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खुनी संडे

सच यह है कि विज्ञान का ज्ञान सीमित है ज्यु ज्यु रहस्यों से प्रदा उठता है त्यु त्यू विज्ञान उस वस्तु कि घटना को लेकर अपने विचार बदलते हुए ज्ञान का प्रसार करना शुरू कर देता है । यही वो विज्ञान है जो तत्व अतत्व के बटवारे मेंउलझा हुआ है।

कभी पानी को पानी बोलता है , तो कभी H2o है । विज्ञान भगवान को नहीं मानता पर एक छोटा सा जीव नही बना सकता किसी को मौत के मुंह से नहीं बचा सकता पर कहता रहता है भगवान कुछ नहीं हैै। विज्ञान को मानना गलत नहीं है पर विज्ञान जिन बातों को समझ ना पाए, जिन राज से पर्दा ना उठा पाए ।

मेरे दोस्त की पत्नी एक चुड़ैल ने जकड़ लिया था , उकसी पत्नी कुछ अलग ही बर्ताव कर रही थी। मेरा दोस्त उस आत्मा से बाते करना चाहता था । बहुत कुछ जानना चाहता था इसलिए उसने एक कमरे मे बैठा कर अंदर से कमरा बन्द कर दिया। मेरे दोस्त ने पूछा तूने क्यों पकड़ा है इसे ये तो पूजा पाठ करती है। तू क्यों आई, उस चुड़ैल ने डरते हुए कहाा , ये महिला निडर होकर बाहर घूम रही थी। मैं भी वही से आ रही थी। में इसे पकड़ना नही चाहती थी लेकिन हालही में इसे नवजात हुआ है। और मे खुद को रुक नही पाई , वैसे भी मेने इसे पकड़ा नहीं है। मेरा छाया इस के उप्पर हे । में इसे अभी छोड़ कर चली जाती है हू। फिर मेरे दोस्त ने कहा चली जाना पर एएक प्रसन का जवाब दो , सूना है तुम आत्माओं के पास बहुत धन होता है। हो तो दे दो मुझे , मे कुछ काम कर लूंगा और तेरा धन्यवाद भी दूंगा। तू बोलेगी तो तुझे मुक्त करवा दूंगा ।

ये सब सुनकर वो हंसने लगी फिर रोने लगी , उसने बोला धन तो मेरे पास है पर वो किसी काम का नहीं , वो मेरे काम का भी नहीं है पर में उसका मोह नहीं छोड़ सकती ऐसा क्यों में खुद नहीं समझ सकती । सच ये है हमारी भी कुछ बंदिशे , पबंदया है । मे चाह कर भी बहुत कुछ नहीं कर पाती और ना चाह कर बहुत कुछ कर देती हूं जो करना नहीं चाहती ।

मेरे दोस्त को लगा ये सुष्म दुनिया में रहकर भी स्वत्रत नहीं है और चाह कर भी मुक्त नहीं हो सकती ।

इसी प्रकार एक पंडित जी ने उनका बहुत बड़ा बगीचा था। वो कभी कभी इस बाग मे गाय आदि चराने जाते थे । वी वो गया को चरने को छोड़ देते थे, और खुद बरगद के पेड़ के नीचे सो जाते शाम होती गाय को घर ले आते। एक दिन ऐसे ही पंडित जी बरदग के पेड़ के नीचे सोए हुए थे। अचानक आवाज हुई पंडित जी कि नींद खुल गई पर सोने का ढोंग करते रहेे । दरसल उनको आभास हुआ नीचे जमीन में कुछ आवास हुई। कांखी नजरो से इधर उधर देखने लगे , अचानक उस पैड पर दो प्रेत बैठी हुई थीं । वो दोनो आपस मे लड़ रही थी । पंडित जी को समझ नहीं आ रहा था कि चल क्या रहा है।

दर्सल उनकी लडाई वहा गढ़ा खजाने को लेकर हो रही थी। एक बोलता मेरा है तो दूसरा बोलता मेरा , पंडित जी सोए हुए ही दुर्गा मंत्र जाप करने लगे , उस मंत्र से वो दोनो पंडित जी के पास खींचे चले आए । पंडित जी ने कहा डरो मत मैं तुम्हे इस योनि से बाहर निकला सकता हूं ।

देखते ही देखते जमीन से खजाना भार आने लगा , वो खजाना हवा में उड़ने लगे और उन दोनो पे हमला करने लगे , आखिर कार वो खजाना दुबारा जमीन में समा गया । पंडित जी बोले कोई बात नही तुम लोग इसे काबू में ना कर पाए , चलो मैं इसे काबू में कर के ही दम लूंगा ।

रोज सुबह सुबह पंडित जी नहा धोकर आते और उस खजाने के उप्पर पूजा पाठ करते, लगभग ५१ दिन तक पूजा पाठ करते हुए। पंडित जी को लगा अब इस धन को निकाला जा सकता है । एक दिन सुबह सुबह कुदाल लेकर वो उस धन को निकाला लिए।

लोग कहते हैं पंडित जी ने उस धन से गांव में ले कुएं बनवाए और एक स्कूल भी बनवा दिया। इतना ही नही पंडित जी ने उन दोनो का पिंडदान किया और दोनो को मुक्त करावा दिया । पंडित जी जब तक रहे उस धन का सही उपयोग किया मगर उनके मरने के बाद , उनके बेटे ने अपने लिए बहुत कुछ करना चाह पर संभव नहीं हो पाया । वो पूरी तरह से बर्बाद हो गया और उसके बर्बादी का कारण धन ही था । आज ना वो बाघ है और ना ही वो बरगद का पैड वहा पर एक मंदिर बन चुका है ।

A Story by SHIVANI KHANKRIYAL

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