Noukrani ki Beti - 27 books and stories free download online pdf in Hindi

नौकरानी की बेटी - 27

आनंदी ने कहा मां अब पैकिंग कर लो।
कृष्णा ने कहा हां बेटा मैंने थोड़ी बहुत पैकिंग कर लिया है।
आनंदी ने भी अपनी सारी किताबें सब ठीक से एक बैग में रख दिया क्योंकि इन सभी में आनंदी की जान बसती थी एक भी इधर उधर नहीं हो सकती थी।
आनंदी ने कुछ सोचा और फिर बोली मां एक दिन रीतू दीदी और सबको डिनर पर बुलाते हैं और सबको कुछ गिफ्ट्स लेकर देते हैं।

कृष्णा ने बताया हां अच्छा सोचा है हमारे अपने तो ये ही सब है,ठीक है फोन पर सबको बता दो।

आनंदी बिना देर किए बस फ़ोन कर दिया और फिर सबको आने के लिए कहा कि कल सब लोग आ जाइए।हम सब मिलकर खुब इन्जाय करेंगे।

आनंदी ने सबके लिए बहुत सारी चीज़ें पहले ही आनॅलाइन से मंगवा लिया था।
अगले दिन सुबह से ही कृष्णा तरह-तरह के पकवान बना रही थी।

नाश्ते में पुरी, छोले पकौड़ी बनाने लगी।
कुछ देर बाद ही डोर बेल बजा ,तो आनंदी ने दरवाजा खोला। रीतू बोली दरवाजे के बाहर तक खुशबू आ रही हैं। सभी हंसने लगे। फिर से
रीतू बोली अरे कृष्णा वाई क्या खुशबू है आपके हाथ की।
आनंदी ने सभी का बहुत अच्छे से स्वागत किया।


फिर सब एक साथ डाइनिंग टेबल पर बैठ गए और नाश्ता करने लगे।
पकौड़ी सबको बहुत पसंद आया कृष्णा वाई ने गर्म गर्म पकोड़े दिया।
कृष्णा ने कहा ये जलेबी भी खाकर देखो।

रीतू ने कहा वाह क्या रसीले जलेबी बना है।

आनंदी ने कहा हां सब लोग अच्छी तरह खाईये।
सभी लोग बातचीत करने लगे।

कृष्णा ने फिर जल्दी जल्दी लंच की तैयारी शुरू कर दिया।

सभी को चाय काफी सर्व किया गया।

कुछ देर बाद आनंदी ने सबको एक एक पैकेट निकाल कर दिया और कहा कि ये सभी के लिए मैं लाई थी।


अमर बोले अरे वाह आनंदी बहुत ही अच्छा तोहफा है। थैंक्स।
अनु बोली अच्छा है बहुत,तुम्हारा तोहफा।।
रीतू ने कहा थैंक यू सो मच माई डियर।।

आनंदी ने कहा हां दीदी मैंने सबके लिए कुछ ना कुछ तोहफा खरीदा था।
शैलेश ने कहा आनंदी सारा तोहफा बहुत ही खूबसूरत है।
आनंदी ने कहा आइए सब लंच करते हैं।
कृष्णा नेकहा कि आ जाओ सब खाना लग चुका है।
रीतू ने कहा क्या मेनू है?

आनंदी ने कहा मलाई कोफ्ता, पुलाव, आलू पालक, मसाला फ्राइड पापड़, मसाला दाल फ्राई, मिक्स वेज राइज, पंजाबी कढ़ी,पनीर लबाबदार, रूमाली रोटी, नान, दही बड़े, चटनी, गाजर का हलवा,।। आइसक्रीम एक दम लास्ट में, आनंदी ने हंसते हुए कहा

सभी सुनकर खुश हो गए। और फिर खाने बैठ गए।
कृष्णा ने सभी को परोस दिया और सभी ने खाने की तारीफ करते नहीं थके।अमर बोले कितना कुछ बनाया है कृष्णा ने।।
अनु ने कहा हां हम तो इसके हाथों का बना खाकर अब किसी और का नहीं भाता है।
रीतू ने कहा हां मम्मी पर आपने तो कभी सिखा ही नहीं।।रीतू बोली कृष्णा वाई के हाथों में जादू है।

कृष्णा ने कहा आप लोग खाइए मैं शना को खिचड़ी खिला देती हु ।फिर कृष्णा ने उसको खिला दिया।

रीतू ने कहा कि आनंदी हर साल लंदन तो आऐंगी ना?
आनंदी ने कहा हां दीदी जरूर आऊंगी।
आप लोगों के बिना कहा जाऊंगी।

