Noukrani ki Beti - 30 books and stories free download online pdf in Hindi

नौकरानी की बेटी - 30


आज अन्वेशा का स्कूल में पहला दिन है।

आनंदी ने बहुत ही अच्छे से उसको तैयार किया था। आनंदी बोली वाह मेरी गुड़िया।

अन्वेशा बैग लेकर आनंदी के साथ नीचे पहुंच गई और बस का इंतजार करने लगी।


कुछ देर बाद इंटरनेशनल स्कूल का बस आ गया और फिर अन्वेशा आनंदी को हाथ हिलाती हुई अन्दर बैठ गई।


आनंदी ने ड्राइवर को समझा दिया और फिर बस वहां से निकल गया।


आनंदी ऊपर आकर जल्दी से तैयार हो कर नाश्ता करने बैठ गई।

कृष्णा ने कहा आनंदी ठीक से नाश्ता कर बेटा।

आनंदी ने कहा क्या मां, अभी में बच्ची हुं।

कृष्णा ने कहा और नहीं तो क्या? अभी तक क्या सारी जिंदगी तुम बच्ची रहोगी मेरे लिए।।


आनंदी ने हंस कर कहा अच्छा ठीक है।
चलो शाम को मिलती हुं। आप अन्वेशा को १बजे तक ले आना।बस आ जायेगा।

कृष्णा ने कहा हां मैं उसको समय से ले आऊंगी।

फिर आनंदी अपनी बड़ी सी गाड़ी में बैठ कर निकल गई।

आफिस पहुंच कर ही एक नया प्रोजेक्ट पर काम आ गया था।

आनंदी ने एक बोर्ड मीटिंग बुलाई और फिर एक घंटे तक मीटिंग चला।


फिर आनंदी अपनी टीम को लेकर एक सरकारी स्कूल का सर्वेक्षण करने निकल पड़े।

आनंदी ने अपने पीए से कहा कि उनको पता नहीं चलना चाहिए कि हम पहुंच रहे हैं वरना कुछ भी हो सकता है।

फिर कुछ देर बाद उस सरकारी स्कूल में पहुंच गए।


गेट पर कोई भी नहीं था तो सारे लोग अन्दर पहुंच गए और फिर वहां का जो हाल देखा तो एक दम आश्चर्य हो गये!

देखा कि बच्चे बाहर ही बैठ कर पढ़ रहे थे।

फिर आनंदी वहां से आगे बढ़ गई और अपनी टीम को पुरे स्कूल का सर्वेक्षण करने को कहा।

आनंदी सीधे प्रिंसिपल के रुम में गई।

आभा जी , आनंदी ने पुकारा।

तभी आभा जी खड़ी हो गई और देखने लगी।
ओह आप! आनंदी ने कहा हां मैं आई एस अफसर आनंदी।

आभा बोली आपको कौन नहीं जानता मैडम।

आनंदी ने कहा अभी तक आप ने जाना नहीं पर उम्मीद है जल्दी जान जाएंगी।

आभा से कहा क्या बात है।

आनंदी ने कहा आप यहां बतायेगी की पुलिस स्टेशन जाकर बताएंगी?

आभा बोली अरे नहीं मैडम आप बैठ जाईए।

आनंदी ने एक फोन किया और कहा कि जल्दी आईये।



फिर आनंदी ने पूछा कि आभा जी मुझे इस स्कूल की सारी फाइलें चाहिए।

इतने बड़े इलाके में आज इस स्कूल की जो हालत देखा।

आभा बोली अरे मैडम फाईलें तो गायब हो गई।

आनंदी ने कहा अच्छा ठीक है, अब आपको भी गायब होना होगा। मैं आपको सजा दिलवाऊंगी आपने बच्चों के साथ बहुत ही अन्याय किया है।

फिर पुलिस अधीक्षक आ गए और फिर बच्चों को उनके घर भेज दिया गया।

काफी गहमागहमी शुरू हो गई टीचर और गार्जियन के बीच।

फिर आनंदी ने कहा मैं पहले पुरी सच्चाई पर जाऊंगी उसके बाद कुछ कर पाऊंगी।
फिर स्कूल बंद कर दिया गया।


