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मेरी प्यारी नाराज ममा

में ममा की बात मान नहीं रहा था। उसका दिल बार बार दुखाए जा रहा था। कई बार लगा जैसे ममा तकलीफ में है। एक बार उन्हे मैने पूछ ही लिया, ममा क्या हुआ है आपको ? क्यों आप गुमसुम सी रहती हैं ?
उन्होंने बड़े प्यार से मीठी मुस्कान से बता दिया, "कुछ नहीं बेटा ! भला मुझे क्या हो सकता है ? तुमने पूछा उसकी खुशी में गुम हो गई।"

मैने उनकी बात मानकर चल दिया।
एक दिन ममा को मैने उनके कपड़ों के बारे में बोल दिया की वो उन कपड़ों में जचती नहीं है। उन्होंने तो इस तरह डांटा जैसे ममा के लिए मेरा तो कोई वजूद ही नहीं है। उस वक्त में बहोत रोया था। इसलिए नहीं की उन्होंने डांटा, पर इसलिए की ममा ने मुझे एक ही वक्त में पराया कर दिया, उन्होंने मुझे नहीं बताया कि में ही उनके गुमसुम रहने का कारण मेरी दी गई परेशानी थी। उन्होंने आंखो में ही बड़े गुस्से से पूछ लिया कोन हो तुम मेरे ? क्यों मेरे गले पड़े हो ?

मेरी ममा जो मेरा उनको इतना परेशान करना भी खुशी देता है, में तीन - चार घंटे चुप रहूं तो मेरा खयाल करने पहुंच जाती है, वे आज मेरा ऐसा कहने पर इतनी नाराज क्यों हो गई ?

जी तो बहुत किया की ममा को गले से लगा कर उनका गुस्सा शांत कर दूं।
पर केसे करता, छोटा हूं ना ! ममा के गुस्से से डर लगता है। ममा अभी भी मुझसे नाराज़ है, माफ ही नहीं करती। उनकी नाराज़गी बहोत खलती है।

उनका दर्द और भी खलता है, क्योंकि बस वे ही मुझे संभालती है। हां खुद पर गुस्सा भी बहोत आता है, ममा की परेशानी में खुद ही था। ममा की माफी चाहिए थी, उनकी नाराज़गी दूर भी करनी थी। उनकी दी गई सजा भुगतनी थी, उनका गुस्सा भी सहना था।
पर मेरी ममा है ना वो, मुझसे इतना प्यार करती है की मुझे सजा देना या मुझ पर गुस्सा करना नहीं चाहती।
तो फिर ममा मुझसे बात क्यों नहीं करती है ? नाराज सी क्यों रहती है ? मुझे माफ क्यों नहीं करती है ?

हां उनका लाडला बेटा हूं, पर ममा नाराज है। कहीं मन ही नहीं लगता।
हां नाराज है वो मुझसे पर रात को मेरे लिए खुद जगती है। ये बात भी जानता हूं।
हां मेरे खाने का पूछती नहीं है, पर मेरा खाना वो संभाल कर रखती है।
मेरे देर से लॉट ने की वजह अब नही पूछती, पर मेरा इंतजार वो करती है।
अब वो मेरी तबियत का नहीं पूछती, पर मेरी खैरियत की प्रार्थना करती है।
मेरे पास अब वो नहीं होती है, पर मुझे अकेला देख कर उनका दिल रो देता है।
हां अब सामने से हंसते हुए मेरा खयाल नहीं करती, पर उनके दिल में मुझे बसा कर रखा है।
में जानता हूं ममा कितनी रोती है, उनके दिल में जो बिठा कर रखा है मुझे।
वो समझती है मुझसे सब छुपा लेंगी, पर उनका लाडला उनके दिल में बैठा है, सब जान लेता है।

मेरी ममा ! बड़ी भोली और प्यारी है।
जानता हूं मुझसे नाराज़ है, पर उनका दिल साफ है। तो माफ कर ही देगी, वो भी अपने सीने से लगा कर !
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