अनु बोली अब राजू की शादी भी करना है।
कृष्णा ने कहा हां मैम। अनु बोली सभी को आना होगा।

फिर सबका खाना पीना अच्छी तरह से हो गया।सभी आराम करने चले गए।
रीतू ने आनंदी से कहा चल कुछ देर बात करते हैं।
रीतू बोली देखो आनंदी हर एक लड़की को शादी करनी होती है तुमको भी।
आनंदी ने कहा नहीं दीदी मैं शादी नहीं करना चाहती हुं।
मैं बस यही चाहती हुं कि मैं उन सभी बच्चो के लिए कुछ कर पाऊं और जो बेबस, लाचार, हो उनकी मदद करूं।
रीतू ने कहा सोच अच्छी है पर ये तुम तो शादी के बाद भी कर सकती हो।
आनंदी ने कहा नहीं दीदी मैं कभी नहीं कर सकतीं, आज मैं जहां हुं वहां पर आने के लिए मैंने बहुत मेहनत किया है और शादी के बाद पता नहीं क्या होगा?
पुरूष प्रधान समाज में हमारी आवाज दब जायेगी , दीदी।। फिर आनंदी ने कहा मैं जैसी हूं वैसी ही ठीक हुं।शादी के बाद मेरा सब कुछ बदल जाएगा दी।

रीतू ने कहा अच्छा चल ठीक है। फिर रीतू भी अपने कमरे में जाकर सो गई।
दूसरे दिन सुबह सभी लोग वापस चलें गए।

दूसरे दिन न्यूज पेपर में टीवी चैनल पर आनंदी का पीएचडी की उपाधि प्राप्त होने वाला विडियो दिखाया गया।

आनंदी और कृष्णा भी देख रही थी। कृष्णा के आंखो में खुशी के आंसु आ गया था।
आनंदी ने कहा मां रो रही हो?

कृष्णा ने कहा इतने साल बीत गए पता नहीं चल पाया।अगर तेरी रीतू दी ने तेरा साथ नहीं दिया होता तो शायद कुछ नहीं बन पाती तूं।

आनंदी ने कहा हां दीदी ने सिखाया है मुझे हमेशा दुसरो का सहारा बनो उनकी मदद करो। तभी वो भी आगे यही करेंगे।।

फिर आनंदी की छुट्टियां ख़त्म हो गई।
और उसके वापस जाने का समय आ गया।
आनंदी ने कहा मां सारी पैकिंग हो गई है। मैंने तो एक महीने पहले से ही टिकट बुक करवाया और देखो फिर कल ही हमें जाना होगा ये बात आनंदी ने कहा। कृष्णा ने कहा हां आनंदी हमें तो जाना ही होगा।
फिर दूसरे दिन जल्दी-जल्दी तैयार हो कर निकल गए दोनों।
फिर रीतू और सभी आ गए आनंदी को सी आफ करने एयरपोर्ट।।

आनंदी ने कहा दीदी अब फिर एक साल बाद आ जाऊंगी।शना और बड़ी हो जाएगी। आनंदी ने रोते हुए कहा और गले लग पड़ी।
रीतू ने कहा हां आनंदी तू फिर आएंगी।
सभी ने हंस कर विदा किया।


फिर आनंदी ने सबको हंसते हुए बाईं -बाई किया और आगे बढ़ गई।

फिर सारी फोरमालिटिज पुरी करते हुए आनंदी और कृष्णा हवाई जहाज पर बैठ गई।

आनंदी ने कहा मां मुझे हमेशा से लंदन की याद आती रहेगी यहां मुझे बहुत कुछ मिला है।

फिर रात तक आनंदी इंडिया वापस आ गई। दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे और फिर सामान लेकर बाहर निकल कर प्रतिक्षा करने लगी।


आनंदी ने पहले ही अपने आफिस में बता दिया था इसलिए जल्दी ही आनंदी के लिए गाड़ी आ गई। आनंदी अपनी मां के साथ गाड़ी में बैठ गई।
आनंदी का पीए शर्मा जी ने कहा मैडम और कैसा रहा सब।।
आनंदी ने कहा सब कुछ ठीक रहा शर्मा जी,आप बताईए??
शर्मा जी ने कहा मुझे पता चला मैडम आपको गोल्ड मेडल मिला है।

आनंदी ने कहा हां,
शर्मा जी ने कहा मैडम बड़े सहाब पार्टी रखी है। आपके सम्मान के लिए।

आनंदी ये सुनकर बहुत ही खुश हो गई। और इत्मीनान से मां के कंधे पर सर रखकर सो गई।



क्रमशः