आनंदी अपनी टीम के साथ पुरी छानबीन शुरू कर दिया।







उधर अन्वेशा स्कूल से आ गई कृष्णा उसे लेकर आ गई।
अन्वेशा ने कहा नानी मम्मा कब आएगी।
कृष्णा ने कहा शाम तक आएंगी।
फिर अन्वेशा ने अपना सारा काम खुद से किया। आनंदी ने ही सिखाया था।
फिर कृष्णा और अन्वेशा लंच करने के बाद सोने चले गए।

अन्वेशा ने कहा नानी मम्मा ने कहा था कि तुम लोरी गाती थी मुझे भी सुनाओ ना।

कृष्णा ने कहा हां, क्यों नहीं।

फिर अन्वेशा लोरी सुनते-सुनते सो गई। कृष्णा भी सो गई।

फिर आनंदी का एक एक दिन उसी स्कूल को इन्साफ दिलाने में सहायक होता गया और एक दिन आनंदी ने फिर से कर दिखाया।
उसने जल्दी से स्कूल का काम शुरू करवाया।
स्कूल का नाम शिक्षा सदन रख दिया और जो जो टीचर अनुचित कार्य कर रहे थे उनको निकाल दिया गया।

फिर उन सारे बच्चों को दाखिला मुफ्त लिया गया और फिर आनंदी ने ही अपनी समझ से नये टीचरों को रखा ।


और फिर आनंदी सबकी वाह वाही की हकदार हो गई।








इसी तरह आनंदी, अन्वेशा और कृष्णा के साथ एक साल बीत गए।

अन्वेशा अब छ‌‌‌ साल की हो गई है और कल अन्वेशा का जन्मदिन है।

घर में सारी सजावट फुलों से महक उठा था और अन्वेशा को जो जो भी पसंद है वो आनंदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।

कृष्णा भी खाने पीने की सारी व्यवस्थाएं की है।


अन्वेशा ने अपनी स्कूल के दोस्तों को बुलाया था और कालोनी के बच्चों को भी बुलाया था।

आनंदी ने कहा काश आज रीतू दी,शना यहां होती।

तभी बेल बजा।
आनंदी ने कहा अरे विकास जरा देखो तो। विकास घर की देखभाल करते थे।

विकास ने दरवाजा खोला।


फिर आनंदी ने देखा तो उसकी रीतू दीदी,शना, शैलेश सर खड़े थे और मुस्कुरा रहे थे।

रीतू ने कहा आनंदी सरप्राइज।

आनंदी ने खुशी का इजहार करते हुए दौड़ पड़ी।

रीतू के गले लग कर रोने लगी।

अनु बोली अरे कृष्णा कैसी हो।

कृष्णा ने कहा अरे मैडम आप लोग आइए।।

फिर सभी अन्दर आ गए।

राजू ने कहा आनंदी कैसी है।
आनंदी ने कहा अच्छी हुं दादा।

रीतू ने कहा दो महीने बाद राजू की शादी है।

आनंदी ने कहा अरे वाह।।
शायद मैं नहीं जा पाए।
रीतू ने कहा अरे बर्थ डे गर्ल कहा है।

आनंदी ने कहा अन्वेशा इधर आओ।

अन्वेशा ने देखा और कहा अरे मासी आ गई।कह कर पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
रीतू ने कहा ओ माई गॉड।
आनंदी ने इतनी अच्छी शिक्षा दी है एक छ साल की बच्ची को।

अन्वेशा ने कहा आप लोग सब बैठ जाइए।

फिर सभी पहले नहा धोकर तैयार हो गए।


फिर सबने मिलकर नाश्ता किया।

रीतू ने कहा आनंदी क्या सोचा है अन्वेशा की पढ़ाई के लिए।
आनंदी ने कहा दीदी फिलहाल मेरे साथ ही रहेंगी। फिर मैं आगे उसे लंदन भेज दुंगी।

रीतू ने कहा हां ठीक है।

शना की पढ़ाई शुरू हो गई है।वो तो अभी छोटी है पर उसे तुम जैसी बनना है।

आनंदी ने हंसने लगी। राजू बोला आनंदी मेरी शादी में आओगी ना।

आनंदी ने कहा कोशिश करूंगी।

अनु बोली कृष्णा तू तो आएगी।
कृष्णा ने कहा हां अगर आनंदी ले जाएगी तो जरूर।

इस तरह बातचीत में दोपहर के भोजन का समय हो गया।

सभी खाना खाने बैठे।
शना और अन्वेशा को आनंदी ने पहले ही खिला कर सुला दिया था।

फिर सब कृष्णा ने अपने हाथों से सबके लिए खाना बनाया।
कृष्णा ने कहा यहां मुझे कुछ भी नहीं करना पड़ता है पर जब कुछ विशेष होता है तो मैं बनाती हुं।

