DUNIYA MERI MUTTHI MEIN - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

DUNIYA MERI MUTTHI MEIN - 4





करन ने फेंके हुए कांच के ग्लास के टुकड़े जोया के पास गिरे थें। जोया ने करन के कंधे पर हाथ रखकर कहा, “मैं तुम्हारा दर्द समझ सकती हूं।” करन ने कहा, “अब दर्द नहीं होता।” जोया ने पूछा, “तो तुमने उसी वक्त बदला क्यों नहीं लिया?” करन ने कहा, “उस वक्त मेरे पास ना इतनी हिम्मत थी, ना ही ताकत थी।” जोया ने पूछा, “उस वक्त से तुम्हारा मतलब कहानी अभी बाकी है?” करन ने कहा, “हां।” जोया ने पूछा, “उसके बाद क्या हुआ?” करन ने खिड़की से बाहर अंधेरे में देखा। कहानी फिर शुरू हुई।

शमशान में करन अकेला महक की चिता के पास बैठा था। आंखों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थें। उसकी मुट्ठी गुस्से में कसी हुई थी। तभी तेज़ तुफान आया। बत्तीयां जलने बुझने लगी, पेड़ों के पत्ते फड़फड़ाने लगे। करन के कंधे पे किसीने हाथ रखा। करन ने मुड़कर देखा। बिखरे बाल, काला सूट, हाथ में एक छड़ी और कल्हाई पे अजीब सी घड़ी पहने कोई करन को बड़े गौर से देख रहा था। उसकी पलकें खुली की खुली थी और आंखों का रंग बार बार बदल रहा था। उस अजीब शख्स को देखकर करन ने पूछा, “कौन हो तुम?” उसने कहा, “मेरा नाम विक्राल है। मगर मैं कौन हूं ये जरुरी नहीं है। जरुरी ये है कि मैं यहां क्यों हूं।” करन ने अपने आंसू पोंछे। महक की चिता को निहारते हुए विक्राल ने कहा, “पत्नी की मौत पर बहुत दुःख हो रहा होगा। मगर उससे ज्यादा दुःख इस बात का होगा कि सामने होते हुए भी तुम उसे बचा नहीं सके।” करन ने पूछा, “क्या चाहते हो?” विक्राल ने कहा, “मैं बस तुम्हारी मदद करना चाहता हूं। उन चारों के बारे में क्या सोचा है?” करन ने कहा, “मैं उन्हें नहीं छोडूंगा। जान से मार दुंगा उन्हें।” विक्राल ने पूछा, “कैसे? तुम्हारे पास ना ताकत है ना हिम्मत है। लेकिन मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं। मैं तुम्हें इतनी ताकत दुंगा के तुम अपनी पत्नी की मौत का बदला ले सको।” करन ने पूछा, “इसमें तुम्हारा क्या फायदा?” विक्राल ने कहा, “मैं तुमसे कुछ लुंगा।” करन ने पूछा, “क्या?” विक्राल ने कहा, “तुम्हारी रुह।” करन ने कहा, “तुम मेरे दर्द का मज़ाक उडा रहे हो? तुम्हें लगता है कि तुम्हारी इस घटिया सोच को मैं support करुंगा तो… I think you better know!" विक्राल ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा, “बेचारी लड़की! सोचती रही कि उसका पति उसके साथ है। उसे कुछ होने नहीं देगा। लेकिन वह ग़लत थी। तुम तो डरपोक हो। डरपोक!” वह करन को गुस्सा दिलाता रहा और करन पागल होता गया। आखिर में करन ने पूछा, “क्या करना होगा मुझे?” विक्राल ने एक कागज करन के सामने पकड़कर कहा, “बस यह agreement sign करो।” करन ने कागज हाथ में लिया। तभी उसके उंगलियों के निशान कागज पर उतर आए। विक्राल ने कागज लेकर कहा, “बस्! हो गया।” करन ने पूछा, “क्या लिखा है इसमें?” विक्राल ने कहा, “यहीं के तुम मेरे सारे काम करने के लिए तैयार हो।“ उसने करन के माथे पर हाथ रखकर कहा, “सुबह तुम तुम्हारे दुश्मनों से लड़ने के काबिल हो जाओगे। जान से मार दो उन्हें! अपनी जिन्दगी छीनने वालों की जिन्दगी तबाह करो। तबाह करो।“ और वह अंधेरे में कहीं चला गया। इधर करन का सिर दर्द से फटने लगा और वह बेहोश हो गया। सुबह, करन की आंखें खुली। एक आदमी शमशान में झाड़ू लगा रहा था। करन उठा। एक पल उसने महक की चिता को देखा और घर की ओर क़दम बढ़ाए। उस आदमी ने करन को बड़ी नाराज़गी से देखा। करन ने घर का दरवाज़ा खोला। बिच हॉल में खून लगी प्रेस पड़ी थी। इधर उधर खून के छींटें थें। खिड़की टूटी थी। करन को रात का हादसा याद आने लगा। वह बेडरूम में गया। शर्ट के बटन खोलते खोलते उसे कुछ महसूस हुआ। वह आइने के सामने आया। उसका शरीर पूरी तरह से बदल गया था। बाजू फुले थें, सीना चौड़ा हो गया था, नसें उभरी हुई थीं।वह खुद को काफ़ी ताकतवर महसूस कर रहा था। उसने मुट्ठी कस ली और सामने दीवार पर मुक्का मारा। दीवार का टुकड़ा गिरा और करन के हाथ पर चोंट लगी। चोंट को सहलाते हुए उसने आइने में देखा।

