Anokhi Dulhan - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

अनोखी दुल्हन - ( तलाश_१) 26

" मुझे तुम्हें पूछना था। क्या अब अनोखी दुल्हन होने की वजह से मुझे तुम्हारे साथ रहना होगा मतलब पता नहीं मेरी मासी कहां चली गई है उन्होंने अपना घर तक बेच दिया। मेरा सारा डिपॉजिट भी ले गई। अब मेरे पास रहने लायक कोई जगह नहीं है। तो क्या मैं तुम्हारे साथ रह सकती हूं ?" जूही के सवाल को सुन यमदूत और वीर प्रताप दोनों फिर से चौक गए।

"बिल्कुल नहीं ।" यमदूत ने वीर प्रताप के पास आते हुए कहा।

" देखो। मैं एक 17 साल की कॉलेज स्टूडेंट हूं । जो जल्दी यूनिवर्सिटी में जाएगी। अपनी जिंदगी में मुझे कभी प्यार नहीं मिला। मैं 7 साल की थी जब मेरी मां मुझे छोड़कर भगवान के पास चली गई। मेरे मासी और उनके बच्चों ने मुझे बहुत सताया है।" जूही ने नजरें झुकाते हुए कहा।

"मैंने यह ड्रामा देखा है।" यमदूत वीर प्रताप के पीछे आते हुए उसके कानों में बोल पड़ा। " इसमें कभी हैप्पी एंडिंग नहीं होती।"

"अब मेरी हालत ऐसी है कि मेरे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है।" जूही फिर से बीच में बोली।

"बेचारी लड़की। लेकिन फिर भी यहां नहीं रह सकती।" यमदूत।

वीर प्रताप बस दोनों को घूरे जा रहा था।

" मैं अपने आपको संभाल सकती हूं। मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है। तुम्हें कुछ याद आया ? अब वह वाली बातें कहां गई ?" वीर प्रताप ने उससे पूछा।

" देखो , मुझे पता है हर किसी को जीवन में मरना तो है ही। लेकिन मैं रास्ते में भूख प्यास से तड़पते हुए मरूं। उससे तो अच्छा मैं इस आलीशान घर में आराम से मरना पसंद करूंगी।" जूही बिना रुके बोले जा रही थी । " मेरे जीवन में आज तक मैंने कभी किसी से कुछ नहीं मांगा। लेकिन अब जब तुम आए हो, मुझे लगता है कि तुम ही हो जो मुझे इस से बचा सकते हो। " जूही ने यमदूत की तरफ इशारा करते हुए कहा। " तुम मेरे जीवन में आए उस रोशनी की तरह हो तो मुझे अंधेरे से बचाएगी।"

" मुझे माफ करना मैं तुम्हारी उम्मीदों पर पानी फेर रहा हूं। लेकिन हमारे बीच पहले ही सौदा हो चुका है। हमारी दोस्ती के बदले मैं तुम्हें.." यमदूत आगे कुछ बोल पाए उससे पहले वीर प्रताप ने उसे रोक लिया।

" तुम...तुम.. तुम पहले अंदर जाओ और तुम मेरे साथ आओ।" उसने जूही को घर के दरवाजे से अंदर भेजा और खुद यमदूत के साथ कहीं गायब हो गया।

यमदूत का कमरा।

" तुम पागल हो क्या ? उसके सामने क्या बताने जा रहे थे ?" वीर प्रताप ने गुस्से से पूछा।

" मुझे माफ कर दो । क्या हमारी बात एक सीक्रेट थी ?" यमदूत।

" माफ कर दो । क्या यह इतना आसान है ? क्या तुम कोई 15_16 साल की लड़की हो । जो इतना समझ नहीं पा रही है, कि तुम्हें किस के सामने क्या बात कहनी है ?" वीर प्रताप का गुस्सा उसके सर चढ़ रहा था।

" यह सब बातें मुझे समझ में नहीं आती। सीधे-सीधे बताओ अब क्या करना है ? वह लड़की यहां नहीं रह सकती , क्योंकि मैं इस घर में रहता हूं।" यमदूत ने चिढ़ते हुए कहा।

" सब जानता हूं मैं। मैं भी उसे हम दोनों के बीच में नहीं रखूंगा।" वीर प्रताप सोचे जा रहा था।

" अगर सब समझते हो, तो फिर हा क्यों कहा ? क्यों उसे रोक रहे हो यहां ?" यमदूत।

" तो तुम क्या चाहते हो। मैं उसे रास्ते पर अकेला छोड़ दूं मरने के लिए ?" वीर प्रताप।

