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Real Incidents - Incident 4: अखरोट

Incident 4: अखरोट

आज से करीबन 2 साल पहले,

रोहन अपने दोस्तों के साथ मॉर्निंग शो में फ़िल्म देखने गया था। फ़िल्म खत्म होने के बाद उसने अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट में लंच किया। घर वापसी के समय उसे ट्रैफिक की समस्या हुई इसलिए उसने शॉर्ट-कट रास्ता अपनाया। उस रास्ते पर कई सारे सब्जी और फल बेचने वाले लोग थे, जो अपनी-अपनी हाथ गाड़ियों के पास खड़े थे, कुछ लोग तो फुटपाथ पर ही फल और सब्जियां बेच रहे थे। ऐसे ही फुटपाथ पर अखरोट बेच रहे बच्चे पर रोहन की नज़र गई।
“ऐ बच्चे, ये अखरोट क्या दाम दिए?” रोहन ने पूछा।
“50 के 100ग्राम, 100 के 250ग्राम।”
“ये तो बहुत महंगे है, और सारी जगह तो 300 के किलो है।”
“साहब, यही दाम है सभी जगह, आपको लेना हो तो लीजिए।”
रोहन को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आई, उसे लगा ये छोटा सा बच्चा भला मेरी बेइज्जती कैसे कर सकता है?
“तेरी उम्र क्या है?” रोहन ने पूछा।
“9 साल! क्यों आपको इससे क्या?”
“स्कूल नहीं जाता? तेरे माँ-बाप तुझे स्कूल नहीं भेजते?”
“क्या साहब धंधे के टाइम खोटी ना करो, मुझे पढ़ना पसंद नहीं और हमारे पास इतने पैसे भी नहीं!”
रोहन से अब रहा नहीं गया, उसने पूछा, “तेरे माँ-बाप किधर है? मुझे उनसे मिलना है।”
“अगली गली से बाएं मुड़ जाइए, मेरा बाप उधर ही फुटपाथ पर अखरोट बेच रहा होगा।”
रोहन एक क्षण का भी विलंब किए बिना तुरंत उस बच्चे के बाप के पास गया, और वहां जाकर उसने कहा, “उधर फुटपाथ पर जो बच्चा अखरोट बेच रहा है वो तुम्हारा है?”
“जी साहब! कुछ गलती हो गई क्या उससे?”
“गलती तो तुम्हारी है। तुम्हें उसे इस उम्र में स्कूल भेजना चाहिए, और तुम उससे अपने अखरोट बिकवा रहे हो? शर्म नहीं आती तुमको?”
“ओ साहब! क्यों धंधे के टाइम खोटी कर रहे हो? आपको कुछ चाहिए तो बोलो वरना कई और ग्राहक है।”
रोहन ये सुनकर और गुस्सा हो गया उसे लगा इन बाप-बेटे को कोई तमीज नहीं है। उसने कहा, “जानते हो ये कानूनन अपराध है?”
ये सुनकर उस आदमी ने अपनी बीवी को वहां बिठा दिया, और रोहन को कहा, “आप जरा अंदर आइए, यहीं पर मेरा घर है, डरिए मत मैं आपको कुछ नहीं करूंगा।”
वो दोनों घर के अंदर गए। उस आदमी का घर बहुत ही छोटा था। 1 छोटा सा कमरा और उसके साथ ही किचन था।
“साहब! ये हमारा घर है!” इतना बोलकर उस आदमी ने रोहन को बैठने के लिए एक टूटी-फूटी सी कुर्सी दी।
“माफ करना! हमारे पास सिर्फ यही है।” उस आदमी ने कहा।
“आप लोग नहाते किधर हो और टॉयलेट किधर है?”
“जो है सब आपके सामने है।” उस आदमी ने आगे कहा, “बुरा मत मानिएगा पर आप जैसे कई लोग हमारे पास आते है और अच्छी अच्छी सलाह देते है कि लड़के को पढ़ाना चाहिए, उससे काम नहीं करवाना चाहिए वगैरह वगैरह… कई लोग मदद के नाम पर कुछ पैसे दे जाते है, कुछ लोग मदद करने के बहाने फोटो खिंचवाते है और झूठी वाहवाही हासिल करते है। कई लोग तो सरकारी योजनाओं का लिस्ट दे देते है कि हमें ये योजना का लाभ लेना चाहिए। कई लोग सच में हमारी मदद करना चाहते है और कुछ सच में मदद करते भी है पर अधिकतर लोग सिर्फ मदद करने का दिखावा करते है। मुझे किसी से कोई दिक्कत नहीं है, सब लोग अपने फायदे के लिए जीने को हकदार है। पर हकीकत तो ये है कि जो ज़िंदगी हम लोग जीते है उसकी कल्पना भी आप लोग नहीं कर सकते। आप लोगों के लिए कुछ भी कहना या करना आसान होता है, पर आप लोग एक दिन भी ऐसी ज़िंदगी नहीं जी पाएंगे।”
रोहन कुछ नहीं बोला वो बस उसे देखता ही रह गया, उस आदमी ने आगे कहा, “हां शायद मैं अपने बेटे को स्कूल ना भेजकर गलत कर रहा हूँ पर जब हम इस काबिल बन जाएंगे तो खुशी-खुशी उसे स्कूल भेजेंगे। फिलहाल अभी वो मेहनत करके पैसे कमा रहा है, जब मैं छोटा था तब हम भाई बहन सारे लोग भीख मांग कर खाना खाते थे। कम से कम मेरे बेटे ने कम उम्र से ही मेहनत करके कमाना सिख लिया। उम्मीद है जब हमारी आमदनी बढ़ेगी और महंगाई कम होगी तब हम भी आम लोगों जैसी ज़िंदगी जी पाएंगे।”
रोहन ये बात सुनकर सोच में पड़ गया, उस आदमी ने जो भी कहा वो बिल्कुल गलत नहीं था। वो चुपचाप वहां से चला गया।

