लंच की शुरूआत होगी तब हमारे सारे रिश्तेदार-दोस्त सब खाने की ओर अपना रुख करेंगे तब हमें कुछ और 'एकांत के पल' हमारे लिए मिल जायेंगे।"

आदिल की कही गयी हर एक बात को स्नेहा ख़ुशी-ख़ुशी सुने जा रही थी, वो चाहती थी कि इन्ही कल्पनाओ के सागर में वह आदिल के साथ हमेशा के लिए खो जाये, और इसके पीछे की एक वजह यह भी थी कि, आज से पहले स्नेहा ने आदिल की यह साइड कभी देखी ही नही थी।

"फिर...?" स्नेहा ने बात आगे बढ़ाने को कहा।

"जब सबका ध्यान सिर्फ और सिर्फ खाने पर केंद्रित होगा तब मैं तुम्हे अकेला पाकर तुम्हारे माथे पर क्षणिक किस कर लूंगा। शब्दों की बजाए हमारी आंखें बातें कर रही होगी। ऐसा लग रहा होगा कि, हम सिर्फ इस जन्म के नही बल्कि, जन्मो-जन्म के प्रेमी हो। फिर जब कोई हमें ऐसे अकेला देखेगा तब वह आकर हमारे रोमांस में खलेल डालेगा। कुछ ही पल में उसके साथ हमारे सारे रिश्तेदार आएंगे और हमें खाना खाने के लिए ले जाएंगे। में घड़ी के कांटे गिन रहा होऊंगा कि, कब शाम हो और मैं तुम्हे हमेशा के लिए मेरे साथ ले जा सकू।"

आदिल के एक-एक शब्द ने मानो हवामें भी प्यार को घोल दिया था। वक़्त को थमा दिया था और स्नेहा इन्ही वक़्त के थमे हुवे लम्हो को जी रही थी।

"फिर बारी आएगी तुम्हारी बिदाई की, तुम्हारे सारे रिश्तेदार तुम्हे बिदा करने को जमा हो चुके होंगे, तुम अपने उन आखिरी पलो को यादगार बनाने की कोशिश कर रही होगी। तुम्हारी माँ, मतलब कि, आंटी और अंकल और भाई के साथ तुम फ़ोटो खिंचवा रही होगी और फोटोग्राफर उन खूबसूरत पलो को अपने कैमरे में कैद करने में लगे पड़े होंगे। यक़ीनन एक लड़की के लिए यह एक बेहद ही मुश्किल वक़्त होता होगा, अपने सारे परिवार और अपनी पुरानी जिंदगी को छोड़, एक नये घरमें, नये सिरे से ज़िंदगी को शुरू करना और वो भी एक ऐसे आदमी के साथ जिसे वह कुछ पल से ही जानती हो। यक़ीनन तुम लडकिया ही हो जो यह सब कर सकती है। एक तुम ही हो जो यह सब छोड़ कर आगे बढ़ सकती हो। बिदाई के वक़्त तुम रोओगी लेकिन, मैं तुम्हे ऐसा करने से रोकूंगा नही, तुम्हारे ज़ज़्बातों को, आंखों से मैं बहने दूंगा, लेकिन फिर भी, मेरे हिसाब से तुम रोओगी नही।"

"और तुम्हे ऐसा क्यों लगता है भला?"

"क्योकि, आंसू एक ऐसी चीज़ है जो तुम्हारे मेकअप खराब कर सकती है।" इतना बोलती ही वो हंस पड़ा और स्नेहा भी उसकी हंसी में शामिल हो गयी। वे दोनों बहुत ही खुश थे और अपना आनेवाला सुनहरा कल उनकी दहलीज़ पर दस्तक देता हुआ वो देख सकते थे।

"वैसे आजकल वाटरप्रूफ मैकअप भी आता है जनाब, आंसुओ से जो खराब नही होता।" आदिल की मैकअप की कमज़ोर जानकारी को थोड़ा मज़बूत बनाते हुवे स्नेहा ने कहा।

"फिर, हम हमारी सुहागरात पर क्या करेंगे मेरे प्रिय प्राणनाथ?" इससे पहले की आदिल मैकअप के बारे में कुछ बोल पाता स्नेहा ने आदिल को चिढ़ाते हुवे पूछा।

"क्या एक मैं ही हूं जिसने अपने आनेवाले कल के बारे में सपने बुने है? क्या तुमने कभी कुछ ऐसा सोचा ही नही जो मैंने सोचा है? स्नेहा को लताड़ते हुवे आदिल ने पूछा।

"मुझे कभी मौका ही नही मिला कि मैं तुमको अपने मन की बताऊ।" अपनेआप को बचाने का प्रयास करते हुवे स्नेहा ने कहा।

"चलो कोई नही, आज मौका देता हूँ, ज़रा हम भी तो सुने मैडम साहिबा ने क्या-क्या सोच के रखा है हमारी सुहागरात के बारे में?" आदिल ने उंगली करते हुवे कहा।