" तो क्या तुम उसे यहां रखना चाहते हो। वह भी एक मौत के दूत के साथ।" यमदूत।

" मैंने कहा ना मेरे पास रास्ता है। फिलहाल चुप रहो। " इतना कह वीर प्रताप यमदूत को कमरे में अकेला छोड़ बाहर चला गया।

जूही जैसे ही घर के अंदर आई उसने अपने आसपास देखा। धीमी रोशनी से सजा हुआ लिविंग रूम, ढेर सारे आलीशान सामान से जगमगा रहा था। वीर प्रताप की हजार साल की जिंदगी में उसने कई सारी पुरानी चीजें जमा करके रखी थी। जो अपनी जगह पर खूबसूरती से जच रही थी। तभी वीर प्रताप एक कमरे से बाहर आया।

" सीडीओ के पास क्या कर रही हो ? मैंने कहा था ना यहां बैठो।" उसने सोफे की ओर इशारा करते हुए कहा।

जूही चुपचाप उसके सामने जाकर बैठ गई। वीर प्रताप ने अपनी जेब से एक लिफाफा निकाला और टेबल पर जूही के सामने रखा।

" यह क्या है ?" जूही ने चौक ते हुए पूछा।

" वो ₹5000 जो तुमने मांगे थे। इन्हें लो और मुझे माफ कर देना तुम यहां नहीं रह सकती।" वीर प्रताप ने सर झुकाते हुए कहा।

" कैसी बातें कर रहे हो तुम ? मुझे इन पैसों की कोई जरूरत नहीं।" जूही ने लिफाफा वीर प्रताप को वापस दे दिया। " इस घर को देखो । कितना अच्छा लगेगा ना जब हमारे बच्चे यहां पर खेलेंगे।"

वीर प्रताप अपनी जगह से पीछे हो गया। उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसने जूही को अचंभे से देखा। " क्या मतलब तुम्हारा?" आखिरकार वह कुछ शब्द जुटा पाया।

" यह है कि यह बिल्कुल परफेक्ट है।" जूही ने अपने बाल कानों के पीछे कीए और एक खूबसूरत नजर से उसे देखा "हमारे बच्चों के लिए । मुझे बताओ किस तरह की पत्नी पसंद है तुम्हें ? घरेलू या बाहर काम करने वाली ? सेक्सी ? सुंदर ? टिकाऊ ?"

" यह किस तरह की अश्लील बातें कर रही हो तुम। शर्म नहीं आती ? उम्र क्या है तुम्हारी? " वीर प्रताप ने अपनी जगह से पीछे होते हुए कहा।

" उम्र से क्या फर्क पड़ता है । भगवान ने मुझे यहां तुम्हारी पत्नी बनाकर भेजा है। पत्नी का मतलब समझते हो ना तुम ?" जूही ने उसके पास आते हुए कहा।

" तुम्हें मुझसे ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।" वीर प्रताप ने कहा।

सुनो मिस्टर तुम बहुत ही हैंडसम हो। बहुत ज्यादा खूबसूरत। प्लीज मुझे मेरी पुरानी गलतियों के लिए माफ कर दो । क्यों ना हम आज से नई जिंदगी की शुरुआत करें। जूही अपने दिमाग में यह बातें सोचे जा रही थी। क्योंकि वीर प्रताप ने उसे कहा था कि वह उसके दिमाग की बातें सुन सकता है।

" यह क्या कर रही हो ? यह बार-बार अपने चेहरे के भाव क्यों बदल रही हो तुम ?" वीर प्रताप ने अचंभे से पूछा उसे अब जूही से थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा था।

" तुमने सुना नहीं मैंने क्या कहा अभी अभी?" जूही ने पूछा।

" तुमने कुछ नहीं कहा। तुम बस अपने चेहरे के भाव बदल रही थी ।" वीर प्रताप।

" मैंने अभी-अभी अपने दिमाग में तुमसे कुछ कहा।" जूही।

" अच्छा-अच्छा वह वाली बात । वह.... वह.... बस एक झूठ था। एक सफेद झूठ जो मैंने तुमसे कहा था। मैं तुम्हारे दिमाग की बातें नहीं सुन सकता ।" वीर प्रताप अपनी जगह से और पीछे जा रहा था।

अब जूही को गुस्सा आ रहा था। " नहीं सुन सकता का क्या मतलब है? सफेद झूठ से तुम्हारा क्या मतलब है? तुम्हें पता है मैंने कितनी कोशिश कि तुम्हारे बारे में ना सोचने की। हमेशा उस पत्ते को देखकर सोचा करती थी, इसे पति के बारे में सोचो। सिर्फ‌ कैनेडा के बारे में सोचो । जिस के साथ गई थी उसके बारे में बिल्कुल मत सोचो और अब तुम कह रहे हो कि यह सफेद झूठ ?"