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Real Incidents - Incident 3: पुजारी

Incident 3: पुजारी

आज से करीबन 2 साल पहले,

हनुमान जी के मंदिर के बाहर आज भक्तों की लंबी कतार थी, आज हनुमान जयंती थी, और सभी छोटे बच्चों को आज बाल भोज (गुजरात में ‘बटुक भोजन’) कराया जा रहा था। अगर इतना पढ़कर आपको लगता है कि मैं किसी बड़े मंदिर की बात कर रहा हूँ तो आप गलत सोच रहे हैअमित के घर से थोड़ी दूर गली के एक कोने में बहुत छोटा सा मंदिर था, जिसमें हनुमान जी की छोटी सी मूर्ति स्थापित की गई थी। मंदिर छोटा सही पर वहाँ के पुजारी का दिल बहुत बड़ा था। शायद यही कारण रहा होगा कि वहां पर भक्तों की हमेशा लंबी कतार देखने को मिलती थी। वहां के पुजारी श्री किशनभाई की उम्र करीबन 65 से 70 के बीच की होगी। उनके बारे में अमित ने बहुत सुन रखा था,

पंडित जी मैं अमित!”

जय श्री राम बेटा!” पुजारी जी ने कहा।

जय श्री राम! पंडित जी मैं मेहता जी के यहां कुछ ही दिनों पहले किराए पर रहने आया हूँ। मैंने आपके बारे में बहुत कुछ सुना है।“

पुजारी जी लोगों को प्रसाद बांटने में मशगूल थे, उन्होंने अमित की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दियाकुछ देर बाद उन्होंने पूछा, “बेटा प्रसाद लिया या नहीं?”

जी पंडित जी! मुझे आपसे कुछ काम था, क्या दो मिनट आपसे बात हो सकती है?”

बेटा अभी तो नहीं हो पाएगी कल सुबह 8 बजे आ जाना, मैं यहीं मंदिर में ही मिलूंगा।“

ठीक है, पंडित जी।“ अमित ने कहा और वहां से चला गया।

अगले दिन,

पंडित जी, मैं आपसे मिलने आया था पर कल आप बिजी थे तो आपने आज आने को कहा था।“ अमित ने मंदिर में कदम रखते ही पुजारी जी से कहा।

हां, याद है। बोलो क्या बात करनी थी? पर पहले यह बताओ कि तुमने मेरे बारे में क्या सुन रखा है?”

पंडित जी, लोग कहते है आपके अंदर दिव्यशक्तिया हैआपने कई लोगों की जान बचाई है अपनी इन शक्तियों से। आप रात को सोते नहीं है। आप रात भर साधना करते रहते है…”

एक मिनट!” पुजारी जी ने अमित को बात के बीच मे ही रोकते हुए कहा, “ये सब बकवास है। मेरे बारे में फेलाई गई अफवाएं है। ये लोगों की मेरे प्रति श्रद्धा और विश्वास है जो धीरे धीरे अंधविश्वास में तबदील हो रहा है। मैं तो बस लोगों की सेवा करता हूँ। मैं सिर्फ एक जरिया हूँ, सबका भला तो ऊपरवाला ही करता है।“

हां, मुझे भी इन सब बातों पर विश्वास नहीं था, इसलिए मैंने सोचा आप से ही पूछ लू।“ अमित ने कहा, “वैसे मैं मेहता जी के यहां पेइंग गेस्ट के तौर पर रहने आया हूँ। पेशे से मैं एक CA हूँ पर मुझे लोगों के बारे में जानना और उनके बारे में लिखने का बहुत शौक है।“

अच्छा, तो तुम एक लेखक हो?” पुजारी जी ने कहा।

जी, आप ऐसा कह सकते है। मुझे आपके बारे में लिखना हैक्या आप मुझे अपने बारे में कुछ बता सकते है?” अमित ने कहा।

तुम मेरे बारे में क्यों लिखना चाहते हो? मैं कोई महान हस्ती नहीं हूँ। मेरी ज़िंदगी में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसको जानकर किसी को अच्छा लगे।“

क्या आपने अपनी ज़िंदगी में कोई संघर्ष नहीं किया? और इतने संघर्ष करने के बाद आपको ये कामयाबी हासिल नहीं हुई?”

तुम सब लेखक लोगों को खयाली पुलाव पकाने में मजा आता है क्या? मैं एक करोड़पति बाप के घर पैदा हुआ था, मुझे कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं हुई। ब्राह्मण हूँ इसलिए भगवान की पूजा करना मुझे पहले से ही अच्छा लगता था। मेरी पूरी पढ़ाई होने के बाद मुझे अपने पापा के कारोबार में जगह मिल गई, उसके बाद शादी, 2 बच्चे, बच्चों की देखभाल, उनकी पढ़ाई, उनकी शादी, उनके बच्चे, इन्हीं सब में मेरा जीवन व्यतीत हो गया। एक दिन मेरी पत्नी चल बसी, फिर मेरा मन सिर्फ प्रभु की भक्ति में ही लगता था, इसलिए मैंने खुद के लिए और लोगों के लिए ये मंदिर बनवाया। अब ज्यादातर मैं अपना वक्त यहीं गुजारता हूँ।“

आपको अपने बेटे या पोतों के साथ समय बिताना अच्छा नहीं लगता? क्या आपकी आपके बेटे और बहू के साथ नहीं बनती?”

मेरी कहानी में मसाला ढूंढने की कोशिश मत करो, वो तुम्हें नहीं मिलेगा। मेरी अपने परिवार से बहुत अच्छी बनती है, पर मेरा मन अब सिर्फ भगवान के चरणों में समर्पित है। इससे विशेष कुछ नहीं।“

अमित निराश हो गया और उसने कहा, “अफसोस, आपके बारे में सुनी गई कोई भी चीज सही नहीं है। मुझे तो लगा आपके बारे में पढ़कर और जानकर लोगों को प्रेरणा मिलेगी और ज़्यादा से ज़्यादा लोग भी इस मंदिर आएंगे।“

बेटा, मैं मंदिर में पूजा करता हूँ, कोई बिज़नेस नहीं! मुझे भगवान पर भरोसा है। मैं उनकी सच्ची श्रद्धा से पूजा करता हूँ। दूसरों को प्रसाद देता हूँ, और भी मदद करता हूँ, पर वो मैं नहीं करता वो सब भगवान मुझसे करवाते है। लोग अपनी मर्जी से दान दे जाते है, इस मंदिर को या मुझे या फिर भगवान को एक पैसे की भी जरूरत नहीं है। लोग यहां आकर खुद से पैसे दे जाते है और कुछ लोग तो अपने से हो सके उतनी मदद करते है क्योंकि उन्हें अपनी समस्याओं का हल यहीं मिल जाता है। इससे बढ़कर इस जग में क्या हो सकता है?”

सही कहा, पंडित जी। मैंने आपके बारे में जितना अच्छा सुना था आप उससे भी ज़्यादा अच्छे इंसान है। मैं आपके बारे में अवश्य लिखूंगा।“

जैसी प्रभु की मर्जी। अब भगवान के सामने माथा टेक लो, और प्रसाद लेना मत भूलना।“ पुजारी जी ने कहा।

अमित भगवान के सामने नतमस्तक हो गया, उसे जो अंदरूनी शांति प्राप्त हुई वो आज से पहले कभी महसूस नहीं हुई थी।

सच्ची घटना पर आधारित।

Incident 3 समाप्त

️✍️ Anil Patel (Bunny)