इस घटना के 9 महीने बाद,

Covid-19 की वजह से पूरे देश में Lockdown हो गया था, और करीबन 2 महीने के बाद देश Unlock हो रहा था। रोहन अपने काम से वापस उस गली की ओर गया। उसने देखा उधर के सारे फुटपाथ तोड़ दिए गए थे और वहां पर कोई भी सब्जी या फल बेचने वाला नहीं था। रोहन उस आदमी के घर जाकर देखना चाहता था कि आखिर क्या हुआ पर वहां पर अब कोई घर भी नहीं था। गवर्नमेंट प्रोजेक्ट के अंतर्गत वहां पर सारी सड़कें और कच्चे मकान तोड़कर एक अंडरब्रिज बनाया जा रहा था। उस आदमी का और उसके परिवार का क्या हुआ किसी को कुछ नहीं पता।
रोहन मन में ही सोचता रह गया, “उस आदमी ने कितनी सच्ची बात कही थी। हम लोग चाहे कितना भी कर ले पर हम लोग उसकी तकलीफ कभी समझ नहीं पाएंगे। सब के अपने-अपने संघर्ष होते है। मुफ़्त में सलाह देना तो आसान है पर किसी का साथ हमेशा के लिए देना उतना ही मुश्किल। जीवन भी अखरोट की तरह होता है, ऊपर की कठिन परत अगर हटा दो तो अंदर मीठा फल ही मिलता है, पर इस मीठे फल को पाने के लिए बहुत परिश्रम करना पड़ता है। उम्मीद करता हूँ उस आदमी और उसके परिवार को इस कठिन दुनिया में परिश्रम करने के पश्चात अपना मन चाहा फल मिल जाए।”


सच्ची घटना पर आधारित।
Incident 4 समाप्त 🙏

✍️ Anil Patel (Bunny)