Ek Ladki - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

एक लड़की - 4

ऋषि कॉलेज की छत पर एक कोने में बैठा अपनी बचपन की बाते याद करने लगता है। जहाँ वो 9 साल का होता है और अपने घर के बाहर श्याम को अंधेरे में बैठा बैठा रो रहा होता है तभी उसके पास एक लड़की आती हैं। जो उससे एक साल बड़ी ही होती हैं। उसने सादे कपड़े पहन रखे थे, वो ऋषि के आगे बैठती हैं और ऋषि से पूछती है, क्या हुआ तुम रो क्यों रहे हो ऋषि कुछ नही बोलता है वो लड़की फिर कहती है - चलो कोई नही , मत बताओ । पर अपने घर जाओ तुम्हारी मम्मा तुम्हे ढूंढ़ रही होगा । तब ऋषि मना कर देता है - नहीं ! मैं नही जाऊंगा मेरी मम्मी मुझे मारेंगी। तब वो पूछती है - क्यों ? तुमने कुछ किया है क्या ? तब ऋषि अपनी नज़रें उठाता है और धीरे धीरे नाज़ुक आवज़ में बोलता है - मेरी मम्मी मुझे बाहर खेलने नही देती बाहर आता हूं तो डांटती है इसलिए बिना बताए मैं बाहर आ गया। तब वो लड़की उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोलती है । अब तुम बाहर आ गए हो तो तुम्हारी मम्मी परेशान हो रही होगी ना ? , तुम्हें पूरे घर मे ढूंढ रही होगी ? ये अच्छी बात थोड़ी है। तुम अंदर जाओ। तब भी ऋषि नही मानता है। और मना कर देता है तब लड़की बोलती हैं चलो ठीक है मैं भी तुम्हारे साथ चलती हु। मेरे साथ तो चलोगे ? तब ऋषि बोलता है - नही , मम्मी गुस्सा करेगी , मारेगी मुझे। लड़की - नही मारेगी ! मैं हु ना। ओर वो मान जाता है और दोनों हाथ पकड़ कर साथ में घर जाते हैं अंदर आते ही गार्डन था जहाँ उसकी मम्मी उसे ऋषि ऋषि करके पुकार रही थी। वो पीछे देखती हैं और ऋषि को देख कर गुस्सा करती हैं। और कहती है तुम कहा चले गए थे ? परेशान क्यों करते हों मूझे? बहुत बिगड़ गये हो तुम । आज तुमने गलती की है इसकी सज़ा तो तुम्हे मिलेगी, ताकि दुबारा ऐसी गलती ना करो। ओर ऐसा बोल कर उसके पास में ही रखी छड़ी उठा लेती हैं । और ऋषि के पास आकर उसका हाथ पकड़ लेती हैं और जैसे ही वो उसकी हथेली पर छड़ी से मारने वाली होती है ऋषि अपनी आंखें बंद कर लेता है। और छड़ी की आवाज़ आती हैं । ऋषि अपनी आंखें खोलता है उसकी हथेली पर उस लड़की का हाथ रखा होता है ओर छड़ी की चोट से उसके आंसू आ रहे थे। फिर वो लड़की अपना हाथ हटाती है और आंटी से बोलती हैं - सॉरी आंटी ! पर ऋषि अपने दोस्तों के साथ बाहर खेलना चाहता है ज्यादा नही तो थोड़ी देर ही सही इसके भाई के साथ बाहर खेलने भेज दिया कीजिए ताकि ऐसी गलती दुबारा न करें। ( उसका बड़ा भाई उनके पीछे ही खड़ा था। ) उसकी मम्मी उसकी बात मान जाती हैं और कहती है - ठीक है चले जाना ! पर अगली बार ऐसे बिन बताये कही मत जाना । ऐसा बोलकर वो ऋषि को गले लगा लेती हैं। ओर उसी समय वो लड़की वहाँ से चली जाती है। ऋषि थोड़ी देर बाद उसे ढूढ़ता है पर वो नहीं मिलती हैं। अगले दिन ऋषि उसके भाई के साथ उसके घर