"तुम्हारे घर पहुंचने पर, मतलब कि, हमारे घर पहुंचने पर, हमारे दोस्त हमें अपने कमरे तक ले जायेंगे जो फूलो से ठीक वैसे ही सजा होंगा जैसा फिल्में, वगेरह में दिखाते है, फूलो की मीठी-मीठी खुशबू इस प्यार भरे वातावरण को और भी खुशनुमा बना रही होंगी। जब हम इस खुशनुमा वातावरण का मज़ा लूटने में लगे होंगे तब हमारे दोस्त वेडिंग सेरेमनी की अंतिम रस्मे पूरा करने के लिये दिल के आकार में बना जस्ट मैरिड लिखा हुवा केक लायेंगे, और हमसे वह केक कटवाएंगे। केक कटिंग सेरेमनी के बाद वे हमें कोई रोमांटिक गाने पर डांस करने को कहेंगे। इसके बावजूद की तुम उनकी शर्तो से सहमत नही होगे फिर भी तुम मुझे डांस करने के लिये प्रपोज़ करते हुवे अपना हाथ आगे बढ़ाओगे, जिसे मैं ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार कर लुंगी। जब हम अपने दोस्तों की सारी शर्ते मान लेंगे तब वे हमें अकेले छोड़ अपने घर का रास्ता नापेंगे।

जिस तरह आदिल की बातें सुनकर स्नेहा मदहोश हो चुकी थी ठीक उसी तरह आदिल भी स्नेहा की कही गयी हर एक बात को कल्पना कर के जी रहा था।

"जब तुम और मैं कमरे में अकेले होंगे उस वक़्त मैं थोड़ा नर्वस फील कर रही हूँगी, हमारे बिस्तर पर जब मैं घूंघट से मुंह छुपाये बैठी हूँगी तब तुम धीरे-धीरे से मेरे पास आओगे, और फिर मुझे बिस्तर पर लिटा दोगे, तुम्हारा एक पांव मेरी जांघ पर होगा जबकि, दूसरे पांव से तुम मेरे पैर की पायल के साथ खेल रहे होंगे। फिर धीरे-धीरे तुम मेरे गालो की ओर बढ़ोगे, मेरे मखमली, नाज़ुक और कोमल गाल पर मै तुम्हारे हाथों का मर्दाना स्पर्श अपनी आंखें मूंदे महसूस कर रही हूँगी। उसके बाद जब तुम मुझे किस करने मेरे होंठो की ओर बढ़ोगे, तब मैं तुम्हे अभी तक जल रही कमरे की लाइट बंध करने का इशारा करूँगी और तुम किसी छोटे बच्चे की तरह मेरी बात का पालन भी करोगे।"

"उसके बाद...?" अब पूछने की बारी आदिल की थी, वो बड़ा ही बेकरार था यह जानने को की स्नेहा उनकी सुहागरात किस तरह, कौनसे शब्दो मे बयां करती है।

"लाइट बंध हो जाने के बाद हम एक दूसरे की बांहों में समा जायेगे, लफ्ज़ साथ नही दे रहे होंगे और आँखें भी खामोश होगी। लेकिन, जैसे हर कहानी में हीरो पहला कदम उठाता है तुम भी ठीक वैसे ही करोगे मगर, नर्वसनेस के कारण मै तुम्हे आगे बढ़ने से रोकने का असफल प्रयास करूँगी। दिन भर की भागदौड़, रस्मे, रीति-रिवाज की वजह से थकान अपना असर दिखाना शुरू कर चुकी होगी, तुम मेरे बालों से खेलते-खेलते ही मुझसे पहले सो जाओगे। फिर मैं वाशरूम में जाकर आरामदायक नाईट ड्रेस चेंज करने के लिये एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतारूंगी लेकिन अफ़सोस, परिस्थिति का फायदा उठाने के लिये तुम वहां पर नही होंगे।" स्नेहा ने आदिल का मजाक बनाते हुवे कहा।

"अच्छा, हमसे होशियारी?" आदिल रूखेपन से चिढ़ता हुवा बोला।

"नाईट ड्रेस पहनने के बाद मैं तुम्हारे बगल में आकर तुम्हारे पास सो जाऊंगी, जैसे हर पत्नी अपने पति के माथे पर हाथ फेर उसके बालो को सहलाती है, ठीक वैसे ही, मैं भी तुम्हारे बालो को सहलाऊंगी, मेरे सहलाने की वजह से तुमको गहरी नींद में भी मुस्कुराता देख मेरे दिल को कितना सुख मिल रहा होगा तुम सोच भी नही सकते, फिर आखिरकार, थक हार कर, मैं भी तुम्हारे साथ सपनो की दुनिया मे खो जाऊंगी, और इस तरह कुछ न करके हम अपनी सुहागरात मनाएंगे, मेरे प्रिय प्राणनाथ...!" स्नेहा अपनी हंसी को काबू नही कर पाई और हंसने लगी।

इससे पहले की आदिल कुछ बोल पाता, उसके फ़ोन की लौ बैटरी का टोन बजा। अपने आनेवाले सुनहरे कल की कल्पना करने में वे इतने तो खो चुके थे कि, कब रात के ४ बजे का वक़्त हो गया उन्हें पता ही नही चला।

आदिल थक चुका था उसकी उबासी ने उसकी भी लौ बैटरी का इशारा कर दिया था। आदिल को उबासी लेते हुवे सुन स्नेहा ने उसे सो जाने को कहा। उन दोनों ने गुड नाईट एक्सचेंज किया और एक दूसरे से आई लव यू बोल अपने प्यार का इज़हार किया और फोन काट दिया। आदिल ने अपना फ़ोन फिरसे चार्जिंग मोड़ पर लगाया और सो गया।

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