आनंदी ने कहा सब अच्छी तरह से खाना खाइए।

फिर खाना खा कर आराम करने चले गए।


आनंदी ने कहा मां मुझे निकलना होगा। शाम को मिलती हुं।

फिर आनंदी अपनी कार से निकल गई।

आनंदी ने इन्दौर में भी समर्पण एनजीओ का बांच खोलने का सोच लिया था।

उसी पर काम भी कर रही थी उसे लगता कि कोई भी बच्चा अनाथ ना हो,उसको भी हक है एक अच्छी जिंदगी बिताने का।।

कल मैं नहीं आ रही हुं कल आप सभी को मेरे घर पहुंच जाना होगा। ये बात आनंदी ने अपने आफिस में जाकर कहा।।


फिर आनंदी घर आकर रीतू को सारी बात बताई।
रीतू ने कहा हां आनंदी तेरा ये जुनून देख कर दंग रह गई हुं।
तूने तो यहां भी समर्पण एनजीओ खोलने का निर्णय लिया है।

आनंदी ने कहा हां दीदी मैं जहां-जहां जाऊंगी वहां एक समर्पण एनजीओ जरूर होगा।

मैं चाहती हूं कि कि कोई भी अनाथ , अनपढ़ ना रहे मैं पुरी कोशिश करूंगी।

रीतू ने कहा हां मैं जानती हूं वो जज्बा है तेरे अन्दर।

फिर कृष्णा ने सबके लिए गर्म -गर्म समोसे जलेबी बना कर टेबल पर रख दिया और साथ में चाय भी।

उधर राजू शना और अन्वेशा को लेकर पढ़ाने बैठ गया।

फिर सभी चाय और नाश्ता करने लगे।

रीतू ने कहा मजा आ गया कृष्णा वाई के समोसे जलेबी लाजवाब।।

कृष्णा ने कहा हां अब तो मैं ये सब करती नहीं, यहां तो सब महाराज मिल जाता है पर आज मेरी ही सब कुछ बनाया।


आनंदी ने कहा कल की सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित हो गई है।
शाम के सात बजे बच्चों को बुलाया गया है।
बाकी सब आठ बजे तक आएंगे।

शैलेश ने कहा हां एकदम सही।


कृष्णा ने कहा रात के खाने में बिरयानी बनाईं हूं।

राजू ने कहा क्या बात है।।

फिर अनु ने राजू की होने वाली बीबी की तस्वीर दिखाई।ये देख सोनल है ये।


आनंदी ने कहा अरे वाह बहुत सुंदर है।


अनु बोली अच्छा कृष्णा आनंदी की शादी नहीं करवाया? आनंदी ने कहा मैम, मुझे शादी नहीं करनी है अब अन्वेशा की जिंदगी संवारना है।


रीतू बोली अरे आनंदी पता है एक दिन ज़ोन घर आया था तुझे खोज रहा था।

आनंदी ने कहा हां दीदी मैंने उसे हमेशा एक अच्छा दोस्त माना था पर शायद वो कुछ और।। मैंने ना कह दिया।

रीतू ने कहा हां मुझे भी लगा था।

आनंदी ने कहा अब मुझे शादी नहीं करनी है। मैं ऐसी ही ठीक हुं।
मुझे इन बच्चों के लिए कुछ करना है ये ही मेरा कर्म है ये उज्जवल भविष्य है।


अमर बोले वाह आनंदी बहुत खूब कहा।।


फिर कुछ देर बाद अन्वेशा और शना डाईंग रूम में आ गए और खेलने लगी।


फिर सब रात का डिनर करने बैठ गए।

बच्चों को पहले खिला कर सुला दिया गया।

फिर सब लोग खाने बैठ गए।

आनंदी ने कहा कल एक छोटी सी पुजा रखवाया है।आप सभी तैयार हो जाइएगा समय से।।

फिर सभी डिनर खाने के बाद अपने-अपने रूम में जाकर सो गए।

क्रमशः