के पास के ही गार्डन में खेलने जाता है उसका भाई उसके दोस्तों के साथ बॉल से खेल रहा था ऋषि बार बार कहता है फिर भी उसे साथ मे शामिल नहीं करते हैं। ऋषि थक कर चेयर पर जाकर बैठ जाता है और इधर उधर देख रहा होता है वो जैसे ही पीछे देखता है । वो ही लडकी गार्डन में थोड़ी दूर दूसरी चेयर में अपनी मम्मी के साथ बैठी थी। ऋषि उठ कर उसके पास जाता है और बड़ी ही भोली आवाज़ में पूछता है - तुम मेरे साथ खेलोगी? वो उसकी बात सुन कर मुस्कुरा देती है और हा कर देती है और वो दोनों पकड़म पकड़ाई खेलते हैं। उस टाइम ऋषि बहुत खुश था। और अंत मे थक कर दोनों बैठ जाते है। तब ऋषि उसके हाथ की कलाई पर देखता है उसके हाथ की कलाई पर एक तिल था ऋषि पूछता है ये क्या है । तब वो कहती हैं - तुम नही जानते की ये क्या है? कभी देखा नहीं होगा , ये तिल है ये बचपन से है ओर हमेशा रहेगा। फिर ऋषि कहता है कल भी खेलने आएंगे, मैं बॉल लाऊंगा हना ?वो कहती है - ठीक है, आ सकी तो आ जाऊंगी । और उसकी मम्मी बुलाती है और वो चली जाती हैं। इतने में ऋषि को हर्ष की पुकारने की आवाज़ आती हैं - ऋषि।।।।।।।। ऋषि जागता है और बोलता है - मैं यहाँ हूँ। हर्ष आता है और बोलता है - तुम छत के कोने में क्या कर रहे हों ? और मुझे वहाँ छोड़ कर क्यों आये थे ? ओर तो ओर कुछ दिनों से तुम इतने उदास उदास क्यों हो ? क्या हुआ है ,अपने दोस्त को भी नहीं बताओगे क्या ? ऋषि अपनी नज़रे नीचे करके बोलता है कुछ नहीं है। बस ऐसे ही मूड ख़राब है ऐसे बोलते बोलते उठ कर चलने लगता है। हर्ष पीछे से आवाज़ लगाता है - ऐसे कैसे मूड खराब है , बिना किसी वजह के , तुम अब मुझसे बाते भी छुपाने लगे? पर ऋषि कुछ नही बोलता है और उल्टा खड़ा रहता है हर्ष उसके सामने जाकर बोलता है - जब से वो लड़की आयी है तुम बदले बदले लग रहे हो , अभी थोड़ी देर पहले भी उसका नाम सुनकर दौड़ते हुए क्लास गए थे । लेकिन ऋषि कुछ नहीं बोलता है। फिर हर्ष फिर से बोलता है - ठीक है तुम मत बताओ , मै ही देखता हूं कि उसकी वजह से हुआ क्या है ऐसा बोल कर वो दौड़ते हुए क्लास की ओर जाता है। ऋषि पीछे से आवाज़ लगाता है रुको ! हर्ष !!!!! पर हर्ष चला जाता है ऋषि भी पीछे जाता है। हर्ष नीचे पहुँचता है तब तक क्लास ख़त्म हो चुकी होती हैं। हर्ष क्लास के बाहर ही रुक जाता है। और स्टूडेंट्स बाहर निकल रहे होते है। पंछी भी स्माइली के साथ बाहर निकलती हैं। ओर जाने लगते हैं, हर्ष उसके पीछे जा ही रहा होता है कि उसकी नज़र उसके हाथ पर पड़ती है उसके दाये हाथ की कलाई पर एक तिल था। हर्ष ये देख कर चौक जाता हैं और पिछे मुड़ कर ऋषि की तरफ देखता है। ऋषि चुपचाप खड़ा था ।और दुःखी आंखों से उसकी तरफ देख रहा था। उधर हर्ष सोच रहा था कि ये वहीं लड़की है लेकिन हमने तो..........। ओर दूर से ही ऋषि से इसरो में पूछता है कि ये वही लड़की है ? ऋषि बिना कुछ जवाब दिए कॉलेज से चला जाता हैं।