एक अड्डे से कुछ आवाजें आ रही थीं। करन झाड़ियों में से बाहर आया। स्वेटर की टोपी उसने सिर पे ओढ़ ली और आगे बढ़ा। अड्डे के दरवाज़े में से वह हवालदार नोट गिनते हुए बाहर आया। करन को देखते ही उसके हाथ से पैसे गिर गए। हाथ पांव कांपने लगे। उधर अंदर, टेबल पे carrom board था। उपर बल्ब जल रहा था। चारों ओर चार कुर्सियां थीं। दरवाज़े की तरफ की कुर्सी पे मदन बैठा था। उसने striker छीनकर कहा, "मेरा break है।" तभी बाहर से चिल्लाने की आवाज आई और साथ ही करन दरवाज़े में आया। Carrom board के सिवा सारे कमरे में अंधेरा था और साथ में करन के सिर पर टोपी! वे करन को पहचान नहीं पाए। करन ने आगे बढ़कर मदन को उठाया और पिछे जमीन पर पटका। बाकी तिनों चौकन्ना हो गए। करन ने कुर्सी पर बैठकर striker लिया और break किया। तीन होल्स में तीन white कौड़ियां गईं। तिनों ने करन की ओर देखा। अगले shot में करन ने queen और cover ले लिया। उसके बाद एक black कौड़ियों के साथ दो white कौड़ियां चली गईं। बची थीं तीन कौड़ियां! करन ने striker लिया। एक करन के पास right होल पे थी, एक centre से जरा right की ओर थी और एक करन को base थी। करन ने base वाली कौड़ी और centre वाली कौड़ी की lines के बीच में striker पकड़ा। तिनों बेचैनी से देख रहे थें। मदन भी उठकर पास आया। करन ने सामने वाली कौड़ी के left half portion को target करके striker छोड़ा। Striker उस कौड़ी को टकराकर आगे गया। वो कौड़ी सामने frame पे टकराकर वापस आई और होल के पास वाली कौड़ी के साथ चली गई। इसी बीच, striker सामने frame से टकराकर वापस आया और उसने base वाली कौड़ी को cut दिया। कौड़ी left होल में चली गई। वे चारों मुंह खोल कर देख रहें थें। मदन ने कहा, "चार shot में game over!" राजा ने पूछा, "ओय, तू है कौन?" करन ने टोपी हटाकर कहा, "I think you better know!" और बल्ब तोड़ दिया। कमरे में अंधेरा हो गया। करन ने हाथापाई में सभी को अधमरा कर दिया। फिर अड्डे के दारु के सारे barrel गिरा दिए। बाहर आकर उसने एक लाइटर जलाया और अड्डे की ओर फेंक दिया। पूरा अड्डा जलने लगा। उन चारों की चींखें सुनाई देने लगी। करन ने राहत की सांस ली।